भाभी की चुदाई हिन्दी कहानी में मैं काफी समय से पड़ोस की एक भाभी को पटाने की कोशिश कर रहा था लेकिन डरता भी था तो कुछ ख़ास कर नहीं पाया. फिर हम सब एक शादी में गए तो …
दोस्तो, कैसे हो आप सब … आशा करता हूं कि आप सभी एकदम ठीक होंगे.
मेरा नाम राज है और मैं हिमाचल का रहने वाला हूं.
मेरी हाईट 5 फुट 11 इंच है. मैं देखने में भी ठीक हूं. मेरी उम्र 19 साल है और मेरे लंड का साइज 7 इंच है.
मैं अन्तर्वासना की कहानियों रोज पढ़ता हूं.
आज मैं आप सभी के लिए अपनी एक सच्ची घटना लेकर आया हूं.
उम्मीद करता हूं कि आप सभी को ये भाभी की चुदाई हिन्दी कहानी पसंद आएगी.
मेरी आज तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही थी. क्योंकि मैं थोड़ा शर्मीला हूँ इसलिए मुझे लड़कियों या औरतों से बात करना नहीं आता था.
अब मैं आपको अपनी सेक्सी भाभी के बारे में बताता हूं.
उनका नाम लता है और वह बहुत ही सेक्सी हैं.
उनका पूरा बदन गदराया हुआ है और वे देखने में बहुत ही ज्यादा सुंदर हैं. उनकी उम्र 38 साल है.
उनके बूब्स का साइज 36 इंच है और कमर 32 की है जबकि उनकी गांड का साइज 38 इंच है.
आप इस फिगर से अंदाजा तो लगा ही सकते हैं कि वे कितनी कामुक हैं. उनके दो बच्चे भी हैं.
एक लड़की और एक लड़का है.
भाभी के पति गाड़ी चलाते हैं तो वे अक्सर टूर पर गए होते हैं और उनके टूर भी बहुत दिनों के लिए होते हैं.
उनके बच्चे और भाभी घर पर अकेली ही रहती थीं.
भाभी हमारे घर से थोड़ी ही दूर रहती थीं.
हमारा गांव बहुत छोटा है इसलिए सब लोगों की एक दूसरे से अच्छे से बनती थी.
जब मैं छोटा था, वे घर का कुछ काम करतीं या कपड़े धोती थीं … तो मैं दूर से बैठ कर उनके मम्मों को और गांड को हिलते हुए देखा करता था.
तभी से मैं भाभी को देख कर अपना लंड हिलाया करता था.
भाभी को मैं ही नहीं, बल्कि गांव के बाकी लड़के भी एक बार चोदना चाहते थे.
कई बार मैं और मेरा दोस्त साथ बैठ कर भाभी के उछलते हुए बूब्स और हिलती हुई गांड को देखा करते थे और बातें करते रहते थे कि बस एक बार भाभी की चूत चोदने को मिल जाए.
क्या बताऊं दोस्तो, भाभी के बूब्स और उनकी थिरकती हुई गांड क्या सेक्सी लगती थी … उफ्फ मज़ा ही आ जाता था.
अभी भी आपको उनके बारे में बताते हुए ही मेरा लंड खड़ा हो गया है.
मैं रोज रात को सोचा करता था कि उनके पति के कितने मज़े हैं, जो उनको इतनी सेक्सी बीवी मिली.
काश मेरे पास होती, तो मैं रोज चोदा करता.
भाभी को काम करते हुए देखना मेरा और मेरे दोस्त का रोज का काम हो गया था.
जिस दिन भी वे हमें कुछ काम करने को बोलती थीं तो समझो कुछ प्रसाद मिल गया हो … ऐसा लगता था. हम दोनों एकदम से उनके काम के लिए हां कर देते थे.
भाभी भी पता नहीं क्यों मुस्कुरा देती थीं.
उनकी उस मुस्कुराहट का राज तब समझ में नहीं आता था, पर अब समझ कर खुद पर हँसता हूँ.
