विधवा मां की वासना से घर सेक्स हाउस बन गया

Xxx माँ सेक्स हाउस कहानी में मेरे पिता की जवानी में मौत के बाद मेरा माँ के जिस्म ने उन्हें लंड खोर बना दिया. उनकी एक बेटी भी हो गयी इसी चक्कर में. उसके बाद क्या क्या हुआ?

दोस्तो, ये सेक्स कहानी मेरी अपनी है, बिल्कुल सच्ची और दिल को छूने वाली.
इसमें मैंने बताने की कोशिश की है कि एक पढ़ी-लिखी, जवान लड़की कैसे अपनी हालातों के चलते रंडी बन जाती है!

यह तब की Xxx माँ सेक्स हाउस कहानी है जब मेरी मां एक क्वालिफाइड, समझदार और हसीन लड़की थी.
मेरे पापा भी एमबीए पढ़े-लिखे, दिमाग से तेज़ थे.

उन्होंने आठ साल तक हार्डवेयर स्टोर की दुकान चलाकर खूब पैसा कमाया और फिर एक मॉडर्न, दिलकश और खूबसूरत लड़की से यानि मेरी मां से शादी कर ली.

उस वक्त की फ़ोटो मैंने देखी हैं, मां की पतली कमर 30 इंच की, 34 की उभरी हुई चूचियां और 36 इंच की गोल, पीछे से उठी हुई गांड थी.
सब कुछ ऐसा कि देखने वाला मदहोश हो जाए.

शादी के चार साल तक उन दोनों की चुदाई का गर्मागर्म दौर चला.
फिर मैं पैदा हुआ.

पापा मुझे बेइंतहा प्यार करते थे, मुझे अपने पास रखते थे, मेरे साथ वक्त बिताते थे.

लेकिन एक साल बाद उनकी मौत हो गई.
कैसे, क्यों … यह आज तक मेरे लिए रहस्य है.

दस महीने तक दुकान बंद पड़ी रही.
यह सारी कहानी मुझे तब समझ आई, जब मैं 18 साल का हो गया और मां को चुदते हुए उसकी जिंदगी को करीब से देखा.

पापा के मरने के दस महीने बाद मां ने दुकान फिर से खोली.
मैं भी मां के साथ दुकान पर रहता था.

एक साल तक दुकान में कस्टमर कम ही आते थे, मगर फिर एक हार्डवेयर ऑब्जेक्ट का कस्टमर, जो कॉन्ट्रैक्टर था, मां के लिए फरिश्ता बनकर आया.

उसने मां को सपोर्ट किया, अपने जानने वालों को दुकान पर लाया.
दुकान में सेल बढ़ने लगी, हर दिन ग्राहक आने लगे.

कुछ ही समय बाद मेरी मां को उसका अहसान समझ में आ गया.
वह धीरे-धीरे मां को छूने लगा, उनको गले से लगाना, चूचियों को दबाना, गांड को सहलाना … यह सब अब आम हो गया था.

शायद मेरी मां भी प्यासी थीं और उनके सामने मेरा लालन-पालन एक बड़ा मुद्दा था इसलिए वे भी उसी धारा में बहने लगी थीं.

मैं तब छोटा था, कुछ-कुछ धुंधली यादें आज भी ताज़ा हैं.
मां उसके साथ कार में बैठकर जाने लगीं.

मुझे दो लोग, जो उस कॉन्ट्रैक्टर ने दुकान पर काम के लिए रखे थे, संभालते थे.
वह मां को रात-शाम सात बजे लौटा लाता था.

मां दिन में 12 बजे से शाम 7 बजे तक उसके साथ मौज-मस्ती करती थीं.
वह मां को चोदता था और मां को भी उसकी चुदाई में मज़ा आने लगा था.

मां उससे प्यार करने लगी थीं.
लेकिन वह मां से शादी नहीं करना चाहता था क्योंकि वह पहले से शादीशुदा था.

उसकी बीवी किसी लाइलाज बीमारी से जूझ रही थी.
उसकी हड्डी-पसली पतली हो गई थी और वह कमज़ोर सी, बिस्तर पर पड़ी रहती थी.

मां शादी के लिए दबाव डालने लगीं मगर उसने मना कर दिया.

उसने कहा- मैं चार साल से चुदाई से दूर हूँ. मैं ऐसा नहीं हूँ कि जो हर लड़की या औरत के साथ छेड़छाड़ करूँ.

