अपनी क्लास के चोदू लड़के से बुर चुदाई

इंडियन कॉलेज गर्ल पोर्न स्टोरी कुंवारी लड़की की है जिसे अपनी बुर में लंड लेने की इच्छा थी. उसने अपनी क्लास के बदमाश लड़के को उकसा कर अपनी जवानी उस पर लुटा दी.

दोस्तो, मेरा नाम उम्मैया है. मैं 19 साल की हूँ, बहुत सेक्सी हूं. मेरी हाईट 5 फुट 7 इंच है और गोल गोल छोटी चूचियां और गोल चूतड़ हैं. मैं अभी सिर्फ 12वीं कक्षा में ही हूं.
मैं इस इंडियन कॉलेज गर्ल पोर्न स्टोरी में आपको बताऊंगी कैसे मेरी कक्षा के सबसे बदतमीज लड़के ने मुझे चोद डाला.

मेरी क्लास में एक लड़का बहुत बदतमीज था जो हर टाइम बस लड़कियों की गांड और चूतड़ देखता रहता था.

मैं अपनी सहेलियों से उनकी चुदाई के किस्से सुनती तो मेरा मन भी अपनी छोटी सी बुर चुदवाने को करने लगता.
मगर मुझे कभी मौका ही नहीं मिला.

एक दिन मैंने देखा वो बदतमीज लड़का आयुष मेरी बेंच से पीछे वाली बेंच पर बैठा है और मेरी गांड की ओर एकटक घूर रहा था.
पहले तो मुझे गुस्सा आया, मगर फिर मैंने सोचा कि क्यों न मैं अपनी बुर को आयुष से ही चुदवा लूं.

इतना सोचकर मैंने अपनी गांड को बेंच से हल्की सी बाहर निकाल दी, जिससे उसे मेरी गांड अच्छे से दिखे.
मैंने अपने सूट को अपनी गांड के नीचे दबा लिया, जिससे गांड की आकृति उसे साफ़ नजर आने लगे.

वो समझ गया कि मैं उसे जानबूझकर अपनी गांड दिखा रही हूं.

फिर मैंने छिपी नजरों से पीछे देखा तो वो अपने हाथ से मेरी गांड को छूने की कोशिश कर रहा था.
शायद वो डर रहा था कि मुझे कुछ गलत न लगे और कहीं मैं टीचर को न बता दूँ.

मैं सीधी होकर बैठ गई और उससे अपनी गांड को छूने का इंतजार करने लगी.

तभी अचानक से एक हाथ मेरी गांड पर लगा तो मैंने पीछे घूमकर देखा तो वो आयुष ही था और उसी ने ही मेरी गांड को छुआ था.

मैंने पीछे देख कर एक स्माइल पास कर दी.
जिससे वो समझ गया था कि मैं राजी हूँ और उससे चुदाई करना चाहती हूं.

बस फिर क्या था वो मेरे चूतड़ों पर बार बार हाथ लगाने लगा और मैं पीछे नहीं देखती.
उस दिन के बाद से मैं और वो नजदीक आने की कोशिश करने लगे.

एक दिन क्लास में मैं कुछ ज्यादा जल्दी चली गई.
तब तक मेरी क्लास में 4-5 लड़के ही आए थे और आयुष भी आ गया था.

आयुष ने मुझसे बोला- मुझे तुमसे 5 मिनट के लिए गर्ल टॉयलेट में मिलना है.

इतना बोलकर वो गर्ल टॉयलेट की साइड चला गया.
मैं भी उसके पीछे पीछे गर्ल टॉयलेट की साइड चली गई.

मैंने देखा कि उस समय वहां कोई नहीं था.
मैं अन्दर टॉयलेट में घुस गई.

जैसे ही मैं अन्दर घुसी तो अचानक से पीछे से आयुष ने मुझे पकड़ लिया और एक हाथ से मेरे चूचियों को ड्रेस के ऊपर से ही दबाने लगा.
साथ ही वो एक हाथ मेरी सलवार पर रख कर मेरी जांघों को सहलाने लगा.

