मेरी यौन अनुभूतियों की कामुक दास्तान- 6

बुर फाड़ चुदाई की कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी एक रिश्तेदार कुंवारी लड़की की चूत फाड़ दी अपने कुंवारे लंड से! हम दोनों सेक्स में अनाड़ी थे उस समय!

दोस्तो, सेक्स कहानी के इस भाग में आपको दो युवाओं की पहली चुदाई का मजा लिख रहा हूँ.
बुर फाड़ चुदाई की कहानी के पिछले भाग
पहली बार कुंवारी चूत में लंड घुसाया
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैंने मीना की चुत में लंड पेल दिया था. जिस वजह से मेरी और मीना दोनों की ही चीख निकल पड़ी थी.

अब आगे बुर फाड़ चुदाई की कहानी:

मीना- उई मांआआ आह मर गईई … मार डाला आशु तूने … आंह निकाल बाहर … नहीं करना मुझे … आंह निकाल जल्दी से.

उसकी चीखों के साथ ही उसकी बंद आंखों से अश्रु की धारा फूट पड़ी.
वो लंड निकालने की बार बार मिन्नत करने लगी- आंह निकाल ले आशु … मेरा दम घुट रहा है … तूने काट दिया मेरा जिस्म … निकाल ले आशु प्लीज़ … मैं जिन्दा नहीं बचूंगी … आंह!

तभी मुझे उसकी चूत से कुछ बहता हुआ सा लगा.
मैंने अपना हाथ नीचे जाकर टटोला और हाथ को देखा तो मेरे हाथ में मुझे कुछ खून सा लगा दिखाई दिया.
ये लिसलिसा सा लाल रंग कर पदार्थ मीना की चूत के रस में मिला हुआ था.

उस समय मुझे बस एक ही चीज समझ में आई कि मेरा पूरा लंड चूत के अन्दर था.

इन सबमें कुछ सेकेंड निकल गए, तब तक मीना भी थोड़ा चुप सी हो गई थी.
पर मेरा लंड रॉक सॉलिड उसकी संकरी सी चूत में फंसा हुआ था.

मैंने उसको थोड़ा बाहर निकाला और फिर से अन्दर डाला.

‘उइ मां … आहाह्ह …’

फिर ऐसा ही मैंने कई बार किया.
तो मीना की दर्द भरी आवाज मादक सिसकारियों में बदल सी गई- आह … ओह्ह्ह आऊहह … ओह्ह माय गॉड आह हां हां हां आ हां ओह्ह हां ये ये ये ओह्ह आअह उफ्फ अच्छा लग रहा है … उ उफ्फ्फ आराम से आशु … अब अच्छा लग रहा है!

मैं फिर कहता हूँ सेक्स या सम्भोग चुदाई की प्रक्रिया किसी से सीखनी नहीं पड़ती है. ये प्राकृतिक रूप से हर जीव में होती है. जब इंसान चुदाई को करता है, तो सब कुछ प्राकृतिक रूप से हो जाता है.

मीना की सिसकारियां अब भी आ रही थीं मगर अब उन आवाजों में कामुकता थी- इस्स्स आहहहह ऊऊऊहह उम्म्म्म … प्लीज थोड़ा आराम से आअहह उउम्म्म्म मां आईईईइ मार दिया तुमने …

वो बोलती रही- प्लीज़ और ज़ोर से … तुम आज अपनी सारी हद पार कर जाओ, आज यहां पर हमारे अलावा कोई नहीं है, तुम मुझमें समा जाओ आईईईई आआह.

मैंने थोड़ा झुक कर उसकी चूचियों को मसला और एक को मुँह में भरकर जोर से चूसने लगा.

मीना को डबल मजा मिलने लगा था- उम्म्म … हम्म्म … अअअइइ इइइइ … उम्म्म्म … और चूसो … आह जोर से करो!

