कमसिन कुंवारी लड़की की बुर का मजा

छोटी लड़की की पहली चुदाई का मौका मुझे मिला. उसकी माँ मेरे घर काम करती थी. मैंने उसकी ताजी अनछुई बुर में लंड डाल कर कैसे मजा लिया?

प्रिय पाठको, मैं विभोर देव आपकी सेवा में कुंवारी चूत की चुदाई की कहानी का अगला भाग लेकर पुन: हाजिर हूँ.
कहानी के दूसरे भाग
कमसिन कुंवारी लड़की की गर्म जवानी
में अब तक आपने पढ़ा था कि 19 साल की गुनगुन मुझसे चुदने के लिए सजधज कर आई थी और मैं उसके साथ फ़ोरप्ले का मजा लेने लगा था.

अब आगे छोटी लड़की की पहली चुदाई:

मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपना लंड थमा दिया, लेकिन उसने उसे झट से छोड़ दिया.
तो मैंने फिर से उसे लंड पकड़ा दिया और उसकी मुट्ठी दबा दी.

इस बार वो लंड पकड़े रही और धीरे धीरे दबाती भी रही.

इधर मैंने उसका कुर्ता उतारना शुरू किया पहले तो उसने विरोध किया, पर फिर उसने हाथ उठा दिए और कुर्ता बदन से निकल जाने दिया.
कुर्ते के नीचे गुनगुन ने वो पतली सी बनियान या समीज पहन रखी थी.

अब उसके अधनंगे बूब्स मेरे सामने थे.
उसने झट से अपनी कोहनियों से दूध ढक लिए, पर मैंने उसके हाथ हटा कर उसके दोनों गेंदें दबोच लीं.

उसके मम्मों को समीज की ऊपर से ही खूब मसलने दबाने के बाद मैंने उसकी समीज भी उतार दी.

गुलाबी रंग की साधारण सी ब्रा में उसका सौन्दर्य और भी खिल कर दिख रहा था, पतली कमर के ऊपर गहरी नाभि बेहद सेक्सी दिख रही थी.

मैंने उसको हल्का सा धक्का देकर पलंग पर लिटा दिया और खुद भी उसके झुक कर उसकी नाभि में जीभ घुसा कर चाटने लगा.

उसके बदन में सिहरन सी हुई और उसने तुरंत करवट ले ली.

“उफ्फ्फ उईई …. ऐसे मत करो साबजी, करेंट सा लगा दिया आपने तो!” वो बोली और छुईमुई सी होकर उसने अपने बदन को समेट लिया.

लेकिन मैंने उसे सीधा किया और उसके ऊपर लेट कर उसके मम्मे पकड़ कर गाल काटने लगा.

“नहीं साब, ऐसे जोर से गाल मत काटो, दांत के निशान पड़ जाएंगे.” वो घबरा कर बोली.

तो मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ.

मैं उसके गालों को चूमने लगा, होंठों का रसपान करने लगा.

गुनगुन को भी गर्मी चढ़ने लगी थी और वो भी अब सहयोग करने लगी थी.

कुछ देर यूं ही खेलने के बाद मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींच कर खोल दिया.
गुनगुन ने दिखावे के लिए विरोध जरूर किया पर उसने अपनी कमर उठा दी और सलवार निकल जाने दी.

गुलाबी रंग की प्रिंटेड पैंटी गुनगुन की गोरी गुलाबी जांघों पर बहुत अच्छी लग रही थी.
जांघों के बीच उसकी चूत का गुदगुदे टापू जैसा वो उभार बेहद लुभावना दिख रहा था.

उसकी चूत के दोनों बाहरी भगोष्ठों के बीच की गहरी रेखा कैमल टो जैसी साफ साफ नज़र आ रही थी.

उसका जिस्म आराम से देखने के लिए मैं सामने पड़ी कुर्सी पर जा बैठा और उसके हुस्न का आनन्द लेते हुए उसका चक्षु चोदन कर ही रहा था कि अचानक उसने मुझे यूं उसको देखते हुए देखा तो उसका मुँह शर्म से लाल पड़ गया.
उसने अपना मुखड़ा अपनी हथेलियों में छिपा लिया.

