अब तक आपने पढ़ा कि कैसे सचिन आखिर हिम्मत करके नंगा अपनी बहन सोनाली के सामने जा खड़ा हुआ जबकि वो भी नंगी नहा रही थी। फिर शर्म का पर्दा गिर गया है बहन ने भाई को न केवल नंगा नाच दिखाया बल्कि उसके लंड को चूस कर रस भी पिया। बाद में रूपा ने खुले आम सचिन को किस किया जिसके लिए पंकज ने सहमति भी दिखाई।
अब आगे…
अभी डिनर में थोड़ी देर थी और सब टीवी देख रहे थे कि तभी रूपा ने सचिन को अपने पीछे पीछे बाहर आने का इशारा किया और बाहर टेरेस पर चली गई, सचिन भी पीछे पीछे चला गया।
वहां ताज़ा हवा में दोनों कुछ देर तक यूँ ही खड़े रहे।
रूपा- मेरे दिमाग में एक और आईडिया आया है।
सचिन- क्या? दीदी को पटाने का?
रूपा- हम्म! देखो, खाने के बाद मैं बेडरूम में दीदी से बातें करने बैठ जाऊँगी। फिर तुम मुझे बुलाने आ जाना और वहीं सो जाना। जब तक सोने का टाइम होगा तो मैं कह दूँगी कि अब इसकी नींद डिस्टर्ब नहीं करते यहीं सो जाने दो।
सचिन- मतलब उस दिन जो तुम्हारे साथ हुआ वही तुम चाहती हो कि मेरे साथ भी हो?
रूपा- हाँ! सही पकड़े हैं!
रूपा ने टी वी वाली अंगूरी भाबी जी की स्टाइल में कहा।
सचिन- ठीक है, तुम इतना सोचा है तो कोशिश करना तो बनता है।
तभी सोनाली ने सबको खाने के लिए बुला लिया। जैसा रूपा ने सचिन को कहा था वो खाने के बाद अपनी भाभी के साथ किचन में हाथ बटाने चली गई। उसने वहां सबसे पहले तो सोनाली को अपनी अभी की योजना के बारे में बताया फिर आगे और सलाह देने लगी।
रूपा- आप चाहो तो अपनी चूत की खुशबू उसको सुंघा सकती हो, ताकि वो और उतेजित हो जाए और कुछ करने लगे।
सोनाली- लेकिन योजना तो कल की थी न फिर ये आज ही क्यों?
रूपा- कल तो पूरी चुदाई की योजना है। मैंने सोचा, क्यों न आज ही इतना हो जाए कि थोड़ी आँख की शर्म मर जाए ताकि कल सब कुछ और भी आसानी से हो सके।
सोनाली- ठीक है, मैं कोशिश करुँगी।
सोनाली ने ये बात रूपा को नहीं बताई कि सचिन आज ही अपनी वासना का इज़हार कर चुका है और उसके जवाब में वो पहले ही सचिन का लंड चूस के उसका रस भी चूस चुकी है। कल तो सबके सामने वो सचिन से चुदने वाली थी ही लेकिन तब तक छुप छुप कर मस्ती करने में जो मज़ा है, वो उसे भी खोना नहीं चाहती थी। यहाँ तक कि अगर मौका मिला तो वो रूपा और पंकज से छिप कर सचिन से चुदवाने के लिए भी आतुर थी।
लेकिन उसके लिए अब समय काफी कम बचा था।
बहरहाल, रूपा ने योजना के हिसाब से सोनाली के बैडरूम में अड्डा जमा लिया और सचिन उसको बुलाने के बहाने वहां आकर वहीं सो गया। जब पंकज सोने के लिए आया तो रूपा तो अपने रूम में चली गई लेकिन सचिन वहीं सोने का बहाना करके पड़ा रहा।
पंकज- क्या बात है? आज सचिन यहीं सो गया? तुमने लोरी सुना दी थी क्या छोटे भाई को? हा हा हा…
सोनाली- नहीं यार, कल रात भर रूपा की चुदाई की इसने और आज दिन में सोया भी नहीं। रूपा को बुलाने आया था और यहीं गया तो मैंने सोचा कि सो लेने दो यहीं।
पंकज- वो तो ठीक है लेकिन मैं अपनी चुदाई कुर्बान नहीं करने वाला।
सोनाली- कोई बात नहीं, ये तो घोड़े बेच कर सोता है। अगर उठ भी गया तो क्या… उस दिन रूपा ने भी तो सब देखा था।
पंकज ने अपने कपड़े निकले और सोनाली ने अपने, दोनों सचिन के बाजू में ही लेट कर रतिक्रिया में लिप्त हो गए। सोनाली बीच में थी और उसके एक ओर सचिन सो रहा था और दूसरी तरफ पंकज चिपका हुआ था।
कुछ देर ऐसे ही नंगे चूमा-चाटी और लिपटा-चिपटी करने के बाद दोनों उत्तेजित हो गए।
सोनाली- तुम ज़रा नीचे आ के मेरी चूत चाट दो न।
पंकज- 69 कर लें?
