बिग ऐस आंट सेक्स कहानी में मेरे पड़ोस में रहने वाली सेक्सी आंटी एक दिन अचानक मेरे घर आई। घर पर कोई नहीं था और उसने मुझे मुठ मारते देख लिया। फिर हमारे बीच क्या हुआ?
दोस्तो, मैं आपका कमल … आज मैं आपको हमारे पड़ोस में रहने वाली अपनी बिग ऐस आंट सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूं।
कम से कम उम्र 35 साल की और एक नंबर का माल उस आंटी का नाम सुमन था।
उसके पति विदेश में रहते थे।
मैं उसको शुरू से ही पसंद करता था, उसके मोटे मोटे चूतड़ देख, उसकी चूचियों को देखकर मेरा लन्ड उसकी चूत मांगता रहता था.
उसके दो बेटे थे और दोनों की ही शादी हो चुकी थी।
वे दोनों भी काम के चलते शहर में रहते थे।
आंटी कभी उनके पास चली जाती थी तो कभी हस्बेंड वाले घर में रहती थी।
इस वाले में घर में तो आंटी बिल्कुल अकेली ही रहती थी।
कई बार वे मुझसे काम भी करवा लेती थी।
मैं भी आंटी के किसी काम को मना नहीं करता था।
आंटी मुझे बहुत सेक्सी लगती थी।
उसकी मोटी गांड तो खासकर मुझे सबसे ज्यादा पसंद थी।
इतनी मोटी-रसीली गांड लगती थी आंटी की … बस क्या बताऊं।
चलती थी तो दोनों कूल्हे एक दूसरे के ऊपर चढ़ने की कोशिश करते थे।
आंटी की गांड का नजारा देखकर ही लौड़ा वीर्य फेंकने को हो जाता था।
मन करता था कि बस उसकी गांड को खा जाऊं।
एक दिन की बात है कि हमारे घर पर कोई नहीं था।
उस वक्त मैं बाथरूम में से नहाकर बाहर निकला था।
मैं सिर्फ अंडरवियर में था।
तभी मैं देखता हूं कि आंटी सामने खड़ी थी।
मेरा निकलना हुआ और आंटी का आना।
आंटी एकदम से मुझे ऐसे देखकर थोड़ी चौंक सी गई और मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही था।
उसकी नजर दो पल में ही मेरी छाती और जांघों तक घूमकर आ गई।
अंडरवियर में मेरा लंड भी आंटी ने शायद देख लिया था।
वो बोली- क्या कर रहे हो कमल?
मैं- कुछ नहीं आटी, बस नहा रहा था।
आंटी- अच्छा, घर वाले कहां गए?
मैंने कहा- दो दिन बाद आएंगे, बाहर काम से गए हैं।
वो बोली- अच्छा, मैं तो दरअसल घर पर बोर हो रही थी। सोचा कि तुम्हारे घर ही आ जाती हूं। लेकिन तुम्हारे घर वाले भी नहीं है, तुम भी अकेले ही हो। चलो … कोई बात नहीं, मैं दो दिन बाद आ जाऊंगी।
मैंने कहा- अरे आंटी रुकिए न, दो मिनट बैठिए, मैं आपके लिए चाय बनाकर लाता हूं।
वो बोली- चाय बनानी आती है तुम्हें?
मैंने कहा- हां, बस मैं अभी 2 मिनट में कपड़े पहन कर आया और आपके लिए चाय लाया।
फिर आंटी अंदर रूम में आ गई और मैं उससे भीतर वाले कमरे में चला गया।
मैं खिड़की से देखने लगा।
आंटी की उभरी हुई छातियां देखकर मैं तो लंड को सहलाने लगा।
बहुत ही अच्छा मौका था, घर पर कोई भी नहीं था और मैं आंटी को देखकर आराम से मुठ मार सकता था।
मैं वहीं पर खड़ा होकर मुठ मारने लगा।
आंटी के चहरे, उसकी चूचियों, और उसकी गांड के बारे में सोचते हुए मैं आंखें बंद करके लंड हिलाने लगा।
मुझे ध्यान भी नहीं रहा कि मैंने आंटी को चाय के लिए रोक रखा है।
मैं अपनी मुठ में ही व्यस्त हो गया था।
आंटी के नाम की मुठ मैंने पहले भी कई बार मारी थी लेकिन आज दोगुना मजा आ रहा था क्योंकि आंटी मेरे सामने ही थी।
मुठ मारते हुए मैं खो ही गया और एकदम से मेरी आंख आंटी की आवाज से खुली- कमल, क्या कर रहे हो?
