वाइफ सिस्टर सेक्स कहानी में पढ़ें कि जीजा और साली का नैन मटक्का बहुत पहले से चल रहा था पर चुदाई का मौक़ा ना मिला. साली की शादी के बाद उसने जीजा से कैसे सेक्स का मजा लिया?
नमस्कार दोस्तो, ये सेक्स कहानी जीजा और साली के बीच प्रेम और संभोग की है.
वाइफ सिस्टर सेक्स कहानी के नायक प्रिंस की उम्र 33 साल और नायिका साली मिष्टी 28 साल की है.
प्रिंस की 2 सालियां हैं. पहली मिष्टी दूसरी ग्रेवी 21 साल की है.
प्रिंस की ससुराल में उसके सास ससुर और उनकी 3 बेटियां और एक बेटा भास्कर है.
भास्कर अपनी तीनों बहनों से बड़ा है. उसकी शादी हो चुकी थी. वो शहर में अपने बीवी बच्चों के साथ रहने लगा था. उसके दो बच्चे थे.
प्रिंस शादी के बाद से ही ससुराल कुछ ज़्यादा ही आया करता था. इसी आने जाने में उसकी अपनी बड़ी साली मिष्टी के साथ हंसी मज़ाक काफी बढ़ गया था.
दोनों एक दूसरे को चाहने लगे.
धीरे धीरे बात बढ़ने लगी. मिष्टी की चाहत उसकी शादी होने के बाद भी अपने जीजा प्रिंस से ही बनी रही.
जब भी दोनों की आंखें एक दूसरे टकराती थीं तो मानो ऐसा लगता कि चाँद को बादल अपने आगोश में लेकर ही मानेगा.
मिष्टी बड़ी बड़ी आंखों वाली एक मदमस्त जवानी का उदाहरण थी.
उसे देख कर प्रिंस की आंखों में उसे बांहों में भर लेने के सपने तैरने लगते थे.
प्रिंस भी सुंदर और गठीले बदन का मर्द था.
दोनों एक दूसरे में समा जाने के लिए आतुर रहने लगे थे.
चूँकि मिष्टी की भी शादी ही चुकी थी और उसके भी 2 बच्चे ही गए थे.
अब उसका मायके आना जाना कम ही होता था, इसलिए दोनों का इश्क, संभोग के बिना अधूरा था, उन्हें मौका ही नहीं मिल पाता था.
धीरे धीरे समय ने करवट ली.
वो दिन भी अब करीब आ रहा था जब वो दोनों एक दूसरे के साथ संभोग सुख ले लेते.
मगर इस मौके से वो दोनों अंजान थे और दोनों ही एक दूसरे को बस सपने में मिल लिया करते थे.
होली का समय आया.
प्रिंस की बीवी की तबीयत खराब थी.
उन दिनों मिष्टी और उसकी बड़ी बहन नैन्सी को होली पर मायके लाने के लिए उनके पिता जी उनकी ससुराल गए.
बड़े दामाद की तबीयत खराब होने के कारण नैन्सी होली पर अपने मायके ना आ सकी किंतु मिष्टी आ गई.
मिष्टी ने अपने आने की खबर प्रिंस को फोन करके बताई.
प्रिंस ससुराल जाने के बहाने खोज रहा था.
अचानक से उसे याद आया कि शहर से उसके दोस्त कमलेश और प्रमोद आए हैं, जिनकी इच्छा गांव घूमने की थी.
बस फिर क्या था … वो उन्हें गांव घुमाने के बहाने ले गया.
उधर मिष्टी से मुलाक़ात होने के सपने में मानो वो खो सा गया था.
खोता भी क्यों नहीं, उसके मन की मुराद जो पूरी होने वाली थी.
प्रिंस ने अपने दोस्तों के साथ गांव घूमने का प्लान फिक्स कर लिया और वो तय समय पर अपनी अधूरी मोहब्बत को पूरा करने निकल पड़ा.
इधर मायके में जैसे ही मिष्टी पहुंची, उसने पहले अपनी साड़ी चेंज करके एक काले रंग का सूट पहन लिया और अपने जीजा के आने का इंतजार करने लगी.
दरवाजे से आज उसकी नज़र हट ही नहीं रही थी.
उसकी ये उत्सुकता छोटी बहन से छुपी नहीं थी.
इसी सबके बीच प्रिंस अपने दोस्तों के साथ ससुराल आ गया.
उसकी आवभगत होने लगी.
चाय पानी का सिलसिला चला, लेकिन मिष्टी के मन में ये विचार आया कि प्रिंस अपने दोस्तों को लेकर क्यों आया है. क्या हम आज भी बस एक दूसरे को निहार कर ही अपने अपने घर वापस चले जाएंगे. दीदी नहीं आई है, आज मौका भी था, लेकिन जीजा जी ने ये क्या कर दिया.
