देसी GF पोर्न स्टोरी में मेरी क्लास की एक देसी लड़की से दोस्ती हो गयी. मैं भी देसी लड़का हूँ तो हमारी सेटिंग हो गयी. हम दोनों बहुत करीब आते गए और एक दिन …
दोस्तो, मैं साहिल इस साइट का नियमित पाठक तो नहीं हूँ, पर मैंने कुछ कहानियां पढ़ी हैं.
जिससे मुझे मेरी देसी GF पोर्न स्टोरी आप सबके सामने पेश करने की हिम्मत प्राप्त हुई है.
यह घटना तब की है जब मैं एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए गया था.
तब मैं 5.8 फुट का साधारण सा दिखने वाला गांव का देहाती लड़का था.
मैं वहां जाकर किराए के एक कमरे में रहने लगा था.
अब तक मेरे सिर्फ 3 दोस्त ही बन पाए थे.
अभी मुझे कुछ ही दिन हुए थे और एक दिन क्लास में मुझे मेम ने सबके सामने बहुत छीला, मतलब मुझे डांट दिया.
क्योंकि मुझे अंग्रेजी ज्यादा समझ नहीं आती थी और मेम अपनी पढ़ाई का बारह टका अंग्रेजी में ही बोलती थीं.
जब मुझे छीला जा रहा था, तब क्लास के सभी छात्र हंस रहे थे.
मगर मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि क्लासमेट्स साले ऐसे ही होते हैं.
उसी समय मेरी नजर एक लड़की पर गयी.
उसका नाम प्राची था.
वो साढ़े पांच फुट लंबी लौंडिया थी और वो भी एक गांव से ही आने वाली एक साधारण सी लड़की थी.
उसकी आंखें बहुत नशीली थीं.
क्लास में सिर्फ वही एक लड़की थी, जो हंस नहीं रही थी.
लेक्चर खत्म होते ही जब हम सब अगले लेक्चर के लिए दूसरी क्लास जाने लगे, तभी मैं जल्दी से उसके पास आ गया.
मैंने उसके करीब जाकर कहा- तुमको कुछ हुआ है क्या?
वो बोली- नहीं.
बस बात ख़त्म हो गई.
उसने मेरी बात को समझ लिया था कि मैं क्या कहना चाहता था.
अगले दिन शुक्रवार को मैं फिर उसके पास जाकर बोला- कल तुमको क्या हुआ था?
वो- तुम अच्छे से नहीं बोल सकते क्या?
मैं- खाना खाकर तो आयी है ना तू?
उसने मुझे देखा और हल्की सी मुस्कराहट के साथ चली गयी.
अगले दिन अजीब हुआ.
उधर 5-6 लड़कियां खड़ी थीं.
मैं वहां से जा रहा था और अचानक आवाज़ आयी- ए जरा सुनो!
मैंने रुकते हुए पलट कर देखा और कहा– हां कहो?
प्राची- खाना खाकर आए हो?
मैं- हां.
वो- क्या खाकर आए हो?
मैं- आलू बैगन की सब्जी, बासी रोटी और अचार.
सब लड़कियां बहुत जोर से हंसी.
प्राची की शक्ल देखने लायक थी कि मैंने खुल कर अपनी सच्चाई बता दी थी.
मैं उधर से चला गया.
कुछ देर बाद जब मैं अकेले दरवाजे पर टिक कर खड़ा था.
तब प्राची आयी और बोली- बासी रोटी कहना जरूरी था?
मैं- तुमने ना पूछा होता, तो मैं वहां रुकता ही नहीं. फिर मैंने तो सिर्फ तुमको बताया था कि मैंने क्या खाया है … बाकियों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है, चाहे हंसती रहें या रोती रहें.
मेरी बात सुनकर उसे समझ आ गया कि मैं उसके बारे में क्या सोचता हूँ.
वो- सच में?
मैं- तुमने मुझे कभी किसी के पास खड़े भी देखा है?
