मेरी अन्तर्वासना ने क्या गुल खिलाये- 1

नयी जवानी का सेक्स कैसा होता है, इसका मुझे ख़ास कुछ पता नहीं था. दोस्तों ने मुझे काफी कुछ बताया तो मेरी रूचि सेक्स में काफी ज्यादा हो गयी.

लेखिका की पिछली कहानी: लॉकडाउन में बुआ की बेटी की चुत का मजा

दोस्तो, मेरा नाम समीर है. मैं मुंबई में रहता हूं. मेरी छोटी सी फैमिली है. मैं और मेरे मम्मी-पापा.

सबको पता ही है कि मुंबई सपनों का शहर है. सब चाहते है कि वो मुंबई आएं.
पर हकीकत कुछ और ही है. मुंबई में इंसान खुश तभी है, जब उसके पास पैसा हो.

मेरे पापा ड्राइवर हैं और मम्मी अस्पताल में काम करती हैं. मेरी फैमिली मिडिल क्लास फैमिली है. एक हॉल, एक रूम और किचन … यही छोटा सा घर है हमारा.

उन दिनों मैंने 12 वीं का एग्जाम दिया था और कुछ काम ढूँढ रहा था, जिससे मैं भी घर पर कुछ पैसे दे सकूं.

मेरी लाइफ में अभी तक चुदाई का मौका नहीं मिला था. नयी जवानी का सेक्स कैसा होता है, इसका मुझे ख़ास कुछ पता नहीं था. कॉलेज के दिनों दोस्तों से इतना पता भर चल पाया था कि लड़की को नंगी देखो, तो लंड खड़ा हो जाता है.
फिर खड़े लंड को जोर जोर से रगड़ने से लंड सफेद रंग का पानी सा बाहर छोड़ देता है, जिससे बहुत सुकून मिलता है.

शुरू शुरू में किताबी कहानियों से काम चल जाता रहा.

सविता भाभी, मल्लू आंटी, रेखा आंटी. इन भाभियों को किताबों के अन्दर देखकर भी ऐसा लगता, जैसे ये अपनी चूत किताब से बाहर निकाल कर देती हैं. उनके ब्लाउज का हर एक हुक खुद खोलने का अहसास होता था.

एक दो बार किताब पढ़ते पढ़ते मैंने किताब पर भी मुठ मार कर रस की छींटे उड़ा दिए थे. जब इस बात को मैंने दोस्तों से बताया तो उन सालों ने मेरा काफी मजाक उड़ाया.

फिर एक दिन ऐसा हुआ कि मेरे एक पक्के दोस्त मनीष ने मुझे अपने घर से एक ब्रा लाकर दी थी. वो नीले रंग की थी. आगे की तरफ जालीदार थी. वो ब्रा काफी बार पहनी हुई थी, जिसे मैं सूंघ सूंघ कर अपना लंड हिला लिया करता था.

मनीष की एक गर्लफ्रेंड थी, वो उसके साथ काफी मजे करता और उसके साथ की सेक्स कहानी को सुना कर मुझे जलाता.

उसकी सेक्स कहानी सुनकर मेरा भी मन करता कि मैं भी कसी की चुत चुदाई करूं.
पर क्या करूं … मेरी किसी लड़की को पटाने की हिम्मत ही नहीं होती थी.
बस कॉलेज की लड़कियों के छिप कर फोटो लेना और उस फोटो को देख कर लंड हिला लेना. बस मुझे इतना ही आता था.

बचपन से मैं समझता आया था कि मम्मी पापा के सिवाए मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है. ना दादा दादी, ना चाचा चाची, कोई रिश्तेदार भी नहीं था.

एक दिन सुबह सुबह पापा को किसी अनजान नंबर से कॉल आया. पापा फोन पर बात कर रहे थे. फोन रखने तक वो काफी घबराए हुए महसूस होने लगे थे.

फिर जल्दी से पापा ने एक बैग में सामान रखा और किसी गांव चले गए.

करीब दो दिन बाद पापा वापिस आ गए.
उस दिन मैं टीवी देखते हुए बैठा था. अचानक दरवाजा खटखटाया, मैंने खोला तो पापा बाहर खड़े थे.

मैं उनसे कुछ पूछता कि वो अन्दर चले आए. उनके पीछे एक लड़की खड़ी थी. करीब 5 फिट लंबी, बालों की दो चोटियां बनाई हुई थीं.
सांवला रंग, भरा हुआ अंग. उसके स्तनों का साइज 32-D का रहा होगा. फिगर एकदम परफेक्ट था, वो किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने में सक्षम दिख रही थी. बहुत ही सादे कपड़े पहने थी, पर जवानी काफी हॉट एंड सेक्सी थी.

