कमसिन उम्र में अनाड़ी लंड से चूत चुदाई

इम्मैच्योर टीन सेक्स कहानी में मेरी पहली बार चुदाई की कहानी है. कोचिंग में मेरा एक दोस्त बन गया था. एक बार मैं घर में अकेली थी तो उसे बुला लिया.

मेरी ये रियल इम्मैच्योर टीन सेक्स कहानी 4 साल पुरानी है.

मेरा नाम सदफ है. मेरा कद 5 फुट, हल्का जिस्म, छोटे छोटे चुचे और चूतड़ भी छोटे आकार के ही थे.

मैं स्कूल की पढ़ाई में कमजोर थी तो कोचिंग में भी पढ़ती थी. मेरे साथ मेरा दोस्त निहाल भी वहीं पढ़ता था.
हम लोग हम उम्र थे और हमारी दोस्ती भी पक्की थी.

धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गयी लेकिन हम दोनों कभी ठीक से नहीं मिल पाते थे.
उसको देखना, उसको निहारना मुझे बहुत अच्छा लगता था. उससे बातें करना मेरे दिल को अन्दर तक मस्त कर देता था.

वह बहुत ही आकर्षक लड़का था, कसा हुआ शरीर मुझे ऐसा लगता था कि बस उससे लिपट जाऊं.
हमारा एक दूसरे को देखने का सिलसिला यूँ ही चलता रहा.

एक बार मेरी मम्मी को इलाज के लिए दिल्ली जाना पड़ा. उस वक्त घर में सिर्फ मैं ही अकेली रह गई थी.
यही मौका था, जब मैं और निहाल एक साथ कुछ वक़्त गुज़ार पाते.

मैंने निहाल को फ़ोन कर के अपने घर आने को बोला.
रात के लगभग 11 बज रहे थे.

निहाल ने चुपके से आकर मुझे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया.

पहली बार मैंने किसी पुरुष के आलिंगन को महसूस किया था.
उसका लंड मेरे चूतड़ों की दरार में चुभ रहा था.

वो मेरी गर्दन पर चूम रहा था.
मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था.

मेरी आंखें बंद हो चुकी थीं.
मुझे मेरी ब्रा कसी सी महसूस होने लगी. चूत गीली हो रही थी. मैं कुछ नहीं बोल रही थी.

तभी अचानक से उसने अपने हाथ नीचे से मेरी टी-शर्ट के अन्दर डाला और मेरे पेट को सहलाने लगा.
उसका छूना मुझे अच्छा लग रहा था.

धीरे धीरे वह अपने हाथ ऊपर की ओर सरकाता हुआ मेरे चुचों पर ले आया और ब्रा के ऊपर से मेरे चुचों को मसलने लगा.
मैं तो जैसे हवा में तैर रही थी.

उसने मेरे हाथ मेरी ब्रा के अन्दर डालना चाहा, लेकिन मेरे चुचे फूल गए थे और ब्रा बहुत टाइट हो गयी थी.

निहाल ने भी देर न करते हुए मेरी ब्रा का हुक खोल दिया.

हालांकि उसे ब्रा के हुक खोलने में काफी दिक्कत हुई. शायद वह पहली बार ब्रा का हुक खोल रहा था.

ब्रा का हुक खुलते ही जैसे मेरे चुचों को आज़ादी मिल गयी थी.

अब मेरे दोनों चुचे निहाल के हाथों में थे.
निहाल मेरे चुचे ऐसे मसल रहा था जैसे उसे कोई जन्नत मिल गयी हो.

मेरे चुचों को मसलते हुए उसने बहुत जोर से मेरे निप्पल भी मसल दिए.
मुझे थोड़ा दर्द हुआ, मुँह से आह निकल गयी.

अब निहाल अपनी टी-शर्ट और बनियान निकाल कर नंगा हो चुका था.

उसने मेरी भी टी-शर्ट और ब्रा को निकाल दिया, मैं कोई विरोध भी नहीं कर पाई.

अब हम दोनों का ऊपर का शरीर बिल्कुल नंगा था.
मैं शर्म के मारे निहाल की बांहों में सिमट गयी. उसने भी मेरे नंगे बदन को बांहों में भर लिया.

पहली बार मेरा नंगा बदन किसी मर्द के बांहों में था.

उसने मेरा चेहरा उठाते हुआ कहा- सदफ क्या हुआ?
मैंने अपना सर झुका लिया.

उसने एक बार फिर मेरे चेहरे को उठाया और पूछा- सदफ, अच्छा लग रहा है?
मैंने बिना कुछ कहे हां में सर हिलाया और निहाल से चिपक गयी.

उसने एक बार फिर मेरे चेहरे को ऊपर उठाया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
वह मेरे होंठों को चूमने और चूसने लगा.

