कच्छी फाड़ चुदाई

देसी कॉलेज सेक्स की कहानी में एक कुंवारी लड़की अपनी जिद से अपने से दोगुणी उम्र के आदमी से कॉलेज लाइब्रेरी में चुद गयी. ये सब खेल कैसे हुआ खुद पढ़ें इस कहानी में!

कहानी के पहले भाग
कुंवारी लड़की के जवां जिस्म की गर्मी
में आपने पढ़ा कि एक कमसिन कुंवारी लड़की ने अपने आशिक का सेक्स निवेदन ठुकरा तो दिया पर उसके बाद उसकी अन्तर्वासना उसके काबू से बाहर होने लगी. वह अपनी चूत में उंगली करने लगी. यहाँ तक कि कॉलेज लाइब्रेरी में थोड़ा अश्लील साहित्य पढ़ कर वो वहीं पर हस्तमैथुन करके अपने शरीर की गर्मी को ठंडा कर लेती थी.
इसी कामवासना के अधीन उसने लाइब्रेरीयन पर भी डोरे डाल दिए.

अब आगे देसी कॉलेज सेक्स की कहानी:

अगले दिन तय वक्त पर पायल वापिस लाइब्रेरी पहुंच गई।
अंदर घुसने के साथ, पायल ने प्रकाश को देख कर मुस्कुरा कर कहा- गुड आफ्टरनून सर!

दोपहर के तीन बज रहे थे।
प्रकाश ने अपनी हाथ में लगी घड़ी पर समय देखा।

अब पायल और प्रकाश लाइब्रेरी खाली होने का इंतजार करने लगे।

सबके जाने के बाद प्रकाश ने लाइब्रेरी के दरवाजे पर ‘खुलने का समय सुबह 9 से दोपहर 3.30 बजे’ का पर्चा चिपका दिया और अंदर से दरवाजा बंद कर कुंडी लगा दी।

अब पायल और प्रकाश के बीच सिर्फ कुछ कदमों की दूरी थी.

प्रकाश अपने बायीं ओर की खिड़कियां बंद करते हुए पायल की तरफ बढ़ रहे थे।
और पायल की धड़कनें प्रकाश के एक एक कदम पर गहरी होती हुई सांसों में तब्दील हो रही थी।

अब पायल से रहा नहीं जा रहा था।
पायल ने भी जल्दी के खातिर खिड़कियां बंद करने में मदद की और दोनों खिड़कियों के बीच मिल गए।

एक आखिरी बाकी थी।

प्रकाश ने वो भी तेजी से बंद की और पायल को अपनी ओर खींचा।
“आज बहुत कहर ढा रही हो!” पायल की आंखों में देख उसके चेहरे पर आते बालों को कान के पीछे टिकाते हुए बोला।

तो पायल ने शर्मा के आँखें झुका ली।

पायल की ठुड्ढी को हाथ से ऊपर कर प्रकाश ने पायल को चूम लिया।
दोनों को कोई जल्दी नहीं थी।

चुम्बन में एक दूसरे के बदन को टटोलते दोनों आज एक होने को आतुर थे।
पायल ने धीरे से प्रकाश के कान के पास आकर कहा- आराम से करना!

प्रकाश- सोच लो, अभी भी वक्त है. और हां, मैं कोई आराम से नहीं करने वाला … कच्छी फाड़ के चोदूंगा।
पायल खुश हो बोली- सच्ची?

प्रकाश- तुम डर रही हो या खुश हो रही हो?
पायल- आप बताओ? आपको क्या लगता है?
प्रकाश- दोनों!

पायल- कच्छी फड़ोगे तो पहन के क्या जाऊंगी वापिस?
प्रकाश- फटी हुई कच्छी … और क्या? कुछ तो याद रहनी चाहिए मेरी तुम्हारे पास!

यह कहकर प्रकाश ने पायल को अपनी बांहों में उठा लिया और सामने पड़ी टेबल पर लेटा दिया, उसकी कुर्ती उतार दी.

पायल शर्म से अपने हाथों से ब्रा में छिपे अपनी चूचियां ढकने लगी।

“मेरे सामने कुर्ती उतार कर तो बेबाकी से अधनंगी होती थी. और चूत भी चखा दी थी तुमने, अब कैसी शर्म?” प्रकाश ने छेड़ते हुए कहा.

प्रकाश ने उसके दोनों हाथ पकड़ अलग कर दिए- अरे ठीक से देखने तो दो! जब से तुम्हें पहली बार उंगली करती देखा, तब से इस दिन के इंतजार में था. तुम नहीं जानती कि इतने दिन किस तरह खुद पर नियंत्रण किया. मेरी मैडम भी मेरी रगड़ कर चुदाई से परेशान रहने लगी थी, अब शायद वो भी सुख से रहेगी।

वह बोलता रहा- क्योंकि लंड की मुजरिम तो तुम हो, सजा भी तुम्हें मिलेगी। कई दिन से लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था … आज जानोगी लौड़ा और चोदन किसे कहते हैं।
पायल प्रकाश की बात सुन गर्म हो बोली- आज बैठेगा, मुझे भोगने के बाद!