पहले तो मैं हक्की बक्की रह गई मगर मन था तो मुझको बहुत मजा आने लगा था.

अब मैंने अपनी दोनों टांगें खोल दी थीं जिससे वो मेरी बुर और मेरी जांघों को और अच्छे से सहला सके.
फिर उसने मेरे सूट के अन्दर हाथ डाला और मेरी चूची के दाने को ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगा.

वो बोला- अपनी सलवार का नाड़ा थोड़ा ढीला कर दो.
इतना सुनते ही मैंने भी अपनी सलवार का नाड़ा थोड़ा ढीला कर दिया जिसमें सिर्फ उसका हाथ आराम से जा सके.

उसने एकदम मेरी सलवार में हाथ डाला और मेरी कच्छी के ऊपर हाथ रख दिया.
वो मेरी बुर की फांकों के सबसे ऊपर उंगली रख कर कभी उंगली धीमे धीमे नीचे ले जाता, कभी बुर की फांकों पर रगड़ता हुआ ऊपर लाता.
इससे मैं तड़प रही थी. मेरा मन तो बस अब उसका लंड अपनी बुर में लेने का कर रहा था.

तभी उसने मेरी बुर में अपनी उंगली डाल दी और तेज़ी से अन्दर बाहर करने लगा.
उसकी इस क्रिया से मैं झुक सी गई थी.

उसने अपना लंड पैंट से बाहर निकाल रखा था जो कि इतना कड़क था कि मेरी सलवार फाड़ने को तैयार था.

उसका लंड उस समय मेरी गांड की दरार में घुसा हुआ था. वो लगातार मेरी बुर में तेज़ी से उंगली करता रहा जिससे मैं थोड़ी देर में ही झड़ चुकी थी.

अब मैंने अपनी सलवार का नाड़ा टाइट किया.
लेकिन वो बोला- यार, तुमने मेरा लंड इतना मोटा करके खड़ा कर दिया, अब इसे किसकी बुर में डालूं?

मैं बोली- तू एक काम करना, रात को ग्यारह बजे मेरे घर पर आ जाना. आज रात सभी शादी में जाएंगे. बस मैं और अब्बा घर पर रहेंगे. अब्बा नींद की दवाई लेते हैं. तब देखूंगी कि क्या हो सकता है.

मेरे इतना कहते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई, वो बोला- ठीक है, आज रात मिलते हैं.

इतना कहकर वो मुझे चूम कर टॉयलेट से बाहर निकल कर क्लास में चला गया.
तब पूरा दिन मैं बस आयुष से अपनी चुदाई के बारे में सोचती रही कि उसके लंड से चुदने में बहुत मजा आएगा.

क्लास शुरू हुई तो वो मेरे पीछे ही बैठ गया था.
मैंने अपनी गांड को बाहर निकाल दी और बैठी रही.

वो पीछे से ही अपने हाथ से मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरे गांड के छेद को मसल रहा था.
मुझे उससे अलग कुछ नहीं दिख रहा था.

फिर छुट्टी हो गई.
सब लाइन लगा कर निकल रहे थे तब आयुष लाइन में बिल्कुल मेरे पीछे आकर लग गया जिससे उसने अपना खड़ा हुआ लंड मेरी गांड की दरार में फंसा दिया.

मैं एकदम से डर गई.
उसके सिर पर हवस चढ़ी थी, वो मुझे चोदने के लिए पागल सा हो रहा था.

मैंने उससे धीमे से कहा- यार ऐसे पागल मत बन, आज रात को घर पर आ जाना. जो करना है उधर ही कर लेना. यहां पर किसी ने देख लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी.
इतना सुनकर वो मान गया और पीछे हो गया.

अब मैं और वो बस रात के इंतजार में थे.
रात को 10 बजे मैंने उसे अब्बा के फोन से फोन मिलाकर पूछा कि वो कहां है?
वो बोला- तेरे घर के बिल्कुल पास हूं.