मैंने देखा कि सामने आंटी खड़ी थी और गुस्से से मुझे देख रही थी।
मेरा लंड मेरे हाथ में था जो पूरी तरह से तना हुआ था और फनफना रहा था।
मैंने एकदम से अंडरवियर ऊपर करके लंड को छुपाने की कोशिश की लेकिन उसका तंबू पूरा तनकर खड़ा हुआ था।
मैं अब बार-बार लंड के तंबू को अपने हाथ से छुपाने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन लंड था कि बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
आंटी अगले ही पल बोली- शर्म नहीं आती? तू यहां ये सब कर रहा है, और मैं वहां बाहर बैठी हुई हूं। मुझे लगा तू मेरे लिए चाय बनाने में लगा हुआ है।
आंटी मेरी तरफ आने लगी।
मुझे लगा आज तो थप्पड़ पड़ने वाला है और मम्मी को बताएगी वो अलग!
मैं घबरा गया।
मेरे पास आकर एकदम से आंटी ने हाथ बढ़ाया और मेरे अंडरवियर में हाथ डालते हुए लंड को बाहर निकाल कर उसे हाथ में पकड़ लिया।
फिर प्यार से मेरा लौड़ा सहलाते हुए बोली- शर्म नहीं आती तुझे हरामी! इतनी हॉट माल आंटी तेरे सामने बैठी है, और तू अकेला यहां पर इतना मोटा लौड़ा हिला रहा है।
आंटी ने कस कर मेरे लंड को खींच लिया और एकदम से मेरे होंठों पर होंठ रख दिए।
वह जोर जोर से मेरे होंठों को खाने लगी जैसे बरसों की प्यासी हो।
साथ में मेरे लंड को भी जोर जोर से फेंट रही थी।
मैं भी आंटी पर टूट पड़ा और पागलों की तरह उसकी चूचियों को दबाने लगा।
हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह लिपट रहे थे।
पीछे धकेलते हुए मैंने आंटी को वहीं बेड पर गिरा लिया और उसके ऊपर चढ़ गया।
अब अच्छी तरह से उसके होंठों को चूसने लगा और चूचियों को भींचने लगा।
वह भी मेरा साथ दे रही थी, मेरी कमर पर हाथ फिरा रही थी।
एकदम से उसे पता नहीं क्या हुआ, उसने मुझे एक तरफ धकेल दिया।
फिर मेरे लंड पर जोर से एक थप्पड़ मारा जिससे मुझे बहुत दर्द हुआ।
मैं समझ नहीं पाया आंटी को ये क्या हो गया था एकदम से।
फिर वो बोली- बहनचोद … कुत्ते … तू मुझे चोदना चाहता है न … तो पहले मेरा कुत्ता बन, मैं जैसा बोलूंगी तुझे वैसा ही करना पड़ेगा।
मैं अभी भी हैरान था।
आंटी- बोल मादरचोद … नहीं तो मैं अभी अपने घर चली जाऊंगी और ये बात तेरे घर वालों को भी बता दूंगी।
मैंने एकदम से कहा- नहीं-नहीं आंटी, जैसा कहोगी मैं वैसा ही करूंगा।
आंटी- देख लेना, कभी बाद में मना करे।
मैं- नहीं, जो कहोगे वही
होगा।
आंटी- तो मेरे सामने मुठ मार।
मैं अपना लौड़ा हिलाने लगा।
आंटी इतने में अपने कपड़े उतारने लगी।
उसने पहले साड़ी खोली, फिर ब्लाउज उतार दिया।
आंटी की चूचियां नंगी हो गईं।
क्या मस्त गोल मोटी चूचियां थीं … मेरा लंड तो टनटना गया।
मैं तेजी से मुठ मारने लगा।
फिर आंटी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया और उसे भी उतार दिया।
अब वह केवल पैंटी में थी।
ऊपर से आंटी पूरी नंगी और नीचे चूत पर केवल पैंटी, और बिखरे लम्बे बाल।
आह्ह … क्या कमाल की रंडी लग रही थी।
मैं तो दीवाना हो गया उसका ये रूप देखकर!
