लौंडे को अपनी पसंद का मर्द मिल गया

देसी बॉय गांड सेक्स कहानी में एक लड़के को गांड मरवाने का शौक था. लेकिन उसका टॉप अपने छोटे लंड से उसकी गांड मारता तो उसे मजा नहीं आता था। फिर उसे एक सरदार जी मिले.

यह कहानी है मेरे पाठक फ़ारुख की है जो उसने भेजी है.

फ़ारुख की कहानी फ़ारुख की जुबानी:

मैं फ़ारुख जबलपुर में 18 साल की उम्र से एक केटरर के पास काम करने लगा।
केटरर बुजुर्ग थे, मैं उनके भरोसे का कर्मचारी था.

उन्होंने एक कमरे का फ्लैट मुझे और एक कर्मचारी जिसका नाम किशोर था, को रहने दिया था।
मैं 5 फुट 7 इंच लम्बा, गेहुंआ, भरे बदन का हैंडसम लड़का हूँ।

किशोर मुझसे नाटा, दुबला और सांवला था।
किशोर पार्टी में आई लड़कियों को निहारता उनके बारे में बात करता।
मैं हैंडसम लड़कों को निहारा करता.

उस दिन काम नहीं था, शाम को किशोर शराब पीने लगा.
उसने मुझे भी पीने को कहा.

मैंने कभी पी नहीं थी।
पहले मुझे शराब कड़वी लगी, चखना खाया, और कुछ घूंट पीने के बाद नशे का मजा आने लगा.

किशोर- फ़ारुख, जब मैं लड़कियों की बात करता हूँ, तुम चुप रहते हो. क्या तुम्हें लड़कियां पसंद नहीं हैं?
मैं नशे में बोल गया- मैं लड़कों को देखकर खुश होता हूँ.

किशोर मेरे पीछे लिपट गया, बनियान में हाथ डालकर मेरे पुरुष चूचे दबाने लगा.
उसका खड़ा लंड मेरे कूल्हों पर था।
मुझे मजा आ रहा था, मेरी गांड में सुरसुराहट हो रही थी.

किशोर- मैं तेरी गांड मारूंगा!
मैं- मैंने कभी गांड नहीं मरवाई! पर सुना है!
किशोर- मैंने मारी है, तुझे मजा आएगा, पहले थोड़ा दुखेगा, बाद में मजा आएगा.

उसने मेरा और अपना पाजामा उतार दिया।
मैंने देखा कि किशोर का लंड मेरे समान 3.5 इंच का और पतला था।

किशोर ने मुझे पेट के बल लिटा दिया मेरे लंड के नीचे तकिया रखा।
अपने लंड पर तेल लगाते हुए किशोर बोला- अपने कूल्हे हाथ से फैला!

मैंने अपने चूतड़ फैला दिए।
किशोर ने एक झटके से लंड मेरी गांड में पेल दिया और पूरी रफ़्तार से चोदने लगा।

मुझे थोड़ा दर्द हुआ, मैं किशोर के बताये मजे का इन्तजार कर रहा था।

किशोर बिना रुके पूरी रफ़्तार से चोदता रहा और मेरी गांड में झड़ गया.

दूसरी रात किशोर मेरे चूचे दबाने लगा.
मैंने कहा- दर्द के बाद मुझे मजा आने से पहले ही तुम खलास हो जाते हो. आज धीरे धीरे गांड मारना, मुझे भी मजा आएगा।
किशोर ने हाँ कहा.

पर जब उसने गांड मारना शुरू किया, उसने पूरी रफ़्तार से मशीन के सामान गांड मारी।
मेरे को मजा नहीं आया.

मैंने मोबाइल पर गे सेक्स वीडियो देखा।
तीसरी रात मैंने किशोर को कहा- मुझे तुम्हारा लंड चूसना है।

किशोर नहीं माना.
उसने फिर से तूफानी रफ़्तार से गांड मारी।

ऐसा 1 महीने हुआ, किशोर हर बार वायदा करता कि वह मेरी ख़ुशी का ख्याल रखकर आराम से गांड मारेगा, पर गांड मारने के समय भूल जाता।
किशोर को मेरे आनंद की परवाह नहीं थी.

मेरी देसी बॉय गांड सेक्स कहानी में मुझे ही मजा नहीं आ रहा था.