अब कुछ दूसरे किस्म की आवाज़ें भी निकलनी शुरू हो गई थीं.
‘फ़च … फ़च … फ़च … फ़च … सटासट सटासट …’

इन आवाजों के साथ मेरा लंड तेज़ी से चूत में समा रहा था.
चिकनाई भी भरपूर थी.

मीना की मीठी कराहें और मेरे मुख से निकलती ‘हम्म हम्म …’ की आवाज एक कामुक और नई दुनिया का अहसास करा रही थी.
मीठी आवाज़ें सिसकारियों के साथ निकल रही थीं.

मीना मेरे हर धक्के पर अपना सर कभी दाएं कभी बाएं करती और अपने एक हाथ से मेरी कमर को पकड़े हुए थी.
उसका दूसरा साथ चादर को पकड़े हुए था.

मैंने उसकी उठी हुई टांगों को पकड़ लिया और लंड को चूत में पिस्टन की भांति चलाने लगा था. मेरा लंड सटासट चुत में आगे पीछे चल रहा था.

पूरा कमरा सिसकारियों से भर गया था.

मीना- हायय मांआ … आहाह्ह … आशु कितना अच्छा लग रहा है … आह पूरा अन्दर तक पेल न साले ..

उसकी गालियों से मेरे लंड में मानो जान आ गई और सट सट .. सट सट … सटासट … चूत में लंड अन्दर बाहर हो रहा था.

सेक्स की भाषा और कला किसी को सीखनी नहीं पड़ती है. हम दो अनाड़ी खुद ब खुद चुदाई सीख कर लय से लय मिला कर आगे बढ़ चले थे.

तभी मीना ने मुझे खींचा और मेरे होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए.

मेरा लंड चूत में पूरा अन्दर तक जाता … तो मीना की मीठी आह निकल जाती और उसके शरीर में एक ऐंठन सी आ जाती.
फिर जैसे ही बाहर आता, तो मीना की मादक आह निकल जाती.

पसीने से तरबतर दो नग्न जिस्म एक दूसरे में समां जाने को आतुर थे.

मैं भी अपने कंठ से कामुक आवाजें निकाल रहा था- आअह ओह्ह मीना आह … सच में मजा आ रहा है … तुमको कैसा लग रहा है.

मैं उसे आप से तुम कहने लगा था और उसे हचक कर चोदे जा रहा था.

मीना की चीख तो मेरे से भी तेज निकल रही थी- आह आशु सच में मेरी चुत की आग बुझ रही है … आह मुझे अफ़सोस है कि मैंने तुमसे पहले क्यों नहीं चुदवा लिया. आह रगड़ दो मेरी जान …. आह चोद दो मुझे … आह आशु बड़ा अच्छा लग रहा है … और तेज तेज करो … जल्दी जल्दी अन्दर बाहर करो आह … ओह्ह्ह आऊ … मैं मर गयी ईईईइ तू तो बहुत मस्त है रे … ओह्ह आह्ह …’

चूत के पानी से मेरा लंड चिकना होकर सटासट अन्दर बाहर हो रहा था. मेरे आंड उसके चूतड़ों से टकरा रहे थे.

चूत के पानी से लंड बिना किसी रुकावट के शंटिंग कर रहा था. इससे एक अजीब सी आवाज कमरे में हो रही थी.
‘फच फच फच फच …’

‘आह्हह्ह … आराम से आशु … तुम्हारा बहुत मोटा है … हह एई उफ्फ्फ उफ़ उफ्फ्फ उफ्फ्फ आह आह मर गई आई मां …’

मैं खुद हांफने लगा था. सारे बदन का खून जैसे लगा एक जगह इकठ्ठा हो रहा है. बस ऐसा लगने लगा कि जिस्म से जान निकल रही है.

मेरा लंड भी फूल सा गया था और दर्द भी कर रहा था.
मैं भरभरा कर मीना के ऊपर गिर पड़ा.

