वर्जिन गर्ल सेक्स कहानी मेरी भाभी की भतीजी की सील तोड़ चुदाई की है. वो हमारे घर में ही रहती थी. मैं उसकी चुदाई करने की फिराक में था।
मेरा नाम अभय है और मेरी उम्र 25 वर्ष है।
मेरी लम्बाई 6 फीट है और शरीर भी अच्छा है। मैं शक्ल सूरत में भी ठीक ही दिखता हूं।
मैं आपको अपनी एक स्टोरी बताना चाहता हूं जो मेरे साथ ही घटित हुई थी।
ये वर्जिन गर्ल सेक्स कहानी एक साल पहले की है।
मैं शुरू से बाहर पढ़ा हूं तो घर पर आना कम ही होता था।
मेरे घर पर भाभी की भतीजी रहती थी जिसका नाम शीतल था। उसकी उम्र साढ़े अठारह साल थी।
उसकी लम्बाई कम थी लेकिन फिगर 34-28-30 का था जिसे देखकर मौहल्ले के लड़के पागल रहते थे।
जैसा कि मैंने बताया कि मैं घर पर कम ही आता था। मगर जब भी आता तो शीतल को चोदने का मन करता था।
घर में आने के बाद मेरी नजर शीतल पर ही जाती रहती थी।
झाड़ू लगाते हुए वो जब झुकती थी तो उसके गोल गोल अमरूद मुझे लटकते दिख जाते थे।
मन करता था उसे पकड़ कर चोद दूं मगर फिर रिश्ते के ख्याल से रुक जाता था।
एक बार की बात है कि मैं घर आया हुआ था। घर वाले घूमने जाने का प्लान बनाकर बैठे थे। टिकट सब लोगों ने पहले ही बुक करवा ली थी।
मेरा जाने का कुछ तय नहीं था तो मेरी टिकट नहीं थी।
फिर मेरा जाने का तय हुआ तो उस वक्त पर टिकट नहीं मिली।
इसलिए मेरा जाना कैंसिल हो गया।
अब मेरे खाने पीने की देखभाल के लिए शीतल को घर में रहना पड़ा।
मेरे घर वाले मुझे बहुत शरीफ समझते थे इसलिए किसी को कुछ डर नहीं था।
सब लोग उस सुबह को चले गए।
पूरा दिन बहुत आराम से गुजरा। मेरे दिमाग में कोई गन्दा ख्याल नहीं था।
रात हुई तो वो दूसरे कमरे में जाकर लेट गई।
मैं अपने कमरे में आकर फोन चलाने लगा।
कुछ देर के बाद मेरा मन पोर्न देखने का हुआ तो मैंने पोर्न देखना शुरू किया तो मूड बनता चला गया।
मैं अपना लंड हाथ से सहलाने लगा।
लंड सहलाने में मैं इतना मस्त हो गया कि मैंने देखा ही नहीं कि कब कमरे का दरवाजा खुल गया।
उसने मुझे आवाज दी- चाचा … अकेले डर लग रहा है मुझे!
मैंने जल्दी से अपने लंड को अंदर किया और बोला- यहां आकर लेट जाओ।
तो उसने बोला- नहीं, आप बाहर मेरे रूम में लेट जाओ।
मेरे रूम में दीवान था और बाहर वाले रूम में डबल बेड था।
मैंने बोला- ठीक है … आता हूं।
अब वो कमर हिलाते हुए आगे बढ़ी।
मेरा लंड तो वैसे भी खड़ा था। मन में आया कि अभी पकड़ कर चोद दूं लेकिन अपने ऊपर कंट्रोल कर लिया मैंने और जाकर उसके साथ लेट गया।
वैसे शुरुआत में हम दोनों एक एक साइड पकड़ कर लेट गये।
एक कोने में वो लेटी हुई थी और दूसरे कोने में मैं लेटा हुआ था।
आप सोच सकते हैं कि बगल में कोई जवान लड़की लेटी हो और घर में अकेले हों तो कैसे नींद आ सकती थी।
वैसे भी चुदाई की फिल्में देखकर मेरा मन चुदाई का बहुत हो रहा था। इसलिए बार बार शीतल की चुदाई के ख्याल ही आ रहे थे।
मेरे दिमाग में उसकी चुदाई का पूरा लाइव सीन चल रहा था और लंड मुझे बहुत परेशान कर रहा था।
मैं सोच रहा था कैसे शुरू करूं।
इसी उधेड़बुन में यही कोई एक घंटा निकाल गया।
तब तक वो पूरी तरह सो चुकी थी।
कुछ देर के बाद उसने करवट ली और मेरे करीब सरक आई।
अब मैं उसको देख रहा था। उसकी चूचियों के उभार मेरी उंगलियों को टिकने नहीं दे रहे थे।
मैं उसके बदन को छेड़ना चाह रहा था।
तो अब मैंने भी सोचा कि होगा जो देखा जाएगा।
अगर कुछ बोली तो बोल दूंगा कि नींद में हाथ रखा गया।
ये सोचकर मैं उसकी तरफ खिसक गया।
अब हम दोनों बहुत पास आ गए थे।
मैंने अपनी आंखें बन्द कर लीं और उसके पेट पर हाथ रख दिया। कुछ देर तक ऐसे ही मैं हाथ को रखे रहा।
फिर हाथ को ऊपर बढ़ाया और उसके सीने पर हाथ रख दिया।