मुझे किस करना भी नहीं आता था. मैं बस उसका साथ दे रही थी.

अब उसका लंड मेरी चूत को छेड़ रहा था.
वह लगातार अपने लंड को मेरी चूत पर मसल रहा था.

निहाल मेरी पीठ पर अपना हाथ फेरते हुए अपना एक हाथ मेरे लोअर और फिर पैंटी के अन्दर ले गया.
अब वह मेरे चूतड़ों को मसलने लगा.

चूतड़ों की दरार में आगे बढ़ते हुए निहाल मेरी चूत को छूना चाह रहा था.
लेकिन उसका हाथ मेरी चूत तक नहीं पहुंच पा रहा था.

फिर पैंटी के अन्दर ही वह अपना हाथ घुमा कर पीछे से आगे ले आया और उसने कामयाबी हासिल कर ली.
वह मेरी चूत तक पहुंच ही गया था.

जैसे ही उसकी उंगली मेरी चूत की दरार में दाखिल हुई, मुझे एक झटका सा लगा; मेरे बदन में बिजली सी दौड़ गयी.

मेरी चूत बहुत गीली थी.
वह मेरे कान में बोला- छेद कहां है?

मैंने कुछ न कहते हुए अपना पैर थोड़ा सा फैला दिया ताकि वह आराम से सही जगह पहुंच सके और उसके कान में कहा- लो, ढूँढ लो.

अब वह मेरे चुचों को चूस रहा था और उसका हाथ मेरी चूत से खेल रहा था.
वह अभी भी छेद तक नहीं पहुंच पाया था.

अचानक से उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
उसका लंड अभी लोअर में ही कैद था.

लेकिन लोअर के ऊपर से ही मुझे उसके लंड से डर लग रहा था.

कुछ देर बाद उसने अपना लंड निकाल कर मेरे सामने लहरा दिया.

उसका लंड देखकर मेरा हलक ही सूख गया; मैं आंखें फाड़ कर उसके लंड को देख रही थी.

मेरा हाथ पकड़ कर उसने अपने लंड पर रखा.
उसका लंड लोहे की तरह सख्त और गर्म था, मैं डर के मारे सहम गयी.

लंड देखकर मैं डर गयी थी कि इतना मोटा लंड मेरी कमसिन चूत में कैसे जाएगा.
लेकिन मैं चुदाई के सुख को अनुभव भी करना चाह रही थी.

निहाल की उंगलियां मेरी चूत को सहला रही थीं. मेरी चूत भट्टी की तरह धधक रही थी.
वह जाने अनजाने में मेरी चूत के दाने को मसल रहा था और मैं पागल हुई जा रही थी.

निहाल अपनी उंगली को चूत में घुसाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह सही जगह नहीं पहुंच पा रहा था.

एकदम अचानक से उसकी उंगली मेरी चूत में सरक गयी और मेरे मुँह से आह की आवाज़ निकल गई.
निहाल ऐसे खुश हो गया, मानो उसने कोई किला फ़तह कर लिया हो.

मेरी पैंटी उतार कर निहाल मेरे पैरों के बीच में आ गया और मेरे ऊपर झुक कर मेरे अनछुए चुचों से खेलने लगा.
फिर वह मुझे किस करने के लिए ऊपर बढ़ा और उसी वजह से उसका लंड मेरी चूत से टकराने लगा था.

वह मुझे किस कर रहा था और मेरा पूरा ध्यान नीचे चूत और लंड पर था.
वह अपने लंड से मेरे चूत पर दबाव बना रहा था.

लेकिन चूत इतनी गीली थी कि उसका लंड इधर उधर फिसला जा रहा था.

मैंने अपने पैरों को थोड़ा सा और फैला दिया ताकि निहाल को चूत में लंड घुसेड़ने में दिक्कत न हो.

काफी देर की कोशिश के बाद उसने मुझसे कहा- तुम सहयोग करो न!

अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने उसके लंड को पकड़ कर चूत के छेद पर सैट कर दिया.
उसका लंड छेद पर अटक गया था.

निहाल ने दबाव बढ़ाया तो जैसे ही उसका लंड मेरी चूत में घुसना शुरू किया तो मेरी दर्द के मारे चीख निकलने लगी.

किस करते हुए ही निहाल ने अपने मुँह में मेरे मुँह को दबा लिया; मेरी चीखें बाहर निकलना बंद हो गईं.

अभी तो शायद उसके लंड का टोपा ही अन्दर गया था.
इतने में निहाल ने एक झटका मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत में समा गया.
शायद मेरी सील टूट गयी थी और मैं दर्द से छटपटा गयी.

निहाल ने एक झटका और मारने की कोशिश की लेकिन मैंने उसके लंड को पकड़ लिया था जिससे उसका लंड अन्दर नहीं जा सका.

