हॉट भाभी Xxx फक कहानी में मेरी बीवी की भाभी ने मेरा बड़ा लंड देखकर मुझे सेक्स के लिए पटाया और होटल में चुदाई का मजा लेने का प्रोग्राम बना लिया.
फ्रेंड्स, मैं आयुष एक बार पुनः अपनी सलहज मानसी की चुदाई की कहानी के अगले भाग के साथ हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
सलहज हुई मेरे लंड की दीवानी
में आपने अब तक पढ़ लिया था कि मेरी सलहज और मेरे बीच चुदाई की बिसात बिछ चुकी थी और अब बस चुदाई होना शेष थी.
अब आगे हॉट भाभी Xxx फक कहानी:
हम दोनों अपने मिलन को लेकर काफ़ी उत्सुक थे क्योंकि मैं कार से आ रहा था और सिर्फ़ पचास किलीमीटर की ड्राइव करनी थी तो मैं जल्दी पहुंच गया.
पहले से होटल में जाकर अपने बुक किए हुए रूम को अच्छे से चैक किया कि वहां पहुंचने के बाद रूम की सर्विस को लेकर हमें कोई परेशानी हो और उसमें फालतू का वक़्त जाया न हो.
होटल में सब सैट करने के बाद मैं वापस स्टेशन आ गया.
लगभग सवा आठ बजे मानसी की ट्रेन आई.
मैंने उसे प्लॅटफॉर्म से रिसीव किया.
आज पहली बार मानसी को अपनी गर्लफ़्रेंड के तौर पर देख कर एक अलग से आनन्द की अनुभूति हो रही थी.
उसने हल्के पीले रंग का सूट पहना हुआ था, दुपट्टा एक साइड कंधे पर था एक हाथ में मोबाइल और दूसरे हाथ में सूटकेस था जिसमें उसके अगले दिन के कपड़े और जरूरी सामान था.
जब वह मेरे पास आई तो मैं इसी उधेड़बुन में था कि उससे कैसे मिलूँगा.
पर मानसी बिना कोई संकोच या किसी की परवाह किए सीधा मेरे गले लग गई और थोड़ा जोर लगाकर मुझे अपने आलिंगन में बाँध लिया.
मैंने भी तुरंत उसे अपने आगोश में लिया और बिल्कुल छोटी सी किस उसके नर्म गोरे गाल पर कर दी.
वह किस इतनी छोटी थी कि कब हुई, किसी को पता भी नहीं चला.
क्योंकि यह कोई महानगर तो है नहीं कि आप जो चाहे पब्लिक्ली करो.
मैं भी नहीं चाहता था कि कोई देखे और बात बने.
इसलिए हम दोनों वहां से निकल कर सीधा कार में आ गए.
कार में आकर हमने एक जोरदार हग किया, जिससे मानसी के दूध मेरे सीने से काफ़ी जोर से दबे हुए थे.
दो मिनट बाद हम वहां से होटल के लिए निकले.
रास्ते में मानसी काफ़ी खुश होकर खिलखिला कर बात कर रही थी.
इसी बीच मैंने उसकी पसंद पूछ कर रास्ते में मेडिकल स्टोर से दस पीस वाला एक पैकेट डार्क चॉक्लेट कंडोम का ले लिया.
फिर हमने बाहर ही हल्का सा नाश्ता किया ताकि मिलन के वक़्त होटल वाला नाश्ते या खाने को लेकर तंग ना करे.
मैं सुबह ही होटेल में चैक-इन कर चुका था इसलिए कार को पार्क करके हम लोग सीधा कमरे में चले गए.
कमरे में पहुंच कर मानसी ने अपना सामान सलीके से अलमारी में रखा और आकर मेरे सीने से लग गई.
मैंने भी उसको अपने आगोश में भर लिया.
उसके 34 साइज के दूध मेरे सीने में दबे जा रहे थे.
कुछ मिनट तक हमने सिर्फ़ एक दूसरे को महसूस किया.