उसे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे पापा गांव से कोई अप्सरा उठा लाए थे. उसका चेहरा काफी मायूस था. वो काफी उदास लग रही थी.

पापा ने उसे घर के अन्दर बुलाया.

मेरे दिल में हजारों सवाल उठ रहे थे. आखिर ये है कौन, पापा इसे क्यों लाए हैं. मम्मी भी मेरी तरह परेशान थीं.

उसका नाम पूजा था, वो मेरे चाचा की लड़की थी. मतलब मुझे अभी अभी पता चला था कि मेरे कोई चाचा भी थे, पर वो अब इस दुनिया में नहीं रहे थे.

दरअसल कुछ कारण से अचानक ही मेरे चाचा चाची की मौत हो गई थी. पूजा उनकी अकेली बेटी थी. उसे संभालने वाला अब कोई नहीं रहा था, इसी लिए पापा उसे अपने साथ ले आए थे.
वो अब हमारे साथ रहने वाली थी.

मुझे उस पर दया आ रही थी.
पर मैं सोच में पड़ गया था कि अब ये घर में रहेगी कहां … घर में तो जगह ही नहीं थी. पर जैसे तैसे सब एडजस्ट हो गया.

कुछ दिन बीत गए.

पूजा कुछ हद तक सबके साथ घुल-मिल गई थी. मम्मी पापा दोनों भी काम पर चले जाते, तो पूजा घर का सब काम कर लेती.
अभी तक मैंने पूजा को अपनी बहन स्वीकार किया हुआ था. घर में हम काफी एडजस्ट कर रहते थे.
मम्मी पापा रूम में, मैं और पूजा हॉल में सो जाते थे.

एक दिन पूजा के हाथ वो ब्रा लग गई, जो मनीष ने मुझे दी थी.
उसने मम्मी से पूछा- क्या ये आपकी है?
मम्मी ने ना कही, उन्होंने सोचा शायद किसी और की ब्रा हमारे घर में आ गई.
उन्होंने वो फेंक दी.

अगले दिन मैं मनीष से मिला और उससे एक और ब्रा देने को कहा.

मनीष इस बार मना करने लगा.
मैंने उसे काफी फोर्स किया तो उसने बताया कि वो ब्रा उसकी बहन की थी.
पिछली बार उसने मनीष को ब्रा गुमा देने पर काफी गुस्सा किया था.

मुझे आज तक लगता था कि ये ब्रा उसकी गर्लफ्रेंड की थी. जब मुझे मालूम चला कि वो ब्रा उसकी बहन की थी तो मुझे काफी अजीब सा लगने लगा था.

मैंने समीर से कहा- यार, ये सब तो बड़ा गलत है.

मेरे किसी दूसरी लड़की की ब्रा मांगने पर मनीष ने हंस कर कहा- अबे यार समीर … ब्रा तो ब्रा होती है, चाहे वो मेरी बहन कि हो या मम्मी की हो … या तेरी मम्मी की हो. तू एक काम कर, तू अपनी मम्मी की ब्रा को सूंघ कर देखना, फिर बताना कि कैसा मजा आया.
मैंने इस बात के लिए उसे साफ मना कर दिया और कहा- ये सब गलत है.

इसके बाद उसने जो बात कही, उसे सुनकर तो मेरे छक्के छूट गए. उसने अपनी बहन की चुदाई के बारे में बताया कि वो अपनी बहन को कई बार चोद चुका है.

मैंने ये सुना तो मुझे बड़ा झटका सा लगा. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि किसी भाई बहन ने बीच भी चुदाई हो सकती है.

मेरी और मेरे दोस्त के बीच काफी देर तक बातचीत हुई.
उसने कहा कि तू जरा सोच कि दीवार के एक तरफ तू खड़ा हो और दूसरी तरफ तेरी बहन खड़ी हो और एक बीच में एक छेद हो जिसके जरिये तू अपनी बहन को देखे बिना चोद रहा हो तो तुझे कैसे मालूम चलेगा कि तेरा लंड किसकी चुत में जा रहा है?

मैं उसकी बात से सोच में पड़ गया.

दोस्त ने आगे कहा कि लंड चुत में सिर्फ चुदाई का रिश्ता होता है और कोई रिश्ता नहीं होता है.

उसकी बात खत्म हुई तो मैं घर आ गया. उसकी बात से अब मेरे विचार बदलने लगे थे.

उस दिन घर आकर मैंने धीरे से अपनी मम्मी की ब्रा चुराई और बाथरूम में जाकर उसे सूंघने लगा.
मैं आज जैसे जन्नत में था, मेरी आंखों पर अंधेरा छाने लगा.

