सलहज की अन्तर्वासना और जीजा का लंड- 1

गर्ल लाइक बिग डिक साइज़ … लड़कियां बड़ा लंड पसंद करती हैं. डिक साइज़ मैटर … इसी कारण से जब अचानक मेरे साले की बीवी ने मेरा बड़ा लंड देख लिया तो वह मुझसे चुदने के लिए आतुर हो गयी.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम आयुष बिंदल है और मैं रायपुर का निवासी हूँ.
मेरे घर में हम 5 लोग हैं. मैं, मेरी पत्नी, दो बच्चे और मेरी माताजी.

मैं लगभग दस साल से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ.
मैंने कई बार अपनी सेक्स कहानी लिखनी चाही पर किसी ना किसी कारणवश नहीं लिख पाया.

अन्तर्वासना पर आज यह मेरी पहली कहानी है.
किसी भी तरह की कोई त्रुटि दिखे तो प्लीज क्षमा करें.

यह सेक्स कहानी मेरी और मेरी सहलज मानसी के बीच की है.
इसमें नाम और जगह के नाम परिवर्तित किए गए हैं.

मेरी शादी को आठ वर्ष हो चुके हैं और मेरे साले और सहलज के विवाह को लगभग सात वर्ष हो चुके हैं.

यह कहानी आज से दो वर्ष पुरानी है.
मेरे साले व सहलज एक सरकारी बैंक में अच्छी पोस्ट पर काम करते हैं और दोनों का बैंक तो एक ही है, पर ब्रांच अलग अलग हैं.

सरकारी बैंक में नियम है कि अगर आपको प्रमोशन (तरक्की) चाहिए तो हर तीन चार साल में अपना तबादला करवाना होगा.
इससे पहले वे दोनों जयपुर (राजस्थान) में थे और उनका तबादला मेरे शहर से लगभग सौ किलोमीटेर दूर एक छोटे शहर में हो गया.

तबादला आदेश आने के बाद इन्हें तुरंत 3-4 दिन के अन्दर वहां जाकर एक बार जॉइन करना था, फिर कुछ दिन की छुट्टी लेकर अपना सामान वहां शिफ्ट करवाना था.

चूंकि उस नए शहर में एयरपोर्ट नहीं था, तो उन दोनों ने तय किया कि पहले वे हमारे शहर आएंगे, फिर यहां से अगले दिन टैक्सी या ट्रेन से उस शहर जाने का रखेंगे.

नियत तिथि को वे दोनों और साथ में उनकी 4 वर्षीया बेटी आठ बजे दोपहर में एयरपोर्ट पहुंच गए.
मैं उन्हें रिसीव करके अपने घर ले आया.

यहां में बताना चाहूँगा कि इससे पहले मेरे मन में सहलज को ले कोई कामभावना नहीं थी और ना ही उनके मन में … यहां तक कि हम लोग सिर्फ़ जन्मदिन, त्योहार जैसे अवसरों पर ही बात करते थे और आज से पहले शायद 3 या 4 बार ही मिले थे.
हमारी बातें भी आम जीजा सहलज की तरह होती थीं.

हालांकि सलहज का रंग मेरी बीवी से काफ़ी साफ था और बदन भी भरा हुआ था.
मेरी बीवी का वजन लगभग 50 किलो था और मानसी का 65 के करीब.

घर आने पर सबने उन तीनों का अच्छे से स्वागत किया और थोड़ी देर बाद वह नित्याक्रिया के लिए चले गए.

मेरे घर में 3 कमरे हैं. एक मेरा, एक माताजी का और एक गेस्टरूम है.
लेकिन उस गेस्ट रूम में एसी नहीं है.

चूंकि उनकी फ्लाइट सुबह आई थी, तो मैं बिना नहाए उनको रिसीव करके लाया था.

जब तक वे नहा कर रेडी होते, मैं नाश्ता लेने चला गया.
मुझे आने में आधा घंटा लग गया.

तब तक वे तीनों तैयार हो गए थे.
फिर मैं भी नहाने अपने कमरे में चला गया.

दोस्तो, यहीं से असली कहानी शुरू होती है.
उस वक़्त जून का महीना चल रहा था इसलिए गर्मी भी अपने चरम पर थी.
आपको तो पता ही होगा कि बाथरूम में नहाने से उमस सी हो जाती है.

वे सब नहा चुके थे और शायद नाश्ता खाने की तैयारी चल रही थी तो मैं आदतन बिना कुण्डी लगाए शॉवर से नहा रहा था और साबुन लगा कर अपने आंड और लंड को साफ कर रहा था.

