होली के बाद की रंगोली-2

अब तक आपने पढ़ा कि कैसे भाई-बहन और पत्नी ने घर में खुलेआम चुदाई का माहौल बना लिया था और पूरी मस्ती के साथ रह रहे थे तभी पंकज को याद आया कि उसने सोनाली को उसके भाई से चुदवाने का वादा किया था और फिर वो उसके लिए प्लानिंग करने लगे।
अब आगे…

अगले दिन मैं क्लीनिक चला गया और रूपा कॉलेज, तब सोनाली ने सचिन (सोनाली का भाई) को कॉल लगाया।

सोनाली- क्या बात है यार, तुम तो अपनी बहन को भूल ही गए? कभी खुद भी कॉल कर लिया करो।
सचिन- नहीं दीदी, आपको कैसे भूल सकता हूँ, वो ज़रा प्रोजेक्ट में बिजी हो गया था। फाइनल इयर है ना तो इसलिए!
सोनाली- ओह हाँ! वो तो है, फिर सारा टाइम पढ़ाई में ही लगे रहते हो या कोई दोस्त भी बनाई है?
सचिन- ‘बनाई है?’ मतलब आप गर्लफ्रेंड के बारे में पूछ रही हो? पहले तो कभी नहीं पूछा जब यहाँ थीं तब। अब क्या जीजाजी की संगत का असर हो गया जो भाई की गर्लफ्रेंड की फिकर होने लगी।
सोनाली- हा हा हा… नहीं यार, सोचा अब तुम हमें मिस नहीं करते हो तो शायद कोई गर्लफ्रेंड बना ली हो। हम तो तुम्हें बहुत मिस करते हैं। अभी नहाने जा ही रही थी कि सोचा तुमको फ़ोन करके पूछ लूँ कि तुमको हमारी याद क्यों नहीं आती।
सचिन- ओह्ह… मतलब… हम्म… अब मैं क्या बोलूँ?

वो सोनाली की बात में छिपा इशारा समझ गया था लेकिन पहले कभी उसने सोचा नहीं था कि सोनाली कभी इस बारे में बात करेगी। वैसे सोनाली और सचिन दोनों ही ये जानते थे कि वो एक दूसरे को छिप छिप कर नहाते हुए देखते थे। दोनों ये भी समझते थे कि ये बात दोनों को पता है क्योंकि दोनों ना केवल देखते थे बल्कि दिखाते भी थे।
सचिन ने सोनाली की जो अदाएं देखीं थीं उस छेद से उसे देखने के बाद वो भी जानता था कि उसकी दीदी उसको रिझाने की पूरी कोशिश कर रही थी।

लेकिन एक तो माता-पिता के साथ एक छोटे घर में रहते हुए दोनों का साथ में अकेले होना ही बहुत कम होता था उस पर कभी पढ़ाई की टेंशन तो कभी किसी का मूड ठीक नहीं। इन सब के बाद भी जो कुछ मौके मिले तो फटी पड़ी रहती थी कि कहीं कुछ गलत हो गया तो जितना मजा मिल रहा है वो भी हाथ से ना चला जाए। कभी कभी जब जैसे तैसे हिम्मत जुटाई तो मौका ही हाथ से फिसल जाता था।
ऐसे करते करते काफी समय हाथ से निकल गया और फिर सोनाली की शादी हो गई।

आज जब सोनाली ने इशारे में ही सही लेकिन वही पुराने तार छेड़े तो सचिन के दिल कि धड़कन अचानक बढ़ गई और वो हड़बड़ा गया लेकिन फिर उसने अपने आप को सम्हालते हुए कहा- दरअसल दीदी ऐसा है ना, कि मैं कॉलेज में थोड़ा पढ़ाकू लड़कों की श्रेणी में आता हूँ, तो जो लड़कियाँ सारा टाइम पढ़ाई की ही बात करती हैं, बस उन्ही से बात हो पाती है। बाकी किसी से बात करने का कभी मौका ही नहीं मिलता, तो पढ़ाई के अलावा लड़कियों से कैसे बात करना है उसमें मैं थोड़ा कमज़ोर हूँ।