सोनाली- नहीं पहले एक बार अच्छे से एक एक करके एक दूसरे की चटाई-चुसाई कर लें फिर 69 करेंगे, और उसके बाद चुदाई।
पंकज नीचे जा कर सोनाली की चूत चाटने लगा और सोनाली ने उसके सर को अपने दोनों पैरों के बीच ऐसे दबोचा कि वो हिल भी न सके। इसी के साथ सोनाली ने एक हाथ सचिन के शॉर्ट्स में डाल कर उसका लंड पकड़ लिया। सचिन जो सच में सो गया था, अचानक से सतर्क हो गया और उसने जैसे ही सर घुमा के देखा चार उंगल की दूरी पर नंगी लेटी उसकी बहन मुस्कुरा रही थी। जैसे ही उसने देखा पंकज सोनाली की जाँघों में दबा पड़ा है, वो सोनाली पर टूट पड़ा।
दोनों हाथों से उसके दोनों स्तन मसलता हुआ वो सोनाली के साथ मुख-चुम्बन करने लगा। एक क्षण में उसकी जीभ उसकी बहन के मुँह में होती तो दूसरे क्षण सोनाली की जीभ उसके भाई के मुँह में… दोनों भाई-बहन एक दूसर के होंठों और मुँह का कोई भी हिस्सा अनछुआ नहीं छोड़ना चाहते थे और समय कम था; सचिन ने हथेलियों और चार उंगलियों से अपनी बहन के दोनों स्तनों को जकड़ा हुआ था और अंगूठों से वो उसके चूचुकों को सहला रहा था। सोनाली भी सचिन के लंड को लगातार ज़ोर ज़ोर से मुठिया रही थी।
इन सब के साथ पंकज की जीभ सोनाली के चूत के दाने पर लगातार चल रही थी। सोनाली झड़ने ही वाली थी कि पंकज ने उसे चाटना बंद कर दिया। सोनाली ने उसे अपनी जाँघों में इतनी ज़ोर से जकड़ लिया था कि उसका दम घुटने लगा था।
सोनाली ने तुरंत अपना चुम्बन तोड़ा और सचिन को पंकज की तरफ इशारा करके दिखाया। पंकज को यूँ तड़पता देख सचिन तुरंत वापस जैसे सोया था वैसे ही सो गया, तब कहीं जा के सोनाली ने पंकज को छोड़ा।
पंकज- तुमने तो मुझे मार ही डाला था।
सोनाली- यार, वो सचिन बाजू में सो रहा है तो उसे देख कर कुछ ज़्यादा जोश में आ गई थी।
पंकज- अच्छा! तो फिर जगाऊँ उसे? उसी से चटवा लेना अपनी चूत, और ज़्यादा मजा आ जाएगा।
सोनाली- उसे सोने दो और तुम अपना लंड चुसवाओ।
इतना कह कर सोनाली ने पंकज को धक्का दिया और उसके लंड पर टूट पड़ी। अब पंकज का सर बेड के दूसरी ओर था; सोनाली उसके पैरों के बीच न बैठ कर उसके बाजू में यानि पंकज और सचिन के बीच घुटनों के बल बैठी थी और झुक कर पंकज का लंड चूस रही थी। ऐसा करने से उसकी चूत सचिन के सर से ज़्यादा दूर नहीं थी। और पंकज का सर दूसरी ओर होने से वो सचिन के केवल पैर देख सकता था।
सचिन ने इस बात का फायदा उठा कर सोनाली की चूत चाटना शुरू कर दिया। ये सब काम वो दोपहर को नहीं कर पाया था क्योंकि तब सोनाली ने इतनी अच्छी तरह उसके लंड को चूसा था कि और कुछ करने का मौका ही नहीं मिला था। सचिन ने अपने होंठों को गोल किया और सोनाली के चूत के दाने के चारों ओर होंठों को लगा कर चूसा। ऐसा करने से अंदर दबा हुआ चूत का दाना उभर कर उसके मुँह में आ गया; फिर वो अपनी बहन की चूत के दाने को अपनी जीभ से लपलपाने लगा।
यह पहली बार था जब सोनाली की चूत के दाने को अंदर तक इस तरह चाटा जा रहा था। अक्सर बस जो हिस्सा बाहर निकला होता था उसे ही चटवाने का सुख मिलता था। इस वजह से बाहर के हिस्से की संवेदनशीलता भी कुछ कम हो गई थी। लेकिन जिस तरह सचिन से चूस कर हवा के दबाव से खींच कर उसे बाहर निकला था, सोनाली के भगांकुर के अनछुए हिस्से भी अब सचिन की जीभ के निशाने पर थे।
जल्दी ही सोनाली झड़ने की कगार पर थी। इतनी उत्तेजना की वजह से सोनाली ने इस कदर सर हिला हिला के पंकज के लंड को अपने मुँह से चोदा था कि वो भी जल्दी ही सोनाली के मुँह में झड़ने लगा।
इधर सोनाली भी झड़ने लगी।
सोनाली ने पंकज का पूरा वीर्य पी लिया और उसके लंड को चाट कर साफ करने लगी। साथ ही उसने अपनी कमर मटका कर अपने भाई को इशारा किया कि वो हट जाए। सचिन वापस सीधा लेट गया।
पंकज- क्या यार, तुमने तो आज मुँह से ही चोद दिया। चलो अब इसको वापस खड़ा कर दो एक बार चूत की चुदाई भी हो ही जाए।
सोनाली- सीधे लेट जाओ, मैं तुम्हारे ऊपर आकर अपनी चूत से रगड़ के तुम्हारा लंड खड़ा करती हूँ।
पंकज अब सचिन के बगल में लेटा था और सोनाली उसके ऊपर घुड़सवारी करते हुए उसके लंड पर अपनी चूत रगड़ रही थी। वो लंड की जड़ पर अपनी चूत टिका कर बैठती फिर आगे सरक कर उसकी घुंडी तक आती और फिर उठ कर पीछे चूत टिका देती।
ऐसा करने से बिस्तर थोड़ा हिला और इसी बात का बहाना बना कर सचिन ने जागने की एक्टिंग की। उठते ही उसने सोनाली को देखा।
सचिन- क्या दीदी, आप भी! उठा देते न… मैं उधर जा कर सो जाता।
सोनाली- ही ही ही… तेरा तो खड़ा हो गया… कोई नहीं, अब तू जा के रूपा को चोद ले…हे हे…
सचिन- छि! आप बहुत गन्दी हो दीदी…
सचिन ने जाते हुए कहा।
पंकज- तूने हमारी चुदाई देखी है, अब हम आ के तेरी देखेंगे!