फिर धीरे से उसने अपना मुँह ऊपर किया और हमारे होंठ आपस में मिलते चले गए. हम दोनों बिल्कुल आराम से किस कर रहे थे इसलिए कि हम दोनों में से किसी को जल्दबाज़ी नहीं थी.
हम दोनों हर लम्हे का पूरा मज़ा लेना चाहते थे.
दोस्तो, उसके नर्म गुलाबी होंठों को चूम कर ऐसा लग रहा था, जैसे मक्खन और शहद का मिश्रण हो.
इस दौरान हम दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन को परस्पर सहला रहे थे.
हम दोनों एकदम चिपक कर किस कर रहे थे, इस वजह से मानसी के दूध को मसलना मेरे लिए संभव नहीं था.
मैंने उसके नितंबों को मसलना चालू कर दिया.
मानसी के नितंब ऐसे थे जैसे पानी भरे हुए दो गुब्बारे हों, एकदम नर्म.
दस मिनट बाद जब हम दोनों अलग हुए तो उसने कुछ पल इंतजार करने को कहा और अपने पति को सही सलामत पहुंचने की खबर दी.
फिर उसने अपने मैनेजर से बात करके आज के उसके काम का पूरा ब्यौरा लिया ताकि बाद में कोई तंग ना करे.
इसके बाद वह अपना सूटकेस लेकर बाथरूम में चली गई और दस मिनट के बाद एक पतली झीनी सी काले रंग की नाइटी पहन कर बाहर आई.
यह काले रंग की नाइटी उसके गोरे बदन के साथ कयामत ढा रही थी.
उसने यह नाइटी आज के इस खास मौके के लिए तीन दिन पहले ही खरीदी थी.
उस झीनी सी नाइटी के अन्दर उसने ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी.
उसकी ब्रा पैंटी उसके तराशे हुए जिस्म को मस्त नुमाया कर रही थीं.
फिर वह बड़ी अदा के साथ मेरे पास आई.
मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था.
उसने मुझे धकेल कर लिटा दिया और धीरे से मुझ पर चढ़ कर किस करने लगी.
हम दोनों के होंठ आपस में उलझे हुए थे और पहले किस के मुकाबले अभी हमारा किस और जोर से हो रहा था.
चुंबन के साथ साथ हम एक दूसरे को थोड़ा थोड़ा काट भी रहे थे जिससे मीठा मीठा दर्द एक अलग ही मस्ती दे रहा था.
उसके हाथ मेरे सिर में उलझे थे और मैं अपने हाथों से उसके चूतड़ और उसकी पीठ को सहला रहा था.
मानसी कभी मेरे गले को काटती तो कभी मेरे कान की लौ को चबाती … तो कभी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल देती.
सच कहूँ तो उस वक़्त हम दोनों जन्नत की सैर कर रहे थे.
कुछ देर बाद वह मेरे ऊपर से हटी और उसने मेरी टी-शर्ट और बनियान को निकाल कर फेंक दिया.
साथ ही टीवी का रिमोट उठा कर उसे चालू करके एक म्यूजिक चैनल लगा कर उसकी आवाज को काफी तेज करते हुए बढ़ा दिया ताकि हमारी आवाजें बाहर ना जा सकें.
फिर उसने मेरे सीने पर किस करना शुरू किया और मेरे निप्पल को हल्का सा चबाते हुए लाल कर दिया.
इतना सब होने के बाद अब मेरी बारी थी.
मैंने उसे अपने नीचे लिटाया और उसके पूरे चेहरे पर अपने चुंबनों की बौछार करने लगा.
उसकी आंखें, गाल, सुराही जैसी गर्दन, कान, नाक सबको चूम चूम कर मैंने अपने प्यार से उसे सराबोर कर दिया.
उसके बाद मैंने उसकी काली नाइटी को उसकी मांसल जांघों से ऊपर करना शुरू किया और धीरे धीरे उसका पूरा गोरा बदन मेरी आंखों के सामने आने लगा.
