पारिवारिक चुदाई की कहानी-3

दोस्तो… मैं सिज़लिंग सोना कहानी के तीसरे भाग में अपनी गांड की चुदाई बता रही हूँ, आशा करती हूँ कि पिछले भागों की तरह आपको यह भाग भी काफी पसंद आएगा।
अब आगे:

अगले दिन सुबह दस बजे तक हम सब लोग नहा धोकर तैयार हो गए, फिर हमने होटल में नाश्ता किया और फिर हमने होटल से ही एक एक्स यू वी कार बुक कर ली… जो हमने वहाँ की ज्यादातर जगह घूमने के लिए बुक की थी।

कैब अपने सही समय पर हमें लेने पहुंच गई, हम उसमें नैनीताल घूमने निकल गए।
आलोक सबसे आगे बैठा हुआ था… अनिल, स्वाति, अन्नू और रोहित बीच वाली सीट पर बैठे थे… और मैं और रोहन सबसे पीछे बैठे हुए थे… बिल्कुल आमने सामने वाली सीट पर!

मैं रोहन से कल रोहित और मेरे साथ हुई घटना के बारे में बात करना चाहती थी… वैसे तो रोहित मुझसे बहुत मस्ताता था पर कल हुई घटना के बाद से रोहित ने मुझसे बात नहीं की थी।

शायद रोहित ग्लानि के कारण कुछ बोल नहीं पा रहा था और मैं भी उसे कुछ कहने में असमर्थ थी… यह तो हम दोनों ही जानते थे कि जो कुछ भी हुआ अनजाने में ही हुआ था।

रोहन और रोहित दोनों हम उम्र थे और वे मौसेरे भाई होने से ज्यादा अच्छे दोस्त थे… इसीलिए मैंने रोहन को इस बारे में बताना उचित समझा। मैंने रोहन को इशारे से अपनी तरफ बुलाया तो वो अपनी सीट से उठकर मेरे बगल में आकर बैठ गया और बोला- क्या बात है मम्मी?

मैंने उसे धीमी आवाज़ में बोलने का इशारा किया और फिर रोहन को कल उसके जाने के बाद हुई घटना के बारे में बताया…
यह सब सुनकर रोहन बोला- मम्मी… मैं रोहित को समझाऊँगा कि वो यह सब ज्यादा सिरियस ना ले… यह सब बस एक भूल थी।
मैंने रोहन से कहा- रोहन… कहीं वो यह न समझे कि मैं तुझे दिखाने के लिए बाथरूम में नंगी खड़ी थी।

रोहन ने कहा- मम्मी… मैं कुछ समझा नहीं?
मैंने रोहन से कहा- रोहित ये ना सोचे कि अगर मेरी जगह रोहन होता तो वो भी मुझे नंगी देख लेता।
रोहन ने कहा- आप चिंता मत करो मम्मी… हम दोनों काफी फ्रैंक हैं… मैं उससे सीधा यही पूछ लूंगा।

मैंने कहा- अच्छा… कितने फ्रैंक हो तुम लोग?
रोहन बोला- इतने कि हम एक दूसरे से सभी बाते शेयर करते हैं… चाहे वो चुदाई की हो या लड़की बाजी की… हम लोग साथ में पोर्न देखते हैं… और कभी कभी एक दूसरे की मुठ भी मार देते हैं।
मैंने चौंक कर रोहन से कहा- क्या… मैं तो उसे बहुत भोला समझती थी.. और तुम दोनों ये गलत हरकतें भी करते हो?

रोहन ने कहा- मैंने कहा था ना आपसे कि हम बहुत फ्रैंक हैं… और इसमें गलत क्या है मम्मी… आप ही कहती हो कि कभी कभी मुठ भी मार लेनी चाहिए।
मैंने रोहन से कहा- जैसा तुम्हे ठीक लगे करो… पर उससे इस बारे में बात जरूर कर लेना…
रोहन हाँ बोल कर सामने अपनी सीट पर बैठ गया।

रोहित के बारे में यह सुनकर मुझे बड़ा अजीब लगा क्योंकि वो मेरे साथ बिल्कुल बच्चों वाली हरकतें करता था जो मुझे काफी पसंद था… पर अब मेरा रवैया भी रोहित के प्रति बदल गया।

थोड़ी देर बाद हम लोग गोरखालैंड पहुंच गए… और सब लोग वहाँ घूमने लगे.
उसके बाद भी हमने दो तीन जगह घूमी और फिर शाम को छह बजे तक हम वापस होटल आ गए।

होटल से आने के बाद हम लोग फ्रेश हुए और फिर सब लोगों का मार्किट जाने का प्लान बना.
पर मैंने उनके साथ जाने से मना कर दिया क्योंकि कार में सफर करते करते मेरा मन भारी हो गया था।

सब लोग बाजार घूमने चले गए… मैं अपने रूम में अकेली ही थी और बोर हो रही थी तो मैंने एक स्लीवलेस और डीप नैक ब्लाउज वाली साड़ी पहनी जिसमें से मेरे आधे मम्मे बाहर को आ रहे थे और फिर मैं नीचे जाकर होटल रिसेप्शन के पास पड़े हुए सोफे पर बैठ गई।
मैं वहाँ पर रखी हुई मैगज़ीन पढ़ने लगी.