सोनाली- बस करो यार बेचारा पहले ही नर्वस हो रहा है। ही ही…
सचिन चला गया और सोनाली पंकज से चुदवाने लगी।
सचिन जब जीजा की बहन रूपा के कमरे में पहुंचा तो रूपा नंगी सो रही थी। सचिन ने देखा कि उसकी चूत बहुत ज़्यादा गीली थी, शायद सोने से पहले उसने अपनी चूत में उंगली की थी। सचिन को शरारत सूझी, उसने अपने लंड को थूक लगा कर बिल्कुल गीला कर लिया और थोड़ा थूक रूपा की गुदा पर भी लगा दिया और धीरे से अपना लंड रूपा के पिछले छेद पर टिका दिया। धीरे धीरे सचिन ने दबाव डाला और इतनी सारी चिकनाहट की वजह से उसका लंड रूपा की गांड में फिसलता चला गया।
जब उसका लंड आधा अंदर जा चुका था, तो उसने थोड़ा पीछे लेने की कोशिश की। अचानक रूपा का गुदाद्वार सिकुड़ कर काफी तंग हो गया और जैसे उसने सचिन के लंड को जकड़ लिया। रूपा की नींद खुल गई थी और उसने अपनी कमर को एक झटके से अलग कर लिया। सचिन का लंड एक झटके में बाहर आ गया। सचिन को तो मज़ा आ गया। इतने टाइट छेद से लंड के गुज़रने का मज़ा ही कुछ और था।
रूपा- ये क्या कर रहे थे? तुमने मेरी गांड में लंड डाल रखा था?
सचिन- हाँ! सोचा ट्राय करके देखूं। तुमको दर्द हुआ क्या?
रूपा- नहीं यार, मुझे तो पता ही नहीं चला। मुझे तो नींद में लगा जैसे मेरी टट्टी निकल गई इसलिए मैं झट से उठ गई।
सचिन- तुमने पहले कभी गांड नहीं मरवाई क्या?
रूपा- नहीं, आज पहली बार था, जब मैंने उस छेद में कोई बाहरी चीज़ अनुभव की है।
सचिन- चलो फिर से डालता हूँ।
रूपा- नहीं! दर्द होगा।
सचिन- पहले तो नहीं हुआ था न?
रूपा- निकलते समय थोड़ा हुआ था।
सचिन- डालते टाइम तो नहीं हुआ था। ट्राय करके देखते हैं न।
रूपा- ठीक है।
सचिन ने डालने की कोशिश की लेकिन लंड को गांड के छेद से छुआते ही छेद सिकुड़ जाता और लंड थोड़ा भी अंदर न जा पाता। जोर लगाने पर दर्द होने लगता। आखिर सचिन ने कोशिश करना ही बंद कर दिया।
सचिन- लगता है तब तुम नींद में थीं तो छूने से ये सिकुड़ा नहीं इसलिए आसानी चला गया था।
रूपा- हाँ वो तो मुझे भी समझ आ रहा है कि उसको ढीला छोड़ने की ज़रूरत है, लेकिन कोशिश करने पर भी नहीं हो पा रहा।
सचिन- शायद बहुत प्रैक्टिस करनी पड़ेगी, तब होगा।
रूपा- हम्म!
खैर, भले ही सचिन रूपा की गांड नहीं मार पाया, लेकिन उसने सोने से पहले जीजा की बहन की चूत की जम कर चुदाई की और फिर दोनों सो गए।
दोस्तो, आपको यह भाई-बहन की ये पति के सामने छिप छिप के मस्ती करने की और जीजा की बहन की गांड मारने की कोशिश वाली कहानी कैसी लगी आप मुझे ज़रूर बताइयेगा।