फिर उसकी तंद्रा तब टूटी, जब प्रिंस ने उसे पुकारा.
वो मन ही मन अपनी किस्मत को कोसती हुई अपने जीजा जी के पास आई.
प्रिंस ने जैसे उसकी आंखों में पढ़ लिया था कि वो क्या सोच रही है.
इसलिए अपने पास बुला कर प्रिंस ने उसके विचारों को ग़लत साबित कर दिया.
अब वो ऐसे खुश ही गई थी, जैसे खिली हुई कली पर कोई भौंरा आकर बैठ गया हो.
अब वो उस पल के इंतजार में फूली नहीं समा रही थी.
कुछ देर बाद उसके पिता जी खेत की तरफ चले गए, माता जी पड़ोसी के यहां कुछ काम से मिष्टी के बच्चों के साथ पहले ही चली गई थीं.
प्रिंस ने अपने दोस्तों को गांव घूमने के लिए भेज दिया था.
घर में अब सिर्फ़ 3 लोग थे. प्रिंस और उसकी दोनों सालियां.
प्रिंस घर के अन्दर आया और छोटी साली के साथ हंसी मज़ाक करने लगा.
मिष्टी समझती थी कि जीजा सिर्फ़ उसी से प्यार करते थे लेकिन उसके उलट प्रिंस अपनी छोटी साली पर भी डोरे डाल रहा था.
उस दिन वो वही सब कर रहा था, जो उसने मिष्टी के साथ किया था.
प्रिंस ने अपनी छोटी साली से कहा- इस बार हमें ही देना साली साहिबा.
छुटकी ने कहा- क्या देना?
मैंने हंस कर कहा- वोट देना यार और क्या.
छुटकी- जाओ, मैं तुम्हें क्यों वोट दूँ. जहां मेरी मर्ज़ी होगी, वहीं वोट दूँगी. लेकिन तुम्हें नहीं दूँगी.
दो टूक सा जवाब सुनकर प्रिंस का मुँह लटक गया.
फिर बात को संभालते हुए प्रिंस ने कहा- अरे यार मैं तो मज़ाक कर रहा था, जिसे मर्ज़ी तुम उसे दो, हमें मत देना.
साली उससे भी तेज थी, वो बोली- दोअर्थी बात मत करो जीजा, मैं सब समझती हूँ.
प्रिंस ने कहा- अरे नाराज़ क्यों हो रही हो साली जी, मैं तो बस मजाक कर रहा था. अच्छा ये बताओ हमारी बड़ी वाली साली साहिबा कहां हैं?
उसने थोड़ा गुस्से में कहा- दीदी बाहर वाले कमरे में सो रही हैं.
बस फिर क्या था, प्रिंस पलट कर घर के बाहर वाले कमरे के पास आ गया.
वो थोड़ा रुका और उसने देखा कि मिष्टी काले रंग की लैगी कुर्ती में जमीन पर दरी बिछा कर लेटी थी और कयामत सी नज़र आ रही थी.
उसकी सांसें तेज चल रही थीं जिससे उसके आम ऊपर नीचे होकर प्रिंस के लंड की हालत खराब कर रहे थे.
ये देख कर यही हाल प्रिंस का भी हो गया था, उसकी सांसें भी भारी होने लगी थीं.
प्रिंस कमरे में दाखिल हुआ, उसकी मिष्टी के मम्मों के ऊपर से नज़र ही नहीं हट रही थी.
उस बला की खूबसूरती के आगे चाँद भी आज फीका लग रहा था.
उसी समय उसकी छोटी साली कमरे में आ गई और अपनी बहन के पास बैठ गई.
अब प्रिंस और मिष्टी को अपने मिलन के इस मौके में गड़बड़ नज़र आने लगी.
तभी मिष्टी ने अपनी बहन को रसोई में जीजा जी के लिए खाना बनाने के लिए भेज दिया और वो ये कह कर चली भी गई कि पहले सब्जी ले आती हूँ.
मिष्टी ने हामी भर दी और छोटी साली चली गई.
ये बाहर का कमरा था, प्लास्टर नहीं हुआ था. खिड़की में दरवाजे नहीं थे. दीवार में कई जगह छोटे छोटे छेद थे.
खिड़की में नाम के लिए एक परदा लगा था, जो कि हवा के झोंके से कटी पतंग की तरह इधर उधर हो रहा था.
दोनों ने कमरे का दरवाजा बंद करके राहत की सांस ली.
जीजा साली आज अपनी चुदाई को रस्म पूरी करने के लिए बिल्कुल अकेले रह गए थे और एकदम निडर होकर एक दूसरे में समा जाने को आतुर भी.