हमारे बुजुर्ग केटरर ने अपना काम अपने लड़के को सौंप दिया।
लड़के का काम करने का तरीका अलग था.

मैंने नौकरी छोड़ दी।

मेरा एक दोस्त रायपुर में था, रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी बनने के बाद वंहा केटरिंग का बहुत काम था.
मेरे दोस्त ने मुझे रायपुर आने को कहा.

मैं बस से रायपुर को रवाना हुआ.
बारिश के दिन थे।

दोपहर को बस घाट में ‘सरदारजी के ढाबे’ पर रुकी।
कंडक्टर ने बताया बस 30 मिनट रुकेगी, यात्री खाना खा लें।

ढाबा बड़ा था, मुख्य इमारत के सामने बड़ा शेड था, उसमें बहुत सारी खाट थी.
यात्री खाट पर बैठकर खाना खा रहे थे।

मैं जल्दी खाना खाकर ढाबे के पीछे गया.

पहाड़ पर जंगल था, नीचे नदी बह रही थी.
मुझे प्राकृतिक सौंदर्य पसंद है.

मैंने ढाबे के कर्मचारी से पूछा- सरदार जी के ढाबे में सरदार जी नहीं दिख रहे हैं?
कर्मचारी ने एक करीब 27 साल के लम्बे हट्टे कट्टे आदमी की तरफ इशारा करके कहा- ये मालिक हैं, मोना सरदार हैं ( बाल कटवा लिए हैं.) उनके बाजू में जो महिला हैं, वे मालकिन हैं।

मालकिन भरे बदन की करीब 25 साल की थी.

ढाबे के लाउड स्पीकर पर बस कंडक्टर ने घोषणा की- आगे का घाट पत्थर गिरने से बंद हो गया है। कल खुलेगा, आज रात सबको ढाबे में रहना होगा।

तभी ढाबे का मालिक बोला- आप लोग फ़िक्र ना करें … बारिश में ऐसा होता है। महिलाओं के लिए चार कमरे हैं. पुरुष शेड में बिछी खाट पर सो सकते हैं.

मालिक सभी कर्मचारियों को इकट्ठा करके किसको क्या काम करना है बता रहे थे।

मैंने मालिक से कहा- क्या मैं मदद कर सकता हूँ? मैं केटरिंग में काम करता था।
मालिक ने मुझे मेरा काम समझा दिया.

मैंने वह काम किया और दूसरों की मदद भी की।

रात को जब सब यात्री लेट गए, मालिक ने मुझे पूछा- क्या तुम मेरे ढाबे में काम करोगे?

मैंने जब से ढाबा और वहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य देखा था, मैं सोच रहा था कि काश मुझे ढाबे में काम मिल जाए।
एक और कारण था कि मैंने सुना था कि सरदार जी लोग गांड मारने के शौकीन होते हैं।

मैंने तुरंत हाँ कर दी.

मैं ढाबे में ईमानदारी से काम करने लगा.
चार महीनो में मालिक मालकिन मुझ पर भरोसा करने लगे।

एक दिन मैंने मालकिन को पूछा कि क्या मैं उन्हें दीदी कह सकता हूँ।
मालकिन- तुम मुझे दीदी कहो! अच्छा लगेगा.

मैंने देखा कि किसी किसी दिन सुबह जब दीदी आती हैं तो उनको चलने और बैठने में तकलीफ होती थी.
और उस दिन दीदी मालिक से चिड़ी रहती थी।

एक दिन दीदी को चलने में तकलीफ हो रही थी, मालिक और दीदी काउंटर पर थे।

मैं काउंटर के पीछे था, उन्होंने मुझे नहीं देखा था।

दीदी गुस्सा होकर मालिक को कह रही थी- कितनी बार तुम्हें कहा कि मेरे पीछे नहीं डाला करो, तुम सुनते नहीं. मुझे बिलकुल मजा नहीं आता, सिर्फ दर्द होता है.

मैं समझ गया कि मालिक ने दीदी की गांड मारी है।
और मैं कब से तड़फ रहा था कि मालिक मेरी गांड मारें.
पर मालिक मेरी तरफ उस नज़र से देखते ही नहीं।

मैंने मालिक को आकर्षित करने की सोची.