तभी मेरी सहलज वहां अपने पुराने कपड़े लेने आई और उसने मेरे लंड को पहली बार देखा.
वह लंड देख कर ठिठक गई.

मैं बाकियों की तरह यह नहीं कहना चाहता कि मेरा लंड दस इंच का है, ना ही मैंने कभी उसे नापा है.
पर जितना भी था, उसके पति से काफ़ी बड़ा था और थोड़ा मोटा भी.

हालांकि मेरा लंड अभी अर्ध जागृत अवस्था में था, पर साले की खड़े लंड से काफ़ी बड़ा ही था.

बीस सेकेंड के बाद मुझे अहसास हुआ कि कोई मुझे देख रहा है.
तो मैंने लंड धोना बंद करके बाहर देखा.

बाहर मानसी खड़ी थी और उसकी आंखें भी मुझसे मिलीं.
तो जरा सी झेंप कर वह बाहर चली गई.
मैं समझ गया कि इसने इतना बड़ा लंड पहले नहीं दखा होगा.
और मैं जानता हूँ कि गर्ल लाइक बिग डिक साइज़!

फिर मैं भी जल्दी से नहा कर कपड़े पहन कर बाहर आया तो देखा कि सबने नाश्ता नहीं किया था.
साले ने कहा कि सब साथ में करेंगे, इसलिए वे सब रुक गए थे.

फिर हम सबने नाश्ता किया.
लेकिन मैंने गौर किया कि मानसी काफ़ी सामान्य थी और ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
वह जैसे बाकी टाइम बात करती थी, वैसे ही कर रही थी.

इस बात पर मैंने भी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और बात आई गई हो गई.
फ़िर मेरी बीवी बच्चे मानसी और उसकी बेटी सब मेरे कमरे में बैठ कर बातें करने लगे.

इधर मैं और मेरा साला दीपेश मार्केट चले गए.
उसे कुछ खरीददारी करनी थी.

चूंकि उस दिन संडे था तो मेरी भी छुट्टी थी और ऑफिस जाने की कोई टेंशन नहीं थी.
मार्केट में दो तीन घंटे के बाद हम लंच पार्सल लेकर घर आ गए.

मेरी माताजी अपने कमरे में सो गई थीं और वे दोनों ननद भाभी गप्पें मार रही थीं.
बच्चे खेल रहे थे.
फिर सबने खाना खाया और बाकी का पूरा दिन आराम से सामान्य तरीके से बीता.

माताजी को ज़्यादा ठंडक पसंद नहीं इसलिए वे ए सी को 28 पर करके सोती हैं.
जबकि हम सबको 20-22 तक करके सोने की आदत है, तो बाकी मेरे कमरे में गद्दा बिछा कर सो गए.

अगले दिन सुबह उठने के पहले जब मर्दों का लंड अपने तनाव पर होता है.
तब मुझे लगा कि किसी ने मेरे लंड पर जोर से चपत लगाई है.

मैंने आस पास देखा, पर कोई ना था.

उठने के बाद गौर किया कि मानसी मुझसे बात तो सामान्य कर रही थी पर स्माइल ज़्यादा दे रही थी.

क्योंकि उनको अभी अपने शहर जाना था इसलिए ज़्यादा बात नहीं हो पाई और वे लोग दो घंटे बाद ट्रेन से चले गए और बात खत्म हो गई.

फिर वे लोग अपना सामान शिफ्ट करवा कर घर किराए पर लेकर पंद्रह दिन में वहां शिफ्ट हो गए.

उधर शिफ्ट हो जाने के दो दिन बाद अचानक से दोपहर एक बजे मेरे नंबर पर मानसी का मैसेज आया.

उसने कहा कि फ्री होकर कॉल करना.

मैं थोड़ा चौंका, पर मुझे भी काम था और उसका भी लंच दो बजे होगा … यह सोच कर मैंने उसे सवा दो बजे कॉल किया.

कुछ देर इधर उधर की सामान्य बात करने के बाद मानसी ने कुछ यूं बताया कि दीदी यानि मेरी बीवी मुझसे परेशान है.
मैंने पूछा- क्यों?
तो उसने कहा कि आप उन्हें रात को बहुत तंग करते हो, इस वजह से!

दरअसल मेरी बीवी को सेक्स में कोई खास रूचि नहीं है.
रात को भी जब मैं उसे छेड़ कर उसका मूड बनाता हूँ तब वह कुछ करती है.
उस पर भी वह दस पंद्रह मिनट के बाद जैसे ही उसका हो जाता है तो वह मुझे भी जल्दी झड़ने का बोल कर ज़्यादा कुछ करने का अवसर नहीं देती क्योंकि उसे नीचे जलन होने लगती है.

