पड़ोसन दीदी के साथ मजेदार चूत चुदाई

सेक्सी दीदी चुदाई कहानी में पढ़ें कि जब मेरी पड़ोसन दीदी को मेरी सेक्स की इच्छा के बारे में पता चला तो वो मेरे साथ सेक्स करने को तैयार हो गयी.

प्रिय पाठको, आप सबका फिर से स्वागत है.
कहानी के पिछले भाग
पड़ोसन दीदी सेक्स के लिए तैयार थी
में अब तक आपने पढ़ा था कि कैसे पीनू दी और मैंने चुदाई को स्टार्ट किया.
वो पहली बार चुद रही थी और मैं भी उसको पहली बार चोद रहा था.

हमारे फोरप्ले के बाद मैंने उसकी चूत में अपना 6 इंच का लंड डाल दिया और वो इतना ज़ोर से चिल्लाई कि शायद हमारे घर के पास जितने घर थे, सबको उसकी चीख सुनाई दे गई होगी.
अभी मैंने उसको चोदना शुरू नहीं किया था.

तो चलिए शुरू करते हैं आगे की सेक्सी दीदी चुदाई कहानी!
सब लड़के अपना लंड हाथ में पकड़ लें और लड़कियां अपनी चूत में उंगली डाल लें क्योंकि ऐसा मज़ा आपने किसी भी सेक्स कहानी में नहीं लिया होगा.

मेरा लंड दीदी की चूत में पूरी तरह से जा चुका था.
अब मैं उसको धीरे धीरे धक्के मारने लगा और चूत चोदने लगा.
वो हल्की हल्की सिसकारियां भरने लगी थी.

ऐसा करीब 5 मिनट तक मैं करता रहा.

अब घड़ी में 4 बजने वाले थे. हमारे पास सिर्फ एक घंटा बचा था.
मुझे पीनू दी को खुश करना था, वो आंखें बंद करके बस यही बोले जा रही थी- आह बेबी तेज़ तेज़ … आह आह और तेज करो … रुकना मत प्लीज … चाहे कोई भी आ जाए आह.

उसकी ये आवाज़ सुन कर मेरी मर्दानगी और भी बढ़ती जा रही थी और स्पीड भी.
मैं और तेज़ी में उसको झटके मार रहा था.

उसकी बॉडी पूरी हिल रही थी और बूब्स भी.
वो देख कर मैं और पागल होने लगा.

वो 25 की उम्र की थी तो आप सोच ही सकते हो कि उसका बदन कैसा होगा. मैं उसे ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था और वो हवा में टांगें उठाए पूरी मदहोश होकर मज़े लूट रही थी.
बस मुझे सिर्फ एक दिक्कत थी कि उसकी पैंटी चोदने में डिस्टर्ब कर रही थी.

लेकिन तय हुआ था कि दोनों को पैंटी व अंडरवियर निकालने नहीं है.
मेरा दिमाग चला और सोचा कि निकालना नहीं है, फाड़ तो सकते हैं ना!

मेरा चोदन चालू ही था.
उतने में ही मैंने दीदी की पैंटी को एक साइड से पकड़ा और ज़ोर से खींच कर फाड़ दिया.
उसकी पैंटी फ़ट गई.

दीदी ने तुरंत आंखें खोलीं और देखने लगी कि क्या हुआ.
उसने देखा तो उसकी चूत का ढक्कन फटा हुआ मेरे हाथ में था और मैं उसको चोदे जा रहा था.

दीदी थोड़ा गुस्से में लेकिन मदहोश आवाज में बोली- अबे ये क्या किया?
मैं- फाड़ दी!
दीदी- लेकिन क्यों?
मैं- तय हुआ था कि अंडरवियर निकालनी नहीं है, तो मैंने फाड़ दी. सिंपल, कोई रूल भी नहीं टूटा!

उसने मेरे कंधे पर दोनों पैरों को रखा और ज़ोर लगा कर मुझे बेड पर गिरा दिया.
वो मेरे ऊपर आ गई. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही था.
अब वो मुझे चोद रही थी.