मां उस अच्छी सोच वाले मर्द से खुश थीं. वे हर दिन उसके साथ कार में जातीं और शाम 7 बजे तक ऐश और चुदाई का खेल चलता रहता.

धीरे धीरे मुझे यह समझ में आने लगा था कि वह आदमी मेरी मां को दिन में दो बार चोदता था.

एक बार वह अपनी सुबह की तड़प मिटाता, दूसरी बार शाम की आग बुझाता.

फिर एक दिन एक दूसरा पैसे वाला हार्डवेयर पार्ट्स का खरीददार आया.

उसने मां को उस कॉन्ट्रैक्टर के साथ चुदाई करते देख लिया.
उस घटना के बाद मां का दुर्भाग्य शुरू हुआ.

मां का वह प्रेमी कॉन्ट्रैक्टर, अपनी बीमार पत्नी को लेकर साउथ इंडिया के किसी हॉस्पिटल में इलाज के लिए चला गया.
वह एक साल से ज़्यादा वक्त तक लौटा ही नहीं.

तभी उस दूसरे शख्स ने, जिसने मां को चुदते देखा था, इस बात का फायदा उठाया.

वह मां से बोला- आप बेहद खूबसूरत हो, हुस्न की मल्लिका सी हो … इतनी कम उम्र में विधवा हो जाना, कितना अफसोसनाक है. मैंने आपको उसके साथ चुदते देखा था. इस उम्र में हर लड़की की चूत में आग लगती है और आप जैसी जवान, रसीली औरत के लिए तो ये दुख और भी गहरा है.

मां बस ‘हूँ-हूँ’ करती रहीं, उसकी बातें सुनती रहीं.
फिर उसने हिम्मत जुटाई और मां को अपनी बांहों में दबोच लिया.

मां छटपटाती रहीं, उसकी सांसें तेज़ चलने लगीं और वह मां की चूचियों को मसलता रहा, उनकी गांड से लंड को रगड़ता रहा.
वह बोला- तुम इतनी हसीन हो, मुझे भी तो चोदने दो! मैंने उस आदमी को तुम्हारी चुदाई का मज़ा लेते देखा था, अब मेरी बारी है.

मां गर्म हो गईं, उस आदमी की आंखों में हवस नाच रही थी.

फिर मां उसे शॉप के पीछे बने रेस्ट रूम में ले गईं.
बहुत देर तक वे बाहर नहीं आईं, तो मैं उन्हें देखने गया.

मैं तब बहुत छोटा था.
तब भी मां की चुदाई का वह नज़ारा आज भी मेरे दिमाग में ताज़ा है.

अब जो शुरू हुआ, वह रोज़ का खेल बन गया, हर दिन चुदाई का दौर चलता.
मां ने एक दिन कहा- देखो, रोज़ रोज़ यहां नहीं करना चाहिए. तुम कोई और जगह ढूँढो.

अगले दिन से वह मां को कार में लेकर जाने लगा.
होटल की चारदीवारी में और लोगों की नज़रें मां के जिस्म पर पड़ने लगीं.

वह आदमी मां को दूसरों के साथ शेयर करने लगा.

मां अब तक सिर्फ तीन लंडों से चुदी थीं मगर अब हर दिन नया लंड मां की चूत को चूमने लगा.

मां कभी-कभी पूरी रात घर नहीं आती थीं.
उनकी जवानी रात रात भर मर्दों की बांहों में मचलती थी.

लेकिन दूसरी तरफ यह भी था कि हमारे घर में पैसे की बरसात हो रही थी.

चुदाई के पैसे इतने आ रहे थे कि गिनती करना मुश्किल था.
इस बात से मां खुश थीं.

लंड का नशा बिस्तर में उन्हें मस्त कर रहा था और पैसों की चमक हमारे परिवार को सुख सुविधा दे रहा था.

मां को चुदाई का धंधा अब लज़्ज़त देने लगा था.

फिर एक बार मां गर्भवती हो गईं.
मुझे अच्छी तरह से याद है जब मां ने मुझसे कहा था कि तेरा भाई आने वाला है!

एक महीने, दो महीने तक चुदाई का जोश भरा खेल चलता रहा.

हर रात मां के साथ वह शख्स अपनी हवस की आग बुझाता.
पर फिर अचानक उसकी कार का आना बंद हो गया.