पहले उसकी काली पैंटी जो उसकी योनि के अन्दर घुसी हुई थी और साथ ही कामरस से भीगी हुई थी.
फिर उसका चिकना पेट … और फिर मक्खन से गुंदाज दो गोले!
सिर को उठा कर उसने अपने नाइटी को उतारने में पूरा सहयोग दिया.
मैंने उसके गले पर हल्का सा काट कर लव बाइट का निशान दे दिया.
फिर उसकी ब्रा की स्ट्रिप्स को कंधे से उतार कर साइड में कर दिया और धीरे से उसकी ब्रा को नीचे सरका कर उसके चिकने पेट तक कर दिया.
अब मेरे सामने उसकी तनी हुई चोटियां थीं जिन्हें मसलने के लिए मैं पिछले कितने दिनों से व्याकुल था.
उसके चूचों का रंग बिल्कुल गोरा और लगभग पांच रुपये के सिक्के जितना चौड़ा एयरोला था और उस पर मटर के दाने जितना बड़ा कड़क भूरा निप्पल अपने घमंड में अकड़ा हुआ था.
अगले एक मिनट तक तो मैं सिर्फ़ उसके दोनों मम्मों को देखता ही रहा.
वह शर्मा गई और उसने हौले से कहा- चूस लो न!
मैं मुस्कुरा दिया और मैंने अपने दोनों हाथों में एक एक स्तन को पकड़ कर धीरे धीरे मसलना शुरू कर दिया.
मानसी की मादक सिसकारियां भी निकलनी शुरू हो गईं.
फिर मैंने मानसी के एक स्तन को अपने मुँह में भर लिया और उसके निप्पल को अपनी जीभ से चाटने लगा.
मानसी तो पागल सी हो गई.
वह मेरे सिर के बालों को खींचने लगी और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी.
मैंने मन ही मन कहा कि खींच ले मेरी बुलबुल मेरे सारे बाल, तेरे जैसे स्तनों को पाने के लिए अगर मुझे गंजा भी होना पड़े, तो कोई गम नहीं!
मैं कभी एक स्तन को मसलता और दूसरे को मुँह में भरता, तो कभी दूसरे को मसलता और पहले को मुँह में भर लेता.
फिर नीचे आकर मैंने उसके पेट को चाटना शुरू किया.
लेकिन उसकी ब्रा बीच में आ रही थी तो मैंने मानसी को पलट कर पेट के बल लिटा दिया और उसके शरीर के बचे हुए दोनों कपड़ों के टुकड़े से एक को हटा कर दूर फेंक दिया.
दूसरा टुकड़ा यानि पैंटी आगे से चूत में और पीछे से उसकी गांड की दरार में घुसी जा रही थी.
मैं उसकी पीठ को चूमते हुए अपने दोनों हाथ उसके गुंदाज गोलों में घुसा कर मसलने लगा.
उसने भी अपने कंधे को ऊपर उठा कर सहयोग किया.
पीठ को चूम कर उसे जब मैंने सीधा लिटाया तो उसने मुझे खड़े होने को कहा ताकि वह मेरी जीन्स उतार सके.
मानसी ने मेरी जीन्स को धीरे धीरे बड़ी अदा के साथ खोला और उतार कर नीचे फेंक दिया.
चड्डी में मेरा लंड फुँफकार रहा था और पूरा तंबू बना हुआ था.
मानसी ने देखा और मुस्कुराकर उसे चड्डी के ऊपर से मसल दिया और मेरे लंड का अंदाज़ा लगाने लगी.
उसकी आंखों में अजीब सी चमक थी जो साफ साफ कह रही थी कि ये लंड उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर देगा.
वह मेरी चड्डी को नीचे करना चाह रही थी.
पर मैंने उसे रोक दिया और उसके होंठों को चूम कर सीधा नीचे लिटा दिया.
फिर उसके पेट को चूम कर मैं उसकी नाभि में अपनी जीभ चलाने लगा.