जब किशोर मेरी गांड मारा करता था, उसने मेरे कूल्हों के बाल साफ़ करने के लिए मुझे हेयर रिमूवर क्रीम देकर कहा था, चिकने कूल्हे वाले की गांड मारने में ज्यादा मजा आता है।
मैं उस क्रीम का उपयोग करता था।

मैंने आईने में देखा था कि बाल साफ़ करने के बाद मेरे गोल गेंहुए कूल्हे और सूंदर लगते हैं।

वह क्रीम मेरे पास थी.

मैं ढाबे के पीछे के कमरे में रहता था।
सोने से पहले मैंने हेयर रिमूवर क्रीम से अपने कूल्हे के बाल साफ़ किये।

जब मुझे जागने में देर हो जाती मालिक मुझे जगाते थे।

मैं सुबह जल्दी जाग गया, फ्रेश होकर बिना चड्डी सिर्फ लुंगी पहन पेट के बल लेट गया, मैंने दरवाज़े की कुण्डी नहीं लगायी।

मालिक ने दरवाज़े से आवाज़ लगायी, मैंने अपनी लुंगी ऊपर कर ली मेरे आधे कूल्हे खुले थे.

मालिक दरवाज़ा ठेलकर कमरे में आये, मुझे आवाज़ दी।
मैं आंख बंदकर लेटा रहा जैसे सो रहा हूँ।

मालिक मेरी खाट पर बैठकर मेरे आधे खुले कूल्हों पर हाथ फेरने लगे, उन्होंने मेरी लुंगी कमर तक उठा दी।

मेरे कूल्हे नंगे हो गए.
मालिक अब मेरे कूल्हे सहला रहे थे, मेरा लंड खड़ा हो गया।

मैंने आंख खोली तो मालिक ने हाथ कूल्हों से हटा लिया।
मैंने मीठी मुस्कान देकर कहा- अच्छा लग रहा था!

मालिक समझ गए- फ़ारुख, क्या तुमने कभी गांड मरवाई है?
मैंने कहा- हाँ।

मालिक ने मेरे सब कपड़े उतार दिए, मुझे चित लिटा दिया।

सरदार जी ने मेरा 3.5 इंच का पतला खड़ा लंड देखा, मेरे फूले हुए पुरुष चूचे देखे, मेरे सिर पर हाथ फेरकर पूछा- किससे गांड मरवाई है? क्या यहाँ का कोई कमर्चारी है? उसमें तुम्हें मजा आया?

मैंने जबलपुर के किशोर की बात बताई कि कैसे वह मेरी गांड तूफानी रफ़्तार से मारा करता था, मुझे मजा आना शुरू होता ही था वह झड़ जाता था।
और मैंने यह भी बताया कि उसका लंड मेरे जितना ही था।
उसके बाद मैंने गांड नहीं मरवाई.

मालिक- तुम चाहो तो मैं तुम्हारी गांड मार सकता हूँ, तुम्हें मजा आएगा. मेरा लंड थोड़ा लम्बा और मोटा है, शुरू में दर्द होगा।
मैंने हाँ में सिर हिलाया। पर उसके पहले मुझे इस बारे में अपनी बीवी की सहमति लेनी होगी.

मालिक मुझे लेकर त्वचा विशेषज्ञ डॉक्टर से मिले.
डॉक्टर को कहा- यह मेरा नया कर्मचारी है। सब कर्मचारी एक साथ रहते हैं। जाँच कीजिये कि इसे कोई यौन रोग तो नहीं है।

तब डॉक्टर ने मेरी जाँच की, खून के नूमने लिए।
उसने मुझे पूछा- तुमने आखिरी सेक्स कब किया है?
मैंने बताया- चार महीने पहले।

डॉक्टर- एड्स है या नहीं … सेक्स के तीन महीने बाद पता चलता है।

दो दिन में रिपोर्ट आ गयी, कोई बीमारी नहीं है.

मालिक ने अपनी बीवी को पूरी बात बताई।
रात को मालिक की बीवी जिनको मैं दीदी कहता था, ने मुझे मालिक के साथ घर बुलाया.

दीदी- फ़ारुख मेरे पति ने तुम्हारे बारे में बताया, तुम शर्माओ मत, मेरी बात का जवाब दो। तुम लड़के होकर क्यों पीछे ( गांड ) में लेना चाहते हो?

मैं- मैं जब किसी मर्द को देखता हूँ, मुझे लगता है मैं लड़की हूँ!