मेरी इस बात पर वो मेरी हाथ मिलाने के उद्देश्य से हाथ बढ़ाती हुई- आज से हम दोनों फ्रेंड्स हुए!
मैं- सच्चे वाले!
‘हां सच्चे और पक्के वाले.’
मैं- तो चल अब नम्बर दे दे.
उसने नम्बर देने की जगह मुझसे मोबाईल मांगा, मैंने दे दिया.
उसने अपना नंबर डायल करके एक घंटी दे दी.
उसके बाद मुझे मोबाईल वापस दे दिया.
मैंने नंबर सेव करके कॉल कर लिया.
उसने हंस कर कहा- अभी से चुल होने लगी क्या?
मैंने हंस कर आँख दबा दी.
उसने भी नंबर सेव कर लिया.
उस दिन हम दोनों में ज्यादा बात नहीं हुई … बस इतना तय हो गया था कि वो मेरी ओर आकर्षित हो गई थी.
इसके बाद धीरे धीरे हम दोनों बहुत करीब आते गए और बहुत बातें करने लगे.
हम दोनों को एक दूसरे की सारी बातें पता हो गईं और एक दूसरे की फैमिली के बारे में भी सब कुछ पता हो गया.
अब ये भी हो गया था कि हम दोनों एक साथ में कॉलेज आने जाने लगे और एक दूसरे के रूम भी जाने लगे.
मगर अभी तक न तो मैं उसके कमरे में गया था और ना ही वो मेरे कमरे में आई थी.
ऐसे ही 3 महीने बीत गए.
जब दशहरे पर हमारे एग्जाम शुरू होने वाले थे, तब की बात है.
उस दिन सुबह के 6 बजे थे, तभी उसकी कॉल आयी.
मैं- हां बोल, क्या बात है?
वो- आज तुम खाना मत बनाना … मेरे कमरे पर आ जाओ.
मैं- ना बाबा … तेरी दीदी डाँटेगी!
वो- अरे यार, दीदी गांव गयी हैं. वो हफ्ते भर बाद आएंगी.
मैं- अरे वाह … तब तो मजा आ जाएगा … चल आठ बजे तक आता हूँ.
आठ बजे मैंने उसके रूम के बाहर जाकर दरवाज़ा खटखटाया.
उसने दरवाजा खोला तो मैं उसे देखता ही रह गया.
आज पहली बार मैंने उसे बिना किसी फ़ैन्सी ड्रेस के देखा था.
वो एक सफेद ढीली सी टी-शर्ट और नीले रंग के चुस्त लोवर में थी.
वह बोली- अब अन्दर आएगा या यहीं खड़ा रहेगा?
मैं- तूने दीदी के कपड़े पहने हैं ना?
वो- अरे वाह … बड़ी तेज निगाहें हैं तेरी. चल तू बैठ, मैं पहले खाना बनाना खत्म कर लेती हूँ, फिर नहा कर खाकर चलते हैं.
वो इतना कह कर किचन में चली गई.
मैं कुछ बोल ही ना पाया.
फिर वो नहाने घुस गई और करीब बीस मिनट बाद वो ड्रेस पहन कर ही आयी.
मगर इस ड्रैस में भी वो आग लगा देने जैसी लग रही थी.
उसके तने हुए दूध मेरे लंड में बहुत आग लगा रहे थे और मेरे मन में उसको लेकर बड़े ही सेक्सी ख्याल आने लगे थे.
मैं बस किसी तरह खुद को रोके हुए था और बस बार बार उसको ही देख रहा था.
वो मेरी नजरों को शायद समझ चुकी थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी.
उसकी आँखों में छाई शरारत मुझे समझ आने लगी थी.
हम दोनों कॉलेज के लिए निकल आए.
ऐसे ही बातें करते हुए हम दोनों कॉलेज तो पहुँच गए.
पर मेरे मन में सिर्फ वही चल रहा था कि ये बिना कपड़ों के कैसी दिखती होगी!
आज पूरे लेक्चर में मैं सिर्फ उसे ही देखे जा रहा था.