तभी एक आदमी मेरे पास आकर बैठ गया… मैंने उसकी तरफ देखा भी नहीं था।
उस अनजान आदमी ने मुझे ‘हैलो’ कहा…
मैंने नज़र उठा कर उसकी तरफ देखा… यह वही आदमी था जो हमें कल पूल में नहाते वक्त घूर रहा था… उसकी उम्र कुछ तेंतीस-चौंतीस के आसपास थी और देखने में भी वह काफी आकर्षक था।

मैंने भी प्रतिउत्तर में उसे ‘हैलो’ बोला.
फिर उसने मुझे पूछा- आप यहाँ घूमने आए हैं क्या?
मैंने कहा- हाँ… मैं अपने बच्चों के साथ आई हूँ… और आप?

तो उसने कहा- मैं काम के सिलसिले से यहाँ आया हूँ और आज रात को ही वापस जा रहा हूँ.
फिर वो बोला- वैसे मेरा नाम आदित्य है!
और अपना एक हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया।
मैंने उससे हाथ मिलाते हुए कहा- मैं सोनाली हूँ… और हाउसवाइफ हूँ।

आदित्य की नज़र मेरे अधनंगे मम्मों पर ही थी… जिसे मैंने नोटिस कर लिया.
उसका इस कदर मुझे घूरना मुझे उत्तेजित करने लगा.

तभी आदित्य बोला- वैसे आप काफी खूबसूरत हैं… और कल स्विमिंग पूल में तो आप और भी ज्यादा क़यामत लग रही थी।

एक अजनबी के मुख से ऐसा सुनना मुझे काफी अजीब लग रहा था पर साथ ही उसके शब्द मुझे काफी उत्तेजना दे रहे थे… मैंने आदित्य की बात पर मुस्कुराते हुए उसे धन्यवाद कहा। मैं समझ रही थी कि ये मेरे कामुक बदन का भोग लगाना चाहता है और शायद मैं भी यही चाहती थी और इसके लिए तैयार थी.

मेरी साड़ी मेरी नाभि से काफी नीचे बंधी हुई थी जिससे आदित्य मेरी नाभि के साफ दर्शन कर रहा था.
मेरा सर चकरा रहा था तो मैं अपने माथे को हाथ से दबाने लगी।

आदित्य ने मुझसे पूछा- सोनाली जी, आप ठीक तो हैं ना?
मैंने कहा- मेरा सर चकरा रहा है और थोड़ा दर्द भी हो रहा है।

तो आदित्य ने कहा- आप मेरे रूम में चलिए… मेरे पास टेबलेट रखी हुई है.
तो मैंने मना कर दिया।
आदित्य ने कहा- सोनाली जी… मुझ पर विश्वास रखिये… और आपको दवा की जरूरत है… आपके साथ वाले लोग भी बाहर गए हुए हैं और आप बिल्कुल अकेली हैं तो इसी बहाने हम लोग थोड़ी और बातें कर लेंगे।

आदित्य के ज्यादा जोर देने पर मैंने उसे कहा- आदित्य आप सेकण्ड फ्लोर पर मेरे ही रूम में आ जाइये… तब तक मैं अपने कपड़े भी चेंज कर लूँगी।
आदित्य वहाँ से उठकर अपने रूम में चला गया और मैं अपने रूम में आ गई.

मैं रूम में जाकर बिस्तर पर अपने हाथों को फैलाकर से उल्टी होकर गिर पड़ी।
मैंने गेट लॉक नहीं किया था.

तभी दरवाज़े पर एक दस्तक देते हुए आदित्य ने दरवाजा खोल दिया… दरवाज़ा खुलते ही मैंने तिरछी नज़र से देखा तो आदित्य मेरी गांड के उभार को घूर रहा था.
मैं उठकर बैठ गई और आदित्य से बोली- आ गए आप…!
मैंने आदित्य को अपने साथ बेड पर बिठा लिया.

तभी आदित्य ने मुझे एक टेबलेट देते हुए कहा- सोनाली जी… आप ये टैबलेट खा लीजिये।
मैंने वो टेबलेट खा ली और फिर हम दोनों लोग बातें करने लगे.

