वर्जिन सिस्टर Xxx कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने मौसेरे भाई को अपनी जवानी दिखाकर उसे मेरी कुंवारी बुर की चुदाई करने के लिए तैयार किया.
फ्रेंड्स, मैं निहारिका एक बार फिर से आपसे मुखातिब हूँ और अपने मौसेरे भैया से अपनी सीलपैक बुर की चुदाई की कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
मेरी जवानी के साथ बढ़ी मेरी वासना
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं सलवार सूट में अपने भैया के कमरे में उसके साथ ही बेड पर बैठी थी. मैंने अपने भैया के शर्मीले स्वभाव को समझते हुए उससे लिपकिस के लिए कहा था.
अब आगे वर्जिन सिस्टर Xxx कहानी:
दोस्तो, मैं अक्सर बहुत रात तक भैया के कमरे में उसका लैपटॉप यूज़ करती थी, कभी कभी वहीं सो जाती थी, तो भैया दूसरे कमरे में चला जाता था.
ये सब नाना नानी को भी पता थी, तो वो भी मुझसे कुछ नहीं बोलते थे क्योंकि हम दोनों भैया बहन भी थे.
उस रात भी कुछ ऐसी ही पोजीशन थी.
नाना नानी अपने कमरे में सो चुके थे.
फिर भैया उठा और उसने कमरे को अन्दर से लॉक कर दिया.
वो मेरे करीब आकर बैठ गया और बिना कुछ बोले मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे पकड़ा और मेरे माथे पर किस कर दिया.
मैं एकदम से गनगना उठी थी.
भैया ने तभी पीछे से मेरे बाल पकड़ कर मेरी आंखों में आंखें डाल दीं और मुझे देखने लगा.
मेरी नजरें भी भैया की नजरों को देखने लगीं. हम दोनों वासना से एक दूसरे को देख रहे थे.
फिर अचानक से भैया के होंठों ने मेरे निचले होंठ को अपने होंठों के बीच में ले लिया. वो मुझे किस करने लगा और मेरे रसभरे होंठों का मधु पीने लगा.
किसी मर्द ने आज पहली बार मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर उनके रस को पिया था.
इससे मेरे शरीर में एक कंपकंपी सी और हलचल होने लगी.
मैं भी रोमांचित हो गई और भैया का साथ देने लगी.
भैया अब अपनी जीभ मेरे होंठों के चारों तरफ घुमा कर मुझे उत्तेजित करने लगा.
मेरा मुँह भी खुल गया और भैया ने अपनी मेरे मुँह में ठेल दी.
वो मेरी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
मैं भी उसकी जीभ को अपने मुँह से चूसने लगी.
करीब 5 मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे के होंठों का रसपान करते रहे.
फिर भैया रुक गया और अपनी टीशर्ट उतार कर मुझे मेरे कंधों से पकड़ कर लिटाने लगा.
मैं भी झुकती चली गई.
मुझे भैया ने सीधा लेटा दिया और मेरे ऊपर लेटकर मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से फांस लिया.
भैया ने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वो मेरे माथे पर, दोनों गालों में, कानों को होंठों को, गर्दन में, गले पर, मेरे खुले कंधों को बेतहाशा अपने होंठों से चूमने लगा और अपनी जीभ से मेरे बदन को चाटने लगा.
मैं भी पूरी कामुक हो गई थी.
पहली बार कोई मर्द मेरे मादक जिस्म को इस तरह से प्यार कर रहा था.
जल्दी ही मैं बहुत ज्यादा तड़पने और छटपटाने लगी.
भैया का लंड अब कड़क होने लगा था और मुझे मेरी जांघों और बुर के आसपास महसूस होने लगा था.
मेरी बुर भी पूरी गीली हो गई थी.
भैया अब अपने दोनों हाथों को मेरी कमीज के ऊपर से ही मेरी दोनों चूचियों पर रखकर उन्हें सहलाने लगा और फिर जोर जोर से दबाने लगा.
मैं एकदम से सिहर गई.
मैंने भैया के सिर पर हाथ रखकर जोर से उसके मुँह को खींचकर अपने दोनों चुचों के बीच में दबा लिया.
कुछ देर बाद भैया ने मुझे उठा कर बैठा दिया और मेरी कमीज़ को उतार दिया. अब मैं ब्रा में आ गई.
ब्रा में कैद मेरी मोटी चूचियां एकदम तनाव में आ गई थीं जो ब्रा को फाड़कर बाहर आने को बेताब हो रही थीं.
भैया बड़े गौर से मेरी चूचियों को देखने लगा.
मैं थोड़ी शर्माने लगी और अपनी अधनंगी चूचियों को अपने हाथों से छुपाने की कोशिश करने लगी.
भैया ने मेरे हाथ हटाते हुए पीछे से मेरी ब्रा की हुक खोल दिया और पीछे से ही मेरे कंधों के नीचे से अपने दोनों हाथों को फंसा कर मुझे लेटा दिया.
वो खुद मेरे ऊपर लेट गया और मेरे दूध पीने लगा.