दीदी- अच्छा, मेरी फाड़ दी और खुद की?
इतना बोलते ही दीदी ने मेरी अंडरवियर को पकड़ा और ज़ोर से खींच दिया.

उससे मेरे अंडे दब गए और मेरे मुँह से चीख निकल गई.
दीदी घबरा गई- क्या हुआ?
वो देखने लगी.

मैं- अरे पीनू … जान ही ले लेगी क्या?
दीदी- सॉरी सॉरी, जो चाहिए वो ले ले, या जो करना है कर ले, लेकिन प्लीज माफ कर दे!

मैं हंसते हुए बोला- अच्छा रुक, मैं तेरी हेल्प कर देता हूँ मेरी अंडरवियर फाड़ने में. मुझे तूने सब तो दे दिया है और क्या लूंगा. मैं जितनी ले रहा हूँ, वही बहुत है … और करना तो मैं जो चाहता हूँ, वो तो करूँगा ही.

दीदी- तू कुछ नहीं करेगा, मैं ही कर लूँगी खुद से.

वो उठी तो मेरा लंड छपाक से उसकी चूत से निकल गया.
दीदी अपना मुँह मेरी अंडरवियर के पास ले गई और दांतों से पकड़ कर मेरी चड्डी उतार दी.

अब मैं भी पूरा नंगा और पीनू दीदी भी नंगी.
हमारी चुदाई अभी खत्म नहीं हुई थी.

अब हमें लगा कि पोजीशन बदल लेनी चाहिए.

वो बोली- कौन सी पोजीशन में करें?
मैं- खड़ी हो जा, खड़े होकर ही करते हैं.
दीदी- ओके आ जाओ.

हम दोनों खिड़की के पास चले गए और वो अपना एक पैर खिड़की पर रख कर खड़ी हो गई.
उसकी चूत मुझे न्योता दे रही थी लेकिन उससे पहले मैं उसकी चूत को अच्छे से चाटना चाहता था, तो मैं नीचे बैठ गया और थपाक से ऐसे लग गया, जैसे एक गाय का बछड़ा अपनी मां का दूध पीने के लिए लग जाता है. वैसे ही मैंने दीदी की चूत पर ज़ोर से अपना मुँह लगा दिया.

उस टाइम मेरे आगे के 2 दांत उसको चुभे और उसने तेज़ी से लंबी सिसकारी भरी.
मैं उसकी चूत को चाटने लगा.

हमारी चुदाई से चूत की महक भी बहुत प्यारी लग रही थी.
मैं पहली बार ये कर रहा था और वो भी पहली बार चूत चटवा रही थी.

मैं अपनी एक उंगली चूत में पेलने लगा.
वो और ज्यादा उत्तेजित हो गई और उसने मेरे सिर के बालों को ज़ोर से पकड़ लिया.

उसका एक हाथ खिड़की पर रखा हुआ था. उसकी आंखें बंद थीं.
उसी का मैं फायदा उठाते हुए जल्दी से उठा और अपना लंड सीधा उसकी चूत में ऐसे घुसा दिया, जैसे कोई मिसाइल छोड़ी हो.

वो मुझसे एकदम से लिपट गई.
मैं अब उसको चोदने लगा. वो भी साथ देने लगी.

हम किस करते, मैं उसके बूब्स दबाता और धक्का लगा कर एक दूसरे को चोदते.
ऐसे करते करते हमारी चुदाई आगे बढ़ने लगी.
दी का एक पैर थक जाता, तो उसे नीचे रख कर दूसरा पैर उठा कर खिड़की पर रख देती.

वो मुझे कुछ नहीं बोलती, खुद ही कर लेती. उसको बस मैं चोदता रहूँ, रुकूं नहीं, उसे यही चाहिए था.