निहाल का बदन अकड़ने लगा था.
मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी.

निहाल उसी हालत में दो और झटके मारे और निढाल होकर मेरे ऊपर गिर गया.

वह झड़ चुका था.
यह मुझे तब पता चला जब उसका रस मेरी चूत में से बहने लगा.

उसका लंड थोड़ा शांत हुआ तो मेरी जान में जान आई.
मेरी चूत में आग सी निकल रही थी और जलन भी हो रही थी.

वह मेरे ऊपर ही लेटा रहा.
हम दोनों ने एक दूसरे की पहली चुदाई की बधाई दी.

जबकि हम यह नहीं जानते थे कि चुदाई अधूरी रह गयी है.
फ़िलहाल जो भी था वह हमारी पहली चुदाई थी.

निहाल बहुत खुश था और मुझे किस कर रहा था. कभी मेरे चुचों को चूसता, तो कभी मेरे होंठों को चूसता.

दस मिनट बाद ही उसका लंड फिर से सख्त होने लगा.
जब उसका लंड फिर से मेरी चूत से टकराया तो मुझे इस बात का पता चला.

मैंने कहा- निहाल, फिर से करना है?
वो बोला- हां.

इतना कहते ही उसने अपना लंड मेरे हाथों में थमा दिया ताकि मैं उसे सही जगह लगा सकूं.

मैं भी तुरंत उसका लंड चूत के छेद पर टिका कर बोली- फिर से ले लो मेरी जान … ये चूत तो तुम्हारी ही है.

उसके बाद क्या होने वाला था, उससे हम दोनों अनजान थे.

निहाल के लंड का रस अभी तक मेरी चूत से निकल ही रहा था और मेरी चूत इतनी चिकनी हो चुकी थी कि अब मेरी फटने वाली थी.

मैं ये सोच कर अनजान थी, खुश थी कि जो अभी कुछ देर पहले हुआ था, वही दुबारा होगा.

निहाल का लंड भी पूरा चिकना हो चुका था, एक जरा से धक्के से ही उसका आधा लंड मेरी चूत में समां गया.
मैं फिर से दर्द से छटपटाने लगी और जलन फिर से शुरू हो गयी.

मुझे लग रहा था निहाल 2-4 धक्के और मारेगा और उसका लंड और वह दोनों शांत हो जाएंगे.
यही सोच कर मैं थोड़ा निश्चिंत भी थी, इसलिए उसके धक्के को रोकने की कोशिश नहीं की.

अब जैसे ही निहाल ने अगला धक्का मारा, उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा चुका था.

निहाल का मुँह मेरे मुँह में था तो आवाज़ मुँह के अन्दर ही रह गयी.
उसने अपने दोनों हाथ मेरे गले में डाल रखे थे, तो मैं ऊपर की तरफ भी नहीं हट पा रही थी.
मेरे आंसू बह रहे थे.

निहाल ने अपने लंड को मेरी चूत में थोड़ा हिलाया और वो अपने धक्के मारने में व्यस्त हो गया.

उसके 10-12 धक्कों के बाद मुझे दर्द में थोड़ा राहत मिलने लगी और थोड़ा अच्छा भी लगने लगा.
लेकिन 15-20 धक्कों के बाद उसका बदन अकड़ने लगा और वह फिर से झड़ गया और मेरी चूत को फिर से अपने लंड के रस से भर दिया.

वह मेरे ऊपर फिर से एक बार निढाल हो गया और मेरे ऊपर ही लेट गया.
उसका लंड ढीला होकर धीरे धीरे मेरी चूत से बाहर आ गया.

मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था.
सहेलियों से चुदाई के जिस मज़े के बारे में सुना था, मैंने वैसा तो कुछ महसूस नहीं किया.
इम्मैच्योर टीन सेक्स में मुझे मिला सिर्फ दर्द और सिर्फ दर्द.

उसने मुझसे कहा- सदफ मजा आया?
मैंने सच कह दिया- नहीं.

वो बोला- क्यों तुम्हारा नहीं हुआ था क्या?
मैंने कहा- मुझे कुछ अहसास नहीं हुआ कि मजा किसे कहते हैं, मुझे सिर्फ दर्द हुआ है.

उसने कहा- क्या मैं फिर से करूं?
मैंने कहा- नहीं अब मैं और दर्द नहीं झेल सकती हूँ और सुबह भी होने वाली है.

तब रात के 3 बज चुके थे और मेरे कहने पर निहाल अपने घर चला गया.
बाद में जब मेरी सही से चुदाई हुई तब क्या हुआ, वो मैं आपको अपनी अगली सेक्स कहानी में लिखूंगी.

आपको मेरी पहली इम्मैच्योर टीन सेक्स कहानी में मजा आया होगा, मुझे कमेंट करके बताएं.

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