वो जब भी मुझे देखती, मैं उसको ही देखते हुए दिखता और वो भौंहे ऊपर करके इशारे से पूछती ‘क्या है?’
मैं सिर हिला देता- कुछ नहीं.
अब वक्त था उन्हीं खड़ूस मेम के लेक्चर का, हम सब उनकी क्लास लेने जा रहे थे.
तभी प्राची ने मुझे बुलाया- इधर आ!
उसका यूं बुलाना मुझे बहुत अच्छा लगा कि वो मेरे जैसे बोल रही थी.
मैं करीब गया तो वो बोली- क्या हुआ है तुझे? बार बार क्यों देख रहा था?
मैं- सच कहूँ या झूठ?
इस पर उसने मुझे देखा, पर कुछ बोली नहीं.
शायद अब वो भी समझ गयी थी कि मेरे अन्दर क्या चल रहा है.
मैं बोला- आज मन नहीं कर रहा है पढ़ने का, मैं घर जा रहा हूँ.
वो- चल मैं भी चलती हूँ.
हम दोनों कमरे पर चले आए.
उसके रूम के पास आकर मैंने कहा- तू जा, मैं अपने कमरे के लिए निकलता हूँ.
वो- अरे यार शाम को चले जाना. अभी यहीं रह दोनों साथ में कुछ पढ़ें लेंगे.
मैं- मेरा दिमाग आज काबू में नहीं है, कुछ गलत कर बैठूँगा.
फिर मैंने मन ही मन सोचा कि मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था.
वो मेरी बात सुनकर चुप रही और मैं चला आया.
शायद मेरे इस रवैये से वो समझ गई होगी कि मैं क्या सोच रहा हूँ.
यही सोच कर मैंने उसको कॉल भी नहीं किया.
उस दिन पहली बार था, जब मैं बिना पॉर्न देखे, सिर्फ उसे सोच सोच कर अपना हिला कर खाली कर लिया.
मुझे तब भी … और आज भी नहीं पता कि उस दिन उसने मेरे बारे में क्या सोचा होगा.
फिर दूसरे दिन सुबह उसकी कॉल आयी- चल रहा है ना?
मैं- हां यार, चल रहा हूँ.
ऐसे ही दो दिन तक मैंने उससे बहुत कम बात करके बिता दिए.
आज हमारा एग्जाम का पहला दिन था.
घर जाते वक्त वो बोली- दो एग्जाम और बचे हैं, आज साथ में पढ़ते हैं.
मैं- ठीक है.
उसके रूम पर पहुँचते ही मेरी सांसें तेज होने लगी थीं.
मैंने गौर किया तो उसकी भी सांसें तेज थीं.
फिर हम दोनों पढ़ते वक्त किताब और रफ पर कम, एक दूसरे को ज्यादा देख रहे थे.
मैं धीरे से उसकी हथेली को छूता और किताब देखने लगता.
एक बार गलती से मैंने उसकी जांघों के बीच में छू दिया, तब उसने नाक से लम्बी सांस ली और मुँह से छोड़ी.
मुझे समझ आया कि वो मेरे बारे में कुछ तो सोच ही रही है.
मुझसे रहा नहीं गया. मैंने उसके होंठों को चूम लिया और तुरंत बोला- सॉरी!
वो एक बार को तो सकपका गई मगर फिर बोली- नहीं, इसमें सॉरी की कोई बात नहीं है.
बस ये कह कर उसने मेरे होंठ चूम लिए.
मैंने बिना देरी किए उसे अपनी बाँहों में खींच लिया और उसकी टी-शर्ट उतार दी.
अन्दर उसने एक सैंडो बनियान पहनी हुई थी … वो सैंडो में कमाल की दिख रही थी.
उसके दोनों आम उसकी सैंडो में से निकलने को आतुर दिख रहे थे.
मैं एक पल भी नहीं रुका और सीधे सैंडो के ऊपर से ही उसके मम्मों को हाथ से दबाने लगा.
वो सिसकारियाँ लेने लगी- आह … उफ!