मैं अपनी मम्मी की ब्रा सूंघ कर मस्त हो गया था और जोर जोर से अपने लंड को हिला रहा था.
आज मेरे लंड अब तक का सबसे ज्यादा सख्त हो गया.

मेरी आंखों पर चुदाई की पट्टी चढ़ चुकी थी. मुझे सिर्फ अपनी मां की चुत नजर आने लगी थी.
उनका मुस्कुराता हुआ चेहरा, उनकी कामुक गर्दन आह लंड को हिलाने की स्पीड बढ़ गई थी.

मैंने आज तक अपनी मम्मी के बारे में ऐसा नहीं सोचा था.

धीरे धीरे में आंख बंद करके कुछ और सोचने की कोशिश कर रहा था. मम्मी के बदन पर ब्लाउज था, जिसके हुक खुले हुए थे. मम्मी के दोनों स्तन बाहर लटक रहे थे. मम्मी अपने हाथों से उन्हें जोर जोर से मसल रही थीं. वो अपनी ही चूचियों को मुँह में पकड़ कर चूस रही थीं.

मेरा लंड गर्म लोहे की तरह मुझे महसूस होने लगा था. मम्मी आगे की ओर आकर अपने घुटनों पर बैठ गईं और उन्होंने मेरा लंड पकड़ कर मुँह में ले लिया.

इतने में मेरी आंखें खुल गई थीं. मेरा लंड पानी छोड़ चुका था. मैं बाथरूम के अन्दर अकेला था, पूरी तरह से नंगा … मेरा बदन पूरी तरह से ढीला हो चुका था. पर मेरा लंड अभी भी आधा खड़ा था, शायद अभी भी उसे मम्मी चाहिए थी.

तभी पूजा दरवाजा खटखटा रही थी. मैंने अपनी घड़ी में टाइम देखा, मुझे बाथरूम में आए एक घंटा हो चुका था.
मैंने झट से अपने कपड़े पहन लिए और ब्रा को अपनी जेब में घुसा कर बाहर आ गया. पूजा दरवाज़े के बाहर खड़ी थी.

रात में मम्मी पापा आने के बाद हम सबने मिल कर खाना खाया और सो गए.

रात के करीब 1:30 बजे थे मेरी आंख खुल गई. मेरे पेट पर पूजा का हाथ था, जो मेरे लंड के काफी करीब था.
मैं उठने की कोशिश करने लगा, तभी उसका हाथ मेरे लंड पर आ गया.
उसकी सांसें इतनी तेज चल रही थीं कि मैं उस आवाज को सुन सकता था.

मैंने उसके हाथ को मेरे लंड पर हल्के से दबाया दिया. उसने अपना हाथ पीछे ले लिया और करवट बदल कर सो गई.
मुझे लगा शायद उससे अच्छा नहीं लगा.

मैं उठ कर पेशाब करने गया, फिर आकर सो गया.

अब मुझे नींद नहीं आ रही थी. मेरे दिमाग में सिर्फ पूजा घूम रही थी. मुझे अपने ख्यालों में अपनी बहन नंगी नजर आ रही थी.
मैं अब उसे चोदना चाहता था, पर मुझमें हिम्मत नहीं थी.

ख्यालों तक चुदाई ठीक थी पर हकीकत में उसे चोदना मेरे बस की बात नहीं थी.

उस वक्त मेरे पास बटन वाला मोबाइल था, जिससे फोटो खींच सकते थे.

मैंने पूजा के सोने की तसल्ली की और धीरे धीरे उसकी कुर्ती पीछे से ऊपर उठाता गया.

उसकी कुर्ती को मैंने उसकी ब्रा तक उठा दिया ताकि उसकी ब्रा के हुक मुझे दिख सकें.
मैंने तुरंत उसकी फोटो खींच ली. उसकी कुर्ती को बराबर करके मैं फिर से बाथरूम चला गया.

अपनी बहन की ब्रा की फोटो देख कर मैंने मुठ मारी.

पहले ही मैंने ख्यालों में पूजा को नंगा देख लिया था, अब उसके बदन पर असली ब्रा को देख कर तो मैं सातवें आसमान पर था.
उसकी पीठ पर कसी ब्रा की फोटो को देख कर मैंने लंड हिलाना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में मेरी आंखें मुंद गईं और मेरी आंखों में मेरी बहन की नग्न जवानी घूमने लगी.

कोई पांच मिनट में ही मैंने लंड हिला कर उसकी मुठ मार ली और रस झड़ा दिया. मुठ मारने के बाद मैं उसके बाजू में आकर चुपचाप सो गया.

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