वर्जिन गर्लफ्रेंड लव स्टोरी में पढ़ें कि मेरी प्रेम कहानी एक प्यारी सी लड़की के साथ चल रही थी. एक दिन हम दोनों का मिलने का मन हुआ तो मैं उसे अपने घर लाया.
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार.
दोस्तो, मेरा नाम नाम राहुल है और मैं पंजाब से हूँ.
जब मेरी प्रेम कहानी शुरू हुई तब मैं स्कूल में पढ़ता था.
मेरी मोहब्बत कब जवान होने लगी और कब हम दोनों के दिलों पर राज करने लगी, कुछ पता ही नहीं चला.
माफ़ करना बताना ही भूल गया.
मेरी मोहब्बत का नाम शुभा है. वो अब विवाहित है. बदनसीबी से किसी कारणवश हमारी शादी नहीं हो सकी थी. वर्जिन गर्लफ्रेंड लव स्टोरी अपने मुकाम तक नहीं पहुँच पायी थी.
मेरे मम्मी पाप दोनों सरकारी जॉब में हैं. बहन की शादी हो चुकी है और बड़ा भाई बाहर पढ़ता था.
उस दिन हम दोनों का मिलने का मन हुआ और किसी तरह मैं शुभा को अपने घर पर लेकर आया.
लोगों की नज़रों से बचता बचाता किसी तरह घर आया.
चूंकि एक गली छोड़ कर दूसरी गली में उसका घर था तो सब जानते थे, किसी को दिख जाने का खतरा था.
जैसे ही मैंने दरवाज़ा बंद किया, वो मेरे साथ चिपक गयी और उसने मुझे अच्छे से जकड़ लिया.
शुभा- राहुल मुझे कभी छोड़ कर मत जाना, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.
मैं- तुम्हारे मन में यह बात आई कैसे कि मैं तुम्हें छोड़ूँगा. तुम जान हो मेरी … और जान को छोड़ने का मतलब ज़िंदगी खत्म!
बस बातें करते करते हम दोनों यूँ ही खड़े रहे और कब हम किस करने लगे, हम दोनों को ही पता नहीं चला.
किस करते करते एक दूसरे के जिस्म पर हर जगह चुम्मियां करते चलते चले गए और कब दोनों गर्म हो गए, कुछ पता ही नहीं चला.
कुछ देर के बाद हम दोनों मेरे रूम में आ गए.
वहां फिर हम दोनों ने फिर से किस करनी शुरू कर दी और मैं साथ में उसके दूध दबाने लगा.
वो मेरी छाती पर टी-शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर फेरने लगी.
किस करते करते हम दोनों बेड पर लेट गए.
मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसने मेरी!
जब मैंने उसकी ब्रा को खोला, तो उसके मम्मे एकदम से उछल कर बाहर आ गए.
मैंने आंख दबा दी और वो हंस दी. मैंने उसके एक दूध को हाथ से सहलाया और छोड़ दिया.
वो बोली- हम्म … क्या हुआ?
मैंने कहा- अभी कच्चा सा है.
वो नशीली आवाज में बोली- तो पका दो न!
मैंने कहा- पकाने में बड़ी मेहनत लगती है मेरी जान.
वो बोली- तो मेहनत से भागते हो क्या?
मैंने कहा- खून की नदियाँ बह जाएंगी.
वो बोली- हां तो परवाह किसे है?
मैंने कहा- आज तो बड़ी मस्त बातें कर रही हो जानेमन.
वो बोली- हां, आज तुम पर फ़िदा हो जाने आई हूँ.
मैंने कहा- तो चलो मैं भी मेहनत से पीछे नहीं रहूंगा.
इसी तरह की कामुक और रसीली बातों के साथ मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया.
अब वो मेरे संग आधी नंगी लेटी हुई थी और हम दोनों किस कर रहे थे.
बेड पर कभी वो मेरे ऊपर, कभी मैं उसके ऊपर आ रहा था.
अब मैंने उसके एक दूध के निप्पल को चूसना शुरू किया और वो मस्त होकर अपने हाथों से मेरे सर को अपने मम्मों पर दबाने लगी.
कुछ ही देर में हम दोनों एक दूसरे में इतना खो गए थे कि हमें अपने आस पास का कोई ख्याल ही नहीं रहा.
उसके निप्पल चूसते चूसते मैं उसके पेट पर हाथ फेरते हुए उसको हर जगह किस करने लगा.
अब मैं उसके पेट पर किस कर रहा था और साथ में मम्मों को दबा रहा था.
अब मैं भी पूरी तरह गर्म होने लगा था.