जैसे ही मेरी नजर उसके अंडरआर्म्स पर गयी, तो लंड ने फुँफकार मार दी.
एकदम क्लीन बगलें देख कर लंड कुलाँचें भरने लगा.
मैं मन ही मन सोचने लगा कि साली खुद ही चुदने को मचल रही है … जब बगलें क्लीन हैं तो बुर भी सफाचट ही होगी.
इधर मैंने 2 महीने से अपनी बगलों के और लंड के बाल नहीं काटे थे.
मैं उतना करके ही एकदम से ही रुक गया, मेरा मन कुछ सोचने लगा था.
वो एक और किस करने के बाद बोली- क्या हम सिर्फ इतना ही करने वाले हैं?
मैंने आंख बंद करते हुए कहा- मैंने अपने नीचे के बाल नहीं काटे हैं.
वो- अच्छा इसलिए रुक गया है?
ये कह कर वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी.
मैं- रुक जा ना … हम कल अच्छे से करेंगे!
वो- नहीं … अभी और आज ही करेंगे.
मैंने बैग उठाया और बाहर भाग लिया.
जब तक वो टी-शर्ट पहन कर बाहर आयी, मैं जूते पहन रहा था.
वो धीरे से बोली- कल अच्छे से रेडी रहना. मैं इंतजार करूंगी.
मैं- हां, तू भी!
यह कह कर मैंने उसे एक बार चूमा और बाहर निकल गया.
मैंने रास्ते में ही जिलेट का ट्विन वाला ब्लेड लिया और रूम में सबसे पहले नंगा हुआ और लंड को साफ किया.
उसके बाद मैंने प्राची को याद करके मुठ मारी और रात किसी तरह से निकाली.
सुबह मैंने फिर से लंड की सेव की और एकदम चिकना होकर रेडी हो गया.
कॉलेज जाकर एग्जाम देने के बाद हम दोनों उसके रूम पर आ गए.
कमरे के अन्दर पहुँचते ही हम दोनों ने किस करते हुए बैग वहीं गिरा दिए.
अब बिना देरी के वो बोली- अपने कपड़े खुद से उतारो और मैं भी अपने उतार देती हूँ.
मैं झट से चड्डी में आ गया.
मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था.
वो सैंडो और काली पैंटी में थी.
हम दोनों बिस्तर पर बैठ गए.
वो बोली- अब बोल?
मैंने बिना देर किए उसकी सैंडो और पैंटी उतार दी.
आज पहली बार उसको नंगी देखते हुए लगा कि मैं तो इसको ताउम्र ऐसे देख सकता हूँ.
मुझे अब भी याद है … ना वो गोरी थी, ना ही काली. उसके बूब्स छोटे ही थे, पर मस्त थे. वो भी शेव किए हुए थी और मैं भी.
मैं- पहले कभी किया है?
वो- नहीं.
तब मुझे पता चला कि मेरा ही नहीं उसका भी पहली बार ही है.
वह बिस्तर पर लेट गयी और मैंने उसके अंडरआर्म्स से लेकर उसकी चूत तक उसे चूम चूम कर गीला कर डाला.
वो सिसकी लेते हुए हंस और उछल रही थी.
वह बोली- आह गुदगुदी हो रही है … ऊह ह.
वो मेरा लंड बिना मुँह में लिए ही हिलाए जा रही थी.
मैंने बहुत सी पॉर्न फिल्म देखी हुई थीं.
तब मैंने तख्त से नीचे आकर उसको किनारे तक खींचा, उसकी टांगें फैलाकर उसकी चूत को चाटते चाटते उसमें थूक दिया.
फिर अपने लंड में थूक लगाकर सुपारे को उसकी चूत में फंसाया और अचानक से धक्का लगा दिया.
मेरे लंड का सुपारा अन्दर घुस गया और वो चिल्ला उठी ‘ऊई मम्मी रे मार गई … नहीं … आह … उफ … रुक रुक.’
मैं रुका रहा.
अचानक से मैंने एक और झटका दे दिया.
मेरा आधा लंड उसकी चूत में सरक गया.