फिर उसने अपनी पैंटी भी उतार दी और पूरी तरह से नंगी हो गई।
वह मेरे पास आई और मेरे होंठों पर अपना अंगूठा चलाने लगी।
एक दो मिनट तक वो मेरे होंठों पर अंगूठे को रगड़ती रही।
अब उसने अंगूठा मेरे मुंह में डाल दिया और बोली- चूस इसे!
मैं अंगूठा चूसने लगा।
आंटी अब अपने हाथ से चूचियों को सहलाने लगी।
मैं अभी भी आंटी का अंगूठा चूस रहा था और नीचे मेरा हाथ मेरे लंड पर चल रहा था।
फिर उसने अंगूठा मेरे मुंह से बाहर निकाल दिया और मेरे सिर के बाल पकड़ कर मेरा मुंह अपनी चूचियों पर झुका दिया।
मैं आंटी की चूचियों को पीने लगा, उसके निप्पलों को काटने लगा।
अब आंटी ने मेरा हाथ मेरे लंड से हटाकर खुद ही लंड को थाम लिया।
वह बहुत तेज-तेज मेरे लंड को हिलाने लगी।
इतनी तेज कि मुझे जोर का दर्द होने लगा।
मैं बोला- मुझे दर्द हो रहा है आंटी।
आंटी- बहन चोद कुत्ते … चुप हो जा, मैंने कहा था कि जैसा मैं बोलूंगी वैसा करना पड़ेगा। तू कुछ मत बोल नहीं तो तेरी मम्मी चोद दूंगी मैं!
उसके बाद मैं चुपचाप खड़ा रहा।
आंटी मेरे लन्ड को हिला रही थी।
अब आंटी ने मुझे नीचे लिटाया और मेरे मुंह पर अपनी चूत रख कर बैठ गई- आआह … आहह्ह … हए … आह्हह्हह चाट कुत्ते … अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल बहन चोद!
आंटी एक हाथ पीछे ले जाकर मेरे लन्ड को हिलाने लगी और मेरे मुंह पर चूत को आगे पीछे हिलते हुए रगड़ने लगी।
मुझे भी आंटी की चूत में मुंह देने में बड़ा मजा आ रहा था।
उसकी चूत से मस्त खुशबू आ रही थी।
मैं मस्ती में आकर कुत्ते की तरह आंटी की चूत चाट रहा था।
अब आंटी मेरे मुंह से उठकर मेरे लंड के पास जा बैठी और नीचे झुकते हुए मेरे होंठों को जीभ से चाटने लगी जिन पर उसकी चूत का पानी लगा हुआ था।
वह कई मिनट तक मेरे होंठों को चूसती रही।
मैं भी उसके होंठों को चूसते हुए उसकी गांड पर लंड को रगड़ रहा था।
फिर वह उठकर घोड़ी बन गई और बोली- आजा मेरे कुत्ते, अब मेरी गांड चुसाई कर!
मैं आंटी के करीब गया और दोनों चूतड़ों की पहाड़ियों को अलग-अलग हटाते हुए उसकी गांड का छेद देखने लगा।
आह्ह … क्या गांड थी आंटी की … एकदम से गोरी … और गांड का छेद एकदम से गुलाबी।
मेरे मुंह में पानी आने लगा।
मैंने आंटी की गांड के छेद पर मुंह रख दिया और चाटने लगा।
बड़ी रसीली गांड थी साली की।
आंटी- आआह … आआ हह … आह्ह ह्हह … चूस कमल … आज पहली बार मेरे मन की हुई है … चाट ले तेरी इस कुतिया रांड की गांड-चूत को … आह्ह ह्ह … ह्हह … गांड के अंदर जीभ डाल भोंसडी के!