मैंने आदित्य से पूछा- क्या तुम शादीशुदा हो?
आदित्य ने कहा- हाँ… मेरी शादी अभी एक साल पहले ही हुई है।

टैबलेट खाने के बाद मेरा सर और भारी होने लगा… मैंने आपना गाउन उठाया और बाथरूम जाते हुए आदित्य से कहा- दो मिनट रुको… मैं अभी चेंज करके आती हूँ.
आदित्य ने कहा- ठीक है।

मैंने बाथरूम में जाकर साड़ी, ब्लाउज उतार दिया और गाउन पहन लिया.
मुझे हल्का नशा सा होने लगा… बाथरूम से बाहर आते ही मेरे कदम डगमगाने लगे… जैसे तैसे मै बिस्तर पर आकर लेट गई।

मैंने आदित्य से कहा- आदित्य, ये तुमने मुझे कोन सी टेबलेट खिला दी… मेरा सर बहुत भारी हो रहा है.
आदित्य ने कुछ नहीं कहा.
थोड़ी देर में मुझे पूरी तरह से नशा हो गया… मुझे कुछ भी होश नहीं था, मैं कुछ भी बड़बड़ाने लगी।

आदित्य उठकर मेरे पास आया और बोला- आप ठीक तो हैं ना?
मुझे नहीं पता कि मैंने उसकी बात का क्या जवाब दिया… मेरे साथ जो हो रहा था… मैं वो सब देख तो रही थी… पर कुछ समझ नहीं पा रही थी, ना ही कुछ बोल पा रही थी।

तभी आदित्य ने मेरे गाउन को उतारना शुरू कर दिया… उसने मेरे गाउन को उतार कर नीचे फेंक दिया… मैं बस ब्रा पैंटी में ही थी.
फिर आदित्य ने मेरी ब्रा उतार दी और मेरे मम्मों को मसलने लगा… वो अपने एक हाथ से मेरे मम्मे मसल रहा था. उसने अपने दूसरे हाथ से मेरी पैंटी को मेरी जांघों तक नीचे कर दिया।

मैं किसी लाश की तरह पड़ी हुई थी.
आदित्य ने मेरे मम्मे अपने मुँह में लिए और उन्हें काटने लगा… जैसे ही उसने मेरे निप्पल को काटा, मैं दर्द के मारे ‘आईई… ‘ करते हुए चीख पड़ी।

आदित्य ने मेरी तरफ देखा, उठ कर मेरे मुँह के पास आ गया और फिर उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में रखकर चूमना शुरू कर दिया… वो मेरे मुँह के अंदर थूककर मेरी जीभ को चाटने लगा।

फिर आदित्य खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया… फिर उसने अपने खड़े लंड को अपने हाथों में लिया और मेरे होंठों पर अपने लण्ड का सुपारा रगड़ने लगा।

थोड़ी देर तक अपना सुपारा रगड़ने के बाद आदित्य ने मेरे मुँह को खोला और अपने लण्ड को मेरे मुँह में डालकर मेरे मुँह को चोदने लगा… मैं नीचे थी और आदित्य मेरे ऊपर… उसका लंड मेरे मुंह को गले तक चोद रहा था… थूक में लिसने की वजह से मेरे मुँह से ‘गूँ… गूँ…’ की आवाज़ आ रही थी.

तभी आदित्य में अपना पूरा लंड मेरे गले में उतार दिया और वहीं रुक गया।
उसका लण्ड बहुत लम्बा था.. और काफी मोटा भी… मेरे गले में लंड अटकने की वजह से मैं सांस नहीं ले पाई और अपने हाथ पैरों को पटकने लगी… ना मैं चीख पा रही थी और ना ही उसे रोक पा रही थी… मेरी आँखों से आंसुओं की धार बहने लगी।

जब आदित्य को लगा कि अब मैं और नहीं सह सकती तो उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से बाहर खींच लिया… लण्ड बाहर निकलते ही मैं बिस्तर पर झटके खाते हुए… .लम्बी लंबी सांसें लेने लगी। मेरे लिए यह अनुभव किसी मृत्यु से कम नहीं था।

आदित्य ने उठकर मुझे पलटा दिया… अब मेरी गांड आदित्य के सामने थी… वो उठकर मेरी गांड की तरफ आया और मेरे चूतड़ों को मसलने लगा… फिर उसने मेरे चूतड़ों पर जोर जोर से थप्पड़ मारना शुरू कर दिया… पर मुझे इस दर्द का कोई अनुभव नहीं हो रहा था।

आदित्य ने उठकर मेरी कमर के नीचे तीन तकिये लगा दिए… जिससे मेरी गांड ऊपर को उठ गई… पर मेरे मम्मे बिस्तर पर ही थे और मेरा मुँह बाएं तरफ था… गांड उठने के साथ ही मेरी चूत भी पीछे की तरफ उभर आई।