करीब दस मिनट तक ऐसा चलता रहा. वो कमर हिलाती हुई मजे से लंड ले रही थी.
हम दोनों इतने में ही काफी थक चुके थे. फिर भी दोनों में से किसी ने भी पानी नहीं छोड़ा था और हार भी नहीं मानी थी.

उसको भी … और मुझे भी, नहीं पता था कि ये सब कितनी देर तक चलेगा क्योंकि हमारा फर्स्ट टाइम था.
उसके दोनों पैर अब खड़े होकर थक चुके थे और मेरे भी.

मैं- दीदी, चलो मैं तुमको बेड पर ले चलता हूं.
दी- ठीक है, लेकिन रुकना मत … चोदते चोदते ही ले चलना.

उसके इतना बोलते ही मैंने उसकी दोनों टांगें पकड़ कर उसे अपनी गोद में उठाकर लंड के पास ले लिया ताकि चुदाई चालू रहे.
मैं चलते चलते उसको चोदता जा रहा था.

उसका वज़न मेरे से ज्यादा था क्योंकि वो उम्र में बड़ी भी थी और कुछ मुझसे ज्यादा तगड़ी थी.
लेकिन मैं उसको उठा सकूं, इतनी ताकत तो थी मुझमें.

मैंने उसे ले जाकर बेड के कोने में बैठा दिया और हल्का सा धक्का दे दिया. वो लेट गई और मैं घुटनों के बल बैठ गया. मेरा लंड चूत में छपाक छपाक चलने लगा.

उतने में ही अचानक से न जाने क्या हुआ कि पीनू दी उठी और ज़ोर ज़ोर से अपनी ओर से भी धक्के देने लगी.

मैं- क्या हुआ दी?
पीनू दी- शुभ उम्म … कुछ नहीं आह अहह … बस मेरा निकलने वाला है … तू और तेज़ तेज़ कर!
यही सब बोलती हुई वो झड़ गई.

झड़ने के बाद उसकी पूरी बॉडी एकदम ढीली पड़ गई और वो लेट गई.

उसकी चूत झड़ जाने के बाद चूत में माल की बाढ़ सी आ गई थी और मेरा लंड अभी भी चूत में आतंक फैलाए हुए था.
लंड चूत के रस की महक पूरे कमरे में फैलने लगी थी.

मैं भी चरम पर आ गया था और फचक फचक का साउंड और तेज़ हो गया था.
मुझे दीदी को चोदने में और मज़ा आने लगा था, उसका गर्म पानी चूत में से जैसे निकल सा रहा था और मैं उसको ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था.

दीदी के चेहरे पर परम शांति दिख रही थी. उससे मालूम चल रहा था कि उस वक्त उसको कितना सारा सुख मिल रहा था.

करीब और 7 से 8 मिनट तक दीदी को चोदने के बाद अब मेरा स्खलन का समय आ गया था.
दीदी की मादक सिसकारियां जैसे जैसे मेरे कानों में शहद घोल रही थीं, वैसे वैसे मेरा खुद पर कंट्रोल करना मुश्किल होता जा रहा था.

उतने में मेरी रफ्तार तेज होने लगी.
मैं समझ चुका था कि अब ज्यादा टाइम नहीं बचा है.
मैंने दीदी के गाल पर थपथपाया और बोला- दीदी क्या करना है?

पीनू दी- करना क्या है … करता रह. जब तक मैं ना बोलूँ, चोदना चालू रख … आह हह मजा आ रहा है.
मैं- अरे निकलने वाला है मेरा … आह पागल जल्दी बोलो!
दीदी- ओएव्व जल्दी से मुँह में टपकाओ मेरे … आह जल्दी.

मैंने तुरंत अपने लंड को दीदी की प्यारी सी चूत से बाहर निकाला और उसके ऊपर चढ़ कर मम्मों पर बैठ गया.
मेरे दोनों चूतड़ उसकी दोनों चूचियों को मसलने लगे.