ऐसे ही मैं जवान हो गया और मुझ पर जवानी बहुत जोर से चढ़ कर आ गई थी.
रोजाना मुठ मारना जरूरी लगने लगा था.
अब मैं और मेरा दोस्त अलग अलग हो गए थे.
वह ट्रक चलाने चला गया था और मैं आगे की पढ़ाई करने लगा था.
दोस्तो, जैसा कि सब जानते हैं कि इस उम्र में इच्छा बलवती होने लगती है कि किसी के साथ भी सेक्स करने को मिल जाए.
मेरा भी बहुत मन होने लगा था कि भाभी चोदने मिल ही जाए.
मैंने सोच लिया था कि अब कैसे भी करके भाभी को चोदना ही है क्योंकि भाभी के पति यानि भाईसाहब ज्यादातर घर से बाहर ही रहते हैं, तो सेक्स की कुछ भूख तो भाभी को भी लगती होगी ही.
इसलिए कैसे भी करके भाभी को सेक्स के लिए मनाना ही होगा.
मैंने बहुत सोचा और आखिर में तय किया कि अपनी शर्म दूर करके भाभी से सैटिंग जमानी ही चाहिए.
अब मैं रोजाना उनसे अच्छे से बात करने लगा.
वे भी मुझसे मीठे स्वर में बात करने लगी थीं.
इससे मेरा डर भी थोड़ा खत्म हो गया.
मैं जब भी उनके साथ बैठा होता था तो उनके बूब्स को देखा करता.
भाभी भी जानती थीं कि मैं उनके बूब्स को देख रहा हूं, पर वे भी कुछ नहीं बोलती थीं.
ऐसे ही कई दिन हो गए.
जब भी भाभी कुछ काम करने के लिए बोलतीं, तो मैं उनका काम झट से कर देता था.
वे भी मुझे खूब बहला फुसला कर अपने काम के लिए कहने लगती थीं और कहती थीं- देखो न, मुझे तुमसे ही बार बार काम के लिए कहना पड़ता है.
मैं भी कह देता- अरे भाभी, मुझे भी आपका काम करने में अच्छा लगता है.
यह मैं दबे स्वर में कहता था मगर दिल में कह देता था कि भाभी मुझे आपका काम उठाने में अच्छा लगता है.
इस तरह से मैं उनके साथ कई बार फ्लर्ट भी करने लगता था, उन्हें जोक सुनाता था.
वे भी अब मेरे साथ खुश रहती थीं.
जब भी वे मेरे घर के पास से गुजर रही होती थीं, तब मैं जानबूझ कर अपने लंड को लोअर के ऊपर से सहलाने लगता था.
भाभी को लगता था कि मैंने उनको नहीं देखा है और वे यह सब करते हुए मुझको देखती थीं.
अब तो हाल यह हो गया था कि मैं जब भी उनके घर जाता था, अपने लंड को खड़ा करके जाता था ताकि भाभी मेरे खड़े लौड़े को देखें.
भाभी भी लंड को जरूर देखती थीं पर देख कर एकदम से नज़रें हटा लेती थीं.
यह सब करते हुए मैंने भाभी को देख लिया था.
इससे मेरा डर और भी खत्म हो गया था.
फिर एक दिन भाभी ने मुझको कॉल किया और कहा- मेरे घर का एक स्विच और होल्डर खराब हो गया है तो क्या तू उसे ठीक कर देगा?
मैंने हां बोल दिया क्योंकि ये सब तो मुझको आता ही था.
मैं उनके घर गया तो वहां पर वे और उनके दोनों बच्चे थे.
मैंने उनसे टेस्टर और टूल किट मांगी.
अब मैं स्विच ठीक करने के लिए ऊंचाई का इंतजाम देखने लगा.
उस वक्त वे और उनके बच्चे मेरे करीब को आ गए थे.
मैं सोचने लगा कि इन दोनों को यहां से कैसे दूर करूँ!
