आपका दोस्त राहुल उम्र 46 बर्ष दिल्ली से एक और शानदार, दमदार, रसभरी सच्ची कहानी लेकर हाज़िर हुआ है. मेरी सच्ची कथाये काफी साइट पर छपी हैं और पाठको को बहुत पसंद भी आयी हैं.
आपके काफी मेल आये. कुछ चूतो ने भी सम्पर्क करके मुझे अपनी चूत चुदाई का सौभाग्य दिया जिसके लिए उनका धन्यवाद.
थके हुए पुरुष भी लड़की बनकर मेल करते हैं. कोई चूत मांगने की रिक्वेट करता है तो कोई कहता है कि चुदाई के समय हमें भी मौका देना आदि आदि. लड़की कोई मूंगफली नहीं कि कही भी बाँट दी जाए. कृप्या कोई पुरुष मुझसे ऐसी डिमांड ना करें.
बहुत से पुरुषो को मेरे 5 घंटे वाले स्टैमिना से काफी प्रेरणा मिली और उन्होंने मुझसे मैदान में देर तक टिके रहने के राज पूछे जो मैंने उन्हें ख़ुशी ख़ुशी बताये. उनको फायदा भी हुआ और उन्होंने मुझे थेंक्स मेल भी किये. उनका धन्यवाद.
अब सीधे कहानी पर आते हैं जो अगस्त 2024 में हुई.
हमेशा की तरह इस सच्ची कहानी में भी पात्रों के नाम और जगह बदल कर लिखे गये हैँ. ताकि गोपनीयता और सबकी इज्जत बनीं रहे जो कि सबसे ज्यादा जरूरी भी है.
मेरे एक कपल दोस्त विकास सिंह जयपुर (बदला हुआ नाम) से है. वो अपनी पत्नी रीटा (बदला हुआ नाम) को कई बार चुदवा चुके हैं. मुझसे सिर्फ एक बार पिछले साल चुदवाया था. तब से दोस्ती हो गयी.
वो 40 और रीटा 32 साल की है. रीटा बेहद सुन्दर है और साइज 36-34-38 है. वो एक सेक्सी शरीर की मालकिन है. बच्चे होने के बाद अक्सर महिलाओ का शरीर मोटा ठुलथुला होता है लेकिन यह तो बिलकुल नपे तुले शरीर की देवी थी.
इन्होने मुझे जुलाई के महीने में ही बता दिया था कि अगस्त में गुडगाँव आएंगे और पूरे दिन के लिए रेडी रहना. आकर मुझे फ़ोन कर दिया कि वो हुडा सिटी सेंटर के पास एक होटल में रुके हुए हैं. नियत समय पर मै भी पहुँच गया.
मै जब पहुंचा तो सुबह के 10 बजे थे और उन्होंने मुझे पूरा एक दिन चुदाई का दे दिया था. रूम में पहुँचते ही रीटा मुझे देखते ही ख़ुशी के मारे लिपट गयी और काफी ढेर तक अपनी गुदाज बाहें मेरे गले में डाले खड़ी रही. मै भी उसके साथ खड़ा रहा.
पिछली चुदाई में हम एक दूसरे को बहुत पसंद आ गए थे और आज की यह लिपटालिपटी उस बात की गवाही थी. तो करीबन 5 मिनिट तक हम चिपटे रहे. ना हमें यह ध्यान था कि विकास कहाँ है और ना ही यह ध्यान रहा कि बाहर से तुरंत आने की वजह से मेरा शरीर पसीने से नहाया हुआ था.
रीटा के सेक्सी शरीर की तपिश से हम दोनों पसीने से और नहा उठे. करीबन 5 मिनिट बाद हमें होश आया तो देखा विकास वहीँ सोफे पर पड़ा मोबाइल चला रहा था.
मैंने उसको विश किया और माफ़ी मांगी – सॉरी यार. मै थोड़ा बहक गया था.
वो – अरे नहीं राहुल भाई. हम तो खुद चाहते हैं कि आप रीटा को पूरा प्यार दो तभी तो हम यहाँ आते हैं.
मै – ओके भाई.
रीटा को भी अब होश आया.
वो बोली- चलो ना साथ नहाते हैं.