इतना सुनकर मैंने कहा- अब्बा नींद की दवाई लेकर सो गए हैं. अब तू भी आ जा मेरी जान … और देर तक मत तरसा.
आयुष बोला- गेट तो खोल, मैं बिल्कुल बाहर हूं.

इतना सुनते ही मैं खड़ी हुई और अपनी कैप्री पर हाथ सा फेरकर बुर को दिलासा दी कि लंड आ गया है, अब तू फटने के लिए रेडी हो जा.

मैं गेट खोलने चली गई.
गेट खोला तो सामने आयुष खड़ा था.

उसने एकदम से अन्दर आकर मुझे गले से लगा लिया.

मैंने कहा- गेट तो बंद कर लूं, रुक तो.
वो रुका और मेरे पीछे जाकर खड़ा हो गया.

मैंने जैसे ही गेट बंद किया, उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मुझे दीवार से लगा कर मेरे होंठों को बुरी तरह चूसने लगा.
फिर वो मुझसे पीछे हुआ और अपने सारे कपड़े निकाल कर खड़ा हो गया.

उसका एकदम लंबा लंड जो कि बहुत मोटा भी था, मुझे बहुत प्यारा लग रहा था.
वो मुझे किस करने लग.

अब उसका लम्बा मोटा लंड मेरी कैप्री से बुर पर महसूस हो रहा था.

लेकिन ऐसे मजा नहीं आ रहा था तो मैंने भी धीरे से अपनी कैप्री निकाल दी.

अब उसका लंड मेरी बुर की फांकों के बीच में बिल्कुल सट गया और मुझे उससे बहुत मजा आ रहा था.
वो मेरी चूचियों का रस पीता, तो कभी होंठों का रस चूसने लगता.

तब तक नीचे मेरी कच्छी में मेरी छोटी सी बुर ने हल्का हल्का पानी भी छोड़ दिया था.
फिर वो थोड़ा पीछे हुआ और मेरी कच्छी में हाथ डालकर मेरी बुर को मसलने लगा.

उसकी इस हरकत से मन कर रहा था कि मैं उसको खा जाऊं.
मैंने कहा- बाबू, अन्दर कमरे में चल, बाकी वहां जो करना है, कर लेना.

इतना सुनते ही उसने मुझे गोद में उठाया और बोला- कमरा कहां है?
मैंने रूम की ओर इशारा कर दिया.

वो मुझे रूम में ले गया और ले जाकर मेज के पास खड़ी करके बोला- डार्लिंग, मेज पर लेटकर अपनी टांगों को अच्छे से खोल लो.
मैं मेज पर लेट गई और अपनी टांगों को खोलकर अपनी मासूम सी बुर को उसके सामने रख दिया.
मेरी बुर सफ़ेद रंग की कच्छी से ढकी थी.

फिर उसने कच्छी के ऊपर से ही मेरी बुर की फांकों पर एबीसीडी तक अपनी उंगली से बिना किसी पैन के लिखी, जिससे मुझे इतना मजा आया कि मैं बोलने वाली थी कि आयुष एक बार और लिख दे मेरी बुर पर एबीसीडी.
लेकिन मैं कह नहीं पाई.

फिर उसने मेरी कच्छी थोड़ी सी हटाई और मेरे बुर के दाने को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
मुझे इतना मजा आ रहा था कि बस मैं बता नहीं सकती.

कभी वो मेरे बुर के दाने को रगड़ता, कभी उसे चाटता, कभी मेरी बुर में जीभ घुसा देता.
फिर उसने मेरे दाने को मुँह में दबाया और बुर में तेज़ी से उंगली करने लगा.

मुझे बेहद सनसनी हो रही थी और मजा आ रहा था.

मैं बोली- यार, अब अपने लंड का जूस भी तो मेरी बुर को पिला दे.