वह फिर से मस्ती के समंदर में गोते लगाने लगी.
अब मैंने नीचे होकर उसकी पैंटी को सूँघा जो कामरस से सराबोर हो चुकी थी.
मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी योनि को सूंघ कर चाटा … तो वह कसमसा उठी और उसने खुद ही अपनी पैंटी को उतार कर अलग कर दिया.
अब मेरे सामने दुनिया की सबसे सुंदर चूत थी … बिल्कुल गुलाबी रंग की चूत … जिस पर बाल तो क्या, रोयें का भी नामो निशान नहीं था.
मैंने तुरंत थोड़ा सा सहला कर उस गुलाबी चूत को अपने मुँह में भर लिया और अपनी जीभ अन्दर तक डाल कर चाटने लगा.
मानसी की सिसकारियों की आवाज बढ़ने लगी.
वह अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी.
मैंने भी एक हाथ से उसकी चूत के अन्दर धीरे धीरे उंगली करना शुरू किया और दूसरे हाथ से उसके स्तन मसलने लगा.
क्योंकि चूत चटवाने का यह उसका पहला अनुभव था इसलिए दस मिनट के अन्दर ही जोर से चिल्लाती हुई वह झड़ गई और उसने अपनी चूत से नमकीन पानी छोड़ दिया.
फिर तुरंत मुझे ऊपर खींच कर मेरे होंठों को किस करने लगी जिससे कि उसके कामरस का स्वाद भी उसे मिलने लगा.
पांच मिनट के बाद उसने मुझे नीचे लिटाया और मेरे ऊपर सवार हो गई.
वह तुरंत ही मेरे लंड को सहलाने लगी.
फिर उसने मेरी आंखों में देखा और लंड पर जीभ फिरा कर आधा लंड मुँह में भर लिया … और बड़ी ही नाज़ुक अदा के साथ चूसने लगी.
मैं वासना के समंदर में गोते लगाने लगा.
मेरा लंड पूरा उसके मुँह के अन्दर जा नहीं पा रहा था.
पर जितना भी मानसी से बन रहा था … वह उतना अपने मुँह में भरने का प्रयास कर रही थी.
दस मिनट के बाद उसने मेरा लंड छोड़ा और खुद ही कंडोम निकाल कर लंड पर पहनाने लगी.
लंड पर कंडोम चढ़ जाने के बाद मैंने उसे नीचे लिटाया और उसकी गांड के नीचे तकिया कुछ इस तरह से लगाया जिससे उसकी चूत उभर कर मेरे सामने आ गई.
फिर मैंने अपने लंड से उसकी चूत को पांच छह बार रगड़ा और धीरे से अन्दर डालने लगा … क्योंकि उसके पति का लंड काफ़ी छोटा था इसलिए मानसी की चूत काफ़ी टाइट थी.
तीन चार कोशिश के बाद लंड धीरे धीरे उसकी गुलाबी चूत के अन्दर जाने लगा.
उधर लंड ने अन्दर जाना शुरू किया और इधर मानसी ने अपनी आंखें जोर से बंद करके अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गड़ा दिए.
मैंने अभी अपना आधा लंड ही मानसी की चूत के अन्दर डाला था.
मैं अब अपने आधे लंड को ही धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
उसी के साथ ही मानसी के नाख़ूनों का दबाव भी मेरी पीठ पर बढ़ता जा रहा था.
बीस पच्चीस धक्कों के बाद जब मानसी कुछ सामान्य हुई तो मैंने उसे एक जोरदार किस किया और झटके से अपना पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.
उसकी घुटी घुटी सी चीख हम दोनों के किस में दब कर रह गई लेकिन उसने नाख़ून इतनी जोर से मेरी पीठ पर गड़ा दिए मानो लगा कि खून निकल आया हो.
दो मिनट तक मैंने अपना लंड मानसी की चूत में बिना हिलाए डुलाए डाले रखा और उसे धीरे धीरे किस करने लगा.