दीदी ने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी.
आह क्या आनन्द था वो … वाह …

चूसते चूसते मेरा वीर्य निकल गया और सारा माल दीदी के मुँह में चला गया, कुछ उसके चेहरे पर भी लग गया.
मैं थक कर सीधा बेड पर जा गिरा.

दीदी- उमम्मह … क्या बात है शुभ, आखिरकार हम दोनों ने मिलकर अपनी सील तोड़ ही ली.
मैं- हां दीदी, तुम मेरा वीर्य पीना मत, रुकना मैं कपड़ा लाता हूँ.

दीदी- क्यों न पियूँ?
मैं- अच्छा नहीं लगता दी, तुमने इतना खुश किया मुझे … और मैं तुमको ये पिलाऊं!

दीदी- अरे फिकर नॉट पगले, ये तो प्यार है तेरा मेरा … मैं हंसते हंसते पी लूँगी.
मैं- फिर भी रुको न.

ये बोल कर मैं रूमाल लेने गया.
जब आया और देखा तो दीदी सब माल चाट रही थी और अपने बूब्स कर चूत पर बहुत सारा रस लगा रही थी.

मैं उसके पास बैठ गया और गुस्सा करने लगा.

मैं- हाथ हटाओ, छोड़ो सब … मना किया न … मैंने मुझे अच्छा नहीं लगता!
दीदी- अच्छा मेरे गुलु गुलु … ले जो करना है, वो कर!

मैं रूमाल से उसके शरीर को पौंछने लगा.
हम दोनों बात करने लगे.

मैं- अच्छा दीदी, अब बताओ तुम अभी तक वर्जिन क्यों थी?
दीदी- ठीक है बाबा बताती हूँ, तू वैसे भी मानेगा नहीं!

मैंने स्माइल की.
दीदी- देखो शुभ, एक लड़की को क्या चाहिए, वो ज्यादा मायने रखता है. लड़की की इज्जत ही उसका सब कुछ होती है. इसलिए उसको एक विश्वास लायक लड़का चाहिए होता है, जिसे वो खुल कर सब बता सके.

मैं- हां दीदी, सही बोला तुमने!
दीदी- जिनके साथ हमें सुरक्षा महसूस हो, बिना डरे हम उनको हर बात बता सकें. जरूरत में वो हमारा साथ दे, न कि हमेशा सेक्स सेक्स ही करता रहे.

मैं- हां, आज कल के लड़के और लड़कियां भी बस सेक्स के लिए मरते हैं, प्यार का तो बस नाम देकर रखते हैं. एक दूसरे से आकर्षित होकर बस सेक्स की प्यास बुझाना चाहते हैं.
दीदी- हां, मैं मानती हूँ कि सभी एक जैसे नहीं होते, कुछ अच्छे भी होते हैं.

मैं- हां, ये भी है.
दीदी- बिल्कुल, इसलिए कोई भी अगर प्यार का नाम लेकर आपकी बॉडी के बारे में बोले या कुछ करना चाहे तो ध्यान रखना चाहिए और 18 साल में नहीं बल्कि मैं तो 20 की उम्र के बाद ही सेक्स करना ठीक समझती हूँ. फिर चाहे सेक्स का कितना भी मन क्यों हो.

मैं- हां और अगर ज्यादा मन हो भी रहा हो, तो लड़का लड़की एक दूसरे से बातें कर सकते हैं और पूरा ज्ञान लेकर सही उम्र आने पर सेक्स करें तो कोई परेशानी नहीं होगी.
दीदी- हां सही बोला, लेकिन बस अब ये हमारे बीच हो गया है.

हम दोनों हंसने लगे.

मैं- लेकिन दीदी तुमको मज़ा तो आया ना?
दीदी- शुभू, तू सोच भी नहीं सकता कि मैंने कितने मज़े लिए, अगर तू न होता तो ये कभी नहीं हो पाता … सच में. तू न मेरी बिल्कुल टेंशन न ले, मैं बहुत ही खुश हूँ तेरे से. मैंने सोचा भी नहीं था उससे भी कई ज्यादा तूने मुझे आज मजा दे दिया है.