दीदी मालिक को बोली- तुम्हें दुःख था कि तुम्हारी साली नहीं है, अब मिल गयी। फ़ारुख इस घर में रह सकता है। उसे यह सम्बन्ध गुप्त रखना होगा. याद रखना कि साली आधी घर वाली होती है, मैं पूरी घर वाली हूँ!

तब दीदी ने मुझे कहा- फ़ारुख, तुम मालिक को जीजा जी कहना!

मैं अपना सामान लेकर दीदी के घर गया.

जब मैं दरवाज़े पर था, दीदी जीजाजी से कह रही थी- अब तुम मेरे पीछे नहीं डालना!

जीजा जी के कहने पर मैंने ब्यूटीपार्लर जाकर अपने शरीर के अनचाहे बाल वैक्सिंग से निकाल दिए, शरीर पर बॉडी लोशन लगाने लगा.

तीन दिन बाद दीदी बोली- फ़ारुख मेरी तबियत ठीक नहीं, मैं चार रात अकेली सोऊंगी। तुम्हें जीजाजी के साथ सोना होगा। शाम को जल्दी आ जाना!

मैं शाम को जल्दी घर पहुंचा.
दीदी ने मुझे सलवार कमीज ब्रा पैंटी देकर कहा- नहाकर पहन लो।

मैंने नहाकर वैसलीन उंगली से गांड के अंदर लगा ली और कपड़े पहनकर आया.

दीदी ने मेरा मेकअप किया, लिपस्टिक लगायी, नकली गहने पहनाये।
मैंने आईने में देखा, मैं खुद को पहचान नहीं पाया.
मैं छोटे बालों की सुन्दर लड़की दिख रहा था।
मुझे लगा कि मैं सच में लड़की हूँ.

मालिक ने घर आकर मुझे देखा, पहचान नहीं पाए।
दीदी बोली- तुम्हारी साली फ़ारुखा है।

मालिक- मैं इसे फ़ारुखी कहूंगा!
मैं शर्मा गयी.

जीजा जी नहाकर आये.

खाना खाने के थोड़ी देर बाद दीदी बोली- मैं सोने जा रही हूँ, मेरी बहन को ज्यादा तकलीफ मत देना!

जीजा जी मुझे दूसरे बैडरूम में ले जाकर बोले- मेरी साली खूबसूरत है।

वे मेरे होंठ चूमने लगे, मेरे चूचे दबाने लगे।

कुछ देर बाद मेरे कपड़े उतारकर जीजा ने मुझे नंगी कर दिया, खुद भी नंगे हो गए।

मैं जीजाजी का खड़ा लंड देखकर डरकर बोली- मैं तो आज मर ही जाऊंगी, लंड पांच छह इंच लम्बा और काफी मोटा था।

जीजाजी ने पुचकार कर कहा- मैं धीरे धीरे करूँगा, ज्यादा दर्द नहीं होगा। तुम ऐसा समझो कि मैं तुम्हारा पति हूँ.

तब जीजा जी ने पलंग पर मुझे पीठ के बल लिटा दिया और मुझे अपने पैर अपनी छाती की तरफ लेकर पकड़ने को कहा.
फिर वे मेरे कमर के नीचे तकिया लगाकर बोले- इसे मिशनरी आसन कहते हैं, हम एक दूसरे का चेहरा देख सकेंगे।

जीजाजी ने लंड पे तेल लगाया और मेरी गांड की छेद पर लंड फेरने लगे.
वे बोले- गांड ढीली छोड़ दो!

मेरी गांड में कुलबुलाहट होने लगी.
जीजाजी ने थोड़ा लंड गांड में डाला, मुझे तीव्र दर्द हुआ।
मैं चीख उठी- मर गयी।

जीजाजी रुक गए, मेरे होंठ चूमने लगे, मेरे निप्पल मरोड़ने लगे पर लंड बाहर नहीं निकाला।

कुछ देर बाद उन्होंने पूछा- दर्द थोड़ा कम हुआ?

मेरा दर्द थोड़ा कम हो गया था, मैंने हाँ में सिर हिलाया.

मैंने सोचा कि जब पति का लंड इतना बड़ा है तो लेना तो पड़ेगा, मैंने गांड ढीली छोड़ दी।

तभी मैंने देखा कि दीदी परदे के पीछे कुर्सी पर बैठकर देख रही हैं.

जीजाजी ने एक झटके से पूरा लंड मेरी गांड में पेल दिया।
मैं छटपटाने लगी, आंखों में आंसू आ गए.