जैसा आंटी बोल रही थी मैं वैसा ही कर रहा था।
आंटी के छेद को चाटने में बड़ा मजा आ रहा था।
मैं छेद के अंदर जीभ डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन जीभ ज्यादा अंदर जा नहीं पाती थी।
आंटी एकदम मस्त हो चुकी थी।
फिर वह उठी और मुझे सीधा लेटा दिया, वह खुद आकर मेरे लंड पर बैठने लगी।
बैठते हुए आंटी ने मेरा लंड अपनी चूत में उतरवा लिया और उस पर कूदने लगी।
वह मस्ती में चुदने लगी।
चुदते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैंने भी आंटी की गांड को थाम लिया था और दोनों हाथों से उछालते हुए उसकी मदद कर रहा था।
वह कभी मेरे कानों को चूमने लगती तो कभी गर्दन को!
चूत में लंड लेकर आंटी को बहुत मजा आ रहा था।
5-7 मिनट तक आराम से उछलने के बाद उसकी स्पीड तेज होने लगी।
आंटी- आआ आह कमल … हाह्ह … आहह … मेरी चूत की गर्मी को ठंडा कर दे … आआह ह्ह कमल … मुझे अपनी रखैल बना ले … मुझे इतना प्यार कर इतना प्यार कर … मुझे खा जा … जैसा तू चाहे वैसा कर मेरे साथ आह्ह!
रंडी आंटी मजा ले लेकर बोलती रही- तेरा लंड कितना सख्त है … कितना मजा आ रहा है … आह्ह … कमल मुझे चोद … इतने दिनों से बहुत प्यासी थी … आज चोद मुझे। आज तू इसको ठंडी कर दे बहन चोद … कमल आह्ह … मुझे रहा नहीं जा रहा। आह्ह मैं आने वाली हूं … आह्ह कमल … आह्ह।
इतने में ही आंटी एकदम से उठी और मेरे मुंह पर अपनी गर्म चूत रख दी।
उसकी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
मैं आंटी की चूत का सारा पानी पी गया।
चाट चाटकर मैंने चूत को पूरी साफ कर दिया।
आंटी की चूत का पानी पीकर लग रहा था जैसे अमृत पी लिया हो।
फिर वह शांत होती चली गई और मेरे बगल में लेट गई।
मैंने कहा- आंटी आपका तो हो गया, लेकिन मेरा क्या? मेरा तो अभी भी वैसे ही तना हुआ है.
मैंने हाथ से लंड को हिलाते हुए कहा.
वह बिग ऐस आंट बोली- मेरी तो हिम्मत नहीं है अब कुछ करने की … तू ही उठ … उठकर मेरी चूचियों के बीच में लंड डाल!
मैं उठा और आंटी की चूचियां में लंड दे दिया।
आंटी ने अपनी चूचियों के बीच में मेरे लंड को भींच लिया।
फिर मैं धक्के देने लगा।
अब मैं आंटी की चूचियों को चोदने लगा।
आंटी बीच-बीच में मेरी गांड पकड़ कर लंड को अपने मुंह तक ले जाती थी और चूसने लगती थी।
कभी लौड़े को जीभ से चाटने लगती थी।
मुझे भी बिग ऐस आंट सेक्स करने में बहुत मजा आ रहा था।
दस मिनट तक मैंने आंटी की चूचियों को चोदा और फिर मैंने वहीं चूचियों की घाटी में सारा माल गिरा दिया।
आंटी बड़े प्यार से उस माल को अपनी चूचियों पर रगड़ने लगी।
हल्के हाथों से वो माल की मसाज अपनी चूचियों पर कर रही थी।
आंटी की चूचियां एकदम चिकनी हो गई थीं।
मैं भी जाकर आंटी के बगल में लेट गया।
इस तरह से आंटी की मैंने पहली चुदाई की और आंटी एकदम से खुश हो गई।
दोस्तो, आपको यह बिग ऐस आंट सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे कमेंट्स में जरूर बताना।