मेरे लंड का रस निकल कर निरोध में आने लगा था. मीना ने मुझको पैरों से और बांहों में जकड़ सा लिया था.

उसकी भरी पूरी चूचियों पर गिर कर मैं हांफने लगा. हम दोनों की सांसें अनियंत्रित थीं.
हम दोनों सांसों को संभालने में काफी समय लग गया.

फिर मैं उसके बगल में गिर गया.
दो जिस्म नग्न एक दूसरे से सटे हुए थे.

मेरा लंड मेरा सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था. मैंने निरोध हटाया और वहीं किनारे फैंक दिया.

काफी देर बाद मैंने मीना को चूम कर कहा- मीना मेरी जान हो गया.
मीना बोली- आशु, मेरी तो जान ही निकल गई थी. बीच बीच में ऐसा लगता था कि मेरे अन्दर से सब कुछ निकल गया है … पर सच में मुझे बहुत मज़ा आया.

ये कह कर मीना ने मुझे बांहों में भर कर चूम लिया.
मैं रह रह कर मीना की चूचियां सहला रहा था, उसके होंठों को चूस रहा था.

कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, पर अभी मेरे जिस्म में जान नहीं थी.

मेरी आंख लग गई.

लेकिन हम दोनों ने करीब आधी रात को एक बार … और बहुत सवेरे एक बार फिर से सम्भोग किया.

उस समय तो बस खेल लग रहा था, पर एक दो साल बाद जब परिपक्वता आई, तो समझ में आया कि जो मीना कह रही थी, उसका मतलब वो पहली बार में कम से कम 5-6 बार झड़ चुकी थी.

फिर ये भी पता चल गया था कि सेफ पीरियड कब होता है, कब बिना निरोध के चुदाई कर सकते हैं.

वो अनाड़ी वाली चुदाई का अनुभव आज भी हमारे दिलों में जिन्दा है.

इसके बाद हम वापस आ गए.

पर दोनों एक अन्य अनुभव के साथ आगे मिलने के लिए सहमत थे.

मीना को अब मेरे साथ अंजू मंजू से सेक्स करने में भी कोई परेशानी नहीं थी.
इसका फायदा उठाते हुए मैंने मीना के घर पर उसी की मदद से ही मंजू को भी चोदा.

इसके बाद मंजू खुश हुई तो उसी के घर पर उसकी बहन अंजू को भी चोदा.
दोनों मुझसे चुद चुकी थीं और दोनों को ही एक दूसरे के बारे में मालूम चल चुका था तो मैंने अगली बार अंजू और मंजू को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोदा.

ये सब मैं आपको आगे किसी दूसरी सेक्स कहानी में लिखूंगा कि वो थ्रीसम चुदाई कैसे हुई थी.

जैसे जैसे मैं चुदाई करता रहा था, वैसे वैसे मैं निरंकुश भी होता जा रहा था. मस्तराम की किताबों से और नग्न फोटो वाली किताबों को देख देख कर मैं उन सब आसनों को मीना मंजू और अंजू पर आजमा रहा था.

ये सब मैं सिलसिलेवार तरीके से आपको बताऊंगा.

आप लड़के बस अपना लंड सहलाते रहो और लड़कियां अपनी चूत में उंगली करती रहें.

इन सबमें पहले मैंने मीना को उसी के घर पर दूसरी बार चोदा था जो दोनों के लिए अप्रत्याशित था.

चुदाई मेरे ऊपर इतनी अधिक हावी हो गई थी कि मैं पढ़ाई करना ही भूल गया.
इसी के चलते मैं 12 वीं क्लास में फेल हो गया.

शायद अगर मैं उस रास्ते पर नहीं गया होता तो मैं कुछ और होता.

फिर किसी तरह मैं 12 वीं पास करके इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री लेकर नौकरी में आ गया.

