पंजाबी लड़की की चुदाई कहानी में पढ़ें कि भाई का लंड देखकर, चूसकर मुझे अपनी कुंवारी बुर की सील तुड़वाने की ललक लग गयी। कैसे चुदी मैं भाई से?
दोस्तो, मैं मोना आपको अपनी पहली चुदाई की कहानी बता रही थी।
पंजाबी लड़की की चुदाई कहानी के पहले भाग
चचेरे भाई के लंड ने मेरी वासना जगाई
में आपने देखा कि कैसे मैंने गांव में ताऊजी की बेटी की शादी के पहले दिन रात को कजिन का लंड पकड़ा और उसने मेरी चूत पर पानी छोड़ दिया।
उसके बाद हम दोनों चुदाई के मौके का इंतजार करने लगे।
अब आगे पंजाबी लड़की की चुदाई कहानी:
शाम को दीदी की विदाई के बाद जब हम सब फ्री हो गए तो मैंने मेरे मम्मी पापा को बोला कि मुझे घर जाना है, कल मेरा स्कूल है।
पापा बोले- मोना अभी तो नहीं जा सकते, कल स्कूल की छुट्टी कर लो। मैं तुम्हारे स्कूल में फोन कर दूंगा।
मैंने कहा- मेरा कल फिजिक्स का प्रैक्टिकल है, मैं मिस नहीं कर सकती। आपको चलना है तो चलो … नहीं तो ड्राइवर भेज दो। मैं अकेली चली जाती हूं।
पापा- अकेली तो कैसे जाओगी, किसी को ले जाओ।
मैंने जानबूझकर मामा के बेटे का नाम लिया। शायद जब किसी को प्यार करते हैं तो डर अपने आप आ जाता है कि कहीं किसी को शक ना हो जाये।
मामा का बेटा बोला- मैं तो नहीं जाता, यहीं रहूंगा।
पापा बोले- अनिल को ले जाओ।
वो हमारे पास ही खड़ा था।
मैंने कहा- नहीं, ये मेरे से झगड़ा बहुत करता है मुझे इसके साथ नहीं जाना।
तभी मम्मी बोली- तुम लोगों का ये सब तो चलता ही रहेगा, कोई बात नहीं अनिल, तुम तैयार हो जाओ। मोना के साथ चले जाना। झगड़ा मत करना और खाना टाइम पर खा लेना।
अनिल चुपचाप सिर हिलाता रहा किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह।
मैं मन में सोच रही थी कि देखो कैसे मेरी चूत के लिए शरीफ बन रहा है।
फिर कुछ देर में हम दोनों निकल लिए।
रास्ते में कुछ बातें हुईं।
घर पहुंचते ही हम दोनों आपस में लिपट गए जैसे बहुत साल बाद कोई मिलता है।
हमारे होंठ एक दूसरे से मिल गये और उसके दोनों हाथ मेरी चूचियों से खेलने लगे।
मेरे बदन में आग लग गयी।
तभी उसका एक हाथ मेरी चूत से खेलने लगा।
मेरी चूत बह रही थी।
अचानक उसने अपना हाथ निकाल कर मेरी चूत के पानी से गीली एक उंगली मेरे मुँह में डाल दी और मुझे चुसवाने लगा।
फिर वो मुझे गोद में उठाकर मेरे बेडरूम में ले गया और बेड पर लिटा दिया।
फिर कमरे की सारी लाइट जलाकर बोला- मैं अपनी इतनी प्यारी जान को अच्छे से देखते हुए प्यार करूंगा।
फिर मेरे पास आकर मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोला- कितनी सुंदर हो तुम!
