मेरी जवान सहलज की प्यास

सिस्टर इन ला सेक्स कहानी मेरे साले की बीवी की जिस्मानी प्यास की है. मेरा साला उसे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता था. एक बार मौक़ा मिलने पर उसने मुझसे मदद मांगी.

सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार।
मैं 34 वर्षीय राजेन्द्र और मेरी बीवी 32 वर्षीया ऋचा सरकारी नौकरी में है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।

यह सिस्टर इन ला सेक्स कहानी मेरी सहलज प्रिया और मेरे बीच की है जिसे मेरा साला ज्यादा खुश नहीं रख पाता था।

मेरा साला वैभव 34 साल का है, भोपाल में निजी कम्पनी में कार्यरत है।
उसकी बीवी प्रिया 30 वर्षीया हाउसवाइफ है।

एक ही शहर में रहने के कारण हमारा मिलना अक्सर होता था।
हम लोग पार्टी करने अक्सर साथ में जाया करते थे।

मेरे और मेरी वाइफ के अच्छे लाइफस्टाइल के कारण प्रिया अक्सर वैभव को ताने मारती थी।
वैभव की कम सैलरी को लेकर अक्सर उनके बीच तना तनी होती रहती थी।

प्रिया और मैं अक्सर मजाक मस्ती करते रहते थे जीजा साली के जैसे!
फ़ोन और व्हाट्सएप्प पर भी बातें चलती रहती थी।
पर मेरे दिल में कभी कुछ गलत ख्याल नहीं आए।

लेकिन एक घटना जिसने सब कुछ बदल दिया।

हुआ यूं कि वैभव का एक्सीडेंट हो गया.
उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।

हाथ और पैर में फ्रैक्चर तो था ही, 3 दिन तक हॉस्पिटल में भी रहना था।

मैं रात में हॉस्पिटल में रुक जाता था।
प्रिया दिन में रुक जाती थी।

मेरी पत्नी हम लोगों के खाने की व्यवस्था कर देती थी।
उस समय सारा खर्च मैं ही उठा रहा था तो प्रिया बार-2 शुक्रिया जता रही थी।

एक शाम मेरी पत्नी बोली- आज आप घर पर आराम कर लो, भाई के पास मैं रुक जाऊँगी। आप प्रिया भाभी को घर छोड़कर मेरे लिए खाना ले आना।

मैं प्रिया को लेकर बाइक से घर के लिए निकल गया।

रास्ते में प्रिया बोली- जीजू, दीदी कितनी लकी हैं कि उनको आपके जैसा पति मिला। आप दोनों हमेशा खुश रहते हो, घूमने जाते हो बाहर … आप दीदी को शॉपिंग कराते रहते हैं। मेरे पति तो मुझे सही से समय भी नहीं दे पाते।
मैं- प्रिया, ऐसा नहीं है, वैभव भी तो बहुत मेहनत करता है और तुम्हें प्यार भी बहुत करता है। काम का प्रेशर तो है ही!

प्रिया मेरी बात काट कर- प्यार तो करते हैं जीजू … पर मेहनत नहीं करते वो! जल्दी थक जाते हैं।
इतना कहकर वो हँस दी।

मैं- अच्छा! और तुम?
प्रिया- मैं तो लंबी रेस की घोड़ी हूँ जीजू!
मैं- फिर वैभव के तो मजे हैं।

प्रिया- कहाँ के मजे जीजू! मेरे मजे का तो ध्यान ही नहीं उनको और अब तो उनको प्लास्टर भी रहेगा तो 1 महीने तो …
मैं- तो?
प्रिया- तो जीजू, बात यह है कि मैं बहुत प्यासी हूँ, मेरी भी कुछ शारीरिक जरूरतें हैं। मैं जानती हूँ यह गलत है. पर प्लीज़ मेरी हालत समझिये; मेरी प्यास को बुझा दीजिये।

वह मेरे से चिपक कर कह रही थी।

तब तक हम लोग प्रिया के घर आ चुके थे।
अब प्रिया खाना बनाते 2 बात कर रही थी।

प्रिया- जीजू, मैं बाहर किसी से सम्बंध नहीं बना सकती। वैभव काम को लेकर इतना टेंशन में रहते हैं कि मुझे खुश नहीं रख पाते। हफ्ते में एक दिन सेक्स करते है हम लोग। आप बताओ क्या यह सही है? दीदी बताती हैं मुझे कि आप कैसे उनको प्यार करते हो। उनको हर तरह की खुशी देते हो। उनकी बातें सुनकर मुझमें उत्तेजना आ जाती है। मेरा भी मन करता है कि मैं भी खुद को उसी तरह संतुष्ट करूँ।

प्रिया- जीजू, आपको मैं पसंद भी करती हूँ और बात घर की घर में रहेगी जीजू। थोड़ी खुशी मेरे साथ भी बाँट लीजिये आप!