मैं अपनी जिंदगी में उतना सफल नहीं रहा जितना मुझे होना चाहिए था. पर दिमाग था, महत्वाकांक्षा थी, चतुराई थी, बस पढ़ाई ठीक से नहीं की थी. इस बात का मैं आज अफ़सोस करता हूँ.

मेरे साथ एक ख़ास बात आज 50+ साल की उम्र में भी है कि मेरे पास लड़कियों का आना बंद नहीं हुआ है. आज भी मैं काफी महिलाओं, लड़कियों और भाभियों के साथ सम्भोग में लिप्त हूँ.

मेरी जीवन शैली की आपबीती काफी लम्बी है. मैं कोशिश करूंगा कि आप बोर न हों.

आज जब ये सब लिख रहा हूँ, तो मीना और मंजू इस दुनिया में नहीं हैं. मेरे मुंबई आने के बाद से मैं प्रयागराज से कट सा गया था. उन सबकी शादी के बाद मेरा कोई संपर्क भी नहीं रहा, पर उन तीनों की खबर मुझे मिलती रही.

मैंने देश विदेश की हर किस्म की लड़की चोदी है. वियतनाम की, फिलीपीन्स की, नेपाली, वाइट गर्ल हर तरह की लड़की को मैंने चोदा, पर मीना अंजू और मंजू जैसी कोई नहीं मिली.

वैसे बात करूं तो बंगाली लड़की चुदाई में सबसे ज्यादा अच्छी लगी क्योंकि उनकी स्किन में एक अलग नशा होता है.

बंगाली लड़की के बाद पंजाबी लड़की और फिर गुजराती माल को चोदना मेरी पसंद रहा है.

इस बीच मुझे मीता से प्यार हो गया था.

उस समय एक इण्टर कॉलेज कॉम्पिटीशन में मेरा गवर्नमेंट इण्टर कॉलेज और मीता का स्कूल क्रॉसवेथ को झाँसी जाना था.

मैं और मीता दोनों ही उसमें जा रहे थे. साथ में वीनम भी थी.
दोनों लड़कियां ही पढ़ाकू किस्म की थीं.

पर मेरी आंख मीता पर थी. मुझे हर हाल में उसको अपने प्यार के बारे में बताना था. पर वो जब सामने होती, तो मेरी बोलती बंद हो जाती, गांड फट जाती.
मैं कुछ बोल ही नहीं पाता. उस समय मीता मेरी हालत पर मुस्कुरा देती.
शायद वो मेरी हालत का मजा लेती थी.

वीनम मुझे हौसला देती, पर मैं कभी कह नहीं पाया. उस ट्रिप पर भी मौका था, समय था, एकांत भी था … पर मैं उससे कह ही नहीं पाया. मेरे दिल में उससे शादी की ख्वाहिश थी, जो पूरी नहीं हुई.

आज भी मैं उसको फेसबुक पर ढूंढता हूँ, पर वो कहीं नहीं मिली. वीनम से भी उसका कोई संपर्क नहीं था.

ये मेरा पहला और आखरी असफल प्रेम था.

उस उम्र में हर नौजवान और नवयुवती को विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण जरूर होता है. फिर 80 के दशक में तो प्यार का इजहार करने का एक ही तरीका था. वो लव लैटर या फिर उसकी सहेली के माध्यम से अपनी बात कहना. मान जाए, तो उसके साथ घूमना फिरना, किसी रेस्त्रां में जाना, मूवीज जाना. वो भी एक साथ होता, तो एक सपने जैसा होता था.

ज्यादातर स्कूल को-एजुकेशन के नहीं थे कोचिंग क्लास एक माध्यम था या फिर स्कूल की छुट्टी में कभी बात बन सकती थी.

एक शाम मीना ने बताया कि कल उसकी मम्मी एक दिन के लिए दो बहनों के साथ कुछ काम से अपने घर मिर्ज़ापुर जा रही हैं. मीना इसलिए नहीं जा सकती थी क्योंकि उसे घर, पापा और प्रिंटिंग प्रेस की देखभाल करनी थी.

