नाकारा बाप के बेटे ने मां की चुत को मजे दिए- 1

मॅाम सन सेक्स कहानी में मेरा पति मुझे सेक्स का मजा नहीं दे पाता. तो मैं अन्य लोगों के लंड लेने की कोशिश में रहती हूँ. इस बार मेरी नजर मेरे बेटे के लंड पर टिकी.

दोस्तो, मेरा नाम कविता है और मेरी उम्र 45 साल है.
मैं एक गृहणी हूं और एक कातिल हुस्न की मालकिन भी.

मेरा फिगर 32D-28-36 का है और मैं अपने परिवार के साथ रहती हूं.

मेरे परिवार में मेरे पति कोमल सिंह (50) मेरा बेटा राजू (26) और मेरे ससुर और सास रहते हैं.

मेरे देवर वासदेव सिंह 48 साल के हैं, देवरानी सुषमा 42 साल की है.
वे लोग अलग घर में रहते हैं और उनके 2 बच्चे हैं.
सास ससुर मेरे परिवार के साथ रहते हैं.

मेरे पति कोमल सिंह एक ठेकेदार हैं और वे बहुत ज्यादा शराब पीते हैं.
वे सुबह काम पर निकल जाते हैं और शाम को न/शे में ही लड़खड़ाते हुए वापस आते हैं.

मेरा बेटा राजू अभी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है तो वह भी ज्यादातर घर पर ही रहता है.

मेरे ससुर रिटायर्ड फौजी हैं.
वे और सासु मां भी सारा दिन घर पर ही रहते हैं.
वे दोनों कभी कभी अपने छोटे बेटे से मिलने चले जाते हैं जो पड़ोस में ही रहता है.

मेरा लड़का राजू अपनी उम्र की ब/च्चों से हमेशा ही बड़ा दिखता था क्योंकि उसका शरीर अपनी उम्र के ब/च्चों से काफी बड़ा है.
शायद उसको ये प्राकृतिक रूप से मिला है.
जब वह हाई स्कूल में था, तब वह शरीर से ग्रेजुएशन वाले ब/च्चों के बराबर हो चुका था.

वह अपने अलग कमरे में बचपन से ही सोता आ रहा है.

यह मॅाम सन सेक्स कहानी मेरे बेटे के साथ की है.

एक दिन मैं रोज की तरह सुबह उसे उठाने गई तो देखा उसने कोई भी कपड़े नहीं पहने थे.
वह एक चादर ओढ़े हुए लेटा था.
चादर के अन्दर उसका लंड तंबू बनाए हुए था.

तब वह एकदम पूर्ण पुरुष के जैसे लग रहा था.
उसके लंड को देख कर मेरा ऐसे ही मन हुआ कि देखा जाए.
मैंने उसकी चादर उठा कर अन्दर का नजारा देखा तो मेरे होश उड़ गए.

उसका लंड स्कूल में पढ़ने वाली उम्र में ही किसी जवान मर्द के जितना बड़ा और मोटा था … और एकदम तना हुआ था.
मैंने चादर दोबारा डाल दी और उसे उठाने लगी.

मैंने राजू को उठाया और कहा- बेटा चलो उठो, जल्दी ब्रश करो और आकर चाय पियो वर्ना स्कूल के लिए लेट हो जाओगे.
मैं उसको देखती रहती थी कि उसकी नजरें कभी मेरे बड़े बड़े गोल गोल मम्मे झूलते हुए देखती थीं, तो कभी मेरी गांड.

उसकी नजर मैं बहुत दिन से नोटिस कर रही थी.
पर मुझे लगा कि यह बड़ा हो रहा है तो शायद हार्मोन की वजह से ऐसा होगा.

पर जब मैंने पहली बार उसका लंड देखा तो मेरा मन भी थोड़ा मचल गया.

अब मैं उसके लंड को रोज देखने के बहाने बनाने लगी.
जब वह नहा रहा होता था तो मैं जानबूझ कर उसकी तौलिया बाथरूम से निकाल लेती थी ताकि वह मुझसे तौलिया मांगे और मैं उसका लंड देख पाऊं.

मेरे मन में ये भी चलता रहता था कि वह मेरा बेटा है और मुझे ये सब नहीं करना चाहिए … पर मेरे पति जो हमेशा न/शे में ही रहते हैं, मुझे कभी खुश नहीं करते हैं.
शायद इस वजह से मेरा ध्यान उसकी तरफ ज्यादा जाने लगा.

इसके अलावा मैं कुछ चंचल किस्म की महिला भी हूँ और मेरे जिस्मानी ताल्लुकात पति के अलावा भी कुछ मर्दों से रहे हैं.
इस विषय में मैं आपको आगे की किसी अन्य सेक्स कहानी में विस्तार से लिखूँगी.