“साबजी ऐसे मत देखो, मोहे लाज लगत है.” वो अपने देसी लहजे में बोली और फिर करवट लेकर मुँह उस तरफ कर लिया.

अब गुनगुन की पीठ और उसके गोल गोल जैसे सांचे में ढले नितम्बों का वो मनमोहक जोड़ा मेरे सामने था.
उसकी पीठ पर कसी हुई ब्रा के स्ट्रेप्स और कूल्हों पर सजी पैंटी का वो मनोरम दृश्य देख कर मेरी कनपटियां गर्म हो उठीं और मेरे हाथ जैसे उसके बदन को मसलने मीड़ने के लिए मचलने लगे.

लंड तो पहले ही अपना विशाल रूप धर चुका था. गुनगुन को शायद मेरी नज़रें उसके बदन पर चुभती हुई सी लगीं होंगी, सो उसने भी अपना जिस्म समेट लिया और उसके घुटने उसकी छाती से जा लगे.
उसका सिर उसकी कोहनियों में छिप गया.

इस तरह छुईमुई बन जाने से उसकी पैंटी का निचला सिरा गायब सा होकर नितम्बों के बीच खो सा गया था.

मैंने मन ही मन कल्पना की कि शायद पैंटी का बाकी निचला भाग उसकी चूत की दरार में फंस कर विलीन सा हो गया होगा.

गुनगुन का वैसा मादक रूप देख मेरी आंखें अच्छे से सिक चुकी थीं. बस अब तो उसे दबोचने का मन करने लगा था.

मैं भी अपने कपड़े उतार पूर्ण नग्न होकर उसके बगल में जा लेटा और उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसकी नंगी पीठ सहलाते हुए चूमने लगा.
फिर हाथ आगे ले जाकर उसके दोनों नंगे मम्मे अपनी मुट्ठियों में भर लिए.

उफ्फ … कितना सुखद स्पर्श था उसके भरे भरे कठोर स्तनों का; मुझे लगा कि आज तक मैंने कभी इतनी आनन्ददायक स्पर्श वाली चीज कभी छुई या पकड़ी ही नहीं थी.
उधर गुनगुन का जिस्म हल्के से कांपा और उसके मुख से आनन्ददायक हूं आह जैसी ध्वनि निकली.

मैंने उसकी ब्रा उतार कर वहीं रख दी और उसे अपनी तरफ करवट दिला ली, उसके पुष्ट स्तनों की झलक मुझे मिली.

इसके पहले कि मैं उसके नग्न स्तन अच्छे से निहार पाता, गुनगुन ने अपनी हथेली से मेरी आंखें ढक दीं.

“इन्हें मत देखो साब जी, मुझे शर्म लगती है.” गुनगुन मुझसे चिपट अपने उरोज मेरी नंगी छाती में छुपाती हुई बोल पड़ी.

“अरे यार, देखने तो दे तेरे दूध कैसे लगते हैं.” ये कह कर मैंने उसके कंधे पकड़ कर उसे चित कर दिया.

अब गुनगुन के मम्मों का वो प्यारा सा नग्न जोड़ा मेरे सामने था.
बिना किसी सहारे के तने हुए उरोज, उसके चूचुकों को एक अंगुल की परिधि में बने सांवले से सर्किल ने घेर रखा था.

मैं उसके एक चूचुक को अपनी चुटकी में दबा कर उन्हें आहिस्ता आहिस्ता ऐसे मसलने लगा, जैसे दीपक जलाने के लिए रुई को उमेठते हुए बत्ती बनाते हैं … ठीक वैसे ही.

मेरी ऐसी छेड़छाड़ से वो विचलित सी हुई और उसने अपना एक पैर मेरी कमर पर रख कर मुझे अपने से दबा सा लिया.

फिर मैंने बरबस ही अपने होंठ गुनगुन के बाएं स्तन की घुंडी पर जमा दिए और उसे चुसकने लगा; साथ ही दाएं दूध को अपने बाएं हाथ से दबाने लगा.

कुछ ही देर में गुनगुन के चूचुक उत्तेजना से फूल कर अंगूर जैसे बड़े और कड़क हो गए.
मैं उन्हें चूसने लगा.

फिर थोड़ा ऊपर सरक कर उसका निचला होंठ चूसना शुरू कर दिया.