मुझे लगा कि मेरे शरीर के दो टुकड़े हो जायँगे।

मेरे पैर जीजाजी ने अपने कंधों पर रखकर पकड़ लिए।

दर्द कम होने पर मैंने छटपटाना बंद किया।
तब जीजाजी बोले- फ़ारुखी, तुम असली मर्द के साथ हो, थोड़ा दर्द सह लो, फिर मजा ही मजा!

जीजाजी धीमी गति से मेरी गांड चोदने लगे।
मुझे दर्द के साथ मजा आ रहा था।
मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी, मेरा लंड खड़ा हो गया।

जीजाजी चोदने की गति बढ़ाने लगे, मैं अपना लंड बिना छुए ही झड़ गया।

करीब 20 मिनट चुदाई बाद मेरी गांड वीर्य से भर दी, मुझे सुकून मिला जैसे गर्मी के बाद बरसात!

जीजाजी- फ़ारुखी, कैसा लगा?
मैं- आपने सच कहा, आज असली मर्द मिला है, दर्द के बाद मजा आया। जीजाजी आपको मजा आया?
जीजाजी- बहुत मजा आया!

मुझे चलने में मुश्किल हो रही थी, जीजाजी मुझे सहारा देकर बाथरूम ले गए।
उन्होंने मेरी गांड धोने में मदद की और अपना लंड साबुन से धोया।

मैंने कहा- मेरी गांड में जलन और दर्द है।
जीजा जी ने बर्फ से मेरी गांड की सिकाई की, दर्द निवारक दवा दी,

फिर हम सो गए।
सुबह मेरा दर्द जलन कम हो गया।
पर मुझे चलने बैठने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी.

दूसरी रात मैं लड़की बनकर जीजाजी के साथ बैडरूम में गयी।
फोरप्ले के बाद हम दोनों बिस्तर पर करवट लेकर नंगे लेट गए।

जीजाजी ने मुझे चूमा, फिर मेरे चूचे चूसने दबाने लगे.
मुझे असीम आनंद आ रहा था.

मैं- मुझे आपका लंड चूसना है, मैंने कभी चूसा नहीं सिर्फ वीडियो देखा है।

मैंने लंड को हाथ में लेकर करीब से देखा, इस लंड ने मुझे कल सुख दिया था।
तब मैंने लंड चाटा, फिर जितना लंड मुँह में ले सकता था उतना अंदर लेकर चूसने लगी।

जीजाजी सिसकारी लेकर बोले- गले तक लंड लेने की कोशिश करो!
मैंने कोशिश की.

मुझे घोड़ी की तरह पलंग के किनारे खड़ा करके जीजाजी फर्श पर खड़े हो गए।
लंड पे तेल लगाकर मेरी कमर पकड़कर मेरी गांड धीरे धीरे मारने लगे, साथ ही मेरे कूल्हों पर चांटे मारने लगे।

इस बार मुझे लंड डलवाते समय कम दर्द हुआ, उसके बाद मजा आने लगा।

हर चांटे के साथ मुझे और जोश आ जाता, मैं कमर हिलाकर लंड और अंदर लेने लगी।
मैं कहने लगी- और जोर से!
जीजाजी ने गति बढ़ा दी.
मैं झड़ गयी.

कुछ देर बाद जीजाजी मेरी गांड में झड़ गए.

हम बाथरूम से वापस आये तो जीजाजी ने मुझे कपड़े नहीं पहनने दिए।

तब जीजाजी लस्सी लेकर आये, मैंने आधा गिलास पीया।
जीजाजी मेरे चूचे चूसने लगे, उनका लंड आधा खड़ा हो गया.

मैं- मेरी एक बार फिर गांड मरवाने की इच्छा नहीं हो रही है, मैं आपका लंड चूसकर शांत करूं?

जीजाजी- चूसकर वीर्य पी लेना, वीर्य में विटामिन प्रोटीन होते है. तबीयत के लिए अच्छा है, तुम्हारी त्वचा में चमक आएगी.