मुझे आज मेरी चूचियां पहले से कुछ ज्यादा भारी लगने लगीं. मेरी चूचियों के निप्पल एकदम कड़क हो उठे थे.
भैया एक एक करके मेरी दोनों चूचियों को अपने होंठों से खींच खींच कर निचोड़ने सा लगा.
फिर अपने हाथों में मेरे दूध लेकर जोर जोर से मसलने लगा.
मुझे दर्द भी हो रहा था और मीठा मजा भी मिल रहा था.
भैया अब नीचे को आ गया और मेरी नाभि में अपनी जीभ चलाने लगा, जिससे मैं सिहर गई और पूरा मेरा शरीर एकदम से अकड़ सा गया.
उसी समय मेरी बुर से पानी की धार बहने लगी और मैं झड़ चुकी थी.
मैंने भैया को अपने ऊपर खींच लिया और उससे जोर से लिपट गई.
भैया ने कुछ देर बाद मेरी सलवार को उतार दिया. मेरी पैन्टी पूरी गीली हो गई थी.
भैया ने मेरी पैन्टी को भी उतार दिया.
मैं अब अपने भैया के सामने पूरी नंगी हो गई थी.
मेरी बुर के आस पास हल्के हल्के बालों में बुर से टपका हुआ रस लगा था. जिसे भैया ने बड़ी गौर से देखा और मेरी बुर को एक कपड़े से साफ करके मेरी बुर पर किस करना शुरू कर दिया.
वो मेरी बुर को सहलाने लगा, मुँह में बुर की फांकों को लेकर चाटने लगा.
मैं फिर से गर्माने लगी.
कुछ पल बाद भैया खड़ा हो गया और उसने अपना लोवर और चड्डी एक साथ निकाल कर दूर फेंक दिया.
भैया का लंड पूरे जोश में आ गया था.
उसका लंड करीब सात इंच लम्बा और तीन इंच मोटा था.
मैं अपने भैया का लंड देखकर थोड़ी डर गई.
भैया मेरे बाजू में लेट गया और अपने लंड को मेरे हाथों में पकड़ा दिया.
मैं भैया के लंड को सहलाने लगी.
मैंने अपने भैया के लंड के ऊपर की चमड़ी को नीचे करके उसके ऊपरी भाग को देखा.
भैया के लंड का सुपारा एकदम गुलाबी था और उस पर गीलेपन की चमक आ गई थी.
मैंने ब्लूफिल में लंड चाटना देखा था, तो मुझे लंड मुँह में लेने की बेताबी थी.
मैंने भैया के लंड के सुपारे पर अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी.
भैया का लंड हुंकार मारने लगा.
मैंने देर नहीं की और भैया के लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
भैया की क़मर भी ऊपर नीचे होने लगी.
कुछ ही मिनटों में भैया का बहुत सारा वीर्य निकलने लगा. उसने मेरा सर पकड़ कर लंड पर दबा दिया था, जिससे मेरे मुँह में ही लंड ने रस झाड़ दिया.
अचानक हुए वीर्यपात से मेरे मुँह में पूरी मलाई सी भर गई थी जिसे मैं वहीं पर उगलने लगी.
कुछ वीर्य मेरे गले से होता हुआ अन्दर भी चला गया था.
मैं जोर जोर से खांसने लगी और मुझे उल्टी सी आने लगी.
मगर कुछ देर बाद मैं नॉर्मल हो गई.
मैंने देखा कि भैया का लंड मुरझा कर टुन्नू सा हो गया था.
लंड को वापस खड़ा करने के लिए मैं लंड को सहलाने लगी और वापस मुँह में लेकर चूसने लगी.
भैया के लंड में लगे वीर्य का स्वाद मुझे अच्छा लगने लगा और मैं चाट चाट कर लंड का बचा खुचा रस खाने लगी.
कुछ ही मिनट में भैया का लंड अपने पहले जैसे आकर में आ गया.
अब मुझे लेटाकर भैया मेरे ऊपर चढ़ गया और मुझे किस करते करते मेरी चूचियों को दबाने लगा.
अब उसका दबाव मेरी चूचियों में बहुत ज्यादा बढ़ने लगा था.
मैं भी अब बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी. मैं चुदाई के लिए मचल रही थी.
भैया अपने लंड को मेरी बुर पर रगड़ने लगा, फिर बुर में लंड फंसाकर उसने एक जोरदार धक्का मारा.
मगर उसका लंड मेरी बुर में न घुस कर बगल से फिसल गया.
मैंने अपने हाथ से भैया का लंड बुर के निशाने पर सैट किया.
भैया ने एक बार फिर से धक्का दिया.
उसके लंड का ऊपर का मोटा हिस्सा मेरी बुर में चला गया.
मैं एकदम से कांप गई और दर्द से सिहर गई.
मैंने अभी चिल्लाती कि तभी भैया ने तुरंत मेरे मुँह को अपने मुँह से लॉक कर दिया.
उसने मुझे जोर से पकड़ कर दबोच लिया, जिससे मेरी दर्द की आवाज वहीं दब गई.