कैसे भी करके मुझे भाभी के दोनों बच्चों को यहां से दूर करना ही होगा.
अगर ये नहीं गए तो ये दोनों मेरे खड़े लंड को देख लेंगे और समझ जाएंगे.
अब तक भाभी की चूचियों को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया था और भाभी भी मेरे बिल्कुल साथ ही थीं.
उन्होंने शायद मेरे लंड को देख लिया था और वे मेरी दुविधा को समझ गई थीं.
उसी वक्त भाभी ने अपनी बेटी को काम करने के लिए किचन में भेज दिया और दूसरे को होमवर्क करने को बोला.
वे दोनों वहां से चले गए.
मुझको राहत की सांस आयी.
मैं होल्डर सुधारने के लिए खड़ा हो गया और मेरे खड़े होते ही मेरे लंड ने अपना आकार कड़क करते हुए लोअर को फुला दिया.
उसी वक्त मैंने देखा कि भाभी को मेरा लंड शायद अच्छे से नहीं दिख रहा होगा क्योंकि वे मेरे पीछे को खड़ी थीं और लंड आगे की तरफ तना हुआ था.
मैंने सोचा कि अब क्या करूँ.
कुछ सोच कर मैंने भाभी से कहा- आप कुर्सी लेकर आओ भाभी … मैं होल्डर तक नहीं पहुंच पा रहा हूँ.
जब भाभी कुर्सी लाने गईं तो मैंने लंड को कुछ ऐसे सैट कर दिया, जिससे वह भाभी को सही से दिखने लगेगा.
कुछ ही देर में भाभी भी कुर्सी लेकर आ गईं.
भाभी ने कुर्सी रखी और वे उस साइड खड़ी ही नहीं हुईं जिस साइड मैंने अपना लंड सैट किया था.
मैंने भाभी से कहा- आप इस तरफ आकर खड़ी हो जाएं और होल्डर पर टॉर्च से लाइट दिखाएं. इस साइड से कुछ दिख ही नहीं रहा है.
भाभी उस साइड आकर खड़ी हो गईं.
अब वे बिल्कुल मेरे लंड से थोड़ी ही दूर पर खड़ी हो गई थीं.
मुझे भाभी की सांस मेरे लंड पर महसूस हो रही थी लेकिन भाभी को पता ही नहीं था कि मेरा लंड वहां है.
उसी समय भाभी से गलती से टॉर्च फिसल गई और उसकी लाइट मेरे लंड पर पड़ गई.
भाभी ने मेरे खड़े लंड को देख लिया.
जैसे ही उनको लंड दिखा, वे थोड़ी सी मुस्कुरा दीं और टॉर्च को सही से पकड़ लिया.
मैंने होल्डर को ठीक किया और नीचे उतर आया.
यह सब देखने के बाद मेरा लंड और भी ज्यादा टाईट हो गया था.
भाभी ने मुस्कुराते हुए मेरा धन्यवाद किया.
थोड़ी देर भाभी से बात करने के बाद मैं घर आ गया.
मैं घर आया तो मेरे अन्दर वासना का सागर हिलोरें मार रहा था.
तब मैं एकदम से अपने कमरे में आया और वह सब याद करके मुठ मारने लगा.
उनकी चूचियों की छवि मुझे लंड हिलाने में बड़ा सुकून दे रही थी.
अब तो जिस तरह से भाभी ने मेरे खड़े लंड को देख कर वासना दिखाई थी, उससे मेरा डर खत्म हो गया था.
कुछ दिन ऐसे ही बीत गए.
फिर एक दिन भाभी ने मुझे बुलाया.
मैं उनके घर गया.
उन्होंने मुझसे कहा- मुझसे गैस सिलेंडर ही नहीं लग रहा है, तू लगा दे.
मैंने भी बहुत कोशिश की लेकिन वह लग ही नहीं रहा था.
उन्होंने कहा- यदि तेरे घर पर एक्स्ट्रा गैस का सिलेंडर हो, तो वह तू मुझको दे दे और ये वाला तू ले जा. क्या पता तेरे घर में लग जाए!