वह कुछ सामान्य होती दिखी तो मैं हल्के हल्के से अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
पंद्रह बीस धक्के के बाद मैं सीधा होकर अपने घुटने के बल बैठा और दोनों हाथों से मानसी के स्तनों को मसलते हुए उसकी चूत को चोदने लगा.
हर धक्के के साथ मानसी के मुँह से कामोत्तेजना भरी आवाज आहह आहह निकलने लगी.
वह इस पल का भरपूर मजा ले रही थी.
अब वह मेरा पूरा सहयोग कर रही थी और चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी.
दस मिनट के बाद वह जोर जोर से आहें भरती हुई एकदम से अकड़ गई और फिर से झड़ गई.
उसकी चूचियां मेरे सीने से काफ़ी जोर से दबी हुई थीं.
मैं कुछ देर रुका रहा और चूंकि मैं अभी झड़ा नहीं था तो मैंने फिर से रेलगाड़ी चलाना शुरू कर दी.
अब चूत में काफी ज्यादा चिकनाई हो गई थी तो लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा था.
बीस पच्चीस धक्कों के बाद वह मस्ती में आ गई और मुझे अपनी गांड उठा कर जबाव देने लगी.
मैंने भी पूरा लंड सुपारे तक बाहर निकाल कर अन्दर बच्चे दानी तक ठांसना चालू कर दिया था.
तो वह अकबकाने लगी थी और उससे रहा नहीं गया तो वह जोर जोर से सांस लेती हुई फिर से झड़ गई.
उसकी नर्म चूत कामरस से भीग कर सराबोर हो गई थी.
उसने मुझे रोक कर कंडोम को हटा दिया और कहा- अब इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे!
दोस्तो, अब जब मैंने बिना कंडोम के मानसी की चुदाई शुरू की तो कसी हुई चूत की वजह से हम दोनों को एक अलग ही आनन्द की अनुभूति हो रही थी.
हर धक्के के साथ हम दोनों के मुँह से ‘आअहह आहह’ की आवाज आ रही थी.
मैं उसके ऊपर से हटा और बिस्तर से नीचे उतर कर खड़ा हो गया.
मैंने मानसी को लेटी हुई अवस्था में ही अपनी तरफ किनारे पर खींचा एवं उसकी दोनों टांगों को अपने दोनों कंधों पर रखकर धक्कम पेल चुदाई शुरू कर दी.
अब की बार मैं अपना लंड बहुत जोर जोर से अन्दर बाहर कर रहा था और एक हाथ से उसके रसभरे स्तन को भी दबा रहा था.
पंद्रह मिनट के बाद जब मेरा लावा फूटने को हुआ तो मानसी ने समझ लिया.
उसने मुस्कुराकर कहा- बिंदास अन्दर ही डाल दो.
मैं लग गया और पंद्रह बीस करारे झटके देने के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए.
मेरा लावा मानसी की चूत में लबालब भर गया.
हॉट भाभी Xxx फक के बाद मैं मानसी के ऊपर ही लेट गया.
हम दोनों को चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थे.
कुछ देर बाद जब हम सामान्य हुए तो बाथरूम में जाकर अच्छे से एक दूसरे को साफ किया और नंगे ही बेड पर लेट गए.
चूंकि मानसी को मीटिंग में जाना था इसलिए दूसरे राउंड का वक़्त नहीं था.
पर अभी वह कल रात तक मेरे साथ थी तो अभी तो बहुत कुछ होना बाकी था.
इसलिए कुछ देर बाद हम तैयार होकर उसकी मीटिंग वाली जगह पर चले गए.
दोस्तो, यह थी मेरी और मानसी की पहली चुदाई की कहानी!
उम्मीद है आपको कहानी पसंद आई होगी.
आगे दो दिनों में क्या क्या हुआ, मैं वह सब कुछ विस्तार से अगली कहानी में लिखूँगा.