कुछ देर रूककर नमन भैया ने फिर से एक जोर का धक्का लगाया.
इस बार भैया का लंड मेरी बुर की झिल्ली फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.
मेरी सील फट गई और मैं दर्द से थरथराने लगी. आवाज निकलने की स्थिति नहीं थी तो मेरी आंखों से आंसू बहने लगे.
मैं भैया को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करने लगी लेकिन भैया ने मुझे जोर से पकड़ा हुआ था.
वो मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था, जिससे मैं कुछ न कर सकी.
मुझे उस वक्त भैया का लंड मेरी बुर के अन्दर किसी गर्म रॉड की तरह महसूस हो रहा था.
भैया कुछ देर रुका रहा और अपने लंड को बुर में दबाता रहा.
मुझे लग रहा था कि मेरी बुर जंग हार चुकी है. वो आक्रमणकारी के सामने ढीली पड़ गई थी. लंड ने अन्दर जगह बनाने कि कवायद शुरू कर दी थी.
फिर भैया ने अपने लंड को बुर से थोड़ी बाहर की तरफ़ खींचा और फिर से एक जोरदार धक्का दे दिया.
अब भैया का पूरा लंड मेरी बुर के अन्दर घुस गया था.
मैं दर्द से छटपटाने लगी.
भैया ने मुझे पूरी तरह से अपने शरीर से पकड़ लिया और मेरे होंठों को चूसने लगा.
वो होंठों से हट कर मेरी एक चुची को अपने मुँह में भरकर पीने लगा.
भैया मेरी चूची को ऐसे मुँह में लेकर खींच रहा था मानो वो मेरी चूची को पूरी तरह से खा जाएगा.
उससे होने वाले दर्द ने मुझे बुर के दर्द को भुला दिया.
कुछ पल भर में मुझे थोड़ी राहत मिल गई, तो मैंने अपने पैर फ़ैला दिए और अपनी बुर को थोड़ी और खोल दी.
जिससे भैया को लगा कि मैं अब चुदाई के लिए पूरी तैयार हो गई हूं.
उसने अपनी कमर की हलचल बढ़ा दी और हल्का हल्का धक्का लगाने लगा.
कुछ ही देर में मैं जन्नत की सैर करने लगी. अब मुझे भी मजा मिलने लगा.
उस पल के आनन्द को मैं लिख भी नहीं सकती.
फिर मैंने अपनी दोनों टांगों को भैया की कमर के ऊपर ले जाकर उसे जकड़ सा लिया.
भैया ने अपने एक हाथ को मेरे कंधे पर रखा और दूसरे हाथ को मेरी चुची पर जमा दिया.
अब वो अपने लंड को मेरी बुर की गहराई तक पूरी जोश से पेल कर वर्जिन सिस्टर Xxx मजा लेने लगा.
उसकी स्पीड किसी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह मेरी बुर पर चल रही थी, जिससे पूरी कमरे में मेरी सिसकारियों और पच पच की आवाज गूंजने लगी थी.
कुछ ही पल बाद मैं पूरी तरह से अकड़ कर भैया से पूरी लिपट गई और झड़ गई.
भैया कुछ देर रुक गया. उसने अपने दोनों हाथों से मेरे कंधों को मेरी पीठ के पीछे से फंसाकर कर मुझे अपने सीने से चिपका लिया और मेरी बुर में लंड चलाने लगा.
मैं मस्त होने लगी.
वो पूरा लौड़ा अपनी बहन की बुर में पेलकर मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरी बुर में झटके लगाने लगा.
इस बार मैं भी अपने भैया का पूरा साथ दे रही थी.
भैया ने करीब 20 मिनट मेरी धकापेल चुदाई की और हम दोनों एक साथ झड़ गए.
भैया ने अपना पूरा वीर्य मेरी बुर के अन्दर ही छोड़ दिया था.
हम दोनों इसी पोजीशन में ऐसे ही चिपक कर लेटे रहे.
कुच देर बाद हम दोनों अलग हुए तो बुर से खून भैया के लंड से लग गया था. उनका खूनी लंड वीर्य से मिल कर अलग ही छटा बिखेर रहा था.
वो मुस्कुराने लगा. मैं भी शर्मा गई और अपने भैया के सीने को चूमने लगी.
बाद में मैंने देखा कि बेड पर कुछ खून के निशान बन थे, ये मेरी बुर की सील टूटने की निशानी थी.
मैंने उठ कर चादर हटा कर एक तरफ डाल दी और अपने भैया से लिपट गई.
हमने उस रात में दो बार और चुदाई का मजा लिया.
फिर सुबह होने से पहले उठ कर मैं अपने कमरे में चली गयी. उस वक्त रात के ढाई बज रहे थे. मैं चादर अपने साथ ले गई.
ये मेरी सील टूटने की गवाह थी.
फिर सुबह मैं 8 बजे उठी, तो मेरी बुर सूज गई थी और दर्द भी हो रहा था.
अब हमें जब भी सेक्स की इच्छा होती है, तो सही मौका देखकर सेक्स कर लेते हैं.