जो काम करना हम दोनों ने आज तक सोचा भी नहीं था, आज हम वो करने लगे थे.
मैंने धीरे से उसकी जीन्स का बटन खोल दिया.
उस वक्त हमारी आंखें एक बार आपस में मिलीं लेकिन उसने शर्म के मारे आंखें बंद कर लीं और कुछ नहीं बोली.
मैं धीरे धीरे उसकी जीन्स को नीचे सरकाने लगा और उसकी चूत को कपड़ों के ऊपर से ही मसलने लगा.
एक बार उसने मेरे हाथ को पकड़ा लेकिन उसके बाद नहीं रोका.
अब मैं नीचे की तरफ बढ़ने लगा.
किस करते हुए मैं उसकी जांघों पर आ गया.
अब तक वो बहुत गर्म हो चुकी थी.
इधर मेरा लंड भी पैंट के अन्दर तूफान मचा रहा था.
पर मैं सिर्फ़ उसको जांघों के बीच चूमता रहा.
वो मेरी पीठ पर हाथ फेरती रही और साथ में आहें भर रही थी.
हम दोनों को ही बस ये लग रहा था कि हमारे बीच ये चलता ही रहे. हम दोनों को ही एक दूसरे की किसी बात से कोई गुरेज नहीं था.
कुछ देर बाद मैंने और नीचे आकर उसकी पैंट और पैंटी दोनों ही निकाल दी.
फिर जब मैं अपना मुँह उसकी टांगों के बीच लेकर आया तो वो एकदम से उछल पड़ी और बोली- ओह राहुल … मैं अब कहां पहुँच गयी?
‘जानेमन तुम मेरी बांहों में ही हो.’
इस दरमियान मैंने भी अपनी पैंट उतार दी और उसकी चूत पर हल्की हल्की चुम्मी करने लगा.
इससे वो बेहद छटपटा रही थी और बेड की चादर को पकड़ कर नीचे से अपनी गांड को उछाल रही थी.
साथ ही में वो मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी.
मैंने उसकी टांगों को अच्छे से चौड़ा कर खोल दिया था.
सकी चूत एकदम साफ सुथरी झांट रहित थी और बह रही थी.
मैंने चिकनी चूत देखी और भूखे कुत्ते की तरह चूत पर टूट पड़ा.
मेरी जीभ उसकी चूत को चाटने में लग गई थी और वो मेरे सर को अपनी चूत पर दबाए जा रही थी.
वो बस इतना ही बोल रही थी- ओह राहुल अह बस मुझमें समा जाओ.
उसका पानी भी तेज़ी में बह रहा था.
अब मैंने अपनी फ्रेंची उतारी और उसके बगल में आकर लेट गया.
मेरा लंड उसकी जांघों के बीच उसकी चूत को सहला रहा था और हम दोनों किस कर रहे थे.
फिर मैंने सामने से उसकी एक टांग अपने ऊपर रख कर लंच को चूत की फांकों पर रगड़ने लगा जिससे वो बिन पानी की मछली की तरह मचलने लगी.
अब मैं सीधा उसकी टांगों को खोल कर उसके बीच आ गया.
लंड को चूत के छेद में रगड़ने लगा, जिससे उसको और मस्ती चढ़ने लगी और नीचे से वो अपने चूतड़ उठाने लगी.
ये महसूस करते ही मैंने उसके ऊपर अपना दबाव बनाना शुरू कर दिया.
मेरे लंड का कुछ हिस्सा उसकी चूत में घुस गया लेकिन अभी वो मस्ती में थी तो कुछ नहीं बोली.
हालांकि उसे मोटे लंड का अहसास हो रहा था, जो उसकी फैली हुई आंखों में दिखने लगा था.
अब वो मेरी आंखों में आंखें डाल कर देख रही थी.
उसके चेहरे पर अलग सी रंगत आ गई थी. हमारी बस इशारों में बात हुई कि आगे बढ़ा जाए या नहीं.
उसने आंखों की पुतलियां हिला कर हामी भरी और उसी समय मैंने अपने लंड को छूट दे दी.
मैंने थोड़ा सा दबाव और बनाया. उससे मेरा आधा लंड उसकी चूत में धंसता चला गया.
मुझे ऐसे लगा कि जैसे मेरा लंड किसी चीज़ से जा टकराया हो.
उधर उसकी दर्द भरी आह निकली, तो मैं रुक सा गया.
हम दोनों किस करने लगे.
मैं उसका दर्द मजे में बदलने की कोशिश में लग गया.