मैं अपने घर से एक्स्ट्रा गैस सिलेंडर लेकर उनके घर आया और किचन में ले गया.
जैसे ही भाभी झुक कर सिलेंडर लगाने लगीं, मैं सिलेंडर को पकड़ने के लिए उनके पीछे खड़ा हो गया.
उनका किचन काफी छोटा था इसलिए ज्यादा जगह नहीं थी.
भाभी सिलेंडर लगा कर पीछे हटीं, मेरा खड़ा लंड उनकी गांड को टच हो गया.
जैसे ही लंड गांड से टच हुआ, भाभी एकदम सीधी हो गईं.
मैं भी वहां से हट गया लेकिन भाभी मेरे खड़े लंड को देखने लगीं.
उन्होंने नज़र भर कर मेरे लंड को देखा और वहां से नज़र हटा ली.
दोस्तो, जब मेरे लंड ने भाभी की गांड को टच किया था … उफ्फ क्या बताऊं तब मुझे कितना मज़ा आया था.
उस समय मेरी और भाभी की कोई बात नहीं हुई.
मैं भी उनके घर वाला सिलेंडर लेकर अपने घर आ गया.
आज मैं थोड़ा डर गया था क्योंकि ये सब होने के बाद भाभी ने मुझसे बात ही नहीं की थी.
मुझे लगा कि अब ये मेरे घर पर या अपने पति को ना बता दें!
एक महीना ऐसे ही गुजर जाने के बाद कुछ दिन बाद हमारी रिश्तेदारी में एक शादी थी.
उनकी तरफ से मुझसे कहा गया था कि गांव से जिनको न्यौता देना ठीक लगे, तो दे देना.
साथ ही उन्होंने दो गाड़ियों के लिए भी कह दिया था कि इंतजाम कर लेना.
मैंने भाभी से भी साथ चलने को कहा और कुछ गांव वालों को भी बोला.
भाभी ने हां बोल दिया था और कुछ गांव वालों ने भी हां बोल दिया था.
मैं खुश था कि मैं भाभी से बात तो कर सकूंगा.
अगले दिन रात को शादी में जाना था.
शाम 6 बजे घर से चलना था और 8 बजे शादी में पहुंचना था.
सब लोग ठीक 6 बजे तक मेरे घर पर इकट्ठे हो गए थे.
सब लोग गाड़ी में बैठ गए.
दोनों गाड़ी भर चुकी थीं.
मुझको बैठने के लिए सीट ही नहीं मिली.
एक गाड़ी में सारे जेंट्स थे और दूसरी गाड़ी में लेडीज थीं.
पापा ने कहा- तू बाइक लेकर चला जा!
तभी लेडीज वाली गाड़ी से मम्मी ने कहा- हमारी गाड़ी में थोड़ी सी जगह है, ये इसमें आ जाएगा.
मैं उस गाड़ी में बैठने आ गया लेकिन जगह बहुत कम थी तो मैं उसमें सही से आ ही नहीं रहा था.
तभी भाभी ने कहा- इस साइड आ जा, यहां थोड़ी सी जगह हो जाएगी.
जैसे ही मैं भाभी वाली तरफ से चढ़ने लगा तो उधर वे भी बहुत कम जगह में बैठी थीं.
लेकिन तब भी भाभी थोड़ी सी ऊपर को उठीं और बोलीं- अब आ जा!
मैं बहुत मुश्किल से अन्दर बैठ पाया.
लेकिन मैं बहुत खुश था क्योंकि भाभी की आधी गांड और एक टांग मेरे ऊपर थी.
उनके कोमल स्पर्श से मेरा लंड खड़ा हो गया था.
हम सब शादी के लिए चल पड़े.
कुछ देर चलने के बाद सबने कहा- अब थोड़ा आराम कर लेते हैं. जिसको वॉशरूम आदि जाना हो, वह भी हल्का हो ले.