मुझे भला क्यों ऐतराज होता? अंधा क्या चाहे 2 आँखे! हम दोनों ने अपने कपडे बाहर निकाले और नंगे होकर अंदर बाथरूम में घुस गए. अब मैंने उसका नंगा शरीर ध्यान से देखा. लम्बे बाल, कजरारी आँखे, सुराहीदार गर्दन, सेक्सी जूसी होंठ.
36 साइज के कठोर बूब्स, सपाट पेट, पतली कमर, भारी भारी नितम्ब और चिकनी तराशी हुए लम्बी टाँगे. और टांगो के बीच छुपा स्वर्ग का दरवाजा जिसे देखकर लगता ही नहीं था कि उसमें से 2 बच्चे कभी निकले होंगे.
छोटा सा. बिलकुल चिकना.एक भी बाल का नामों निशाँ नहीं. पतली सी लकीर जो बीच बीच में जांघो में छुप जाती. मेरा लण्ड भी अब तक पूरा खड़ा हो चुका था.
रीटा – जब पिछली बार मिली थी यह तब भी खड़ा था. आज भी खड़ा है, तब से लेकर आज तक खड़ा ही है क्या?
मै – अभी तो यह तेरे लिए खड़ा किया है रानी.
ऐसा बोलते ही मैंने उसे अपने साथ चिपका लिया और हम दोनों ऐसे चिपक गए जैसे फेविकोल से जोड़ रखे हो. मेरे होंठ उसके होठों को निचोड़ने लगे. मेरी छाती उसके दो नरम-नरम गुब्बारों के बीच धसी हुई थी. मेरा लण्ड उसके पेट पर ठोकर मार रहा था.
नीचे मेरे हाथ उसके बड़े-बड़े नितंबों को नाप रहे थे. हम दोनों के बीच में इतना फासला भी नहीं था कि हवा भी बीच में से पास हो सके. ऊपर शावर लगा हुआ था. मैंने शावर ऑन कर दिया और हमारे गरम बदन पर गरम पानी गिरना शुरू हो गया.
तभी रीटा अचानक नीचे झुकी और मेरा 8 इंच लम्बा लण्ड चूसना शुरू कर दिया जो कि मुश्किल से उसके मुंह में जा पा रहा था. वह 5-7 मिनट तक मेरा लण्ड चूसती रही और तब तक मेरा हाथ उसकी पीठ को सहलाता रहा.
गजब का मौसम बन गया था. मेरे लण्ड में विस्फोट होने ही वाला था कि उसे मैंने रोक दिया.
मैंने कहा – रीटा,चलो बेड पर चलते हैं.
टॉवल से पोंछने का किसे होश था! हम दोनों गीले बदन ही बेड में घुस गए. बेड पर आते ही हम दोनों एक दूसरे के साथ एकजान हो गए. दूर से देखने पर ऐसा लग रहा था जैसे बेड पर दो जानवर आपस में नंगे होकर लड़ रहे हो.
मेरा लण्ड तो खड़ा ही था तो मैंने उसकी जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी. हमारे बदन गीले थे और उनके साथ-साथ पसीना भी आकर मिक्स हो गया. AC चल रहा था पर उसका हमें कुछ पता ही नहीं लग रहा था.
ऐसे करते-करते मैं 1 घंटे तक चुदाई करता रहा. कभी वह मेरे ऊपर आ जाती, कभी मैं उसके ऊपर. कभी वह नीचे कभी मैं ऊपर. ऐसा करते-करते काफी टाइम हो गया. बीच-बीच में वह घोड़ी भी बन जाती थी. और कभी मेरे ऊपर आकर मुझे चोदने लगती थी.
तब तक उसका पति भी उसके पास आ गया.
उसने कहा- भाई थोड़ी देर के लिए मैं भी चोद लेता हूं.
मैंने कहा – सर आपकी प्रॉपर्टी है. आपकी ही अमानत है आप जितनी देर चाहे उतनी देर चोदो.
फिर वह अपने पति से चुदना शुरू हो गई. उसका पति भी अच्छा चोदू था. साला कस कस के चोद रहा था अपनी चुददकड़ बीवी को. उसने रीटा को थोड़ी देर चोदा और अपना वीर्य उसकी चूत में झाड़ कर अलग हो कर सोफे पर जाकर लेट गया.
अब मेरी बारी थी चोदने की.
मै रीटा बोला – बाथरूम जाकर अपनी चूत को धो कर आओ.