फिर और चाहे जो भी हो, आप किसी के साथ जबरदस्ती सेक्स नहीं कर सकते … और मुझे तो ऐसा सेक्स चाहिए था जो दोनों की सहमति से, दोनों की पहल से, दोनों के तृप्त होने तक थोड़ा जोरदार चुदाई दमदार तरीके से हो.

खैर … जब मानसी ने मुझे यह बताया तब मैंने कहा- हां रश्मि (मेरी बीवी) मुझे पूरा सहयोग नहीं करती है, काफ़ी जल्दी उसका हो जाता है!

तब मानसी ने मुझे छेड़ते हुए पूछा- अच्छा तो कितने देर तक टिकने वाली चाहिए आपको?
मैंने भी बिंदास बोल दिया- जब तक दोनों तृप्त होकर थक ना जाएं, तब तक तो होना ही चाहिए!
यह सुन कर मानसी ने भारी मन से कहा- सही बोल रहे हो तुम!

आज यह पहली बार था, जब उसने मुझे तुम कहा और यह भी बोला कि दीपेश का भी यही हाल है, बहुत जल्द ही अपना करके शांत हो जाता है!

तब हम दोनों को ये समझ आया कि सेक्स में रूचि ना होना शायद मेरी बीवी और साले के खून में है.

फिर मानसी ने कहा- अगर कोई लंबा टिकने वाली मिल गई तो क्या संभाल पाओगे उसे!
मैंने भी कह दिया- जब तक दोनों तृप्त ना हों, तब तक सेक्स का मज़ा कहां है!

यह सुनकर वह मुस्कुरा दी और उसने कहा कि भगवान ने चाहा तो जल्द ही दोनों को उनके हिसाब से तृप्त करने वाला मिल जाएगा!

फिर उसे कुछ अर्जेंट काम आ गया और उसने बाइ बोल कर फोन रख दिया.

उसके बाद मेरे मन में उथल-पुथल मच गई कि यह ऐसे क्यों बात कर रही थी … इसके दिल में क्या है?

फिर दिन गुजरा और रात को खा पी कर हम सब सोने चले गए.
क्योंकि बीवी के साथ एक रात चुदाई कर लो, तो दस बारह दिन की छुट्टी हो जाती थी और अभी छह दिन पहले ही सेक्स हुआ था, तो कुछ होना तो था नहीं, पर मानसी की बात सोच सोच कर लंड महाराज अपने उफान पर थे.

ऐसे ही रात के साढ़े ग्यारह हो गए थे कि तभी मानसी का मैसेज आया- सो गए क्या?
मैंने खुश होकर तुरंत रिप्लाइ किया- नहीं, तुम्हारे मैसेज का इंतजार कर रहा था!

उसने तुनक कर कहा- अगर ऐसा होता तो खुद ही पहले मैसेज या कॉल करते!
मैंने कहा- अगर पहले कॉल करता तो कहीं तुम ग़लत ना समझ बैठतीं?

मानसी बोली- घबराओ मत, तुम्हारा अब मुझे कुछ बोलना या करना ग़लत नहीं लगेगा!
यह सुनकर मुझे पक्का यकीन हो गया कि हम दोनों ही मिल कर एक दूसरे की प्यास को अच्छे से बुझा सकते हैं.

उसके बाद मैंने उसे वाय्स कॉल करने को कहा, तो मानसी ने रूम से निकल कर तुरंत कॉल कर दिया.
तब तक मैं भी कमरे से बाहर निकल चुका था और छत की तरफ जा रहा था.

तब मैंने मानसी से पूछा- अचानक तुम मेरे साथ इतना खुल कैसे गई हो?
इस पर उसने कहा- उस दिन तुम्हारा लंड देखने के बाद मुझे अपनी प्यास पूरी होती नजर आई. पर क्योंकि हम दोनों रिश्ते में हैं और ये प्यास बुझाना हर किसी के बस की बात नहीं है. मैं पूरी तरह संतुष्ट होना चाहती थी इसलिए मैंने सोचा कि तुम मेरा यह काम कर सकते हो शायद. इसलिए जब तुम दोनों बाजार चले गए, उसके बाद मैंने तुम्हारी बीवी से सेक्स लाइफ को लेकर सारे सवाल पूछ लिए थे. यहां तक कि तुम्हारा लंड कितना बड़ा है और तुम कितनी देर तक चुदाई कर सकते हो, यह भी जान लिया था.