तो अपने बेटे के लौड़े पर मेरा दिल मचल गया था.
पहले जब मैं तौलिया लेकर बाथरूम में जाती थी, तब वह कोशिश करता था कि मैं उसको नीचे तरफ से नंगा न देख पाऊं और मुझे उसका लंड न दिखाई दे.
उसके लिए वह कभी अपने लंड पर हाथ रख लेता था तो कभी मुड़ कर खड़ा हो जाता था.

पर जब उसको ये अहसास होने लगा कि उसकी मम्मी उसके लंड पर हर पर ही नजर डाल रही हैं तो उसने भी छुपाना कम कर दिया.

उसने तौलिया लेते हुए गेट के पीछे छुपना बंद कर दिया जिससे अब मुझे उसके लंड के दर्शन आराम से हो जाते थे.

मैं उसका लंड देखने के बाद अपने बाथरूम में जाकर अपनी चुत में उंगली डाल कर अपनी आग थोड़ी शांत करती थी और बाहर आ जाती थी.

ये बात वह भी नोटिस कर रहा था, पर ना वह इससे आगे बढ़ रहा था और न मैं!

मैं दोराहे पर खड़ी थी एक तरफ तो यह नहीं चाहती थी कि ये सब चीजें ज्यादा आगे बढ़ें क्योंकि वह मेरा बेटा है.
पर दूसरी तरफ मेरा प्यासा हुस्न उसके लंड पर मचल चुका था.

कुछ दिन के बाद जब मैं तौलिया लेकर पहुंची, तो उसने अपनी लंड की खाल पीछे कर रखी थी और उसका गुलाबी टोपा तने हुए लंड पर चमक रहा था.
मैं उसके तने हुए लौड़े के गुलाबी सुपारे को देख कर थोड़ा सकपका सी गई और जल्दी से वहां से चली गई.

मेरी भी क्या गलती थी, मैं जब 35 साल की उम्र की थी, तबसे ही अपने पति के प्यार को पाने के लिए प्यासी थी.
जवानी से छलकती एक ऐसी औरत, जिसका पति उसे चोद ना रहा हो … तो मन तो थोड़ा मचल ही जाता है.

आज मैं इस कहानी में आपको इतना बस बता रही हूँ कि मेरे ससुर जी और देवर भी मुझे चोद चुके हैं.

ये बात बीच में बताना इसलिए जरूरी था क्योंकि शायद मेरा बेटा राजू, मेरे ससुर जी या देवर या मेरे अपने भैया रमेश का ही लड़का है.

रमेश भैया मुझसे 3 साल बड़े हैं. वे भी मेरी चूत की सवारी गांठ चुके हैं.

खैर … वापस कहानी पर आती हूं.

राजू का खुले टोपे के साथ लंड देख कर मेरी चूत की खुजली और बढ़ गई और मैं बाथरूम में जाकर फिर से खुद को शांत करने लगी.

उस दिन राजू मेरे बाथरूम के बाहर खड़ा होकर देख रहा था.
शायद वह ये सब रोज ही देखता था.

कुछ दिन बाद मेरे पति फिर से न/शे में घर आए तो राजू उन्हें मेरे साथ पकड़ कर कमरे में ले गया और उन्हें लिटा दिया.

जब मैं अपने पति को पकड़ कर कमरे में ले जाने में राजू की मदद कर रही थी तो राजू की नजर मेरे मम्मों पर टिकी हुई थी.

ऐसा लग रहा था मानो उसके मुँह से अभी लार टपक जाएगी क्योंकि पति को कमरे में ले जाते टाइम मेरी मैक्सी से मेरे मम्मे बार बार बाहर आ रहे थे और मेरा बेटा मेरे नंगे मम्मे देख रहा था.
मैंने और मेरे बेटे ने कोमल को लिटाया और हम दोनों बाहर आ गए.

मैंने सबको रोज की तरह खाना खिलाया और खुद खाना खा कर अपने कमरे में चली गई.

कुछ देर बाद मेरे कमरे का दरवाजा खुला और मेरा बेटा अन्दर आ गया.

कमरे में लाइट बंद थी पर मुझे हल्की रोशनी होने की वजह से पता चल रहा था कि वह क्या कर रहा है.
राजू ने अन्दर आकर दरवाजे पर कुंडी लगा दी और अपनी लोअर उतार कर अपना लंड आजाद कर दिया!

मैं समझ गई आज मेरा बेटा मुझे चोद कर ही मानेगा और कहीं न कहीं मैं भी उसका तना हुआ लंड गुलाबी टोपे के साथ देखने बाद यही चाहने लगी थी कि वह मुझे चोद दे.

मॅाम सन सेक्स के लिए मैं सोने का नाटक करती हुई आंखें बंद करके लेटी रही.
और राजू ने आकर अपना लंड मेरे होंठों पर रख दिया और रगड़ने लगा.