शायद उसे फँसने का डर सताने लगा था, इसलिए उसने मां को अपनी जिंदगी से ऐसे दूर कर दिया, जैसे कोई इस्तेमाल की चीज फेंक देता है.

उसी बीच मेरी बहन इस दुनिया में आई, उसकी किलकारियों ने घर में नई हलचल मचा दी.

बहन के आने के एक महीना बीतते-बीतते मां फिर से बेचैन हो उठीं.
उनकी जिस्मानी भूख जाग उठी थी.

मां ग्राहकों की तलाश में निकल पड़ीं.
किसी दिन किस्मत साथ देती, कोई दिन वे खाली हाथ रह जातीं.

ऐसे ही छह महीने गुजरते गए और फिर मां ने एक ग्रुप जॉइन कर लिया.

एक औरत, जो शायद उसकी हमराज थी, उसे खबर देती कि आज उस होटल में, फलाँ नंबर का कमरा.
बस फिर क्या, धंधा रोज का रंग लेने लगा. कोई रात एक मर्द के साथ गुजरती, तो कोई रात चार मर्दों की हवस का शिकार बनती.

मेरी मां अब पूरी तरह से पैसे के लिए रंडी बन चुकी थी, उसकी नजाकत और शर्म कहीं खो चुकी थी.

एक बार पुलिस की रेड पड़ी और मां को हथकड़ियों में जकड़ लिया गया.

मैंने किसी की मदद से मां को आजाद करवाया, हर कीमत चुकाई.

जिसने मदद की, वह धीरे-धीरे घर का हिस्सा बन गया.
दो साल तक उसने मां के जिस्म को अपने रंग में रंगा, हर रात उसे अपनी बांहों में भरे रहा.

लेकिन एक दिन उसकी बीवी ने हंगामा मचा दिया.
हमारे घर में उसकी औरत की चीखें गूँजीं, गालियां बरसीं.

मां को मजबूरन उससे जुदा होना पड़ा, पर उसकी चुत की आग अभी ठंडी कहां हुई थी.

मां उस आदमी से अलग हो गईं, लेकिन उनको मर्द का लंड चाहिए था.

वे दुकान में काम करने वाले सोनू को घर में मदद के बहाने से बुलाने लगीं.
कुछ ही दिनों बाद दुकान का नौकर सोनू मेरी मां को चोदने लगा.

अब तक मैं भरपूर जवान हो गया था.
सोनू भी जवान था.

मेरी बहन तब जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी.
मेरी बहन ने बहुत बार मां को सोनू से चुदवाते देख लिया था.

दरअसल मां के कमरे का दरवाजा कुछ टूटा सा था, जिसमें से मेरी बहन अन्दर झांक कर मां की चुदाई देखती थी.

मैं भी अपने कमरे में से मां और सोनू की चुदाई देखता था.
मुझे मां की चुदाई करने की बड़ी तमन्ना थी कि किसी तरह से मां की चुदाई कर लूँ.

मेरी बहन मेरे साथ मेरे कमरे में सोती थी.
मां की चुदाई देखकर मेरा लंड तनतना जाता था.

बहन भी उत्तेजित हो जाती थी.
मैं रात को अपनी बहन को टच करता था, उसकी चूचियों को सहला देता था और उसकी बुर को भी रगड़ देता था.

मेरी बहन की चूचियां 30 इंच की रस भरी हो गई थीं.
उसकी लचकती कमर 28 इंच की और गांड 34 इंच की उठी हुई बड़ी कामुक लगने लगी थी.

मैंने कई बार अपनी बहन की चड्डी में हाथ डालकर देखा था.
उसकी बुर के ऊपर छोटी और हल्की रेशमी झांटें उगने लगी थीं.

एक दिन मैंने मां से कुछ पैसे लिए और सोनू की मदद से दूसरी दुकान खोलने की तैयारी कर ली.

उस दुकान को हासिल करने में मुझे काफी समय लग गया था.
मेरी मेहनत और जुनून का पसीना बहा कर मैं इस काबिल हो चुका था कि अब अपने व्यापार को पंख लगा सकूँ.

सोनू भी मेरा साथ देता था.
उसके साथ मेरी खूब पटती थी.
हम दोनों दारू पी कर ब्लू फिल्म देखते थे.

इधर मेरी बहन अपनी जवानी में कदम रख चुकी थी.
नई दुकान का उद्घाटन तय करना था.

हमने तारीख फिक्स की कि दो महीने बाद बहन के जन्मदिन पर फीता काटा जाएगा.

जब दूसरे दिन उद्घाटन था, तो उसके पहली वाली रात को सोनू ने दारू पीते हुए मुझसे पूछा कि कभी किसी की बुर चोदी है?
मैंने शर्माते हुए कहा- नहीं!

उसने हँसते हुए कहा- मैंने तो तेरी मां की बुर को कई बार रगड़ा है. तू भी चाहे तो बोल? मजा लेगा?
मैंने हैरानी से पूछा- वह कैसे होगा?

वह बोला- वह सब मेरे ऊपर छोड़ दे, मैं तेरी मां को तैयार कर दूँगा.

फिर उसने मां से कहा- मैडम, दुकान का उद्घाटन होगा तो मैं, आपका बेटा दीपू और आपकी बेटी मीनू सब मिलकर करेंगे.

यह बोलते हुए उसने मां को उंगलियों से घपाघप का इशारा किया, जैसे हवस का न्योता दे रहा हो.
मां ने नशीली मुस्कान के साथ कहा- ठीक है, कर लेना!

दूसरे दिन उद्घाटन का समय आया.
दुकान पर पूजा हुई, मिठाइयां बँटीं, सब शानदार रहा.

शाम 5 बजे दुकान बंद करके मैं घर लौटा तो देखा कि मां दुल्हन की तरह सजी थीं.

मस्त ड्रेस, फुल मेकअप, मां ब्यूटी क्वीन सी लग रही थीं, मानो उनकी जवानी फिर से लौट आई हो.

बहन ब्लाउज़, टी-शर्ट और स्कर्ट में थी, नाजुक और हसीन.
मां का रूप तो गज़ब ढा रहा था.

तभी सोनू ने मां को पीछे से जकड़ लिया, उनकी गांड के पीछे अपना लंड सटाया और चूचियों को जोर से दबोच लिया.
मां ने कामुक स्वर में कहा- सोनू, रूम में चलो!

सोनू ने मां को अपनी मजबूत बांहों में उठाया और बिस्तर पर ले गया.

वहां उसने मुझसे कहा- दीपू, मां का उद्घाटन कर! आज तेरी मां की चूचियां तेरे लिए और चूत तेरे लिए!

मां ने हल्के से विरोध किया- सोनू, ड्रेस खराब हो जाएगी.
सोनू ने जवाब दिया- मैडम, आज दो लंड से चुदाई होगी. दीपू भी लेगा, मैं भी. चल दीपू, अपना लंड मां के मुँह में डाल दे!

मैं कपड़े उतारकर नंगा हो गया.
Xxx माँ ने घर को सेक्स हाउस बना दिया.
वे भी अपनी सारी शर्म छोड़कर नंगी हो गईं.

सोनू तो पहले से ही नंगा था.
बहन सब कुछ आंखों के सामने देख रही थी.

मां के मुँह में लंड डालते-डालते मेरे मन में बुर में घुसने की तड़प जागी.

सोनू ने बुर चाटना बंद किया तो मैंने अपना लंड उनकी गीली बुर पर रगड़ना शुरू कर दिया.

तभी बहन बोली- भैया, तेरा लंड बड़ा है घुसा सकेगा?
मैं बोला- देखती रह, घुसा दूँगा.

मैंने मां की गीली बुर पर लंड लगाकर ठेला, तो लंड घुस गया.
मैं उत्तेजित हो गया और जल्दी जल्दी चुत चोदने लगा.

दस बीस धक्के में मेरा रस मां की चुत में टपक गया.
मां गुस्सा हो गईं.

सोनू बोला- मैडम, नया लड़का फर्स्ट टाइम चोदने में ऐसा ही होता है!
मैं शर्म से सर झुका कर अपनी बहन के साथ अपने कमरे में आ गया.

सोनू उठकर मां की बुर में लंड लगा चुका था.
मैं बहन के साथ उदास निराश लेटा था.

बहन मेरे गले से लग गई.
उसकी चूचियों की गर्मी ने मुझे जोश दिला दिया.
मैं बोला- मीनू, मैं ठीक से चोदूंगा, तुम चोदने दो.
मीनू बोली- मैं तो सुबह से तैयार बैठी हूँ.

वह कपड़े खोलकर नंगी हो गयी और मेरा लंड चूसने लगी.
मैं अपनी बहन की चूची दबाने मसलने लगा.

मैं बोला- मीनू, चल क्रीम लेकर आ जा!
मीनू क्रीम लेकर आई.

मैं बोला- मीनू, मेरे लंड में क्रीम से मालिश कर!
वह लंड की मालिश करने लगी और मैं उसकी चूचियां पीने लगा.

उसकी बुर में क्रीम लगाने लगा.
मीनू गर्म हो गयी और आ आ करने लगी.

मैं मीनू को लिटा कर उसकी बुर पर आ गया.
अपना लंड बुर पर लगाकर दोनों जांघों के बीच घुटनों पर बैठकर लंड ठेल दिया.
लंड चुत की फाँकों में घुसकर फँस गया.

मैंने बहन के पैर फैलाए और अपने दोनों पैर लंबे करके उसके पेट पर चढ़ गया.

उसकी सांसें तेज़ थीं मानो हवा में एक नशीला तूफान उमड़ रहा हो.
मेरा लंड तैयार था. एक धक्का, फिर दो धक्के और तीसरा धक्का जैसे आग का गोला छूटा.

बहन चिल्लाई, उसकी आवाज़ में दर्द और उत्तेजना का मिश्रण था ‘आह आ आ … ओह्ह आह्ह … नहीं हटो … आह मुझे नहीं करना है!’

उसकी चीखें कमरे में गूँज रही थीं.
मैं रुक गया, उसकी सांसों को थमने का मौका दिया.

मां बाहर से बोली- क्या हुआ?
मैंने हँसते हुए कहा- उद्घाटन हो रहा है!
मां चुपचाप चली गईं.

फिर मैंने बहन की ओर देखा, उसकी आंखों में एक अजीब सा नशा था.
मैंने कहा- तेरी सील टूट गई, अब थोड़ी देर बाद मज़ा आएगा.

मैंने उसके होंठों पर चुम्मा लिया, एक के बाद एक ऐसे चूमता चला गया, जैसे मैं उसके होंठों से मिठास चुरा रहा हूँ.
मैंने लंड को बहन की चुत के अन्दर घुसेड़े रखा.

उसकी चुत की गर्मी को महसूस करते हुए हौले हौले हिलता रहा और उसे चूमता रहा.

जब उसने अपने हाथों से मुझे मारना शुरू किया- ठप-ठप …
तब मुझे समझ आया कि अब वह नॉर्मल हो गई है.

मैंने लंड पर तेल लगाया और धीरे से घुसेड़ दिया.
तेल की चिकनाहट के साथ मैंने अपना लंड एक बार दुबारा से घुसाया.
वह चीखी लेकिन शांत हो गई.

फिर मैंने धकाधक चुदाई चालू कर दी. अपना पूरा लंड अन्दर उसकी चूत में समाता और निकालता गया.
वह भी मस्त हो गई थी.

मैंने कहा- मीनू, पूरा लंड तेरी चूत में घुस गया है!
मीनू ने उंगली से लंड को टटोला, उसकी सांसें और तेज़ हो गईं.

मैंने वापस उसे चोदना शुरू कर दिया.
दस मिनट तक उसकी चुत की गहराई में लंड को बार बार गोता खिलाता रहा.

चुदाई के वक्त मीनू की मादक आवाज़ें, ‘सी सी सी … उह्ह उह्ह आ आह … ईयीई आह …’ पूरे कमरे में एक संगीत की तरह गूँज रही थीं.
मेरा लंड फचफच, फचफच, ढकधक, अन्दर-बाहर, अन्दर-बाहर, घचाघच, घचघच हो रहा था.

हर धक्के के साथ उसका शरीर थरथरा रहा था.
मीनू बोली- आह भैया ओह … पूरा अन्दर पेलो आह ओह और ज़ोर से चोदो!

उसकी आवाज़ में एक मादक पुकार थी.
मैं भकभक पेलने लगा, बहन की गांड ऊपर-नीचे, ऊपर-नीचे, लंड ढकधक, भकभक चल रहा था. हर धक्के में एक ज्वालामुखी फट रहा था.

चोदते-चोदते उसकी चुत के अन्दर ही मेरा वीर्य निकल गया.

बहन शांत हो गई, मैं भी उसके ऊपर ढह गया.
मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में डूबा हुआ था.