वो फिर से चीख उठी ‘आह मर गयी बस कर … हाय … आह आह …’
मैं फिर से कुछ देर तक रुका रहा.
फिर एक जोरदार झटका और लंड पूरा अन्दर हो गया.
उसने अपने ही हाथों से अपना मुँह दाब लिया था.
करीब 2 मिनट वैसे ही रुके रहने के बाद उसने मुँह से हाथ हटाया.
मैं धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करने लगा.
वो लगातार सिसकियां ले रही थी, रो रही थी और बीच बीच में चीख भी रही थी.
मैंने ध्यान से देखा तो मुझे मेरे लंड पर खून दिख रहा था … पर मैंने उसे नहीं बताया.
शायद उसकी सील टूटने से बुर से खून निकल रहा था, मुझे एक पल को तो लगा कि इसकी बुर पर रहम करना चाहिए … पर मैं रुका नहीं, पेलता चला गया.
वो दर्द से चीख रही थी- उई मर गई ऊह आह माँ … मेरी चूत फट गयी … बस कर हरामी!
उसके मुंह से मेरे लिए गालियां निकल रही थीं मगर मैं अपने झटके और तेज करता चल गया.
वो ऐसे ही रोती रही.
फिर तकरीबन 3-4 मिनट तक धक्के लगाने के बाद मैं झड़ने वाला हो गया था.
मैंने सोच लिया कि लंड बाहर निकाल लेना चाहिए.
बस यही सोच कर मैंने झटके से लंड बाहर किया तो खून के छींटे मेरी जांघों और पेट पर आ गए थे.
मैं उसके पेट पर झड़ गया, वीर्य बहकर बिस्तर पर आ गया.
वो शिथिल सी हो गयी थी.
मैंने बिना कुछ बोले उसे ऊपर को खींच कर बिस्तर में अच्छे से लिटाया और चुपचाप उसके बगल में लेट गया.
आधा घंटा बाद वो मेरी तरफ घूमी और उसने मेरे होंठों पर चूमा.
फिर वो बिना कुछ बोले ही मेरी छाती में अपना सिर और एक हाथ रख कर लेट गई.
उसने अपना एक पैर भी मेरे ही पैरों के ऊपर रख दिया.
हम दोनों ऐसे ही सो गए.
करीब 3 घंटे बाद शाम 7 बजे मैं उठा तो मेरा लंड फिर से तना हुआ था और लंड में हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था.
मैंने उसे देखा, तो वो जागी हुई थी.
मैं- दर्द है तुमको?
वो- हां.
ये सोचकर मुझे बुरा लग रहा था कि मैं अगर रुक जाता तो उसे इतना दर्द न होता.
मैं- चल नहा लेते हैं. फिर मुझे जाना भी है.
वो मुझसे चिपकती हुई बोली- आज यहीं रुक जा ना!
मैंने कहा- तो रात में फिर से दर्द हुआ … तो मुझे दोष ना देना!
वो हंस दी.
फिर कुछ देर बाद हम दोनों साथ में ही नहाए.
उससे अच्छे से चला भी नहीं जा पा रहा था.
उसके बाद हम दोनों ने साथ मिलकर खाना भी बनाया, खाया और साथ ही सो गए.
रात को मेरा मन फिर से हुआ, पर वो मेरे सीने से चिपक कर ऐसे सो रही थी कि उसे देखकर मैंने इरादा बदल लिया.
सुबह हम दोनों उठे और खा-पी कर एग्जाम देने चले गए.
इसके बाद हम दोनों ने मेन एग्जाम तक सेक्स के बारे में बात भी नहीं की.
पहले सेम के लास्ट दिन फिर से हमने ये सब किया और देसी GF के रूम पर चुदाई की.
इस बार हम दोनों बेहतर थे.
बुर चुदाई का मजा हम दोनों ने ही लिया.
बस यही हमारी सच्ची देसी GF पोर्न स्टोरी थी, जो मैंने आप सभी के सामने रखी. आपको कैसी लगी … प्लीज मेल करके बताएं.