मुझे अच्छा तो लग रहा था, पर एक मन अब भी यह कह रहा था कि ये गलत है.
राजू ने मेरा मुँह खोल कर उसमें अपना टोपा डाल दिया और उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया.

फिर उसने मेरी चूचियां मेरी मैक्सी से निकाल कर आजाद कर दीं और दबाने लगा.
मैंने जल्दी से उसका लंड मुँह से बाहर निकाला और उठ कर बैठ गई.

मैंने धीरे से कहा- बेटा, ये गलत है, मैं मां हूं तुम्हारी.
इस बात को सुनकर राजू ने मुझे उठाया और बेड से नीचे खींचते हुए मुझे अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया.

उसने मेरे कान में बोला- मुझे पता है आपको ये चाहिए है क्योंकि पापा आपको खुश नहीं कर पाते हैं.
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं बेटा … और मां बेटे के बीच ये सब नहीं हो सकता है.

तो राजू बोला- यदि नहीं हो सकता है तो आपने अभी भी मेरा लंड क्यों पकड़ा है?

ये बोल कर उसने मेरी मैक्सी को उठाते हुए उतार दिया और मुझे पूरी नंगी कर दिया.
वह मेरी गर्दन चूमने लगा.

मैंने उसको कान में फुसफुसा कर कहा- आह … ये सब गलत है!
दूसरी तरफ उसके शरीर से लिपटी हुई भी थी और उसके लंड को सहला रही थी.

कुछ देर तक मेरे बदन को चूमने के बाद उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टांगें फैला कर अपना मुँह मेरी गीली रस चुचाती चूत में रख दिया.
फिर वह अपनी उंगलियों से मेरी चूत फैला कर चाटने लगा.

इतना अच्छा अहसास मुझे लंबे टाइम के बाद हुआ था, तो मैं भी उसका सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी और गांड हिला हिला कर अपने बेटे से अपनी चूत चटवाने लगी.

कुछ देर चूत चाटने के बाद राजू ने अपना लंड मेरी चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया और वह फुसफुसा कर बोला- अब जहां से निकला था, वहीं अपना लंड भेज कर जरा अन्दर के हाल चाल ले लूं!

ये बोलते हुए उसने एक धक्के में अपना आधा लंड मेरी चूत में डाल दिया.
जिससे मेरी चीख निकल गई.

राजू बोला- क्या हुआ मम्मी, अभी तो शुरू भी नहीं किया!
मैं बोली- साले, आराम से कर न … जल्दी क्यों मचाए हो!

वह धक्के मारते हुए बोला- मम्मी तुम्हारी चूत बहुत टाइट है, बिल्कुल जवान लौंडिया के जैसी.
मैंने कहा- चुप साले, ऐसी बातें मत कर … बस चुपचाप अन्दर बाहर करते रह!

राजू ने 10-12 धक्के मार कर अपना पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में डाल दिया और मुझे गचगचा कर चोदने लगा.

मैं उसे अपने ऊपर जकड़े हुई अपनी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी और वह अपनी कमर हिला हिला मुझे चोदता रहा.

मुझे नहीं लग रहा था कि मेरा बेटा ये सब पहली बार कर रहा है.

मैंने उससे पूछा- तुमने इसे पहले भी किसी के साथ सेक्स किया है?
वह बोला- हां, मुझे तो लगभग रोज ही किसी ने किसी की चुत चोदने को मिल जाती है.

मैंने कहा- किसके साथ करते हो?
वह बोला- आप अपनी चुदाई के मजे लो अभी … वह सब मैं आपको बाद में बताऊंगा.

मैं भी चुप होकर अपने बेटे के लंड से मजे से चुदने लगी.
उसका लंड मेरे भैया जैसा लंबा और मोटा है जो मेरी चूत की दीवारों से रगड़ रगड़ कर और मेरी बच्चेदानी में टकरा कर मेरी चूत का सारा रस निकाल रहा था.

बीस मिनट तक मेरे बेटे ने मुझे चोद चोद कर मेरी चूत का सारा रस निकाल दिया और मेरी चूत में अपना सारा माल भर दिया.

मैंने कहा- जाओ अब अपने कमरे में, कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा?
राजू बोला- अभी तो एक राउंड हुआ है और अभी तो पूरी रात बाकी है.

दोस्तो, मैं उसकी बात सुनकर चुप रह गई और सोचने लगी कि मन तो मेरा भी है लेकिन अब कैसे इसे मना करूं कि कहीं तेरा बाप जाग गया तो बड़ी समस्या हो जाएगी.

आगे क्या हुआ, वह सब मैं अपनी इस सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगी.
आप मुझे जरूर बताएं कि आपको मॅाम सन सेक्स कहानी कैसी लगी.
धन्यवाद.

मॅाम सन सेक्स कहानी का अगला भाग: नाकारा बाप के बेटे ने मां की चुत को मजे दिए- 2

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