नेकेड मॅाम Xxxx कहानी में मैंने पहले अपनी बहन को पड़ोसी लड़के से चुदती देखा, उसके बाद उसी लड़के के बाप ने मेरी सेक्सी मामी की चूत फाड़ दी अपने मोटे लम्बे लंड से.
मैं महेश आपको अपनी मम्मी और दीदी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
अपनी नंगी बहन की चुदाई देखी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी बहन के ऊपर बशीर चढ़ा हुआ था और वह मेरी दीदी की चूचियों को बेदर्दी से मसल कर मुझे घूरने लगा था, जिस पर मेरी बहन ने मुझे गाली देकर कमरे से भगा दिया था.
अब आगे नेकेड मॅाम Xxxx कहानी:
बाहर आया तो आयशा के रूम की लाइट जल रही थी.
मेरे दिल में सोया प्यार उफान मारने लगा.
मैं आयशा से प्यार करता ही था. इतनी पाक मोहब्बत मुझे लगा अपनी जान से गुफ्तगू करने का इससे अच्छा मौका मुझे पहले कभी नहीं मिला.
मेरी हसरत ने मुझे उसके दरवाज़े पर ले जा कर खड़ा कर दिया.
मैं उसके कमरे में दाखिल हुआ तो मेरी सांस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी.
आयशा ने क्रीम रंग की नाइटी पहन रखी थी और वह पेट के बल लेटी लेटी किसी से फोन पर बात कर रही थी.
उसके चूतड़ों से चिपकी नाइटी ने उसकी मादकता को दुगुना कर दिया था.
मुझे देखकर उसने फोन पर कहा- मैं फिर बाद में कॉल करती हूँ!
उसने मेरी तरफ सर घुमाया और कहा- महेश तुम इस वक़्त … क्या बात है?
मेरे दिल में प्यार उमड़ आया.
मैं बोला- बस ऐसे ही आयशा जी, नींद नहीं आ रही थी तो सोचा आपसे बातें करूँ!
आयशा- अच्छा सच में भैया?
आयशा थी बहुत नॉटी लेकिन उसकी इस नॉटीनेस ही तो मुझे उसका दीवाना बना दिया था.
वह जानती थी कि मैं उसको दिल ही दिल में बहुत चाहता हूँ, इसलिए वह मुझे चिढ़ाने के लिए भैया ही बोलती थी.
उसकी चंचलता पर मैंने भी तुर्रा मारा- जी आयशा दीदी जी … क्या आपसे बात हो सकती है?
आयशा- लेकिन मैं आज बहुत परेशान हूँ भैया, मेरे पांव बहुत दर्द कर रहे हैं. मुझसे उठा नहीं जा रहा है. कल कॉलेज भी जाना है और सारे कपड़े गंदे पड़े हैं, वे बाथरूम में रखे हुए हैं. मैंने सारे कपड़े साबुन में भिगो कर रख छोड़े हैं, लेकिन मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही कि साफ करूं!
आयशा की परेशानी समझ कर मैंने सोचा कि यही मौका है, जिससे मैं उसके दिल में अपने लिए जगह बना सकता हूँ.
सो मैं जल्दी से बोला- बस इतनी सी बात … ये काम तो मैं पल भर में कर दूँगा!
आयशा- लेकिन मेरे पांव बहुत दर्द कर रहे हैं.
उसके पांव दबाने के बहाने मैं आयशा का बदन छू सकूँगा, इस अहसास के कारण मेरे मुँह से तुरंत निकला- आप फिक्र मत कीजिए आयशा जी, मैं इतनी अच्छी तरह पांव दबाता हूँ कि सारा दर्द छू मंतर हो जाएगा!
आयशा अदा के साथ हँसी- तो पहले बाथरूम में जाओ, कपड़े साफ कर दो … फिर दर्द का देखेंगे.
मैं बाथरूम में गया तो वहां उसके 3-4 जोड़े पैंटी ब्रा थे और कुछ सलवार सूट्स.
यह मेरी आयशा की पैंटी है, इस अहसास ने मेरे लंड में थिरकन ला दी. पैंटी को सूँघकर देखा तो उसमें आयशा की चूत की खुशबू समाई हुई थी.
एक पैंटी में कुछ चिपचिपा भी लगा था.
चूत ना सही, चूत का रस तो मिला … ये सोचकर मैंने उसे अच्छी तरह चाटा, फिर जल्दी जल्दी सारे कपड़े धो दिए.
कपड़े धोने के बाद मैं वापस रूम में आया तो आयशा फिर से उसी शख्स के साथ बात कर रही थी.