प्रकाश- आज तो बैठने नहीं दूंगा इसे, जब तक तुझे झाड़ नहीं देता।
यह कहकर प्रकाश ने पायल की सलवार का नाड़ा खोल उसे निर्वस्त्र कर दिया।

पायल की कच्छी के किनारे से बाल बाहर आ रहे थे, पायल का जंगल सबूत था कि पायल एक कमसिन और अनचुदी लड़की थी।

प्रकाश ने अपनी शर्ट खोली और पैंट की जिप से लंड बाहर निकाल लिया।

लंड पूरी तरह से तना हुआ अपनी परिकाष्ठा पर था, प्रकाश के बलिष्ठ शरीर के सामने पायल एक नाजुक कली सी थी जिसे आज प्रकाश मसल कर फूल बनाने वाला था।

प्रकाश एक झटके में बनियान निकाल पायल के ऊपर आ गया, वो अपनी छाती से पायल के जिस्म को मसलना चाहता था।
उसे अपने नीचे लेटी कमसिन जवान पायल को हर तरह से भोगना था.

उसने पायल की ब्रा के स्ट्रैप नीचे कर दिए और उसकी सख्त चूचियां बाहर निकाल ली।
अपने होंठ उसके अधरों से मिलाकर प्रकाश पायल की चूचियां बेरहमी से मसलने लगा।

अपनी मचलती जवानी के मजे पहली बार एक मर्द से लेते हुए पायल एक एक पल को पूरी तरह जी रही थी, सीना बार बार उचकाती, जैसे कह रही हो कि और जोर से दबाओ।
पर उसके होंठ प्रकाश के होंठों के बीच दबे थे।

नीचे प्रकाश का तना हुआ लंड पायल की कच्छी पर अपना पानी छोड़ रहा था.
अंदर पायल की चूत गीली हो रही थी और बाहर से लंड कच्छी गीली कर रहा था।

तभी प्रकाश खड़ा हुआ और ठीक चूत की जगह से पायल की कच्छी फाड़ दी और वापिस उस पर लेट गया।

उसकी इस हरकत से पायल की आग और भड़क गई।

प्रकाश ने अपना लंड पायल की चूत पे सेट किया और पायल के कान में बोला- थोड़ा दर्द होगा, बर्दाश्त कर लेना!
“आराम से करना प्लीज!” पायल गिड़गिड़ाई.

प्रकाश का लंड पायल की चूत के छेद से तीन गुना मोटा था।
चूत के रस से रह रह कर बार बार फिसल रहा था।

प्रकाश और पायल दोनों ही जवानी की भड़कती आग में तड़प रहे थे और लंड अंदर नहीं जा रहा था।

प्रकाश अपनी झुंझलाहट पायल की चूचियों पर निकाल रहा था.
मसल मसल कर पायल की चूचियां सेब सी लाल हो गई थी।

प्रकाश के नीचे … उसके वजन से दबी पायल कब से इन्ही पलों के इंतजार में थी कि कब उसका नई कली सा छरहरा बदन कोई मर्द मसल कर उसे उसकी जवानी का सुख देगा।

अपने दोनों हाथों से प्रकाश ने पायल की टांगें और चौड़ी कर खोली और चूत में दो उंगली डाल कर जगह बनाने की कोशिश की.

दो उंगली से पायल सिहर उठी- आआह उह … आराम से!
“चुप कर, वरना अभी तो बस कच्छी फटी है, चूत भी फाड़ दूंगा!” प्रकाश की वासना पूरे उफान पर थी।

कमोत्तेजित पायल ने पलट कर जवाब दिया- तो फाड़ डालो ना, रोक कौन रहा है?