उसका कोई रिएक्शन नहीं आया क्यूंकि वो बहुत गहरी नींद में सो रही थी।
मैं काफी देर तक ऐसे ही हाथ रखे लेटा रहा।
फिर मैंने हल्के हल्के उसे दबाना शुरू किया।
मैं ऊपर से ही उसकी चूचियों को हल्के हल्के दबा रहा था। मेरा हाथ अभी दोनों ही चूचियों पर रखा हुआ था।
मैं बस ये देखना चाह रहा था कि कहीं ये जाग तो नहीं रही।
मगर मेरे हाथ के दबाव देने के बाद भी वो सो ही रही थी।
धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ रही थी और मैंने एक हाथ उसके टॉप के अन्दर डालकर उसके पेट पर रख दिया।
कुछ देर तक मैं हाथ को रखे रहा। उसका नर्म पेट बहुत ही आनंद दे रहा था। फिर मैंने धीरे धीरे उसके पेट को सहलाना शुरू किया।
शायद पेट का हिस्सा बहुत संवेदनशील होता है इसलिए वो हिलने लगी।
मेरी फटने लगी … मगर मैंने हिम्मत नहीं छोड़ी।
मैं हाथ को रखे ही रहा और फिर उसके सोने के बाद धीरे धीरे से हाथ को उसकी चूचियों के ऊपर ले गया।
थोड़ी देर ऐसे ही रुकने के बाद मैंने मम्में दबाने शुरू किए।
शायद वो जाग चुकी थी लेकिन चुप थी।
मैंने अब हाथ टॉप से निकाल कर उसकी पैंटी में डाल दिया।
मेरा हाथ उसकी चूत पर रखा गया था और मैं जैसे पगला गया।
मैं अब खुद को रोक नहीं पाया और मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
वो बोली- चाचा, ये क्या कर रहे हो आप?
अब मेरे ऊपर कामदेव सवार हो गए थे और मुझे चुदाई के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था।
मैंने परिणाम की परवाह किए बिना उसके चेहरे को अपनी तरफ किया और उसके होंठों को चूसने की कोशिश करने लगा।
वो मुझे हटाने की नाम मात्र कोशिश कर रही थी लेकिन ये उसके बस में नहीं था। मैंने उसके चेहरे को पकड़े रखा और उसके होंठों को चूमता रहा।
साथ ही मैं नीचे से उसकी चूत को सहलाते हुए उसमें उंगली भी दे रहा था।
उसकी चूत में गीलापन आना शुरू हो गया और धीरे धीरे उसका विरोध भी बंद हो गया।
अब उसे मजा आने लगा। उसने अब मेरा हाथ हटाना बंद कर दिया और अपने बदन को ढीला छोड़ दिया।
वो गर्म होने लगी तो मैं उठा और उसका टॉप निकाल दिया। वो ब्रा नहीं पहनती थी रात में, तो जैसे ही उसके गोल गोल मम्में मेरे सामने आए मैं उन पर टूट पड़ा।
अब मैं इतने जोश में आ गया कि मैंने उसका लोअर और पैंटी एक ही साथ उतार दी।
मैंने उसको नीचे से नंगी किया और उसकी चूत को तेजी से रगड़ने लगा।
वो कसमसाने लगी और मैं उसके होंठों को जोर जोर से पीने लगा।
अब वो भी मेरे होंठों को अपने मुंह में खींचने की कोशिश कर रही थी, उसकी चूचियों को हाथ से सहला रही थी।
मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था क्योंकि मेरा लंड बहुत देर से खड़ा हुआ था।
चूंकि अब चूमा चाटी करते हुए बहुत देर हो चुकी थी तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
तो मैंने सीधा उसे चोदना ही बढ़िया समझा क्यूंकि वो बोल तो कुछ नहीं रही थी मगर उसकी हरकतों से पता चल रहा था कि वह बहुत गर्म हो चुकी है।
उसकी चूत से पानी निकल रहा था।
मैंने भी अपनी जॉकी की अंडरवियर निकाली और सीधे उसकी टांगों के बीच में जाकर उसकी चूत पर लंड टिकाकर लेट गया।
मैं उसकी चूत पर लंड को रगड़ते हुए उसके होंठों को चूसने लगा।
वो भी मेरी पीठ पर हाथ फिराने लगी।
मैंने हाथ से पकड़ कर लंड को उसकी चूत के मुंह पर सेट कर दिया और वहीं पर एक धक्का दे दिया।
पहले धक्के में लंड अंदर नहीं घुसा।
फिर मैंने जल्दी से क्रीम उठाई और लंड के टोपे पर लगा दी।
मैं थोड़ी क्रीम उसकी चूत पर भी लगाई और फिर दोबारा से लंड के टोपे को उसकी चूत के मुंह पर सेट कर दिया।