आदित्य ने भी जल्दबाजी करते हुए मेरी चूत में अपनी दो उंगलियां घुसेड़ दी और बहुत ही तेजी से वो मेरी चूत को उंगलियों से चोदने लगा.
तभी उसने अपने दूसरे हाथ की दो उंगलियों को थूक लगाते हुए मेरी गांड के छेद में डाल दिया।

आदित्य के दोनों हाथ मेरी गांड और चूत की चुदाई कर रहे थे… इस दोहरी उंगली चुदाई में मुझे बस हल्का दर्द हो रहा था… जिसे मैं झेल रही थी… कुछ देर की चुदाई के बाद मैंने झड़ना शुरू कर दिया… आदित्य अभी भी अपनी उंगलियां चूत और गांड के अंदर बाहर कर रहा था… इसी कारण जब मैं झड़ने लगी तो मेरी चूत से रस बाहर गिरने लगा… और फिर आदित्य ने अपनी उंगलियों को बाहर निकाल कर मेरी चूत का रस चाटना शुरू कर दिया।

अब आदित्य उठा और अपने दोनों हाथों से मेरी गांड के छेद को खोलने लगा… जब मेरी गांड का गुलाबी छेद हल्का सा खुल गया तो उसने अपने लण्ड के सुपारे को मेरी गांड के छेद में फंसा दिया और फिर मेरे दोनों चूतड़ों को आजाद कर दिया।

फिर आदित्य ने मेरी कमर को दोनों तरफ से अपने हाथों से पकड़ा और फिर जोर लगाया… उसका आधे से ज्यादा लण्ड मेरी गांड के अंदर समा गया. उम्म्ह… अहह… हय… याह… तभी उसका लण्ड दूसरे जोरदार धक्के के साथ मेरी गांड को भेदता हुआ पूरा अंदर घुस गया.
मुझे असहनीय पीड़ा हुई पर… इस बार मेरे शरीर ने मेरा साथ छोड़ दिया था… मैं चीख तक नहीं पाई… बस मेरी आँखों से आंसुओं की मोटी धार बहे जा रही थी।

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गोली के नशे के कारण ना तो मैं कुछ बोल पा रही थी… और ना ही कुछ होने से रोक सकती थी… मेरे शरीर के साथ साथ… मेरी जुबान को भी लकवा मार गया था।
आदित्य अपने पूरे जोर से मेरी गांड को चोद रहा था… उसका लण्ड मेरी गांड के अंदर तक जा रहा था… थोड़ी देर बाद उसने अपना लण्ड गांड से बाहर निकाला और फिर एक धक्के के साथ ही मेरी चूत में उतार दिया… रोज की चूत चुदाई के कारण मुझे चूत के अंदर लण्ड लेने में ज्यादा दर्द नहीं हुआ।

आदित्य घुटनों के बल बैठकर अपना लण्ड मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहा था… इस एक तरफा चुदाई में आदित्य किसी सांड की भांति मुझे चोद रहा था… उसका लंड बड़ी तेजी के साथ मेरी चूत की चुदाई कर रहा था।

काफी देर की चुदाई के बाद उसका लण्ड मेरी चूत के अंदर ही झटके खाने लगा… आदित्य मेरी चूत के अंदर ही झड़ने लगा… उसका गरम वीर्य सीधा मेरी बच्चेदानी में ही जा रहा था… इतनी देर की चुदाई में शायद मैं भी झड़ चुकी थी।

जब आदित्य का पूर्ण रूप से वीर्य स्खलन हो गया… तो उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया… फिर वो उठा और उसने दो टैबलेट निकाल कर मेरे मुँह में डाल दी. उनमें से शायद एक पेनकिलर थी और एक नींद की… और फिर ऊपर से मुझे पानी पिला दिया।

मैं अभी ही उसी अवस्था मे लेटी हुई थी… उल्टी और कमर के नीचे तकिये लेकर!
आदित्य मेरे बगल में आकर लेट गया… मेरी नज़रें उसी की तरफ थी… और फिर मैं वैसे ही पड़े पड़े सो गई।

अगले दिन सुबह जब मेरी नींद खुली तो मैं अन्नू और रोहन के साथ सो रही थी… मैंने खुद को देखा तो मैं गाउन पहने हुए थी और अंदर ब्रा पैंटी भी पहनी थी।

पर फिर मैं वैसे ही लेटी रही और पिछली रात के बारे में सोचने लगी… मुझे कल के बारे में कुछ भी स्पष्ट याद नहीं था और न ही मुझे कोई दर्द हो रहा था… बस कुछ तस्वीरें सी चल रही थी दिमाग के अंदर… और यह कहानी उन्ही तस्वीरों के आधार पर है।
जो भी हुआ… गत रात में हुई मेरी गांड और चूत की चुदाई के बारे में सोच कर मेरे लबों पर एक मुस्कान सी आ गई…

आगे क्या हुआ… कहानी के अगले भाग में

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