प्रकाश ने आव देखा न ताव, और लंड सटा कर एक ज़ोर का धक्का मारा।
लंड का सुपारा पायल की चूत में मुहाने में घुस कर फंस गया।

पायल की चूत कुछ ज्यादा ही तंग और कसी हुई थी।

लंड का स्वाद पाकर पायल दर्द से कराह रही थी- आआह्हह … आआ उह्ह ह्ह रुको … हिलो मत प्लीज … थोड़ी देर रुक जाओ। दर्द हो रहा है बहुत तेज! आह्ह आज तो … लगता है मैं मर जाऊंगी। आआ आह्ह … सी सी करती पायल प्रकाश से रुकने के लिए गिड़गिड़ा रही थी।

दर्द तो प्रकाश को भी हो रहा था जैसे किसी ने लौड़े की गर्दन पर कसकर रस्सी बांध दी हो.
ना अंदर घुसाते बन रहा था, ना बाहर निकालते।

प्रकाश कुछ देर उसी अवस्था में पायल के ऊपर झुका हुआ पड़ा रहा, कभी चूचियां चूसता, कभी पायल के रसीले होंठ पीता।

कुछ देर बाद दोनों की हालत में सुधार हुआ तो प्रकाश धीरे धीरे गांड हिलाते हुए चूत में बनी थोड़ी सी जगह में भीतर सुपारा अंदर बाहर करने लगा।

इतने दिन से रोज सुबह शाम पायल के नाम की मुठ मारकर अब लंड इतनी आसानी से झड़ने वाला नहीं था।

अब- तुम ठीक हो? प्रकाश ने आगे बढ़ने के सहमति लेने हेतु पूछा।
“हम्म … हां! अब ठीक लग रहा है थोड़ा!”

इतना सुनने की देर थी कि प्रकाश ने एक और झटका मारा … लंड आधा अंदर चल गया।
पायल दर्द से चिल्ला उठी- आआह ओह आअ … चोद रहे हो या जान लेने पर उतारू हो? आह्ह आआ आआह्ह हह रुक जाओ … आआ ओआ हह्ह!

पायल की आंखें नम हो चली।

प्रकाश ने आधा लंड अंदर टिका कर रुक कर प्यार से पायल के होंठ चूम कर कहा- जान की जान कैसे ले सकता हूं … पहली बार में थोड़ा सहन तो करना होगा, वादा करता हूं आज के बाद मैं सिर्फ मज़ा दूंगा. वो मजा जो तुम्हें कभी तुम्हारा हाथ नहीं दे पाया, तुम्हारी जवानी को जिस्मानी सुख से भर दूंगा।

“और मेरी चूत को अपने पानी से भी …” मुस्कुरा कर पायल नम आंखों से बोली।

यह सुन प्रकाश को जोश आ गया और उसने एक हाथ से पायल का मुंह बंद किया और एक झटका मारा.
उसका पूरा लंड चूत की जड़ तक जा पहुंचा।

पायल की आंखों से आंसू आ गए, उसकी घुटी घुटी चीख और रोने की आवाज़ प्रकाश के हथेली में दबी हुई थी।

प्रकाश रुक गया, दोबारा पायल को प्यार से आलिंगन देने लगा।

गले लग कर गर्दन और कानों पर चूमने लगा।

माफ कर दो मुझे! पर मैं तो तुम्हारे कहने पर ही कर रहा हूं ये सब!” उसने पायल के कान के पास आकर प्यार से कहा.
तो पायल ने भी जवाब में प्रकाश के होंठ चूम लिए।

दोनों के शरीर के दोनों छोर से एक हो गए थे, ऊपर जुबान एक दूसरे के साथ खेल रही थी और नीचे लंड चूत में घर कर के बैठा था।

धीरे धीरे पायल शांत हुई तो प्रकाश ने धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया.
चूत की महक में पायल और प्रकाश दोनों कामुकता के शिखर पर थे।

अब दर्द भरी सिसकियां सीत्कारों में तबदील होने लगी।

“आह्ह प्रकाश, मैं आज से तुम्हारी हुई!” अपनी पहली चुदाई के अनुभव में खोई वासना की लहरों में डूबी हुई बड़बड़ा रही थी।

“तुझे तो मैं अपनी रखैल बना कर रखूंगा, बीवी जब जब मायके जायेगी, तू मेरे साथ रहेगी। और रोज तुझे सुबह शाम कॉलेज में चोदूंगा।”

“अगर मैं चुदने नहीं आई तो?” पायल ने छेड़ते हुए पूछा.
“तो क्लास में आकर सबके सामने तेरी कच्छी फाड़ चुदाई करूंगा।”

“आह्ह्ह हाह …” प्रकाश के मुंह से कच्छी शब्द बार बार सुन पायल में पागलपन सा छा जाता।

प्रकाश के धक्के तेज होने लगे अब वो झड़ने के कगार पर था!