अब क्योंकि औरतें चूत हाथ में लेकर नहीं घूमतीं कि जहां लंड मिले, वहीं चुदवा लो, इसी वजह से मेरी सलहज ने मुझसे चुदने का मन बना लिया था.
फिर रश्मि ने उसे पूरा बताया कि कैसे मैं उसे निचोड़ देता हूँ और फिर भी मेरा नहीं होता.
ये सब सुनकर सलहज ने अपना विचार पक्का कर लिया था.

सलहज से सारा मामला समझ लेने के बाद मैंने मुस्कुरा कर कहा- तुमने तो मेरे बारे में पता कर लिया, पर अपने बदन के बारे में तो बताया ही नहीं!
मानसी बोली- अब बताना क्यों, सीधा देख कर जो करना हो कर लेना!

तब मैंने कहा- तुम वहां हो और मैं यहां … तो ये होगा कैसे?
वह बोली- जब दिल मिल गए तो बाकी सब भी मिल जाएगा.

यह कह कर वह खिलखिला कर हंस पड़ी.
इस बीच उसने कहा- एक घंटा होने को है, दोनों के पार्ट्नर जाग ना गए हों.

फिर हम दोनों ने एक दूसरे को फोन पर ही बाइ वाली किस की और सोने चले गए.
अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो देखा मानसी ने सिर्फ़ तौलिया पहने हुए अपनी फोटो भेजी थी, जिसमें उसके गोरे गोरे मम्मे कुछ इस तरह से दिख रहे थे कि सिर्फ़ निप्पल छुपे हुए थे बाकी ऊपर का सारा स्तन दिख रहा था.

एक तो सुबह का टाइम, ऊपर से ऐसी फोटो देख कर लंड महाराज फनफना उठे.
तब मैंने भी बाथरूम में जाकर अपने लंड की फोटो मानसी की तुरंत भेज दी.

फोटो देख कर मानसी का तुरंत रिप्लाइ आया- बाप रे, ये तो दीपेश के दुगने से भी बड़ा है!
अपने लंड की तारीफ सुन कर मेरा सीना चौड़ा हो गया.

फिर इसी तरह हमारी बात होने लगी क्योंकि दिन में उसे भी काम रहता और घर जाकर वह बात नहीं कर सकती थी.
इस वजह से हम रात को ग्यारह बजे के आस-पास से एक डेढ़ घंटे के लिए बात करते और अब ज़्यादातर फोन सेक्स ही करते.

हम दोनों ही एक दूसरे को अपने अपने न्यूड फोटो भेजते, पर अभी तक मानसी ने अपने मम्मे और चूत की फोटो साफ साफ नहीं भेजी थी.

वह हमेशा कहती कि जब मिलोगे तब जी भरके देख लेना.

इसी तरह हमें बात करते और फोटो भेजते आठ दिन हो गए थे.

एक दिन उसने बताया कि बैंक की तरफ से कोई मीटिंग है, जो दो दिन की है और मेरे शहर रायपुर से पचास किलोमीटर की दूरी पर किसी जगह पर है.
उसने यह भी कहा कि उस मीटिंग में वह अकेली आएगी यानि दीपेश नहीं आएगा.

यह सुन कर हम दोनों के तन बदन में आग लग गई और मिलने के लिए तड़पने लगे.
मानसी से मैंने मीटिंग की तारीख और समय पूछ कर एक अच्छे से होटल में कमरा बुक कर लिया.

मीटिंग आठ दिन बाद शुक्रवार और शनिवार को दोपहर दो से रात आठ नौ बजे तक होने वाली थी.
मानसी ने कहा कि वह सुबह सात बजे वाली ट्रेन से आएगी और उसे पहुंचने में एक डेढ़ घंटा लगेगा.

मैंने भी घर में ऑफिस का बहाना बना कर सोमवार सुबह तक आने का बोल दिया.

नियत तिथि को मैंने जल्दी से नहा धोकर झांटों को हटा कर लंड को मस्त चिकना बना लिया.

यही काम उस वक़्त मानसी भी अपनी मुनिया के साथ कर रही थी.

फिर मैं नाश्ता करके जल्दी अपनी कार से उस स्थान के लिए निकल पड़ा और मानसी भी ट्रेन में चल पड़ी थी.
अब बस हम दोनों की चुदाई की रेलगाड़ी चलने की देर थी.

दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले भाग में मैं आपको अपनी सलहज के साथ अपनी चुदाई की कहानी को विस्तार से लिखूँगा.

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