मैं किचन के गेट पर टिक के खड़ा था- मैं भी तुम्हें पसंद करता हूँ प्रिया! पर गलती से बात बाहर आ गयी तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी।
प्रिया मेरे गले लगकर- मैं कुछ नहीं होने दूँगी जीजू! ट्रस्ट मी, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।

यह पहली बार था जब अपनी बीवी के अलावा किसी और स्त्री को अनुभव कर रहा था।
इस समय हम दोनों के रोंगटे खड़े हो गए थे।

हमारी आंखें मिली फिर होंठ!
कुछ ही पलों में हम बिस्तर पर थे।

प्रिया वासना की आग में काँप रही थी।
वह मुझे लगातार चुम रही थी।

मैं उसके शरीर पर हाथ फेर कर उसके फिगर (34-30-34) का जायज़ा ले रहा था।

प्रिया सांवली है पर बला की खूबसूरत है।

उसने अपना काला सलवार सूट उतारा, लाल ब्रा और रंग बिरंगी पैंटी उतारी।

जब उसने अपने कपड़े उतारे तो मैं बस स्तब्ध था।
एकदम कसा हुआ शरीर था उसका!

काले घने बाल, कसे हुए नितम्ब।

मैंने भी मेरे कपड़े उतारने में देर नहीं की।

उसने मेरा 6 इंची लण्ड चूसना शुरू किया।

मैं उसके बालों को संभाले हुआ था।
उसके पसीने की महक मुझे उत्तेजित कर रही थी।

लण्ड चूसने के तरीके से उसकी प्यास समझ आ रही थी, इस कला में वह माहिर है।

थोड़ी देर बाद अब मैं उसकी चूत को चूस रहा था।
हर चूत का स्वाद अलग होता है।

उसकी चूत से सफेद डिस्चार्ज हो रहा था जिसे मैं चाट गया।

प्रिया की सिसकारी से पूरा कमरा गूंज रहा था।
जब मैं चूत चूस रहा था तो प्रिया वासना में अपने बूब्स दबा रही थी।

उसकी चूत अब अच्छी खासी गीली हो चुकी थी और अब हम चुदाई के लिए तैयार थे।

मैं बेड पर लेट गया और प्रिया मेरे लण्ड के ऊपर धीरे-2 बैठ गयी।

प्रिया की गर्म चूत में मेरा लण्ड समा चुका था।
उसकी चूत की गर्मी बहुत तेज़ थी।

दो जिस्म एक जान हो चुके थे।

अब उसने अपनी गांड आगे पीछे हिलाना शुरू किया।
उसके बूब्स मेरे सामने उछल रहे थे।

उसकी मादक आवाज़ से मैं भी काफी जोश में था।
‘याहह जीजू … फ़क मी … मम्म्म आहह आह!’

उत्तेजना में मेरा माल निकलने ही वाला था कि मैंने चुदाई बीच में रोकी।
मैंने चूत रस में भीगे लण्ड को बाहर निकाला, थोड़ा आराम दिया.

हम दोनों पसीने में भीगे हुए थे।

अब मैं भी उठ कर बैठ गया और प्रिया मेरी गोद में ही चुद रही थी।
उसके सुडौल बूब्स मेरे मुंह में आ रहे थे।

अगले 5 मिनट में प्रिया और मैं उसी पोजीशन में झड़ गए।
मेरा माल प्रिया की चूत से बाहर टपक रहा था।

प्रिया ने फिर मुझे किस किया और उसकी मदद के लिए थैंक्स कहा।

ऋचा को खाना पहुँचाने के बाद हमने रात को भी सेक्स किया।

इस तरह मैंने मेरी सहलज की प्यास बुझाई।

प्रिया को टिफिन सेंटर चालू करवा दिया मैंने और ऋचा ने!
अब वह भी काम में बिजी रहती है।

और अब जब भी मौका मिलता है तो हम चौका मार ही लेते हैं।

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी सिस्टर इन ला सेक्स कहानी?
कमेंट में अवश्य बताएँ और अन्तर्वासना से जुड़े रहें।

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