मैं आया तो वह सीधी लेट गयी और मैंने बेड पर बैठते हुए उसके पांव थाम लिए.
मैं धीरे धीरे उसके पैर दबाने लगा.
अचानक मेरे कान में आयशा की आवाज़ गूँजी, तो मेरे दिल पर छुरी चल गयी.
वह कह रही थी- नहीं असलम डार्लिंग, आपको छोड़ कर मेरी ज़िंदगी में कौन आ सकता है. अरे ये तो बगल में रहते हैं वह भाई आए हैं. ये मेरे अच्छे भाई हैं, देखो ना अभी कपड़े साफ करके आए हैं और अब मेरे पांव दबा रहे हैं!
उधर से कुछ कहा गया.
तो जवाब में आयशा ने कहा- अरे आप बेकार शक कर रहे हैं. ये गैर मजहबी हैं और और ऐसा कौन सा गैर मजहबी है, जो आपकी आयशा को आपसे चुरा ले?
उधर से फिर कुछ कहा गया तो आयशा ने कहा- ठीक है अब आपको भरोसा नहीं तो आपकी बात मैं आपके साले साहब से ही करा देती हूँ. यह आपको जीजाजी जीजाजी कहते कहते नहीं थकेगा.
फिर आयशा ने फ़ोन मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा- भाई जान, आपके होने वाले जीजू का फोन है, जरा बात कर लीजिए.
मैंने फोन कान से लगा कर हैलो कहा, तो उधर से आवाज़ आई- साले साहब, अपनी आयशा दीदी का ख्याल रखिएगा, बहुत ज़िद्दी है!
मैंने ‘हां जी जरूर’ कहकर फ़ोन डिसकनेक्ट कर दिया और आयशा के पांव दबाने लगा.
मेरे अन्दर जहां आंधी चल रही थी और इधर आयशा पेट के बल लेट गयी.
सामने उसके गदराए हुए चूतड़ देखकर मेरा ईमान डोल उठा.
मैंने सोचा कि दबाने के बहाने से कम से कम आयशा के चूतड़ ही दबा दूँ.
मैंने तलवे दबाते हुए ऊपर बढ़ना शुरू कर दिया.
जैसे जैसे मैं ऊपर बढ़ता गया मेरा बदन गर्मी से जलने लगा.
मेरा हाथ जैसे ही घुटनों से ऊपर जाँघ पर सरका, मेरा लंड झड़ गया.
हुआ यह था कि जैसे ही आयशा को अहसास हुआ कि मैं कहां बढ़ रहा हूँ, उसने अपने पांव मोड़ लिए थे.
उसने हंसती हुए गर्दन मोड़कर कहा- बस हो गया भाईजान, टख़नों से नीचे ही दर्द था. अब आप जाइए!
मेरा मन सवालों से भर उठा था और दिल दर्द से.
मैंने पूछा- लेकिन आयशा जी, ये असलम कौन है?
आयशा- असलम मेरे होने वाले शौहर हैं. दो महीने बाद हमारा निकाह है. अब आप जाइए, रात बहुत हो चुकी है!
यह सुनते ही मेरी बुद्धि चौपट हो गई.
मेरे वहां रुकने का अब कोई कारण नहीं था.
मैं अपना मुँह लटका कर बाहर आ गया.
कमरे के अन्दर मेरी बहन चुद रही थी और आयशा के पास वापस जाने का कोई मतलब नहीं था.
वह पूछती कि इधर क्यों हो, तो मैं उसे अपने मुँह से कैसे कहता कि मेरी बहन चुद रही है इसलिए मैं उधर नहीं रुक सकता हूँ.
मैं वापस अपने रूम के दरवाज़े पर पहुंचा तो दीदी की कामुक सिसकारियां गूँज रही थीं.
तो मैं दरवाज़े पर ही लेट गया और पता ही नहीं चला कि कब मुझे नींद आ गयी.
अगले 2-3 दिनों में ही मुझे पता चल गया कि कुदरत का कहर मुझ पर और मेरी फैमिली पर टूट पड़ा है.
मेरे अगल बगल जो कुछ हो रहा था, वह मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.
उधर दीदी सारे दिन बशीर के साथ रहती और इधर फकरु मम्मी को पटाने की कोशिश में लगा रहता.
पूरे घर में मेरे लिए कोई जगह नहीं बचती.
आख़िरकार मैंने सोचा कि मम्मी पर ही नज़र गड़ाए रखूँ.
बहन तो हाथ से निकल ही चुकी थी … कम से कम मम्मी को दाढ़ी वाले से बचा सकूँ!
मैंने यह महसूस किया था कि फकरु मम्मी के अगल बगल ही मंडराता रहता और हर एंगल से मम्मी का बदन ही निहारता रहता था.