मुझे समझ में ही नहीं आया कि ये चुदाई का मौका है, जबकि मीना समझ गई थी.
शायद इसे आप मेरी मासूमियत या बेवकूफी कह सकते हैं.

खैर, अगले दिन जब मैं मीना के घर गया तो वो नीचे प्रेस में थी. उसके पापा किसी काम से बाहर गए थे.

मीना बोली- तुम ऊपर चलो, मैं आती हूँ.

थोड़ी देर में मीना आई.
उसने मुझे बांहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी.
मैंने भी उसका साथ दिया.

मेरे हाथ खुद ब खुद उसकी चूची पर चले गए.

मीना मेरा हाथ पकड़ अपने कमरे में ले गई और खुद बाहर जाकर दरवाज़ा बंद कर आई.

वापस आते ही वो मेरी शर्ट उतारने लगी और मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूसने लगी.

उफ्फ … एक बार को तो मेरे जिस्म में करेंट्स सा दौड़ गया. साला लंड तो उछल सा गया.
मैंने भी उसका सर अपने निप्पल पर दबा दिया. साथ ही मेरे हाथ उसकी गांड को दबाने लगे.

मीना को मेरे से ज्यादा जल्दी थी. उसने मेरे कपड़े तेजी से उतारे और मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी. मैंने भी उसके कपड़े उतार दिए.

एक बात जो मैंने तुरंत समझी, वो ये थी कि मीना की चूत पर आज एक भी बाल नहीं था. बिल्कुल साफ़ चिकनी चूत थी चुत की पुत्तियां पहली चुदाई के बाद से आज थोड़ी सी फूली हुई थीं.

बाहर दिन का हल्का उजाला था इसलिए कमरे में पर्याप्त रोशनी थी; मैं उसके जिस्म को अच्छे से देख पा रहा था.

जहां मेरे जिस्म में बाल थे, वहीं मीना का बदन चिकना था. उन्नत चूचियां, चूचियों के बीचों बीच एक कत्थई रंग का बड़ा सा गोल सर्कल था जो कि अरोला कहलाता है. अरोला के बीच तने हुए निप्पल थे.

मीना की पतली कमर उसके सुडौल चूतड़ों पर मस्त लग रही थी. मीना की कजरारी आंखें और लाल सुर्ख होंठ मुझे वासना से भर रहे थे.

मंजू के मुकाबले मीना ज्यादा जवान थी, उसका बदन भरा हुआ था.

मैंने भी उसको पकड़ लिया और उसकी चूची में मुँह लगा दिया.
गर्म तो मैं था ही, वैसे भी चिकनी चूत देख कर लंड भी कुलांचें भर रहा था.

मैंने मीना को गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया. मैंने उसकी चूची में मुँह लगा कर चूसना चालू कर दिया.

‘आह्ह आशु अह्ह … उफ्फ धीरेरेए …’

मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत को सहलाने लगा था.

मीना भी दोतरफा हमला नहीं झेल पा रही थी. उसकी चूत बिल्कुल गीली थी.

मैंने चूची चूसने के साथ उसकी चिकनी चुत में फिंगर फ़क करना शुरू कर दिया.

‘आह्हह … ओह्ह आऊ … खा जा … आह्ह मैं मर गयी ईईई … आःह्ह्ह उफ्फ … तू तो बहुत मस्त है रे … आआ आआ अहहह … एम्म् … एम्म्म … और जोर से चूसो … याआआ …’

मैं भी किसी भूखे बच्चे की तरह उसकी चूचियां चूसने लगा.

दोस्तो, मुझे अपनी इस मस्त चुदाई की कहानी को बीच में रोकना खुद ही अच्छा नहीं लग रहा है. पर शब्दों की सीमा को भी ध्यान में रखना पड़ता है.

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