सोनाली- अच्छा ये बात है। तो ठीक है, तू एक काम कर कुछ दिन के लिए यहाँ आ जा, यहाँ पंकज की बहन रूपा भी हमारे साथ रहती है। कुछ दिन उसके साथ रहेगा तो तेरी झिझक भी निकल जाएगी और क्या पता तुझे रूपा ही पसंद आ जाए और तू उसे ही गर्लफ्रेंड बना ले।

सचिन- बात तो ठीक है लेकिन यहाँ मम्मी-पापा को क्या कहूँगा कि पढ़ाई-लिखाई छोड़ कर मैं कुछ दिन के लिए दीदी के पास जा रहा हूँ और वो भी लड़की पटाने की ट्रेनिंग लेने? हा हा हा…
सोनाली- ओके बाबा! लेकिन राखी पर तो आ सकता है ना? उसके लिए तो कोई मना नहीं करेगा?
सचिन- हाँ वो तो है। तब तक मेरा प्रोजेक्ट भी ख़त्म हो जाएगा।
सोनाली- गुड! अच्छा ठीक है अब रखती हूँ… नहाने जा रही हूँ… अब तो तू ज़रूर मिस करेगा मुझे।

शरारती अंदाज़ में इतना कह कर सोनाली ने फ़ोन रख दिया और नहाने चली गई। आज उसकी पुरानी यादें ताज़ा हो गईं थीं और वो साधारण तरीके से नहाने के बजाए उसी कामुक तरीके से नहा रही थी जैसे उसका भाई अभी भी उसे देख रहा है। उसने अपने उरोजों को अपने दोनों हाथों में भर के मसला और चूचियों को चुटकी से पकड़ कर उमेठा, फिर खींचा।

पानी से भीगते अपने बदन को सहलाते हुए अपना दायाँ हाथ वो अपनी जाँघों के बीच ले गई और अपनी एक उंगली से भगनासा (क्लिटोरिस, चूत का दाना) को सहलाने लगी। एक एक करके बाकी उंगलियाँ उसने अपनी चूत में डाल लीं और अन्दर बाहर करने लगी। उसकी आँखें बंद थीं और उसके मन में उसके भाई का लंड घूम रहा था.

आम तौर पर सोनाली हस्त-मैथुन नहीं करती थी। खासकर शादी के बाद तो उसने ऐसा कभी नहीं किया था लेकिन आज अपने भाई के लंड की कल्पना करते हुए उसे ऐसा करने में बड़ा मजा आया था। वो सोचने लगी कि जब वो सच में उसे चोदेगा तब कैसा लगेगा।

उधर सचिन की धड़कन अभी भी बढ़ी हुई थी, उसका मन अब प्रोजेक्ट में नहीं लग रहा था, बेचैनी में वो इधर उधर टहल रहा था, उसका लंड खड़ा तो नहीं था लेकिन उसमें एक अजीब सी गुदगुदी सी हो रही थी जैसे नींद खुलने पर अंगड़ाई लेने का मन करता है, वैसे ही उसका भी अपने लंड को मसलने का मन कर रहा था।

आखिर ऐसे ही टहलते टहलते जब वो बाथरूम के पास से गुज़रा तो उसे अन्दर नहाने की आवाज़ सुनाई दी। उसे पता था कि अन्दर उसकी माँ नहा रही होंगी क्योंकि उस वक़्त घर में वो दोनों ही थे।
शारदा वैसे तो दो बड़े बच्चों की माँ थी लेकिन हमेशा अपने काम में क्रियाशील रहने और व्यस्तता के कारण उनका शरीर सुडौल और त्वचा सुन्दर थी।