अब वो मेरे माथे पर, गालों पर और कानों को चूमते हुए दोनों हाथों से मुझे पूरी नंगी करके मेरी नाभि में अपनी जीभ डालकर चाटने लगा। एक हाथ से वो मेरी चूत का दाना रगड़ रहा था।
फिर धीरे धीरे मेरे पेट को चूमते चूमते उसने मेरी टांगें खोलकर मेरी चूत से अपने होंठ सटा दिये। वो मेरी चूत ऐसे चाट रहा था जैसे कोई कुत्ता कटोरी से दूध पीता है।
मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी, मेरी सिर्फ मादक सिसकारियां निकल रही थीं।
अनिल मुझे बिठाकर लण्ड मेरे होंठों पर फिराने लगा।
मैंने लण्ड को हाथ में पकड़ लिया और उसे देखने लगी।
मुझे लण्ड बहुत सुंदर मगर डरावना लगा।
डरावना इसीलिये की इतना बड़ा और मोटा मेरी चूत में जाएगा कैसे जिसमें आज तक कभी एक उंगली तक नहीं डाली थी मैंने!
सुंदर इसलिए कि वो एकदम काला सा लाइट में चमक रहा था और उसका आगे का हिस्सा पूरा लाल हो रखा था।
मैंने लण्ड को चूम कर अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपोप की तरह चूसने लगी; साथ में उसकी बॉल्स को भी मैंने एक एक करके चूसा।
थोड़ी देर की चुसाई से लण्ड और भी चमक उठा और अनिल ने मुझे लिटाकर मेरी गाण्ड के नीचे तकिया लगाया और तेल लेकर आ गया।
उसने बेबी आयल को अच्छे से मेरी चूत के अंदर तक लगाया और अपने लण्ड पर भी चुपड़ कर मेरी टांगों को खोलकर लण्ड को मेरी चूत पर ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा।
मैं तड़प उठी लण्ड के लिए … मैंने कहा- भैया प्लीज, डालो ना!
मेरे इतना कहते ही उसने मेरी टांगें अपने कंधों पर रखीं और लण्ड को चूत के मुंह पर सेट करके एक झटका मारा।
जो पंजाबी लड़की मोना लण्ड लेने के लिए तड़प रही थी उसकी चूत फट गई।
मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने लोहे का मोटा और गर्म डंडा डालकर मेरी छोटी सी चूत के अंदर रास्ता सा बना दिया हो।
मैं लण्ड बाहर निकलवाने के लिए छटपटाने लगी मगर उसने तब तक मेरी गर्दन के नीचे अपने दोनों हाथ डाल कर मुझे कस लिया जिससे कि मैं हिल न पाऊँ।
अनिल मुझे बड़े प्यार से समझाने लगा कि मोना थोड़ी हिम्मत रखो, थोड़ी देर में दर्द खत्म हो जाएगा।
सच में हुआ भी यही। उसके चूमने से मेरा दर्द खत्म हो गया और चूत फिर से और लण्ड मांगने लगी।
मैंने एक दो बार कमर हिलायी तो उसको पता चल गया।
वो बोला- मोना एक काम करते हैं, तुम मेरी आँखों में देखते हुए नीचे से धीरे धीरे धक्का मारकर लण्ड अंदर लो।
मैंने कहा- ठीक है।
मेरे हल्का धक्का देते ही उसने ऊपर से ज़ोर से धक्का मारा जिससे उसका पूरा लण्ड मेरी चूत को चीरकर अंदर तक घुस गया।
उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स में लिया और मेरे दोनों बूब्स पकड़ कर अपनी पोज़िशन सेट करके धीरे धीरे चूत में लण्ड को हिलाने लगा।
थोड़ी देर में मुझे मज़ा आने लगा।
जब उसका पूरा लण्ड मेरी चूत के अंदर जाकर किसी चीज़ को छूता तो बहुत मज़ा आता।
मुझे याद है जब मैंने कहा- आह उम्म … भइया … चोदो …
तो उसने एक थप्पड़ मेरे मुंह पर मारा और बोला- साली चुदक्कड़ कुतिया … पूरा लण्ड अंदर लेकर चुदवा रही है फिर भी भइया बोल रही है?
मैं एक बार सहम गई मगर उसके बोले शब्द मुझे और मदहोश कर गए।
मैंने फिर से कहा- भैया क्या बात है … एक ही दिन में मैं स्वीट बहन से चुदक्कड़ कुतिया हो गयी?
वो मुझे प्यार से बोला- नहीं, तुम तो जान हो मेरी!