गुनगुन को भी अब इस फोरप्ले में आनन्द आने लगा था, सो उसने भी मेरे होंठ चूसने का जवाब अपने होंठों से देना शुरू कर दिया.
फिर कब हमारी जीभें आपस में लड़ने भिड़ने लगीं और एक दूजे के मुँह में समा कर रसपान करने लगीं, कुछ पता ही न चला.

नीचे की तरफ मेरा लंड गुनगुन की पैंटी से लड़ता भिड़ता हुआ सा अपना बिल खोजने में लगा था.
अट्ठारह उन्नीस की कुंवारी लड़की के बदन से रगड़ कर लंड मानो बौरा गया था.

खासतौर पर उसकी कांख से जो नेचुरल मादक गंध उठती है, उसका मुकाबला संसार का कोई भी परफ्यूम या डियो कर ही नहीं सकता.
इनके आलिंगन से जो काम विभोर कर देने वाला स्वर्गिक सुख प्राप्त होता है, उसे कहने बताने के लिए मेरे पास कोई शब्द हैं ही नहीं.

अब इन मदमाती छोरियों को अपने नंगे जिस्मों पर हम पुरुषों का आलिंगन कैसा फील होता होगा, जब हमारे नग्न जिस्म आलिंगन में बंधते होंगे.
उनके नग्न उरोज हमारी छाती से दब कर कुचले जाते होंगे, तो उन्हें कैसा लगता होगा … यह तो वही जानें; पर मैं तो जैसे किसी आनन्दलोक में जा पहुंचा था.

वो मादक अहसास जैसे इस धरती का था ही नहीं.
न जाने कितनी देर मैं यूं ही उस नशे में खोया सा उससे लिपटा रहा.

उसने मेरी पीठ पर चिकोटी काटी.
वो धीरे से मेरे कान में खनकती हुई आवाज में बोली- सो गए क्या साब जी?

मैं जैसे होश में आ गया और फिर से उसकी गर्दन पर, कान के नीचे चूमने चाटने लगा.
ऐसे उसके संवेदनशील कामांगों को प्यार करने से गुनगुन एकदम से गनगना गई और मुझसे लिपटने लगी.

मैं उसकी चिकनी जांघों को सहलाते हुए उठ कर बैठ गया और उसके पांवों की उंगलियां अपने मुँह में भर कर चूमने चूसने काटने लगा.
उसके तलवों को चाटने लगा.

फिर ऊपर की तरफ उसकी पिंडलियां चूमते हुए मेरे होंठ उसकी चिकनी गुलाबी जांघों तक जा पहुंचे.
चूत को बिना छेड़े लड़की की जांघें चूमने चाटने काटने का अलग ही आनन्द आता है.

उसके जिस्म में गुदगुदी उठी, तो वो खिलखिलाकर जोर से हंस पड़ी.
उसकी खिलखिलाहट से ऐसा लगा जैसे कहीं चांदी की घंटियां बज उठी हों.

“अब ये सब मत करो साब जी. मेरी सजा जल्दी से पूरी कर दो; नहीं सहा जाता अब. मम्मी राशन लेकर आने वाली ही होंगी.”
गुनगुन बड़ी बेताबी से बोली और उसने मेरे गले में अपने पैरों की कैंची बना कर मुझे अपनी ओर दबा कर छाती से चिपका लिया.

अपनी बांहें मेरी पीठ पर ताकत से लॉक कर दीं और कमर उठा उठा कर चोदने का संकेत करने लगी.
आखिर वो भी कब तक सब्र करती, अपनी रिसती खुजलाती चूत पर कब तक कंट्रोल करती?

मैंने शरारत से कहा- चल ठीक है, अब तू एक बार मेरे लंड को अच्छे से चाट कर गीला कर दे, फिर तेरी सजा देता हूं.

उसने मुझे गुस्से से देखा, पर अपनी परिस्थिति को समझते हुए अनिच्छा से लंड का सुपारा चाटने लगी.
फिर उसने पूरा लंड मुँह में भर लिया और अपनी लार से अच्छे से गीला करके कई बार अपने मुँह में भीतर बाहर किया और लंड निकाल कर अलग हट गयी.