लंड लगाकर मैंने एक धक्का लगाया तो थोड़ा सा लंड अंदर घुसा लेकिन उसकी चीख इतनी तेज निकली कि मैं डर गया।
उसकी चूत से खून निकलने लगा।
वो रोने बिलखने लगी- आईई मम्मी … ईई … ऊऊऊ … ओह्ह … निकालो चाचाजी! बहुत दर्द हो रहा है।
मैं उसके मम्में दबाने लगा ताकि दर्द कम हो जाए और कुछ देर तक ऐसे ही रुका रहा।
कुछ देर के बाद जब उसकी चूत का दर्द कम हुआ तो एक और झटके में मैंने पूरा लंड अंदर घुसा दिया।
उसकी चीख निकलने ही वाली थी कि मैंने अपने होंठों से उसके होंठ बन्द कर दिए लेकिन उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे।
मैं थोड़ी देर उसे ऐसे ही किस करता रहा और रुका रहा।
फिर धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया।
अब उसे थोड़ा अच्छा लगने लगा था। तो मैंने अब चोदने की स्पीड बढ़ा दी।
मैंने उससे अपने ऊपर आने को बोला तो उसने मना कर दिया।
मैं उसको चोदता जा रहा था और अब वो भी मदहोश होती जी रही थी।
मैंने उसकी टांगों को उठा लिया और अपने कंधे पर रखकर चोदने लगा।
अब उसकी चूत में मेरा लंड अच्छे से समा रहा था।
चोदते हुए मैं देख रहा था कि मेरे लंड पर उसकी चूत का खून लग गया था। उसकी चूत की सील टूट गई थी।
मुझे उसकी चूत मारने में बहुत मजा आ रहा था।
वो भी मस्त होकर चुद रही थी।
हालांकि उसको दर्द का अहसास भी हो रहा था लेकिन चुदाई में मजा भी उतना ही आ रहा था।
फिर मैंने उसकी टांगों को छोड़ा और फिर से उसके ऊपर लेट गया।
मैं उसकी चूचियों को पीते हुए उसकी चूत में नीचे से धक्के लगाता रहा।
वो मेरी पीठ को जकड़े हुए थी। मेरे हर धक्के के साथ उसके मुंह से ऊंह … आह्ह … जैसी आवाजें निकल रही थीं।
चोदते हुए मुझे दस मिनट के लगभग हो गये थे। मेरा पानी अब छूटने वाला था। मेरी स्पीड अब हर पल बढ़ती जा रही थी। मेरा स्खलन बहुत करीब आ गया था।
मैं उसकी चूत में माल नहीं गिराना चाह रहा था मगर मजा इतना आ रहा था कि लंड को बाहर निकालना बहुत मुश्किल लग रहा था।
तो मैं उसकी चूत में झड़ना चाह रहा था।
फिर भी किसी तरह मैंने खुद को समझाते हुए उसकी चूत से लंड को एकदम से बाहर खींचा और लंड बाहर आते ही मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी उसकी चूत के ऊपर ही छूट गयी।
उसकी लाल होकर फूल चुकी चूत पर मेरे लंड से सफेद गाढ़ा वीर्य गिरने लगा।
कई पिचकारियों ने उसकी चूत को जांघों के आसपास से नहला दिया।
सारा माल निकलने के बाद मैंने एक कपड़ा लिया और उसकी चूत को साफ कर दिया।
फिर मैं थक कर एक तरफ लेट गया।
उसके बाद मुझे कब नींद आई पता नहीं चला। वो भी शायद थक कर सो गयी थी।
सुबह उठकर देखा तो बेडशीट पर खून के धब्बे लग गये थे।
जब शीतल उठकर चलने लगी तो उससे चला नहीं गया। मैं उसे उठाकर वाशरूम तक ले गया और उसकी मदद की।
मैंने बेडशीट धुलने के लिए डाल दी। फिर मैंने चाय बनाई और फिर हमने साथ बैठकर चाय पी।
अब हम लोग काफी खुल चुके थे। ज्यादा बोल्ड नहीं थे लेकिन हमारे बीच अब वो बातें हो रही थीं जो पहले नहीं होती थीं।
घर वाले पांच दिन बाद आए। तब तक हमने खूब चुदाई की।
अभी भी कई बार जब मौका मिलता है तो मैं और शीतल चुदाई का मजा लेते हैं।
वो भी मेरे लंड की आदी हो गयी है। मुझे अकेला पाकर खुद ही मेरे लंड को छेड़ने लगती है और मैं उसके मुंह में लंड दे देता हूं।
जब घर में कोई नहीं होता तो उसे चोद भी देता हूं।
इस तरह से मैंने अपनी भाभी की भतीजी की कुंवारी चूत की सील तोड़कर मजा लिया।
अब उसकी चूचियां और भी अधिक रसीली हो गई हैं और उसकी गांड भी पहले से अधिक बाहर निकल आई है।
आपको मेरी ये सेक्स कहानी कैसी लगी आप मुझे अपने फीडबैक में जरूर बताएं। मुझे आप लोगों की राय का इंतजार रहेगा।