मम्मी में भी मैंने थोड़ा सा चेंज महसूस किया था कि वे भी फकरु से खूब हंस हंस कर बात करती थीं.
और उस घटना के बाद तो मम्मी में वह बदलाव आया कि वे खुद ही फकरु को सब कुछ दिखाने की कोशिश में रहने लगी थीं.
दरअसल हुआ यह था कि फकरु बाथरूम में नहाने गया था.
तभी मम्मी भी बाथरूम की तरफ चल दी थीं.
मैंने देखा तो कहा- मम्मी फकरु साहब अन्दर हैं!
मम्मी- अच्छा देखती हूँ, दरवाज़ा बंद तो होगा ही न!
मम्मी ने दरवाज़ा खोला तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं.
फकरु अन्दर शॉवर के नीचे नंगा नहा रहा था और वह शायद अन्दर से लॉक करना भूल गया था.
उसकी आंखें बंद थीं.
नीचे उसका लंड 7 इंच लंबा और बेलन जितना मोटा लटक रहा था.
वह अपने लौड़े को सहलाने के साथ साथ बुदबुदा भी रहा था- शीला भाभी, तेरी जैसी पटाखा माल मैंने कभी नहीं देखी … साली तेरी चूत के नाम पर लंड को बार बार खल्लाश करने को जी चाहे … आह ये ले रंडी.
बस यह कहते ही उसके लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी.
मेरी मम्मी ‘उई दैयाआअ …’ कह कर भागीं.
तो फकरु की आंखें खुल गईं और उसने झट से दरवाज़ा बंद कर दिया.
उसके बाद तो उस दिन फकरु शर्म से मम्मी के सामने नहीं आया.
लेकिन शायद कमीना वह कर ही गुज़रा था जो मैं कभी नहीं चाहता था.
क्योंकि उस घटना के बाद मम्मी में वह बदलाव आया था, जो मैंने पहले कभी नहीं देखा था.
अब मम्मी हर वक़्त मेकअप में लिपटी हुई होंठों पर गहरी लिपस्टिक लगाए हुई ऐसे घूमती रहती थीं जैसे लंड चूसने के मूड में हों.
घर में ही वे भड़काऊ ड्रेस पहनने लगी थीं.
मैं समझ गया था कि ये सब फकरु के मूसल जैसे लंड का असर है.
मैं सोच में पड़ गया कि बशीर का लंड भी तो ऐसा ही था, तभी तो दीदी चुदने से पहले मुझसे अपनी चूत में क्रीम लगवाती थी.
मुझे अपने छोटे लंड पर मुझे तरस आया लेकिन क्या कर सकता था?
बहरहाल एक दिन वह भी हो ही गया जो मंज़र मैं अपने जीते जी नहीं देख सकता था.
उस दिन शाम का समय था. मम्मी किचन में थीं.
उन्होंने मुझे आवाज़ लगाई- महेश ज़रा फकरू साहब को भेज … और सुन मुझे डिस्टर्ब मत करना, मैं जरूरी काम कर रही हूँ. तू अपने रूम में बैठ कर पढ़!
मैं- ओके मम्मी, मैं फकरु जी को अभी भेजता हूँ.
मुझे दाल में काला नज़र आ रहा था, सो फकरु को खबर देकर मैं चुपके चुपके उसके पीछे चल दिया.
उसके किचन में दाखिल होते ही मैं खिड़की की झिरी पर आ गया.
अन्दर का नज़ारा देखकर मेरे ज़हन में ब्लास्ट हुआ.
मम्मी इस वक़्त चलती फिरती बॉम्ब लग रही थीं.
वे पिंक साड़ी के साथ मैचिंग वाला बिना आस्तीन का ब्लाउज पहने हुई थीं और वह भी बहुत ज्यादा खुले गले वाला था.
पीछे से उनकी पूरी पीठ नंगी दिख रही थी और आगे से आधी से ज्यादा चूचियां बाहर निकल भागने को झांक रही थीं.
अचानक से मम्मी की आवाज़ से मैं चौंका- आइए फकरु साहेब, आपकी ज़रा मदद चाहिए. ये मक्खन से भरी हंडी ऊपर रखनी है!
मम्मी ने एक बड़ी सी हंडी की ओर इशारा करते हुए कहा था, जो मक्खन से लबालब थी.
फकरु ऊपर चढ़ गया, तो मम्मी ने नीचे से हंडी पकड़ा दी.
पता नहीं किसकी गलती थी, जिसकी भी हो … लेकिन हुआ ये कि हंडी मम्मी के बदन पर उलट कर गिर गयी.