सब गाड़ी से उतर गए.
थोड़ी देर बाद हम सब वापस गाड़ी में बैठ गए.
अब अंधेरा भी बहुत हो गया था.
जैसे ही मैं गाड़ी में भाभी के साथ बैठा, मेरा एक हाथ भाभी की गांड के नीचे आ गया.
बड़ा गद्दा सा अहसास हुआ.
उसी पल भाभी ने मेरी तरफ देखा और मुस्कान दे दी.
इससे मेरा डर खत्म हो गया.
अंधेरे में मैं धीरे धीरे भाभी की गांड को दबाने लगा.
लेकिन भाभी ने कुछ नहीं कहा.
वे आगे को ही देख रही थीं और बात कर रही थीं.
मैं हिम्मत करके और जोर से दबाने लगा.
भाभी ने मेरी तरफ देखा और आंख मार दी.
मैं समझ गया कि अब ग्रीन सिग्नल है.
मैंने भाभी की चूत को हाथ लगा दिया और सलवार के ऊपर से ही अपने हाथ से चूत मसलने लगा.
भाभी को भी मज़ा आने लगा था.
उन्होंने भी अपना एक हाथ मेरे लंड पर रखा और उसको सहलाने लगीं.
हम दोनों ही मजा लेने लगे थे.
तभी गाड़ी ट्रैफिक में फंस कर स्लो स्पीड से चलने लगी थी.
मैं लगातार भाभी की चूत को मसल रहा था.
कुछ देर बाद भाभी की चूत ने पानी छोड़ दिया.
काफी देर ट्रैफिक में फंसे रहने के बाद हम दुबारा चलने लगे.
गाड़ी में अंधेरा होने की वजह से कुछ नहीं दिख रहा था.
मैं एक हाथ से भाभी की चूत सहला रहा था और एक हाथ से उनके दूध दबा रहा था.
कुछ देर बाद हम शादी में पहुंच गए थे लेकिन ट्रैफिक की वजह से काफी लेट हो गए थे.
हम लोग शादी में 9 बजे पहुंचे थे जबकि हमें 8 बजे पहुंचना था.
सब शादी में पहुंच कर उधर आनन्द लेने लगे.
तो सबकी नजरों को बचा कर मैं और भाभी अंधेरे में चले गए.
उधर मैंने भाभी को किस किया और उनकी गांड को दबाने लगा.
कुछ ही देर मस्ती की थी कि भाभी के फोन पर मेरी मम्मी का कॉल आ गया.
वे खाना खाने बुला रही थीं.
हम दोनों खाना खाने चले गए.
रात बहुत हो गई तो सबने कहा- आज यहीं सो जाते हैं, सुबह वापस चलेंगे!
मैंने सबको सोने के लिए कमरे बताए.
थोड़ी देर बाद मैं और भाभी एक अलग कमरे में आ गए.
जैसे ही हम दोनों कमरे में आए, मैं भूखे भेड़िए की तरह भाभी पर टूट पड़ा.
मैं भाभी की किस करने लगा; एक हाथ से गांड दबा रहा था.
फिर मैंने भाभी का कुर्ता और सलवार खोल दी.
भाभी के बड़े बड़े मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा.
तो भाभी से भी रहा नहीं जा रहा था.
उन्होंने भी झट से अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी.
भाभी का एक दूध मेरे मुँह में था और दूसरा हाथ में था.
कुछ देर तक उनके बूब्स चूसने मसलने के बाद मैं भाभी की क्लीन चूत को चाटने लगा.
भाभी की चूत बिल्कुल गीली हो गई थी और उनके मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं ‘आह आह ई ई ऊफ उफ्फ …’
वे जोर जोर से आवाज करने लगीं और झड़ गईं.
मैंने भाभी की चूत का सारा पानी पी लिया था.
अब भाभी ने मेरी पैंट खोली और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया.
भाभी मेरे लंड को देख कर हैरान हो गईं और बोलने लगीं- तेरा अभी से इतना बड़ा? इतना तो मैंने ब्लू फिल्म में ही देखा है.