जीजाजी पलंग के किनारे पैर फैलाकर बैठ गए.
मैं खड़े होकर झुककर पलंग पर हाथ रखे लंड चूसने लगी।

लंड पूरा खड़ा हो गया.
मैं लंड गले तक लेने लगी, जब साँस में तकलीफ होती लंड थोड़ा बाहर निकालती।

जीजाजी का लंड फूलने लगा, वे आ आ सी सी करने लगे।

उन्होंने मेरे सिर पकड़कर लंड पर दबा दिया.
वीर्य की धार मेरे गले में निकली, मैंने पी ली, स्वाद कसैला था।

जीजाजी ने मुझे बची लस्सी पिलाई, मेरे मुँह का स्वाद ठीक हो गया.

जीजाजी मुझे बाथरूम ले जाकर बोले- मेरी एक फतांसी है … मूत पिलाने की!

मैंने पीया नहीं था पर वीडियो देखा था।
मैं बाथरूम के छोटे नीचे स्टूल पर बैठ गयी.
जीजाजी बिना पावर का चश्मा बैडरूम से ले आये मुझे पहनाकर बोले- इससे मूत आँखों में नहीं जायेगा।

मैंने मुँह खोल दिया, जीजाजी मेरे मुँह में मूतने लगे.
कुछ मैं पी रही थी, कुछ मेरे शरीर पर गिर रहा था।

मुझे गर्म गर्म मूत पिलाकर जीजा जी को अच्छा लगा और मुझे भी।
हम साथ नहाये.

तीसरी रात जीजाजी बोले- फ़ारुखी, तुम कोई सेक्स वीडियो की बात कर रही थी, मैंने कभी नहीं देखा। पढ़ाई के बाद मैं पिताजी के साथ ढाबे में काम करने लगा, पिताजी ने मेरी शादी करवाई और मुझे ढाबा सौम्प कर गांव चले गए खेती करने!

मैंने जीजाजी को मोबाइल पर गे वीडियो दिखाया।
उसे देखकर जीजाजी ने मुझे अपने लंड की सवारी कराई।

फिर मैंने फर्श पर पैर फैलाकर खड़ा होकर, सामने झुककर पलंग पर हाथ रख दिए।
जीजाजी ने मेरी गांड की धुआंधार चुदाई की।

उसके बाद लस्सी पीकर जीजा ने आराम किया.

थोड़ी देर बाद जीजाजी ने दूसरी बार गांड मारने की इच्छा जताई।
मैंने पेट के बल लेटकर अपने कूल्हे फैला दिए।

जीजाजी ने मेरे ऊपर लेटकर रुक रुक कर बहुत देर तक मेरी गांड मारी।

चौथी रात मैंने जीजाजी के साथ नए आसनों में सम्भोग किया.

पांचवी रात दीदी की तबीयत ठीक हो गयी, जीजाजी दीदी के साथ सोने लगे।

जिन दिनों दीदी का मूड नहीं होता या उनकी चार दिनों की तबियत ठीक नहीं होती, मुझे जीजाजी से गांड मरवाने का मौका मिलता।
मैं इसमें ही खुश था।

दीदी खुश थी कि जीजाजी उनकी गांड नहीं मारते!

ऐसे ही छह महीने बीत गए।
देसी बॉय गांड सेक्स करते करते घर का सदस्य हो गया था।

एक रात जब मैं लड़की के भेष में जीजाजी के पास जाने वाला था तो दीदी बोली- फ़ारुखी, मैं और तेरे जीजाजी अब बच्चे का सोच रहे हैं। मैं गर्भ निरोधक पिल ले रही हूँ, अब बंद करुँगी। मेरे गर्भवती होने के बाद तेरे जीजाजी को तुझे बिस्तर पर खुश रखना होगा और ढाबे में उनका साथ देना होगा। ढाबे के किचन में कुछ महिलायें हैं जो तेरे जीजाजी को रिझाने की कोशिश करती हैं. उनसे जीजाजी को दूर रखना होगा।
मैंने कहा- मैं तैयार हूँ.

कुछ महीने बाद दीदी गर्भवती हुई, बच्चे के जन्म के लिए मायके गयी।

मैंने जीजाजी का साथ बिस्तर पर और ढाबे में दिया, उन महिलाओं को दूर रखा।
मैं ढाबे से रात को वापस आने के बाद लड़कियों के कपडे पहनकर सुबह तक रहता, जीजाजी को हर तरह का सुख देता और लेता।

बच्चे के जन्म के बाद, दीदी की सहमति से जीजाजी हफ्ते में तीन रात मुझे गांडानन्द देते बाकि दिन दीदी के साथ सोते।
मैं पांच साल से उनके साथ हूँ, खुश हूँ,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *