चलती ट्रेन में कुंवारी गर्लफ्रेंड को पेला

इंडियन GF हॉट स्टोरी में पढ़ें कि पापा के दोस्त की बेटी मेरे साथ पढती थी. हम साथ साथ रहते थे. एक बार हम प्रथम श्रेणी ट्रेन से घर आ रहे थे तो हमने क्या किया?

मेरा नाम रोहन है और मैं यू पी के प्रतापगढ़ का रहने वाला हूँ.

यह इंडियन GF हॉट स्टोरी 5 साल पहले की है. तब मैं नोएडा में रहकर अपनी बीटेक की पढ़ाई कर रहा था.

कॉलेज में मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.
मैं सिर्फ अपनी पढ़ाई में लगा रहता जबकि मेरी क्लास के दोस्त अपने दोस्तों के साथ खूब मस्ती करते रहते थे.

जब मैं सेकंड ईयर में गया तो मेरे पेरेंट्स ने बताया कि शालू का भी एडमिशन मेरे कॉलेज में हो गया है.
शालू मेरे पापा के दोस्त की लड़की है.

मैंने उसके एडमिशन में शुरूआती तौर पर हेल्प की. मगर मैंने उसे अभी देखा नहीं था. बस फ़ोन से बात करके उसकी मदद कर रहा था.

जब मैं उससे मिला तो देखता ही रह गया.
वो बहुत ही हॉट मॉल लग रही थी.

उसका शरीर एकदम भरा हुआ था. उसके उभार दूर से ही मस्त लग रहे थे. वो टी-शर्ट और जीन्स पहने हुई थी.
सब उसी को घूर रहे थे.

उसके पेरेंट्स उसका एडमिशन करवा के वापस चले गए.

फिर मैंने उसकी काफी हेल्प की, जैसे बुक दिलवाईं और जरूरी सामान की शॉपिंग भी करवाई.
उस समय तक मेरे मन में कोई गलत विचार नहीं था.

शालू नोएडा आकर एकदम चेंज हो गई थी. उसने शॉर्ट ड्रेस पहनना, गहरा मेकअप करना सीख लिया था.
शालू 19 साल की एक कुंवारी और भरी शरीर वाली मस्त लौंडिया थी.

उसका फिगर 32-28-34 का था, जो मुझे उसके लिए कपड़े की शॉपिंग करते समय पता चला था.
उसे ऐसे टाइट कपड़े पहनना पसंद थे, जिसमें उसके हरेक अंग साफ पता चलता हो. जैसे पीछे से पैंटी की लाइन दिखें और बुरड़ों की दरार दिखाई दे.

जब वो चलती थी तो उसके दोनों साइड के बुरड़ ऊपर नीचे होते थे और ऐसा लगता था कि वो पीछे से आ रहे लंड को बुला रही हो.
अब क्लास में और कॉलेज में लड़के हम दोनों के बारे में बात करने लगे थे.

लेकिन हम दोनों सिर्फ दोस्त थे क्योंकि मुझे पेरेंट्स का डर था.

सभी दोस्त अपने गर्लफ्रेंड के साथ पार्क में घूमने जाते और झाड़ियों में जाकर अपने प्यार के रस को पीते.
लेकिन हम दोनों को इस सबमें शर्म सी आती और अभी हम इतने खुले भी नहीं थे तो हम दोनों कुछ नहीं करते थे.

ऐसे ही कॉलेज के चार महीने बीत गए और दीवाली पर घर जाने का टाइम आ रहा था.
शालू के पापा ने कहा- आप दोनों साथ में आ जाओ.

उन्होंने हम दोनों का टिकट प्रथम श्रेणी एसी डिब्बे में करवा दिया.
जब ये बात हमारे दोस्तों को पता चली तो वो सब मुझे छेड़ने लगे.

मेरे एक दोस्त ने कहा- बेटा मौका अच्छा है … ट्रेन में ही शालू का काम उठा देना.
मैंने कुछ नहीं कहा.

वो बोला- प्रथम श्रेणी कूपे में पर्दे होते हैं तो पूरा फायदा उठाना. शालू को अपना केला खिला देना और उसके संतरों को दबा कर रस पी लेना.
उधर शालू की सहेलियां भी उससे कह रही थीं कि इस बार रोहन को अपना दूध पिला कर आना.

दोस्तों की इस तरह की बातों को सुनकर मेरे मन में कामुक विचार आने लगे थे.
मैं शालू को वासना भरी नजर से देखने लगा और शालू भी मुझे उसी नजर से देखने लगी थी. जो कि उसने मुझे बाद में बताई थी.

अन्ततः वो दिन आ गया और हम लोग पूरी तैयारी करके एक ऑटो से नई दिल्ली स्टेशन आ गए.
हम दोनों ट्रेन के अन्दर अपनी अपनी सीट पर आ गए.

फिर पर्दे लगे देखकर मुझे अपने दोस्त की बात याद आ गई.

हम दोनों की सीटें साइड वाली थीं.
जब रात के दस बजे लोग सोने लगे, हम दोनों भी अपनी सीट पर सोने आ गए.

तभी टीटीई आया, उसने टिकट चैक किया.
शालू नीचे की सीट पर थी और मैं ऊपर था.
मुझे नींद नहीं आ रही थी और शायद उसे भी नहीं.

अब जैसे जैसे टाइम बीत रहा था, हम दोनों की बेचैनी बढ़ रही थी.

सभी लोग सो गए थे और लाइटें बंद हो गई थीं.

उसके बार बार करवट बदलने की आवाज़ आ रही थी.
तब मैंने सोचा कि मुझे ही कुछ करना होगा.

मैं पेशाब करने के बहाने से उठा और नीचे उतर कर टॉयलेट में गया तो सोचा कि कैसे शुरू करूं.
फिर मैं वापस आया और उससे पानी की बोतल मांगी.

वो जाग रही थी, उसने तुरंत बोतल दे दी.
मैंने पूछा कि नींद नहीं आ रही क्या?

वो बोली कि एसी से ठंड लग रही है.
मैंने कुछ नहीं कहा.

वो बोली- बैठ जाओ ना. ऐसे कोई देख लेगा.
मुझे ये बात समझ नहीं आई कि कोई क्या देख लेगा?
फिर भी मैं उसके पास ही सीट पर बैठ गया.

मैंने ध्यान से देखा, तो वो सिर्फ टी-शर्ट और लेगिंग्स पहनी थी. हम दोनों पर्दे के पीछे थे, तो कोई डर नहीं था.
हम दोनों ऐसे ही बातें करने लगे.

धीरे धीरे वो मेरे पास आने लगी जैसे कि वो मेरी आवाज नहीं सुन पा रही हो.

बातों बातों में वो खुद बोली- रोहन कॉलेज में लड़के और लड़कियां कैसी कैसी बातें करते हैं?
मैंने अनजान बनते हुए पूछा- कैसी बातें करते हैं?

वो बोली- संतरा आम केला और सफेद रस की बातें करती हैं.
उसके मुँह से ये सुनकर मेरा लंड खड़ा होने लगा था.

मैं अब बात आगे बढ़ाना चाहता था इसलिए मैंने हिम्मत करके उसके हाथ को पकड़ लिया और उसने भी आगे बढ़कर मेरे हाथ को पकड़ लिया.
हम दोनों एकदम पास आ गए थे और मैंने अपने दोनों हाथ फैलाकर उसे गले से लगा लिया.

उसने भी अपने हाथों से मुझे पकड़ लिया और हम दोनों ऐसे ही कुछ देर गले लगे रहे.
ट्रेन के हिलने से हम दोनों का जिस्म भी एक दूसरे से रगड़ खा रहा था.

हम दोनों को एक दूसरे के दिल की धड़कन सुनाई दे रही थी.
मैं उसके जिस्म की गर्मी को महसूस कर रहा था और उसके चूचे मेरे सीने से दबे हुए थे, जिससे मेरे लंड टाइट हो रहा था.

फिर हम दोनों एक ही सीट पर एडजस्ट करते हुए चिपक कर लेट गए.

मेरा हाथ उसकी चूची पर आ गया.
लेकिन उसने कुछ नहीं कहा, तो मैं उसकी सहमति मान कर उसके होंठों पर अपना होंठ सटा कर चूमने लगा.
पहली बार होंठ सटते ही बड़ा गर्म लगा और हम दोनों ही किस करने लगे.

वो अपने दोनों हाथों से मेरा सिर पकड़े हुए मेरे होंठों को ऐसे चूस रही थी जैसे वो बहुत प्यासी हो.

मैं उसके बदन में लगे परफ्यूम से मदहोश हो रहा था. साथ ही मैं उसके चूचों को एक हाथ दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसकी गांड को दबा रहा था.

उसकी गांड बहुत ही मांसल और कोमल थी.
धीरे धीरे में उसके गले को चाटने लगा तो वो गहरी गहरी सांसें लेने लगी.

गहरी और लम्बी साँसों से उसका सीन काफी उठ बैठ रहा था.
जिससे मुझे अपने सीने में बड़ा कामुक सा लगने लगा था.

फिर उसने अपने पैरों से मेरे पैरों को रगड़ना शुरू कर दिया था.

मैंने उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठा कर देखा, तो वो पहले से ही ब्रा के हुक खोल कर लेटी थी.
मैं उसके चूचों को अपनी जीभ से चाटने और चूसने लगा.

अब वो मछली की तरह मचलने लगी और अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर खींचने लगी, जिससे मुझे हल्का दर्द हुआ.

मैं भी अपना एक हाथ से उसका पैंटी नीचे करके उसकी बुर को रगड़ने लगा.
उसकी बुर पर हाथ लगाते ही मैंने देखा कि उसकी बुर गीली थी और उसमें से पानी निकल रहा था.

मैंने उससे पूछा- ये पेशाब कर ली है क्या?
वो हंस कर बोली- नहीं यार, ये रस है.

मैंने उसकी बुर में एक उंगली को डाला तो मुझे अन्दर बहुत गर्म लगा.
उसी वक्त उसके मुँह से सिसकारी निकल गई और वो अपनी गांड को सिकोड़ने लगी.

इसी के साथ वो मेरे लंड को दबा रही थी.
उसके हाथ से मेरा लंड एकदम तन कर ऐसे खड़ा हो गया था जैसे वो छह इंच का मोटा केला हो.

उसने मेरे लंड की मोटाई को महसूस किया और वो मेरे लंड को देखने की बात कहने लगी.
उसने धीमे से मेरे कान में कहा- ये बहुत मोटा है … मुझे देखना है.

मैंने कहा- तुम्हारे देखने से कुछ नहीं होगा. जिसे इसको अन्दर लेना है. उसे ही देखने दो.
वो समझी नहीं कि मैं क्या कह रहा हूँ और किसे मेरे लंड को लेना है.

उसने कहा- मैं समझी नहीं.
मैंने उसकी बुर को टटोला और कहा- इसे लेना है ना … तो इसे ही देखने दो.

उसकी बात समझ में आई तो वो हंस दी.

फिर मैंने मोबाइल की टॉर्च जलाई और अपने लंड की तरफ रोशनी की, तो शालू ने मेरे लंड को देखा.
वो मेरे लंड को देखकर बोली कि अब समझ आया कि केला क्या होता है?

साथ ही मैं भी उसकी बुर को देख कर गनगना गया.
क्या बताऊं दोस्तो, कितनी मस्त पकौड़ी सी फूली हुई बुर थी और एकदम पानी से भीगी हुई.

मैंने मुँह नीचे करके उसकी बुर को सूंघा, तो एक मस्त करने वाली खुशबू आई.
मुझसे रहा न गया और मैं अपनी जीभ से उसकी बुर को चाटने लगा.

इससे वो काँपने लगी और अपनी गांड को उठाने लगी.
कुछ ही मिनट में उसकी बुर से पानी की धार बाहर आने लगी.

उसी वक्त उसने मेरे सिर को अपनी बुर में दबा दिया.
मेरे मुँह में उसकी बुर की मलाई आने लगी.

फिर वो झड़ कर शांत हो गई.
उस समय उसकी सांसें बड़ी तेज चल रही थीं.

अब मैं उसकी बाजू में उसकी गांड से चिपक कर लेट गया.
मेरा लंड एकदम सीधा खड़ा था और वो दो मिनट बाद मेरी तरफ करवट लेकर हो गई.
उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ लिया.

मैं उसके दूध पीने लगा और वो मस्ती से अपनी चूचियां चुसवाने लगी.

कुछ देर बाद मैंने उसको उठने का इशारा किया तो वो उठ कर मेरे सीने के निप्पल पर किस करने लगी.

इससे मेरे शरीर में कंपकंपी होने लगी.
धीरे धीरे वो नीचे मेरे लंड तक पहुंच गई.

मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपने लंड को उसके मुँह में डाल दिया.
उसके मुँह की गर्मी से मेरा लावा फूट गया और उसका मुँह सफेद चिपचिपे पानी से भर गया.
वो भी मेरे लंड के रस को पी गई.

लंड झड़ने के बाद मेरा शरीर ढीला पड़ गया.
हम एक दूसरे को फिर से किस करने लगे, उसके मुँह से मुझे अपने वीर्य का टेस्ट मिला.

मैं उसके दूध को दबा रहा था और वो मेरे लंड को सहला रही थी.

कुछ समय बाद हम दोनों पूरे गर्म हो गए और मेरा लंड खड़ा हो गया.

उसकी बुर से पानी आने लगा.
मैंने उंगली को अन्दर डाला तो सट से अन्दर चली गई और उसके मुँह से गर्म गर्म आहें आने लगीं.

फिर मैं समय न गंवाते हुए उठा और एक तकिया को उसकी कमर के नीचे सैट कर दिया जिससे उसकी बुर की दरार खुल गई.

मैंने ट्रेन में चढ़ने से पहले अपने दोस्तों के बताए अनुसार कंडोम ले लिया था.
मैंने अपने जेब से कंडोम को निकाला और लंड पर चढ़ा लिया, साथ ही अपनी लोअर उतार दिया.