वैसे तो सचिन ने कभी शारदा को इस नज़र से नहीं देखा था लेकिन आज उसकी बेचैनी ने उसे मजबूर कर दिया था। उसने सोचा न समझा और अपनी आँख उस छेद से लगा दी जिससे वो अपनी बहन सोनाली को देखा करता था। उसकी आँखों ने जो देखा उसकी खबर शायद उसके दिमाग से भी पहले उसके लंड को लग गई थी, वो लंड जो अब तक बेचैन पड़ा करवटें बदल रहा था, वही अब अंगड़ाई ले कर उठ खड़ा हुआ था।

सचिन ने अपना लंड अपनी मुट्ठी में लेकर हिलाना शुरू कर दिया। उसने पहली बार अपनी मम्मी के हुस्न को इस तरह नंगा देखा था। 36-30-35 का सुडौल बदन, डी कप साइज के बड़े बड़े उरोज जो ज़्यादा लटके नहीं थे और वो मस्त गोल भरे हुए नितम्ब… सचिन का लंड थोड़ी ही देर में झड़ गया, वो इतना ज्यादा झड़ा जितना पहले कभी नहीं झड़ा था।

वैसे तो 42 साल की शारदा अपनी बेटी सोनाली से कुछ काम सुन्दर नहीं थी लेकिन आज सचिन के इस कदर झड़ने का करण इससे कहीं ज़्यादा था। एक तो बहन की शादी के बाद से उसे कोई मौका नहीं मिला था। फिर अभी अभी सोनाली ने पुरानी यादें ताज़ा कर दी थीं और इन सब पर तुर्रा ये कि उसने अपनी माँ को नंगी देखा था।

सनी लियोनी को नंगी देख कर किसी को इतना झटका नहीं लगेगा जितना किसी पड़ोस की लड़की को नंगी देख कर लगेगा क्योंकि जिस बात की आप अपेक्षा नहीं करते, जब वो होती है तो उत्तेजना ज़्यादा होती है। और अगर वो औरत आपकी माँ हो तो फिर तो बात नियंत्रण से बाहर हो जाती है।
सचिन भी इतनी उत्तेजना सहन नहीं कर पाया और जल्दी से लंड और हाथ धोकर अपने कमरे में जा कर सो गया।

सोनाली भी अपने भाई की कल्पना में डूबी रही सारा दिन और जब शाम को पंकज घर आया तो उस पर टूट पड़ी। वहीं ड्राइंग रूम में ही उसे नंगा करने लगी, बड़ी मुश्किल से पंकज जैसे तैसे दरवाज़ा बंद कर पाया।
रूपा अभी वापस नहीं आई थी क्योंकि वो अपने दोस्तों के साथ कॉलेज के बाद फिल्म देखने चली गई थी। सोनाली और पंकज दोनों घर में अकेले ही थे। खैर अकेले न होते तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता।

सोनाली तो पहले से ही नंगी थी। पंकज के कपड़े उतरते ही सोनाली ने इसका लटका हुआ लंड अपने मुँह में भर लिया। अब क्लीनिक से ट्रैफिक के धक्के खा कर आए हुए आदमी का लंड इतनी आसानी से तुरंत तो खड़ा नहीं हो सकता। सोनाली उसे चूसे जा रही थी और वो नर्म पड़ा 4 इंच का ही उसके मुंह में भरा हुआ था। वैसे तो अभी सोनाली को गले तक लंड लेना नहीं आया था। लेकिन अभी लंड की जो अवस्था थी, उसमें सोनाली ने उसे जड़ तक अपने मुँह में ले रखा था और उसके होंठ पंकज के अंडकोष को छू रहे थे।