वह उठी और अपने मोटे-मोटे चूतड़ों को मटकाती हुई गयी और चूत को साफ कर ले आई. और पति के साथ दूर सोफा पर लेट गयी.
मैंने बोला – विकास के साथ नहीं, तुम मेरे पास आ जाओ.
मैं रजाई में घुसा हुआ था. मेरी बात सुनकर अपनी चूत को टांगो में दबाती हुई गांड मटकाती मेरे पास आ गयी. मैंने उसको अपने बेड में घुसा लिया. मै तो पहले से नंगा पड़ा था तो तुरंत उसकी कोमल चूत की दोबारा धुनाई करनी शुरू कर दी.
इतन चुदने के बाद भी साली की चूत बहुत टाइट थी और लोडा टाइट होकर जा पा रहा था. हमें चुदाई करते-करते अब करीबन 2 बजने वाले थे.
उसने कहा – निकाल दो पानी. हम दोबारा राउंड लगा लेंगे.
मैंने कहा – नहीं मुझे नहीं निकालना, मैं तो ऐसे ही चलता रहूंगा.
वह बोली – चुदाई का प्रोग्राम थोड़ा देर के लिए रोक देते हैं और नीचे खाना खाकर आते हैं.
सबको भूख लगी थी. होटल के नीचे ही हल्दीराम था जहां हम तीनों (चूत,उसका पति, मै ) खाना खाने चले गए. वहां हमने भरपेट खाना खाया और ऊपर होटल आ गए. हमने थोड़ी देर रेस्ट किया और उसके बाद मैंने रीटा को फिर पकड़ लिया.
उसको नंगी करके दोबारा से बेड में पटक उसकी टाइट चूत को एक बार फिर से चोदने लगा. मै उसको सुबह से बजा रहा था लेकिन फिर भी बहुत मजा आ रहा था. उसे मैंने कुतीया बनने के लिए बोला और उसके कुतीया बनते ही उसकी मटकती, ग़दराई हुई गांड मेरी आँखों के सामने थी.
जिसके बारे में सोचते ही मेरी लार टपकने लगती थी. मैंने लण्ड उसकी चूत में डाला और धुआँधार चुदाई शुरू कर दी. कुतीया बनाकर लण्ड सटासट चूत में अंदर तक समा रहा था. क्योंकि कुतीया बनकर चूत लण्ड को बिलकुल अंदर तक लेती है.
औरत को कुतीया बनकर चुदने में दर्द बहुत होता है क्योंकि लण्ड अंदर तक ठोकर मारता हैं. तो रीटा भी आनंद और दर्द से मिश्रित आवाज़े निकाल रही थी.
मैंने बोला – याद है तेरी गांड भी मारनी है.
पिछली बार की मीटिंग में उसने गांड नहीं दी थी. बोली नेक्स्ट मीटिंग होंगी तब ले लेना. मैंने उसको यह बात याद दिलाई. उसे याद था.
रीटा – ठीक है मार लो. मुझे पता था तुम गांड जरूर लोगे. इसीलिए मैंने साफ कर रखी है.
मै खुश हो गया.
मैं – यहाँ नहीं, बाथरूम में लूंगा.
दोस्तों मै कहना चाहता हूँ कि गांड चाहे कितनी ही साफ क्यों ना कर रखी हो लेकिन फिर भी गांड को बिस्तर पर मारने से परहेज करना चाहिए. क्योंकि गंदगी दिख जाए तो मूड खराब हो जाने का डर रहता है. बाथरूम जाना चाहिए और वहां शॉवर में मारनी चाहिए.
मै उसकी गांड में हाथ डाले बाथरूम ले गया. बाथरूम में शीशे का पार्टीशन लगा हुआ था. लगता था चुदाई के लिए ही था. मैंने उसको आगे से झुका दिया. वह झाडू लगाने वाले पोज़ में आ गयी. मोटी गांड मेरे लण्ड के सामने आ गई थी.
मैंने तुरंत शॉवर चला दिया और उसकी गांड का छेद ढूंढने लगा. गरम-गरम पानी हमारे शरीर पर गिर रहा था उसका चिकन शरीर बहुत ही मजा दे रहा था. मैंने अपना लण्ड उसकी गांड में घुसाने की कोशिश की.