मम्मी हड़बड़ा गईं. उनका पूरा बदन गीला हो गया था और उनके झीने ब्लाउज से उनकी काली ब्रा भी दिखने लगी थी.
मम्मी बोलीं- उफ्फ़ फकरु साहेब क्या कर दिया … और किया भी तो अब खड़े खड़े देख क्या रहे हैं. जल्दी से ये मक्खन हटाइए!
फकरु ने सीधे मम्मी के ब्लाउज को हाथ लगाया, जैसे वहीं से सबसे पहले मक्खन हटाना ज़रूरी हो.
मैं साफ साफ देख रहा था कि वह भोसड़ी वाला मक्खन कम हटा रहा था, मक्खन से मम्मी की चूचियों की मालिश ज़्यादा कर रहा था.
अब चूंकि मक्खन ने ब्लाउज से मम्मी की ब्रा के अन्दर रास्ता बना लिया था तो झटपट से फकरु ब्लाउज और ब्रा हटाने की कोशिश में लग गया.
इसी कोशिश में वह मम्मी से इतना ज्यादा सट गया कि फकरु भी आगे मक्खन से भीग गया.
मम्मी ने हड़बड़ाते हुए कहा- उफ़फ्फ़ आप भी भीग गए फकरु साहेब … लाइए मैं आपका भी साफ कर दूँ!
यह कहते हुए मम्मी ने फकरु की तहमद में हाथ डाल दिया और अपने हाथ में वह पकड़ लिया जो खूँटे की तरह टनटना रहा था.
मम्मी फकरु के कान में फुसफुसाईं- साहेब जब से मैंने आपका लंड देखा है, मेरी चूत आपकी दीवानी हो गयी है.
तब तक फकरु ने मम्मी की ब्रा का आख़िरी हुक भी तोड़ दिया और मम्मी की बड़ी बड़ी चूचियां आज़ाद हो गईं.
उसने मम्मी की साड़ी और पेटीकोट को भी ढीला करके उतार दिया और मम्मी की नंगी गांड पर मक्खन से मालिश करने लगा.
मम्मी के गोरे गोरे चूतड़ एकदम चिकने हो गए थे.
फिर ना जाने क्या हुआ कि उसने तुरंत मम्मी को नीचे लेटा दिया और उनकी चूत पर अपना लंड रख दिया.
मम्मी अभी दर्द का अनुमान अभी लगा ही रही थीं कि फकरु ने जोर का शॉट लगा दिया.
मम्मी कराहीं- उफ्फ़ फकरु साहेब आपका लंड है या घोड़े का मूसल! लग रहा है, आज पहली बार मेरी चूत फटने जा रही है!
फकरु अपने लंड की तारीफ सुनकर मम्मी के गाल पर पप्पी लेकर बोला- शीला भाभी, आपको चोदने का सपना मैं कई दिनों से देख रहा था … ना जाने कितनी बार आपके नाम की मुठ मार चुका हूँ!
मम्मी- तो फिर कहा क्यों नहीं?
फकरु- आप भाव नहीं देती थीं तो मैं सोचता था कि शायद आप मुझे पसंद नहीं करतीं … और भाईजान से सॅटिस्फाइड हैं!
मम्मी- तब मैंने आपका लंड नहीं देखा था ना … जब देखा तो पतिदेव के छोटे लंड पर हँसी आ गयी!
फकरु- तो क्या भाईजान का बहुत छोटा है?
मम्मी- हां फकरु साहब, उनका तो खड़ा होता है, तब केवल ढाई इंच का रहता है. पता ही नहीं चलता कब दाखिल हुए और कब निकले?
मम्मी की बात सुनकर मौलाना साहब उनको जोर जोर से धक्के लगाने लगे और मम्मी की कराहें गूंजने लगीं.
तभी फकरु ने हांफते हुए कहा- शीला भाभी, मैं तुम्हें अब पूरी पूरी रात चोदना चाहता हूँ … लेकिन भाई जान का क्या करें?
मम्मी- आप इसकी फिक्र छोड़िए, मैं हर रात सोने से पहले उन्हें नींद की गोली खिला दूँगी … फिर हर रात अपनी!
यह सुनते ही फिर से ठप ठप की आवाज़ गूंजने लगी.
नेकेड मॅाम Xxxx हालत देखकर ही पता चल रहा था कि इतनी मस्ती में वे पहले कभी नहीं चुदी हैं.
मुझे पापा की किस्मत पर रोना आ गया.
मुझसे और देखना बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं वापस कमरे में आ गया.
दोस्तो, मेरे घर की दोनों चूत लंड से लबालब थीं और मैं अपने लंड की मुठ मार रहा था.