यह पंकज के लिए एक नया अनुभव था और उसके छोटे मियाँ को खड़े होने में देर नहीं लगी। जब वो पूरी तरह खड़ा हो गया तो पंकज ने कोशिश की कि वो उसे सोनाली के मुँह से निकाल कर चूत में डाल दे, लेकिन जब सोनाली ने छोड़ने से मना कर दिया तो पंकज ने सोनाली को कमर से पकड़ कर उठाया और उसकी जाँघों को अपने कन्धों पर रख कर खड़ा हो गया अब वो खड़े खड़े अपनी बीवी की चूत चाट रहा था और सोनाली उसके कन्धों पर उलटी लटकी हुई उसका लंड चूस रही थी।

तभी रूपा भी घर आ गई थी, उसने हमेशा की तरह अपनी चाभी से दरवाज़ा खोला और सामने जो देखा तो देखती ही रह गई। कुछ देर तक तो वो यूँ ही अवाक् खड़ी उनको देखती रही, फिर जब उसे होश आया तो उसने दरवाज़ा बंद किया और जल्दी से कपड़े निकाल कर अपने भाई के पीछे से जाकर उससे चिपक गई। फिर धीरे से नीचे सरकते हुए भैया के नितम्बों को चूमते हुए उनकी दोनों जाँघों के बीच अपना सर डाल कर रूपा उनके बॉल्स (अंडकोष) चूसने लगी।
शायद इसी वजह से थोड़ी ही देर में पंकज, सोनाली के मुँह में झड़ने लगा।

वैसे तो शायद सोनाली उसका पूरा रस चूस जाती लेकिन शायद रूपा के अंडे चूसने की वजह से रस कुछ ज़्यादा ही निकल गया था या फिर उलटे लटके होने की वजह से सोनाली कण्ट्रोल नहीं कर पाई और थोड़ा वीर्य उसके मुँह से छलक कर नीचे बहने लगा जिसको रूपा ने जल्दी से चाट लिया।
यह देख कर सोनाली इतना उत्तेजित हो गई कि वो भी तुरंत झड़ने लगी।

उसके बाद पंकज ने उसको नीचे उतारा और सोनाली ने रूपा के होंठों पर लगा पंकज का वीर्य चाटना शुरू कर दिया। रूपा ने भी उसके होंठों और गालों पर जो वीर्य लगा था वो चाट लिया।
यह देख कर पंकज हंस पड़ा और फिर सब हंसने लगे।

इसके बाद सबने खाना खाया और बैडरूम में सोने चले गए।

आज सोनाली अलग ही मूड में थी- आज तुम दोनों भाई बहन चुदाई करो, मैं बस देखूंगी।
रूपा- क्यों भाभी? ऐसा क्यों?
सोनाली- कुछ नहीं, आज कल्पना में मैं सचिन के साथ चुदाई करना चाहती हूँ तो तुमको देख कर मुझे थोड़ी प्रेरणा मिल जाएगी।

और फिर पंकज ने रूपा को खूब चोदा और उनको देख देख कर सोनाली ने जी भर के अपने भाई के नाम की चूत-घिसाई की। लेकिन आज रूपा और सोनाली ने एक नया खेल सीख लिया था, मिल बाँट कर लंड का रस पीने का खेल। पंकज चूत में झड़े या मुँह में या कहीं और भी झड़े, रूपा या सोनाली उसे चाट कर अपने मुँह में भर लेती और फिर दोनों उसे एक दूसरी के मुँह से चाट कर या चूस कर निकालती और पी जाती।

ननद भौजाई के इस खेल ने उनके रिश्ते हो और मज़बूत कर दिया था, उन दोनों की कोई सगी बहन नहीं थी लेकिन अब वो एक दूसरे को अपनी बहन की तरह ही मानने लगी थी।

कुछ दिन ऐसे ही गुज़र गए फिर एक दिन सोनाली को सचिन का कॉल आया।

दोस्तो, आपको यह भाई-बहन और माँ के नाम मुठ मारने की कहानी कैसी लगी आप मुझे ज़रूर बताइयेगा।

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