कुछ मिनट बाद बहन बोली- बहुत मज़ा आया भैया, फिर से चोदो न … तब सोएंगे.
मैंने कहा- नहीं अब सो जाओ, सुबह वापस चुदाई होगी!

मगर मेरी बहन नहीं मानी, उसने अपने घुटनों को फैला दिया.
उसने अपनी नंगी टाँगें लंबी कर दीं और वह पेट के बल लेट गई.

उसकी पीठ की गोलाई चाँदनी में चमक रही थी.
मेरा लंड उसकी गांड देख कर फिर से तैयार हो गया था.

मैंने लंड सैट किया और वापस से एक तेज धक्का दे दिया.

‘ऊँह आह पेल दो आह …’
उसकी आवाज सुनकर मैंने लगातार धक्के देना शुरू कर दिए.

धक्के पर धक्का ऐसे लगने लगे, जैसे बिजली के झटके लग रहे हों.

अचानक से मेरी बहन फिर से चिल्ला उठी ‘आह आह ओह्ह आह्ह नहीं!’

उसकी आवाज़ में एक मादक कशिश थी.
उसकी सिसकारियों को सुनते हुए मैं रुक गया.

मां बाहर से बोली- क्या हुआ?
मैंने फिर वही जवाब दिया- उद्घाटन!
मां चुपचाप चली गईं.

मैंने बहन को देखा, उसकी आंखों में अब दर्द के साथ एक चमक थी.
मैंने कहा- तेरी सील टूट गई, अब मज़ा आने वाला है!

मैंने उसके होंठों को चूमा, बार-बार ऐसे चूसा जैसे शहद की मिठास चाट रहा हूँ.

मैंने लंड को अन्दर घुसाए रखा, वह उसकी गर्मी में डूबा हुआ था.
जब उसने अपने हाथों से मुझे टहोका, तब मुझे समझ आया कि अब वह तैयार है.

मैंने लंड को बाहर खींचा, उस पर तेल लगाया और धीरे से घुसा दिया.
वह आह करके कराही मगर शांत हो गई. इस बार तेल की अधिक चिकनाहट का साथ था तो मेरा लंड और गहराई तक घुसता चला गया.

फिर धकाधक चालू हो गई और पूरा लंड उसकी चूत की जड़ में समा गया.
मैंने कहा- मीनू, पूरा लंड तेरी चूत में है!

मीनू ने उंगली से छुआ और कहा- हां यह मेरी बच्चेदानी तक घुस गया है!

मेरी बहन की गर्म सांसें उफान पर थीं. मैंने उसे ताबड़तोड़ चोदना शुरू कर दिया.
कुछ मिनट तक मैं उसकी चुत की गहराई में डूबा रहा.

चुदाई के वक्त मीनू की सिसकारियां कमरे में गूँजती रहीं और एक नशीले संगीत से भर रही थीं.
मेरा लंड फचफच घचाघच के साथ उसकी आवाजों से ताल मिला रहा था.

तभी मीनू अकड़ उठी और बोली- आह भैया ओह … और जोर से पेलो … आह पूरा अन्दर घुसेड़ दो … ओह ज़ोर ज़ोर से चोदो … आह मैं बस गई!
उसकी पुकार में एक जादू था.

मैं भकाभक पेलने लगा, बहन की गांड ऊपर-नीचे होने लगी.
लंड लगातार ठोकर मारता गया. हर धक्के में एक तूफान उठ रहा था.

चोदते हुए ही मैंने चुत के अन्दर वीर्य निकाल दिया.
बहन शांत हो गई, मैं भी उसके ऊपर लेट गया.

मेरा लंड उसकी चूत में डूबा हुआ ढीला हो गया.
कुछ मिनट बाद बहन बोली- इस बार पहली बार से ज्यादा मज़ा आया भैया.

मैंने कहा- अब सो जाओ बहुत रात हो गई!
वह बोली- हां … पर बाहर मां इंतजार कर रही हैं क्या आप उन्हें चोदने भी जाओगे?

मैंने अपनी बहन को देखा और हंस कर कह दिया कि अब मैं अपनी रंडी मां की चुदाई कल करूँगा.
उस पर मीनू ने कहा- हां अब बहन भी रोज चुदेगी!

दोस्तो, यह सच है कोई सिर्फ सेक्स कहानी नहीं है.
Xxx माँ सेक्स हाउस कहानी आपको अच्छी लगी या नहीं … कमेंट जरूर लिखना. जीवन की असली सत्यता है.

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