उन्हें कोई नहीं देख रहा है, इस विश्वास के साथ दोनों एक बार आलिंगन बद्ध हुए और थोड़ी देर एक दूसरे से चिपके रहे.
मिष्टी जैसी चाँद अपनी पूरी रवानी पर था और दूसरी तरफ प्रिंस भी आज मानो बादलों की तरह उसकी चाँदनी को बिखरने से रोक रहा था. या यूं कहें कि उसके यौवन की खुशबू का रसपान कर रहा था.
दोनों अलग हुए और एक दूजे को निहारने लगे.
प्रिंस ने एक बार बाहर खिड़की से देखा और फिर मिष्टी के बदन पर नज़रें गड़ा दीं.
मिष्टी की झुकी हुई नजरें प्रणय निवेदन कर रही थीं, जिसे प्रिंस की नजरें परख चुकी थीं.
उसने आगे बढ़ कर साली को बेड के पास पहुंचाया और बिस्तर पर लिटा दिया.
साली ने पहले से सब कुछ व्यवस्थित कर रखा था. बस देर थी तो उस सेज पर जीजा साली की चुदाई की.
उसने भले ही आज तक अपने पति के पैंट कभी नहीं खोली थी, पर आज जीजू के लंड के लिए उतावली साली ने अपने जीजू की पैंट खोल दी और अन्दर हाथ डाल कर लंड को आज़ाद कर दिया.
कुछ देर लंड को देखने के बाद मिष्टी ने लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
वो अपने पति से कहती थी कि ऐसा करना मुझे अच्छा नहीं लगता और जीजू के लंड को टूथब्रश की तरह मुँह के हर कोने में घुमा रही थी.
जीजू उसके बालों को सहलाते हुए सर पकड़ कर लंड पेल रहा था.
फिर अचानक से जीजू ने एक झटके में पूरा लंड साली के मुँह में गले तक पेल दिया.
गप्प ओं गों की आवाज़ के साथ साली की आंखें जो अभी तक बंद थीं, अपने प्यारे जीजू की इस हरक़त से खुल गईं.
थोड़ी देर बाद उसने लंड को मुँह से निकाला.
अब प्रिंस ने उसकी कुर्ती को उसके गले तक उठा दिया और उसकी चूचियों से खेलने लगा.
चूचियों के ऊपर पसीने की बूंदें प्रिंस को और भी मदहोश कर रही थीं.
वो उन्हें पीकर मतवाला हो रहा था.
प्रिंस की साली सीत्कार भरने लगी थी.
अब उसे अपनी चूत की प्यास बुझाने की जल्दी हो रही थी. वाइफ सिस्टर सेक्स को समझ कर जीजू ने उसे बेड पर चित लिटाया और उसकी चूत पर लंड का सुपारा रख दिया.
फिर एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड प्रिंस ने अपनी साली की चूत में पेल दिया.
साली ने भी जीजा कर लंड चूत में समा लिया.
दोनों एक दूसरे पर चोट करने लगे.
उन्हें अपने आस पास की कोई सुध ही नहीं थी कि उन्हें कमरे की दीवार के छेद से कोई देख रहा है.
चुदाई की गति बढ़ने के साथ मिष्टी ‘हू … हू …’ की आवाजें निकाल रही थी.
दोनों ही अब पसीने से लथपथ थे.
खिड़की के पर्दे से टकरा कर आने वाली हवा उनमें नई शक्ति का संचार कर रही थी.
उन्होंने अपनी स्पीड और तेज कर दी और अपने चरमोत्कर्ष की तरफ एक एक कदम बड़ी ही तेज़ी से बढ़ रहे थे.
देखने वाला ये सब अपनी आंखों से देख रहा था, जिसे मिष्टी से ये उम्मीद ही ना थी कि वो अपने पति से छिपकर अपने सग़ी बहन के पति के साथ चुदाई का आनन्द ले रही थी.
बाहर ग्रेवी आ चुकी थी और चुदाई देख कर मजा ले रही थी.
अन्दर प्रिंस और मिष्टी दोनों निढाल हो चुके थे.
थोड़ी देर चिपके रहने के बाद प्रिंस ने अपनी पैंट पहनी और बाहर आकर नल से पानी निकाल अपने हाथ मुँह धोए और बाहर ही पड़ी कुर्सी पे बैठ गया.
मिष्टी भी अपने कपड़े पहन कर कमरे से बाहर आ गई थी.
इतने में ही प्रिंस के दोस्त वापस आ गए.
प्रिंस ने अपने दोस्तों के साथ खाना खाया और अपनी साली से फिर मिलने का वादा करके चला गया.
जिसने ये सारा नज़ारा दीवार के छेद से देख कर अपनी आंखों में क़ैद कर रखा था, उससे दोनों जीजा साली अब तक़ अंजान थे.