“लो, कुछ और करवाना हो तो वो भी बोल दो.” वो रुष्ट स्वर में उलाहना देती हुई सी बोली.

“बस, बहुत बढ़िया.” मैंने कहा और उसे चूम लिया.

फिर देर न करते हुए मैं उठा और गुनगुन की चड्डी उतारने लगा.
मुझसे ज्यादा चुल्ल उसे थी, तो उसने भी झट से अपनी कमर उठा दी.

गुनगुन की पावरोटी के जैसी फूली गुदगुदी गुलाबी चूत को देख कर मेरा मन प्रसन्न हो गया.
उसकी चूत के बाहरी होंठों का रंग उसकी जांघों की तरह ही एकदम गुलाबी रंगत लिए हुए था.

चूत के ऊपर एकदम छोटी छोटी सी ऊबड़ खाबड़ सी कुतरी हुई काली काली झांटें थीं, लगता था उसने आज ही जल्दबाजी में कैंची से अपनी झांटें काटी थीं.

मैंने मुग्ध भाव से उसकी चूत चूम ली और झांटें चाटने लगा.
वो आंह आह कर उठी.

फिर मैंने उसकी चूत के बाहरी होंठों पर अपने दोनों अंगूठे रखे और वो दोनों कपाट खोल दिए.

कुंवारी चूत का भीतरी सौन्दर्य गुलाबी नाव के आकार में सजा हुआ था.
चूत की कोमल सी नासिका, उसके ऊपरी छोर पर स्थित मदनमणि … फिर नीचे की तरफ वो छोटा सा छिद्र … आह … योनि की ये संरचना अभी अपनी ताजगी का अहसास दे रही थी.

मैंने अनायास ही उसकी खुली हुई चूत में अपनी जीभ लगा दी और क्लिट चाटने लगा.

मेरी जीभ उसके क्लाइटोरिस से स्पर्श करते ही, जैसे उसका पूरा तन झनझना गया और उसने अत्यधित उत्तेजित होकर अपनी चूत जोर से उछाल कर मेरे मुँह पर दे मारी.
मेरे सिर के बाल अपनी मुट्ठियों में जोर से पकड़ लिए.

मैंने भी अपना आक्रमण जारी रखा और उसके दोनों स्तन दबोच कर चूत को चाटने लगा.
मेरी जीभ उसकी चूत के खांचे में ऊपर से नीचे, नीचे से ऊपर होती … चूत से रिसते नमकीन रस का पान करने लगी.

“आह आह साब जी … अब रहा नहीं जा रहा … जल्दी से सजा दे दो मुझे.” गुनगुन सिसियाती हुई बोली.
मैंने देखा कि उस टाइम उसकी आंखें ऐसी चढ़ी हुई सी थीं, जैसे उसने कोई गहरा नशा कर लिया था.

मौके की नजाकत को समझते हुए मैंने भी देर न करने का फैसला किया और और पास की टेबल से बालों में लगाने वाला तेल लेकर अपने सुपारे पर खूब अच्छे से चुपड़ लिया.
बाकी लंड को मैंने यूं ही सूखा रहने दिया क्योंकि जब सुपाड़ा चूत में घुस जाएगा तो बाकी का लंड भी घुसेगा ही.

ट्रेन का इंजन सुरंग में प्रवेश कर जाए तो बाकी की ट्रेन भी सुरंग में चली ही जाएगी.

फिर मैंने उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया और उस पर अपनी लुंगी तह करके बिछा दी ताकि उसकी बुर मंथन से जो भी निकले, वो लुंगी में समा जाए.
तब मैंने उसके पैर मोड़ कर उसे पकड़ा दिए जिससे उसकी चूत अच्छे से सही लेवल पर हो गयी.

इसके बाद मैं अपनी बीच वाली उंगली तेल में डुबो कर उसकी चूत के छेद को लुब्रिकेट करने लगा.
मेरी उंगली करीब आधा इंच ही चूत में घुस पा रही थी, उसके आगे कहीं अटक रही थी.

मैं समझ गया कि छोरी की चूत रियल में सील पैक थी.
मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत को कुरेदना छेड़ना जारी रखा.

थोड़ी ही देर में मुझे लगा कि अब मेरी उंगली कुछ आसानी से एक अंगुल तक आ जा रही है.
तब मुझे लगा कि इसकी सील तोड़ने का यही सही टाइम है.