जैसे ही उसने नीचे से अपने चूतड़ों को उठाया, तभी मैंने भी बराबरी से अपना लंड पेलते हुए दबाव बना दिया.
इस बार मेरा पूरा लंड चूत फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया और वो एकदम से तेज दर्द से कराह उठी.
उसे लगा कि कहीं कुछ गलत तो नहीं हुआ है.
लेकिन मुझे समझते देर नहीं लगी कि सील फट गई.
फिर मैंने जैसे ही नीचे हाथ लगाया तो खून की गर्माहट महसूस हुई.
मैं रुक गया और लंड को चूत में फंसाए हुए ही उसे चूमने लगा.
दो तीन मिनट हम दोनों ऐसे ही किस करते रहे.
मैं लंड को चूत में डाल कर उसके लिए जगह बनाता रहा.
कुछ देर बाद जब सब सामन्य हो गया तो उसके बाद धीरे धीरे दोनों तरफ से चुदाई के झटके लगने शुरू हो गए.
हम चुदाई की दौड़ में आगे बढ़ने लगे और मजा आना शुरू हो गया. हम दोनों अपनी पूरी ताकत से लड़ रहे थे और एक दूसरे से आगे निकल जाने जैसी होड़ लगा रहे थे.
दोनों ही पसीने की वजह से भीग चुके थे लेकिन मज़ा दोनों को ही बहुत ज्यादा आ रहा था.
कोई भी रुकने को तैयार नहीं था.
इसी दरमियान शुभा का स्खलन हो गया और उसने अपनी टांगें बिल्कुल सीधी कर दीं.
वो थक कर निढाल हो गई थी.
मैं हल्के हल्के शॉट मारता रहा.
उससे असर ये हुआ कि शुभा फिर से गर्मा गई और गांड उठाने लगी.
जैसे ही उसने साथ देना शुरू किया, मैंने उसकी गांड के नीचे हाथ लगाया और उसे अपने ऊपर ले लिया.
उस समय वो मुझे किसी फूल की तरह हल्की लगी.
वो भी झटके से मेरे सीने पर अपने दोनों हाथ रख कर प्यासी चुदक्कड़ की तरह बैठ गई.
उसके दोनों दूध मेरे सामने तने हुए थे.
मैंने उसे इशारा किया तो वो अपनी चूत में मेरे लंड को समायोजित करते हुए मेरे मुँह के पास अपने एक दूध को झुलाने लगी.
मैंने मुस्कुरा कर उसके दूध को अपने मुँह में भर कर खींचा तो उसकी आह इस्स निकल गई.
तभी मैंने उसके चूतड़ दबा दिए, वो समझ गई कि अब उसे क्या करना है.
अब उसकी बारी मुझे चोदने की थी.
वो पूरे जोश में आ चुकी और मस्ती से गांड उछाल कर मुझे चोद रही थी.
मुझे चोदते चोदते वो एक बार फिर से झड़ गयी और एकदम से मेरे ऊपर गिर पड़ी.
उसकी दोनों जांघें उसके चुतरस की वजह से भीग चुकी थीं.
अब मेरा होना बाकी था.
मैंने उसको नीचे लिटाया और उसकी दोनों टांगों को पकड़ कर चोदना शुरू कर दिया.
मेरी स्पीड अब बहुत तेज हो चुकी थी और वो भी गर्म हो चुकी थी.
उसकी तेज आवाज़ें निकल रही थीं- आंह राहुल राहुल कम फास्ट जान मोर फास्ट … आह.
उसके ऐसे बोलने से मेरा जोश बढ़ता ही गया और साथ में मेरी स्पीड भी.
अब मैं भी डिस्चार्ज होने का करीब था लेकिन मुझसे पहले शुभा का काम फिर से हो गया और मैंने अपना लंड चूत से बाहर निकाल कर हाथ से दो तीन बार हिलाया.
मेरा सारा रस उसके पेट दूध और होंठों तक फिंक गया.
हम दोनों बहुत खुश थे.
उसके बाद हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे. बाद में उठ कर एक दूसरे को साफ़ किया और कपड़े पहने.
फिर हम दोनों ने चाय पी और मुझे किस करके वो चली गयी.
वो हम दोनों का पहला सेक्स था और उस सेक्स को मैं आज तक नहीं भूल पाया. सच में वो सेक्स सेक्स नहीं था, वर्जिन गर्लफ्रेंड लव था, एक मेडिटेशन था. इतने आराम से कामक्रीड़ा की गई थी, जिसमें मंज़िल को तो पाना था, लेकिन जल्दी कोई नहीं थी.