ये बोलकर वो अपनी स्पीड बढ़ाते हुए चोदने लगा।
फिर उसने मुझे कुतिया के स्टाइल में करके पीछे से मेरे चूतड़ खोलकर पूरा लण्ड एक झटके में मेरी चूत की गहराई तक डाल दिया।
मैं हल्के दर्द और मज़े से सिसकार उठी।
वो बार बार ऐसे कर रहा था। एक झटके से लण्ड अन्दर डालता और फिर बाहर निकालता।
ऐसा करने से मुझे दर्द भी हो रहा था तो मैंने कहा- भैया क्यूँ दर्द दे रहे हो?
तो उसने एक बार फिर से लण्ड निकाला और मेरी चूत में तेल डालकर फचाक की आवाज़ से फिर लण्ड डाल दिया।
मेरी चूत में तेल होने से चिकनाहट बढ़ गयी थी जिससे मुझे और मज़ा आने लगा।
अनिल बहुत तेज़ मुझे चोदने लगा- आह भैया … चोदो … ज़ोर से उम्म … ओह… कितना मज़ा आ रहा है … ज़ोर ज़ोर से चोदो अपनी बहन को!
मैं मज़े में कुछ भी बोल रही थी और वो मेरे दोनों चूतड़ों पर थप्पड़ मार मारकर मुझे चोद रहा था।
मुझे लगा अब मैं ज्यादा देर रुक नहीं सकूँगी तो मैंने उससे कहा- भैया आप ऊपर आओ, मैं थक गई।
उसने मुझे लिटा कर मेरी टाँगें उठाईं और लण्ड मेरी चूत में डालकर तेज तेज़ तेज चोदने लगा।
मैं सिसकारते हुए चुदने लगी- आह … आह … भैया … चोदो … अपनी बहन को … बहुत मज़ा आ रहा है चुदवाने में … मुझे पता होता कि इतना मज़ा आता है तो मैं कब की चुदवा चुकी होती, मेरी सारी सहेलियां जैसे चुदवाती हैं।
वो भी अनाप शनाप बोलते हुए मुझे चोद रहा था।
भाई मेरे निप्पल्स को दांत से काट कर बोला- बहुत गर्मी है कुतिया तेरे में … अब तेरी चूत को चोद चोद हर रोज तेरी गर्मी निकालूंगा।
इतना बोलकर वो और तेज़ चोदने लगा।
मैं शब्दों में बता नहीं सकती। जब उसका लण्ड मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था तो मेरी चूत की दीवारों पर जो रगड़ लगती उसमें इतना मज़ा था कि कोई भी लडक़ी पागल हो उठे … और लण्ड का आगे का हिस्सा चूत के अंदर जाकर किसी चीज़ से बार बार टकराना उफ्फ!
मैं ये सब बर्दाश्त नहीं कर पायी और मेरी चूत ने पानी का फव्वारा छोड़ दिया।
मैंने कसकर अनिल को पकड़ कर अपनी टाँगें उसकी कमर में लपेट रखी थीं।
जब मेरी चूत अपना पानी छोड़ रही थी तो मैंने उसको और कसकर पकड़ लिया जिससे लण्ड और गहराई में चला गया।
तभी मैंने महसूस किया कि अनिल का लण्ड मेरी चूत में फूल रहा है और उसका गर्म गर्म रस मेरी चूत को भर रहा है।
मेरी चूत ने अनिल के लण्ड की सारी गर्मी अंदर निचोड़ ली।
वो कुछ देर मेरे ऊपर लेटा रहा। तभी उसका लण्ड सिकुड़ कर अपने आप बाहर निकल गया।
हम दोनों हांफते हुए लेट गए। कितनी ही देर तक मैं आंखें नहीं खोल पाई।
मेरा मन था कि मैं ऐसे ही सो जाऊं मगर थोड़ी देर में अनिल मेरे बालों में हाथ फिराने लगा और मेरे गालों पर चूमते हुए बोला- कैसी है मेरी जान … आज कैसा लगा जान को पहला प्यार?