मेरे इतना कहते ही वो खड़ा हुआ और मुझे बेड पर ले गया.
उधर मुझे लिटा कर मेरी टांगों को खोलकर चुदाई की पोजीशन में कर दिया.

उसने मेरी बुर पर थोड़ा सा थूक लगाया जिससे लौड़ा बिना दर्द दिए सीधा अन्दर चला जाए.
हालांकि ये मेरी भूल थी.

अब उसने अपना मोटा तगड़ा लंड मेरी बुर की फांकों पर लगाया और धक्का देकर उसे अन्दर बुर में धकेल दिया.

लंड अन्दर लेते ही मुझे बहुत जोर का दर्द हुआ और मैं पीछे हटने लगी.
लेकिन उसने मेरे हाथों को कसकर पकड़ा हुआ था, मुझे इंच भर भी पीछे नहीं हटने दिया.
उसने रुक कर अपने लंड को बुर में ही डाले रखा.

मुझे दर्द हो रहा था. वो भी समझ गया था और मेरी बुर के दाने को अपने हाथ की उंगली से मसलने लगा.
जिससे कुछ ही पलों में मेरा दर्द हल्का सा हो गया. उसके लंड के अन्दर होने से मुझे मजा सा आने लगा.

अब उसने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू किए, तो मैं धीमी आवाज में आहें भरने लगी और चुदाई का मजा लेने लगी.
वो मेरी बुर के दाने को मसल रहा था और बुर की अच्छी चुदाई कर रहा था.

इंडियन कॉलेज गर्ल पोर्न का मजा ले रही थी.

थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद उसने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा और मैं झट से घोड़ी बन गई.

उसने धीरे से मेरी बुर में फिर से अपना पूरा का पूरा लंड डाल दिया.

अब उसने तेज़ी से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
इस बार मुझे दर्द नहीं बल्कि बहुत ज्यादा मजा आ रहा था.

कुछ देर बाद मुझे लगा, जैसे उसने मेरी गांड के छेद में भी अपनी उंगली डाल दी हो.
मैंने उससे कहा- मान जा आयुष, वहां पर कुछ मत कर, दर्द सा होता है.

मेरे इतना कहते ही उसने उंगली निकाल ली और जोर जोर से धक्के लगाने लगा.
मैं भी धक्के लगाने में उसका साथ देने लगी.
अपनी गांड को पीछे दे देकर लंड पर मार रही थी मैं … जिससे और ज्यादा मजा आए.

अब उसने फिर से मेरी गांड में उंगली डाल दी थी.
लेकिन इस बार मैंने उसे नहीं रोका क्योंकि मुझे मजा आ रहा था.
इसी चलते मुझे गांड के छेद में दर्द ही महसूस ही नहीं हो रहा था.

फिर उसने मुझे दोबारा सीधा लेटाया और मेरे पैर अपने कंधे पर रख कर बुरी तरह चोदने लगा.

अब बस वो चाहता था कि हम दोनों झड़ जाएं.

पांच मिनट तक तेज़ धक्के मारने से मैं झड़ गई थी लेकिन उसका अभी तक नहीं निकला था.
उसने शायद स्टैमिना की गोली ले रखी थी.

अब मैं झड़ने के बाद चुदाई से परेशान सी हो गई थी, मुझे बुर में जलन सी होने लगी थी.
इसलिए मैंने उसका लंड पकड़कर बुर से बाहर निकाला और तेज़ी से हाथों से पकड़ कर उसके लंड की मुठ मारने लगी.

कुछ मिनट के बाद वो भी झड़ गया था.
अब मैं उसे लेटाकर उसके ऊपर लेट गई और बातें करने लगी.

थोड़ी देर तक बात करने के बाद उसका लंड फिर से खड़ा हो गया और मेरी बुर पर सट गया.
मैं भी गर्म हो चुकी थी.
उसने फिर से मेरी बुर चुदाई शुरू कर दी.

इस तरह से उस मस्त लौंडे ने सारी रात में मुझे चार बार चोदा.

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