मैं हंस दिया और उनसे लंड चूसने की कहने लगा.
भाभी ने मेरा पूरा का पूरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
‘आह आह आह उफ्फ’ बहुत मज़ा आ रहा था. आज मेरा सपना पूरा हो रहा था.
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद मैंने भाभी को नीचे लेटा दिया और उनकी टांगें खोल दीं.
मैं लंड को चूत पर रगड़ने लगा.
काफी देर करने के बाद भाभी अब लंड के लिए तड़पने लगीं और बोलने लगीं- अब डाल दो ना प्लीज … अब नहीं रहा जा रहा. काफी दिन बाद लंड जाएगा चूत में … आह आह प्लीज़ उफ्फ उम्म!
काफी देर तक लंड से चूत को गर्म करने के बाद मैंने अपने लंड का टोपा भाभी की चूत पर सैट कर दिया और जोर से धक्का दे मारा.
एक ही धक्के में मेरा पूरा का पूरा लंड भाभी की गर्म चूत में घुसता चला गया.
भाभी जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आह मार दिया … फाड़ दी मेरी चूत … इतना बड़ा लंड डाल दिया.
बाहर तेज आवाज में डीजे बज रहा था था, किसी को कुछ सुनाई नहीं दिया होगा.
मैं और जोर से धक्का मारने लगा.
भाभी- आह मर गई जरा रुको आह.
वे थोड़ी देर तक ऐसे ही चिल्लाती रहीं. पर इसके बाद भाभी को भी मज़ा आने लगा.
अब वे भी देसी चुदाई का मज़ा ले रही थीं और मादक सिसकारियां ले रही थीं.
भाभी- आह आह उई मां … उफ़ ऊ आह आह उफ्फ जोर से … और जोर से चोद दे मुझको … फ़ाड़ दे अपनी भाभी की चूत … बना दे इसका भोसड़ा आह आह आ उम उफ्फ!
थोड़ी देर बाद मैं भाभी को घोड़ी बना कर चोदने लगा.
मैं- ले बहन की लौड़ी ले … खा जा मेरे लंड को … उफ्फ क्या ही सेक्सी चूत है तेरी रण्डी … अब तो इसका भोसड़ा बना कर ही रुकूंगा!
भाभी- आह ले ना … मार भोसड़ी के … मेरी चूत में आज बहुत दिन बाद लंड गया है आह मेरी चूत की आग बुझा दे … आह आह उफ्फ!
इतनी देर में भाभी एक बार झड़ गई थीं.
लेकिन मैं भाभी को घोड़ी बना कर चोदता जा रहा था और जोर जोर से उनकी गांड पर चमाट मार रहा था.
काफी देर तक भाभी को घोड़ी बनाकर चोदने के बाद मैंने उन्हें अपने लंड पर बैठने को बोला.
भाभी सीधी खड़ी हुईं और मेरे लंड पर बैठ गईं.
अब भाभी पूरा लंड अन्दर लेने लगीं.
इस पोजीशन में चोदने के बाद मेरा भी निकल गया और मैंने सारा स्पर्म भाभी की चूत में ही गिरा दिया.
चुदाई के बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और शादी को इन्जॉय करने चले गए.
आज हम दोनों ही बहुत खुश थे.
अब हमें जब भी मौका मिलता, तब हम दोनों सेक्स कर लेते थे.
उनके बच्चे भी शायद समझने लगे थे.
लड़की जवान होने को थी, तो वह कुछ ज़्याद ही समझने लगी थी कि उसकी माँ चुद रही है.
अगली बार आपको भाभी की चुदाई की कहानी में आगे लिखूँगा कि तब क्या हुआ जब भाभी की लड़की ने मुझे चुदाई करते देख लिया.
भाभी की चुदाई हिन्दी कहानी पर आपके कमेंट्स मेरे उत्साह को बढ़ाने का काम करेंगे.