लेकिन गांड का छेद इतना छोटा था कि मुझे दिख ही नहीं रहा था फिर ऊपर से पानी भी गिरे जा रहा था. फिर एक बार दिखा तो उसमें मैंने उसको टेढ़ा करके अपना शेरू घुसाने की कोशिश की लेकिन लण्ड फिसल रहा था.
गांड का छेद छोटा था.वह मेरा लण्ड इतना बड़ा. फिर दोबारा कोशिश की. चिकनाहट तो पूरी थी पानी भी हमारे पर गिर रहा था लेकिन गांड में नहीं जा रहा था. मै बहुत बेचैन हो गया था. मुझे आइडिया आया.
वॉश बेसिन से एक गुलाब की क्रीम उठाई और ढेर सारी लण्ड और उसकी गांड के ऊपर डाल दिया. उसका छेद जो की बहुत छोटा दिख रहा था, उसके ऊपर लगा दिया.. गुलाब की क्रीम से पूरा बदन चिकना हो चुका था.
उसकी गांड में घुसाने की कोशिश की तो लण्ड गांड में हल्का सा अटक ही गया. वह अचानक से आगे से सीधी खड़ी हुई हो गयी.
बोली – बहुत जोर से दर्द हो रहा है.
लण्ड गांड में बहुत मुश्किल से घुसा था. तो मैंने दर्द की परवाह नहीं की.
मैंने कहा- कोई बात नहीं. थोड़ी देर के लिए दर्द होगा. तुम तो गांड मरवाती ही हो तो घबराने वाली बात है ही नहीं. मैं धीरे-धीरे मारूंगा.
बोली- धीरे-धीरे करना.
मैंने कहा – ठीक है.
ऐसा करते-करते मैंने उसकी चिकनी गांड में अपना लण्ड पूरा उतार दिया और झटके मारने
शुरू कर दिए. उसे अब दर्द नहीं हो रहा था. मां कसम गांड मारने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था. लग रहा था जैसे मेरा लण्ड किसी बिल्ली ने अपने मुंह में दबा रखा है. गांड बहुत टाइट थी.
ऊपर से पानी गिर रहा था. मैंने गुलाब क्रीम की बोतल दोबारा उठाई और उसकी पीठ पर काफी ज्यादा मात्रा में डाल दिया और उसकी पीठ, चूतड और आगे बूब्स पर मसल दिया. धीरे-धीरे करके मै उसके साथ झुकता गया और उसके साथ चिपक गया.
ऐसा लगा कि जैसे एक कुत्ता दूसरे कुत्ते की गांड मार रहा हो. क्रीम से सब कुछ चिकना हो रखा था. मैंने अपनी उंगली आगे चूत में घुसा दी.रीटा को दोनों तरफ से मजे आ रहे थे. आगे से मेरी ऊंगली उसकी चूत में घुसी हुई थी और पीछे से मेरा लण्ड उसकी गांड में घुसा हुआ था.
मज़े से उसका और मेरा बुरा हाल था. उसकी गर्मी पीक पर थी.
तो वह बोली- झाड़ दो.मुझे गांड में झाड़ने में मजा आता है.
लेकिन मै अभी पारी समाप्त करने के मूड में नहीं था.
मैंने कहा- नहीं अभी नहीं.क्योंकि अभी 4:00 बजे हैं और तुझे 6 बजे तक चोदना है. अगर एक बार झाड़ दिया तो मज़ा नहीं आएगा.
वह बोली- चलो ठीक है, जैसे तुम्हारी मर्ज़ी!
मैं उसकी गांड मारता रहा और कई बार तो मुझे ऐसा लगा कि गांड में ही छोड़ दूं क्योंकि उत्तेजना बहुत ज्यादा हावी हो चुकी थी. लेकिन मैंने अपने आप पर कंट्रोल कर लिया और डिस्चार्ज नहीं किया.
अचानक विस्फोट होने ही वाला था कि लण्ड उसकी गांड से निकाल लिया और हम दोनों दोबारा नहाना शुरू हो गए. उसने शावर से अपनी गांड और मेरे लण्ड बहुत अच्छी तरह साबुन लगा कर धोया. टॉवल से हमने एक दूसरे को सुखाया.
अब वापस बेड में आकर घुस गए. वहां मैंने एक बार फिर चूत लेनी शुरू कर दी. तरीका वही अपनाया. मैंने कभी मैं उसको घोड़ी बना रहा था. कभी वह उसको खड़ी कर रहा था.