उसके चेहरे पर जो खुशी थी, उससे मुझे पता चल रहा था कि वो सच में बहुत खुश थी.

मैं- थैंक्यू पीनू दीदी.
दीदी- शुभ क्या है यार, बार बार थैंक्स बोल कर तू मुझे सैड कर रहा है. ये मुझे तुम्हें बोलना चाहिए. तू भी न … और तुझे मज़ा आया कि नहीं वो बता?

मैंने हंसते हुए कहा- दीदी तुमने मुझ पर भरोसा करके इतना सब करने दिया, उसी अहसान के लिए तो मैं थैंक्स कह रहा हूँ. मुझे तुमने ज़िंदगी भर की खुशी दे दी. मज़ा भी जितना तुमको आया, उससे थोड़ा सा ज्यादा मैंने लिया है.

दी- हां वो तो ठीक है. तुम पहले मुझे ये बताओ कि तुमने इतना मस्त सेक्स करना कहां से सीखा. कहीं किसी के साथ बिस्तर गर्म तो नहीं किया था न … सच सच बोल दे?
मैं- नहीं पहले तुम बताओ?

दीदी- मैंने तो सब इंटरनेट से सीखा है, एक एक चीज़ उसी से सीखी है.
मैं- मैंने भी सब वहीं से सीखा है.

दीदी- सच ना … झूठ बोला, तो चूत के लिए तड़पेगा देख लियो.
मैं- अरे सच में दी, तुम्हारे अलावा कोई मिली ही नहीं. पर तुमने सेक्स क्यों नहीं किया, तुम्हारे ऊपर तो इतने लड़के लाइन मारते होंगे!

दीदी- वो सब चूत के लिए लाइन मारते थे. मुझे उनकी आंखों में सिर्फ हवस ही दिखती थी, प्यार होता तो मुझे पता चल ही जाता. हालांकि मेरी चूत की प्यास बढ़ जा रही थी, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि सबको चूत देती फिरूं.
मैं- हां दीदी, तुम सच में स्मार्ट हो, अगर तुम जैसी सब लड़कियां बन जाएं, जो न डरें नहीं और अपनी समझदारी से सेक्स करें तो सच में बहुत बढ़िया होगा.

दीदी- हम्म … तुमने सही बोला. चलो अब हम बातें ही करते रहेंगे या कुछ आगे और भी करना है?
मैं- हां करना है न. मगर मैंने सुना है कि सेक्स के बाद लड़की से बात करनी चाहिए ताकि उसको अच्छा लगे. क्या ये सही बात है?

दीदी- हां शुभ, ये एकदम सही बोला है तूने!
मैं- हम्म … अभी साढ़े चार हुए हैं, मम्मी पापा कभी भी घर आ सकते हैं. तो क्या बोलती हो, एक जल्दी वाला राउंड हो जाए?

दीदी- हां, जल्दी जल्दी वाला कर लेते हैं, क्या पता फिर कब मौका मिले?
मैं- हां सही कहा तुमने, मौका बड़ी मुश्किल में मिलता है. पता नहीं तुम्हारी शादी हो गई तो मेरे लंड के लिए तो चूत के लाले पड़ जाएंगे.

दीदी- हां मेरी शादी की बात चल तो रही है, कभी भी कुछ भी हो सकता है. लेकिन तू टेंशन बिल्कुल न ले. मैं तेरे पास आती रहूंगी, जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती, तब तक तो तुझे मेरी चूत मिलती रहेगी. बाद में तू अपनी बीवी की लेता रहना.

दोस्तो, हमारे पास टाइम नहीं था, तो मैंने दीदी को लेटाया और उसकी दोनों टांगें फैला कर चूत में लंड डाल दिया.

लंड एकदम से सैट हो गया, चुदाई चलने लगी और पानी निकालने का काम तेजी से शुरू हो गया.