मेरा लंड एकदम टाइट खड़ा हो कर हिलोरें मार रहा था.
ट्रेन के हिलने से सही पोज़ नहीं बन पा रहा था.
ऊपर से शालू की टाइट बुर जो गीली तो थी मगर लंड के लिए खुली नहीं थी.

मैंने उसको लेटा कर उसकी कमर के नीचे तकिया सही से लगाया और हाथ से बुर का छेद खोज कर एक हाथ से बुर के दोनों फलकों को फैला दिया.

दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ कर बुर के छेद पर रखा और ट्रेन की गति से लय मिलाते हुए धीरे से धक्का लगा दिया.

उसके मुँह से आवाज आई- आह आह उह मर गई!
मैं रुक गया.

फिर दुबारा से थूक लगा कर मैंने धक्का मारा तो मेरे लंड का टोपा बुर के अन्दर घुस गया.
उसके मुँह से आवाज आने वाली ही थी कि मैंने अपने हाथ को उसके मुँह पर रख दिया.

वो बोली- प्लीज रुक जाओ.
मैं दो मिनट वैसे ही रुका रहा.

जब वो शांत हुई तो दुबारा धक्का दे मारा.
इस बार मेरा लंड उसकी बुर को चीरते हुए अन्दर घुसता चला गया.

उसके मुँह से आह आह निकला और उसकी आंखों में आंसू आ गए.
मैंने उसके मुँह को अपने मुँह से बंद रखा और रुक कर उसके ऊपर लेटा रहा.

जब वो शांत हुई तो धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
अभी भी वो कराह रही थी लेकिन कुछ देर बाद उसने खुद नीचे से गांड हिलाना शुरू कर दिया.

अब मैंने पूछा- शालू अब कैसी हो?
वो बोली- रोहन, अब मज़ा आ रहा है. बुर के अन्दर गुदगुदी हो रही है. तुम्हारे लंड की गर्मी बुर के अन्दर महसूस हो रही है. मेरे चूचों में भारीपन लग रहा है. मेरी चूची को भी चूसो न!

मैं अपने धक्के तेज करने लगा और उसके दोनों दूध को दबाने लगा.
जिससे उसके मुँह से हल्की हल्की मादक आवाज़ आ रही थी- आह आह ओह्ह उम्म!

शालू अपने हाथों को मेरे बालों में घुमा रही थी और मैं उसके ऊपर लेट कर उसे चोद रहा था.
वो भी मजे से मेरे लंड से चुद रही थी.

फिर वो बोली- मेरी कमर में दर्द हो रहा है.
मैंने उसको घोड़ी बनने को बोला.

फिर मैंने लंड को निकाला तो देखा कि उसकी बुर एकदम गीली थी.
उसकी बुर का पानी छूट चुका था.

उसने दो मिनट तक मेरे लंड को सहलाया, फिर कुतिया वाली पोजीशन ले ली.

मैंने पीछे से उसकी बुर और गांड को चाटा और लंड पर थूक लगा कर धीरे धीरे पूरा लंड उसकी बुर की गहराई में उतार कर रुक गया.
पीछे से मैं उसके दूध को तेजी से दबा रहा था और वो कराह रही थी.

मैं धीरे धीरे लंड को आगे पीछे कर रहा था और उसकी चूची को दबा रहा था.
कुछ मिनट बाद ऐसा लगा कि उसकी बुर सिकुड़ रही हो और मेरे लंड को अन्दर खींच रही हो.

उसके बाद मेरे लंड को बहुत गर्म महसूस हुआ और चिकनापन भी लगने लगा. मेरा लंड अब बड़े आराम से अन्दर जा रहा था.
ये शालू की बुर के झड़ जाने से होने लगा था.

इस तरह से शालू दो बार झड़ गई थी और हांफने लगी थी.

चूंकि मैं धीरे धीरे चुदाई कर रहा था तो मैं टिका हुआ था.

फिर मैंने तेजी से धक्का देना शुरू किया और उस रात शालू को अच्छे से चोद कर काली से फूल बना दिया.
सुबह वो बोली- रोहन, बुर में और कमर में दर्द हो रहा है.
उसकी चाल भी बदल गई थी.

मैंने कहा- ट्रेन से उतरकर दर्द की दवा दिला दूँगा.

लखनऊ स्टेशन पर ट्रेन काफी देर तक रुकी, तो मैंने प्लेटफार्म पर बने दवा स्टोर से पेनकिलर लेकर उसे खिला दी.
फिर प्रतापगढ़ आकर मैंने उसको उसके घर पहुंचा दिया.

इसके बाद हम दोनों फ़ोन पर सेक्स चैट करने लगे.
वापस दिल्ली जाकर हम दोनों बिंदास सेक्स का मजा लेने लगे थे.

ये थी मेरी पहली चुदाई की कहानी.
आप सबको इंडियन GF हॉट स्टोरी कैसी लगी, बताइएगा जरूर.

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