मैं उम्म … उम्म … करते हुए उसकी बांहों में समा गई।
कुछ देर बाद मुझे अपनी टांगों में ठंडा ठंडा लगने लगा।
मैं उठी तो देखा मेरी चूत से हम दोनों का कामरस और मेरी चूत का खून बह रहा था।
पूरा तकिया और बिस्तर की चादर गंदी हो चुकी थी।
मैंने अनिल को उठाकर चादर और तकिया धोने के लिए डाला और नंगी ही बाथरूम में चली गयी।
मेरे चलने से चूत में मीठा मीठा दर्द हो रहा था।
मैं बाथरूम करने के लिए बैठी तो अनिल भी आ गया। हम दोनों ने गर्म पानी से शॉवर लिया और बाहर आकर कपड़े पहने।
तब तक रात के 8:30 हो चुके थे।
हमने बाहर घूमने का प्लान बनाया और रात का खाना भी बाहर खाकर 11 बजे घर आये।
मैं बहुत थक चुकी थी तो मैंने अनिल को सोने के लिए मनाया।
हम दोनों सारी रात पूरे नंगे एक दूसरे की बांहों में सोए रहे।
सुबह 9 बजे मेरी आँख खुली तो अनिल बेड पर नहीं था।
मैंने उठकर देखा तो वो किचन में नंगा ही नाश्ता बना रहा था।
उसका लण्ड जांघों के बीच में लटक रहा था। मुझे देखकर वो मेरे से लिपट गया और मेरे होंठों पर किस करके मुझे मॉर्निंग विश किया।
उसके लण्ड में इतने से ही हरकत शुरू हो गयी।
मैंने लण्ड को हाथ में पकड़ कर कहा- जनाब अभी नहीं, पहले मैं शॉवर ले लूं।
फिर मैं और अनिल साथ में नहाने लगे।
मेरी चूत में अभी भी थोड़ा दर्द था। मुझे लग नहीं रहा था कि मैं अब अनिल से चुदवा पाऊंगी, तो मैंने अनिल को ये बात बताई।
वो बेशर्मी से मेरे चूतड़ खोल कर मेरी गाण्ड में थोड़ी सी उंगली डालकर एक हाथ से अपना लण्ड पकड़ कर बोला- कोई बात नहीं, तब तक तुम्हारा ये गुलाबी छेद है, तब तक मेरा ये लंड इसकी सेवा करेगा।
मैंने ऊपरी मन से कहा- नहीं, मैं इस मोटे कालू को इसमें नहीं जाने दूंगी.
क्योंकि मैं अनिल को किसी बात के लिए मना नहीं करना चाहती थी।
वो बोला- इस कालू से पूछकर देखो, अगर ये हां बोले तो ठीक, नहीं तो नहीं।
मैंने सोचा कि इसने क्या बोलना है।
मैंने नीचे बैठ कर उसके लण्ड को पूछा- जनाब को मेरी गाण्ड के छेद में जाना है?
तो अनिल ने लण्ड को ऊपर से नीचे पता नहीं कैसे झटका लगवाया, मेरी हंसी छूट गयी।
फिर मैंने लण्ड को हाथ में पकड़ कर कहा- ठीक है, जैसी मेरे इन कालूजी की मर्जी!
उसको मैंने अपने मुँह में भर लिया।
बहुत देर तक मैंने उसके लण्ड औऱ उसकी बॉल्स को चूसा।
वो बस कर उठा और मेरे मुंह से लण्ड खींच कर मेरे बाल पकड़ कर मुझे खड़ी करके मेरे बूब्स, लिप्स और मेरी गर्दन पर चूमने लगा।
फिर मेरे मुँह को एक हाथ से ऐसे पकड़ा जैसे गुस्से से पकड़ते हैं और बोला- तू क्या है मेरी?
मैंने कहा- बहन!
उसने मेरे मुंह पर एक थप्पड़ मारा।
फिर बोला- सही बता।
मैंने कहा- जान हूँ।
उसने फिर मेरे बूब्स पर थप्पड़ मारा।
वो बोला- सही बता।
मैंने कहा- पता नहीं!