मैंने बोला- दीदी, बात करते करते चुदाई करने का और भी मजा है.
दीदी- हां जी मेरे शुभ जी, चोद लो जी भरके … और न भरे जी, तो मुझे खुल कर बता दियो … आह कितनी तेजी से पेल रहा है उई मां आह.

मैं धक्का देते हुए बोला- हां, शादी हो जाएगी तुम्हारी, फिर भी तुम मुझसे चुदवाने आती रहोगी, तो मुझे क्या टेंशन.
दीदी- तेरी बीवी आ जाएगी सिर्फ तब तक आऊंगी … उह आह.

मैं- अगर मैंने शादी ही नहीं की तो?
दीदी- अच्छा जी, इतनी पसन्द आ गई मैं? … आहह.

मैं- हां जी.
दीदी हंसती हुई बोली- तो मेरे से ही शादी कर ले, फिर मेरी बजाते रहना.

मैं- ठीक है, देखते हैं.
ये बोलते हुए में दीदी को चोदे जा रहा था.

तभी मम्मी का कॉल आ गया.
मैं दी से बोला- अपनी आवाज़ को कंट्रोल करना.

मेरा चोदना चालू ही था.
मैं- हां मम्मी क्या हुआ? आप आ गईं क्या?

मम्मी- हां … तू हांफ क्यों रहा है?
मैं- एक्सरसाइज कर रहा हूँ मम्मी.

उनको पता था कि मैं शाम को एक्सरसाइज करता हूँ.
मम्मी- ठीक है कर, तुझे ये बताना था कि हम लोग अभी बाजार में ही हैं. तेरे पापा दाढ़ी और बाल बनवाने बैठ गए हैं, तो आने में देर लगेगी. शायद 6 से ज्यादा भी बज जाएं.

ये सुन कर मैं इतना खुश हो गया कि और ज़ोर से पीनू दी को झटके मारने लगा.
मैंने एकदम से ऐसा किया तो दी ने मेरी गांड पर एक चपत लगाई.
तब मैंने ‘ठीक है मम्मी …’ बोल कर कॉल तुरंत काट दिया.

दीदी- क्या हुआ धीरे … देख तो सही एक तो मुँह बंद है मेरा … और तू इतनी ज़ोर से पेल रहा है. आह आह!
मैं- अरे यार दीदी, वो मम्मी लोग को आने में 6 बज जाएंगे, वो यह बता रही थीं, तो मुझे जोश आ गया और मैंने झटका मार दिया.

दीदी एकदम से खुश हो गई और बोली- अच्छा ये बात … तो फिर चोदो ज़ोर ज़ोर से!
अब वो भी नीचे से अपनी गांड उठा कर साथ देने लगी.

मैं- तुमको अपने घर से कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी न?
दीदी बोली- अरे पापा तो काम से 8 बजे आते हैं और छोटा भाई स्कूल से ट्यूशन जाता है, वो भी 7 बजे आएगा. मेरी मम्मी को तो वैसे भी मेरी कोई चिंता नहीं होती है. वो जानती हैं कि मैं कहीं भी निकल जाती हूँ.

मैं- फिर कोई टेंशन नहीं है.
दीदी- मैं आई हूँ, तब से यही तो बोल रही हूँ कि तुम टेंशन ना लिया करो, बस मुझे चोदो चोदो और चोदो … उम्म आह!

मैं- ओके फ़क यू पीनू दी.
दीदी- फ़क यू टू शुभ.

ऐसे बातें करते करते हम दोनों सेक्स का पूरा मज़ा ले रहे थे.
हमने कई सारी पोज़िशन्स में चुदाई की और बहुत सारा पानी निकाला.

पूरा कमरे में बस आह आह की आवाजें और वीर्य की महक आ रही थी.
दीदी बहुत खुश थी और मैं भी. हम दोनों ने एक दूसरे को भरपूर प्यार दिया और सेक्सी दीदी चुदाई के बाद वो अपने घर चली गई.

मैं भी नहा कर फ्रेश हो गया.

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