कभी मैं उसको कैंची बना कर ले रहा था.कभी उसको उठाकर सोफे पर पटक रहा था.
दोस्तों मै सुबह 10 बजे से चुदाई कर रहा था. अब मेरा लिंग उत्तेजना की वजह से फटने को हो गया था. अब सब बर्दाश्त से बाहर था. करीबन 5:30 भी बच चुके थे.
वह बोली – मैं काफी बार झड़ चुकी हूं. कम से कम 5-7 बार झड़ चुकी हूं.
मैंने कहा- चलो ठीक है. मैं भी झड़ जाता हूं.
तो मैंने ऐसा करते-करते उसकी टांगें हवा में उठाई और उसकी छाती पर लगा दी. एक मोटा तकिया उसकी गद्देदार गांड के नीचे लग गया. इस पोज़ में औरत की गांड और जाँघे और हिप एकदम चौड़े हो जाते हैं और कमर पतली.
उसकी चूत मुँह खोलकर छत की तरफ देख रही थी. चूत तकिये से ऊपर की तरफ उठ गयी थी और मेरी लण्ड का स्वागत करने के लिए लास्ट राउंड के लिए रेडी थी. मै उसके ऊपर आया. उसकी पतली कमर के नीचे हाथ डाला और उसकी जांघों में अपने हाथ फंसा कर उसके मोटे मोटे बूब्स पर लगा दिए.
मेरी होंठ उसके गुलाबी होंठो को खाये जा रहे थे. मैंने लण्ड उसके चूत के मुँह पर रखा और एक झटके के साथ चूत लण्ड को खा गयी. इतना चुद चुद कर चूत थोड़ी ढीली हो गयी थी और चिकनेपन की वजह से लण्ड पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था.
ऐसा करते-करते मैं 20 25 धक्के मारकर चुदाई के अंतिम चरण में पहुँच गया था. अचानक ऐसे लगा जैसे कि अंदर ब्लास्ट हो गया हो.
उसने पहले ही कह दिया था – कंडोम मत लगाना वीर्य को अंदर लेने में मजा आता है.
मैं उसकी चूत में ही धराशाई हो गया. झड़ने के बाद 5 मिनट तक उसके दोनों स्तनो में मुँह डालकर पड़ा रहा. उसकी चूत का सफ़ेद क्रीम वाला पानी और मेरे लण्ड का गाढ़ा वीर्य चूत से बाहर निकलकर चूत की शोभा बढ़ा रहा था.
मै उसके ऊपर पड़ा पड़ा हल्की हल्की बाते करता रहा और साथ साथ उसके शरीर को भी हर जगह से सहला रहा था. आखिर के 10 मिनट बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. औरत को यह अहसास कराना जरूरी होता है कि चुदाई सिर्फ उसके शरीर के लिए नहीं हो रही थी.
रीटा को हल्का किस किया, उसके बाल सहलाये और मै नहाने चला गया. वापिस मैं कपड़े पहन के उसके साथ बैठ गया. वो अभी तक बिस्तर में पड़ी इस यादगार सम्भोग की कल्पना तरंगो में खोयी थी.
मै उसके पास बैठा तो उसने हल्की सी पलकों को खोल कर मुझे देखा और बहुत हलके हाथों से मेरा हाथ अपने हाथ से छू लिया. फिर उसके पति से मेरी हल्की फुल्की बातें होती रही. और उसके साथ मै बैठा रीटा को भी निहारे जा रहा था जो की बेड में नंगी पड़ी हुई थी.
मैंने उसे आखिरी बार किस्स किया और फिर मिलने का वादा करके वहां से निकल पड़ा. उसका पति मुझे नीचे तक छोड़ने आया.
वो बोला – थैंक्स. आपने इतना टाइम और इतना मज़ा दिया.
मैंने तो उसे मुझ पर विश्वाश करने के लिए थैंक्स कहा. और इस चुदाई की याद करता करता वहां से चल पड़ा और अपनी घर आ गया.
तो दोस्तों यह थी चुदाई की एक और सच्ची दास्तान. मेरी कहानी कैसी लगी? अपनी राय मुझे जरूर बताइयेगा ताकि मैं आपकी और भी सेवा कर सकूँ. महिलाये भी बेहिचक सेवा का मौका दें. कहानी पढ़ने के लिए हार्दिक धन्यवाद.