“साब जी मुझे बहुत डर लग रहा है.” गुनगुन अपने पांव हवा में उठाये हुए बोली.

ऐसे में उसके पावों में पहनी हुयी पायलें बहुत ही सुन्दर लग रही थीं और पीछे खिसक कर पिंडलियों में जा फंसी थीं.

“अरे तू डर मत, कुछ नहीं होगा तुझे … जो करना है, वो मुझे ही तो करना है. तू तो बस ऐसे ही आराम से लेटी रहना; पहली बार तुझे थोड़ी चींटी सी काटेगी … बस फिर हमेशा के लिए मज़ा ही मज़ा.”
मैंने उसके सिर पर हाथ फेर कर उसे पुचकाराते हुए कहा.

“साबजी, अब चींटीं काटे या बिच्छू … झेलना तो मुझे ही है; आप तो बस कर ही दो अब!” वो बेहद कामुक स्वर में अपनी कमर को जुम्बिश देती हुई बोली.

मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और लंड को उसकी चूत के खांचे में ऊपर से नीचे नीचे से ऊपर सात आठ बार रगड़ा और चूत के छेद पर अच्छे से जमा दिया.

फिर मैंने झुक कर उसकी टांगों के नीचे से हाथ ले जाकर उसकी कलाइयां पकड़ लीं.
अब वो हिल-डुल नहीं सकती थी.

उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थीं.

फिर मैंने सांस भर कर पूरे दम से तेल में सने चिकने सुपारे को उसकी चूत के भीतर धकेल दिया.
एक ही वार में मेरा समूचा लंड उसकी कुंवारी चूत में पूरा जड़ तक समा गया.

छोटी लड़की की पहली चुदाई में मेरा हमेशा से यही स्टाइल रहा है.
धीरे धीरे लंड घुसाने से लड़की को ज्यादा तकलीफ होती है, जो दर्द होना है. वो एक ही बार में हो जाए तो अच्छा ही है.

फिर मर्दानगी का भी यही तकाजा है कि पहले आक्रमण में ही विजयश्री मिलनी चाहिए.

“हईईईई मम्मी मर गयीईईई …” गुनगुन के मुँह से दर्द भरी पुकार सी निकली और उसने मुझे परे धकेलने का जोर लगा दिया.
पर वो कमसिन लौंडिया मेरी ग्रिप से निकल न सकी और छटपटा कर रह गयी.

पर लड़की बहादुर निकली.
वो इसके बाद बिल्कुल भी चीखी चिल्लाई नहीं और लंड को झेल गयी.

हालांकि उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े और उसके मुख पर तीव्र वेदना के भाव स्पष्ट दिख रहे थे.

मैं उसकी चूत में लंड घुसाए एकदम शांत लेटा हुआ उसके नार्मल होने का इंतज़ार करने लगा.

कुछ मिनटों के बाद गुनगुन ने खुद पर जैसे काबू पा लिया और उसकी सांसें वापिस सामान्य सी हो गयीं.

मैंने उठ कर लंड को धीरे से चूत में से बाहर खींचा, तो देखा कि लंड उसकी चूत की सील तोड़ कर शगुन के खून से लथपथ नहाया हुआ इतरा रहा था.

मैंने लंड को वापिस बहुत आहिस्ता से उसकी चूत में वापिस पहना दिया.

गुनगुन के मुँह से फिर से एक दर्दभरी कराह सी निकल गई.

अगले कुछ मिनटों तक मैं निश्चेष्ट उसके ऊपर लेटा रहा.
नीचे की तरफ मुझे लग रहा था कि जैसे किसी ने पूरी ताकत से लंड को मुट्ठी में पकड़ रखा था.

वो पल मेरे लिए बड़ी जिम्मेवारी से भरे थे.

दोस्तो, सीलपैक चूत में लंड घुस चुका था और अब उसे चोदने का काम शुरू होना था.

अगले भाग में आपको लंड की कारीगरी का अहसास होगा कि किस तरह से वो चूत को अपना गुलाम बना लेता है.
आपको यह छोटी लड़की की पहली चुदाई कैसी लगी? मुझे मेल लिखना न भूलें.

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