“मेरे अंदर ही गिरा दो अपना रस … मां बना दो मुझे अपने बच्चे की … अह्ह ह्ह आआ आह्ह ह्ह्ह!”
“ये ले … कहते हुए झटकों के साथ प्रकाश का रस फूट कर लंड से पायल की योनि में बहने लगा।
गर्म गर्म लावा जैसे बह निकला हो।

प्रकाश निढाल होकर पायल पर गिर गया.
पायल ने भी प्रकाश को अपनी बांहों में जकड़ लिया और प्रकाश के चूतड़ों को अपनी टांगों से घेर लिया।

देसी कॉलेज सेक्स के बाद दोनों अपनी उखड़ी हुई तेज़ सांसों से एक दूसरे की बांहों में रमे हुए थे।

“कैसा लगा?” उखड़ती सांसों से हांफते हुए प्रकाश ने पूछा।
पायल- शुरू में बिल्कुल अच्छा नहीं लगा … बहुत दर्द हुआ … अब भी हो रहा है … फिर धीरे धीरे अच्छा लगने लगा!
प्रकाश- प्यार में दर्द तो होता ही है मीठा मीठा, प्यारा प्यारा … और फिर मैंने कहा तो था, मैं आराम से नहीं करता।

पायल- अभी मेरी चूत को मेरी उंगलियों की आदत है न!
प्रकाश- हफ्ता भर रुक जाओ, तुम्हें और तुम्हारी इस गीली चूत को अपनी आदत ना लगवा दी तो कहना … फाड़ के एक कर दूंगा।

पायल प्रकाश के सीने में गड़ते हुए बोली- हाय इतना परेशान करोगे?
प्रकाश- और जो 4 महीने से तुमने मुझे परेशान किया हुआ है, उसका क्या … बदला तो लिया जाएगा, तुम्हें तुम्हारी बेरुखी की सज़ा तो देनी होगी।

पायल- अच्छा … उल्टा चोर कोतवाल को डांटे … बेरुख मैं थी या तुम थे … बेदर्दी कहीं के!
आप से पायल तुम पर आ गई.

प्रकाश ने ठहाका लगा कर पायल के होंठ चूम लिए।

“अभी भी दर्द हो रहा है और तुम हंस रहे हो … ऐसा लग रहा है जैसे तुम अब तक अंदर ही हो मेरे! कब खत्म होगा यह दर्द?” पायल ने अपनी फड़कती चूत की हालत बयां की।
“मेरी जान, जितना ज्यादा चुदोगी, उतना जल्दी खत्म होगा.” प्रकाश ने कामोत्सुक हो कहा।

शाम के 5 बज रहे थे।

“देखो, अभी तो घर जाना होगा, मेरी बीवी चाय पर मेरा इंतजार कर रही होगी!” प्रकाश ने इजाजत मांगते हुए कहा।
पायल- कल सुबह जल्दी आ जाऊंगी, 7.30 बजे, सभी स्टूडेंट 9 बजे तक आते हैं. तब तक हम अपनी इस पढ़ाई पर फोकस कर लेंगे, क्यूं … क्या कहते हो?

प्रकाश ने पायल को पप्पी दी और कहा- कल नई कच्छी पहन के आना. जब तक तुम्हारी सारी कच्छियाँ फाड़ ना लूं, तब तक मुझे चैन नहीं मिलेगा।

कपड़े दोबारा पहनते हुए फटी कच्छी को जांघों के भीतर सेट करते हुए पायल ने पूछा- तो फिर मैं कपड़ों के नीचे क्या पहनूंगी?
“अगर अपनी कच्छी फटवाना नहीं चाहती तो कच्छी पहन ना छोड़ दो!” प्रकाश ने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा।

सोच में पड़ी पायल, अपनी कच्छियों को प्रकाश से बचाने के तरीके पर विचार करती हुई कपड़े ठीक करने लगी।

प्रकाश ने भी तक तक अपने कपड़े ठीक कर लिए।

पायल अब धीरे धीरे हल्के कदमों से चल रही थी, उसकी चाल की उछाल ख़त्म हो गयी थी.
उसकी चाल देख कोई भी जान सकता था कि उसकी दमदार चुदाई हुई है।

अपना बैग कंधे पर लटकाए पायल बोली- मैं पहले निकलती हूं, तुम बाद में निकालना!

प्रकाश को प्यार से एक बार फिर गले लगाकर वो अलग हुई और बाहर की तरफ हो चली।

बाहर जाकर उसे बस में जाने जैसी हालत नहीं लग रही थी.
तो उसने ऑटो पकड़ा और घर को चली गई।

कुछ देर बाद प्रकाश भी बाहर आए, उन्होंने लाइब्रेरी को ताला लगाया और चाबी जेब में डालकर, पार्किंग से अपनी बाइक उठाई और घर को चल दिए।

प्रकाश के कंधों में एक अलग से दृढ़ता थी आज … सीना दोगुना हुआ चला जा रहा था जैसे कोई किला फतह कर लिया हो।

मन में रोज पायल की जवानी को रगड़ने के लड्डू फूट रहे थे।

इससे आगे की बात अगली नई कहानी में!
आपको यह देसी कॉलेज सेक्स की कहानी कैसी लगी, मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं!

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