तो फिर वो मेरे दोनों चूतड़ों पर दोनों हाथ से थप्पड़ मार कर बोला- तू मेरी चुदक्कड़ कुतिया है, समझी रंडी? ये याद रखना।
ये बोलकर वो मेरे गाल पर और बूब्स पर जहां उसने मुझे मारा था चाटने लगा।
वो बोला- चल रंडी … अब कुतिया की तरह अपनी गाण्ड पूरी खोलकर हिलाते हुए बेडरूम में आ।
मेरी चूत एकदम गीली हो चुकी थी।
मैं डॉगी स्टाइल में होकर धीरे धीरे चल कर बेडरूम में पहुंची तो अनिल मुझे ऐसे देखकर बोला- कितनी सुंदर गाण्ड है तेरी … और कितनी चुदक्कड़ लग रही है तू … एकदम रण्डी जैसी!
वो मेरे पीछे बैठ कर मेरे चूतड़ चाटने लगा। फिर गाण्ड के छेद को और चूत को एकसाथ ऊपर से नीचे, नीचे से ऊपर जीभ से कुरेदने लगा।
मैं पागल हो उठी।
उसने मेरी गाण्ड पर बहुत सा थूक फेंक कर लण्ड गाण्ड पर लगाया और अंदर धकेलने लगा मगर वो अंदर नहीं जा रहा था।
तो उसने मेरी बहती हुई चूत के पानी से लण्ड को चिकना किया और मेरे चूतड़ खोलकर धीरे धीरे सारा लण्ड गाण्ड में डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा।
मुझे हल्का दर्द हुआ और बहुत अजीब सा लग रहा था।
मगर उसके मजे के लिए मैं बर्दाश्त करती रही।
तभी अचानक उसने फचाक की आवाज से लण्ड बाहर निकाल लिया और मुझे बिस्तर के कोने पर लिटा कर मेरी टाँगें मोड़ कर पूरी खोल लीं और खुद नीचे बैठ कर मेरी चूत चाटने लगा।
फिर अपने लण्ड और मेरी गाण्ड में बहुत सा तेल लगा कर खुद लेट गया और मुझे बोला- लण्ड को गाण्ड पर सेट करके ऊपर बैठो।
मैंने ऐसा ही किया.
उफ्फ … गाण्ड और लण्ड बहुत चिकना होने से लण्ड सरसराता हुआ अंदर घुस गया।
उसने मेरी कमर पकड़ कर नीचे से अपनी कमर हिलाकर लण्ड को मेरी गाण्ड में सेट किया और अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगा।
मैं ऊपर से उसके लण्ड पर उछल रही थी और उसकी दो उंगलियां मेरी चूत में अंदर बाहर हो रही थीं।
चुदाई के नशे से मैं झूम रही थी और चिल्ला रही थी- चोद … बहनचोद … अपनी कुतिया को चोद।
थोड़ी देर पंजाबी लड़की की चुदाई के बाद उसने मेरी गाण्ड भी अपने पानी से भर दी। फिर उसने मुझे लिटा कर मेरी चूत को जीभ से और अपनी उंगलियों से चोदकर मेरा पानी निकाला।
गांड चुदाई के बाद हमने यूं ही नंगे नाश्ता किया।
नाश्ते के टाइम मैं उसकी गोद में थी और मेरी गाण्ड से अभी भी उसका पानी बह रहा था।
मैं सोच रही थी कि कैसे दो दिन में ही मेरी चूत और गाण्ड चुद गयी है, और मैं नंगी अपने भाई की गोद में उसके लण्ड पर बैठी हूं।
नाश्ता करके मैंने मम्मी पापा को फ़ोन किया तो उन्होंने बताया कि वो शाम तक आ जायेंगे।
दोपहर में फिर से हमने ज़बरदस्त चुदाई की।
मेरी चूत से दो तीन बार पानी निकला और हम फिर थककर सो गये।
शाम चार बजे मेरे फ़ोन की रिंग बजी।
मैंने देखा तो रिया का कॉल आ रहा था।
वो शाम को मेरे घर आने वाली थी।
मैंने अनिल को इसके बारे में कुछ नहीं बताया और मैं उठकर तैयार होने लगी।
अनिल अभी भी सो रहा था।
दोस्तो, पंजाबी लड़की की चुदाई कहानी में अभी इतना ही!
आगे की कहानी भी जल्द लिखूंगी।
मुझे उम्मीद है कि आप मेरी सच्ची कहानी का मज़ा ले रहे होंगे।