होली के बाद की रंगोली-08

परिवार में चुदाई की इस कहानी में अब तक आपने पढ़ा कि सचिन ने रूपा को न केवल चोदा बल्कि ऐसा चोदा कि इतनी अनुभवी रूपा भी उससे प्यार करने लगी और दोनों ने सारा जीवन साथ बिताने की कसमें भी खा लीं।
अब आगे:

सुबह के 11 बजे थे, पंकज क्लिनिक के लिए बहुत पहले निकल गया था; सचिन अपनी कल्पना में कुछ ऐसे खोया था कि उसे याद ही नहीं रहा कि वो नंगा ही लेटा था और उसने चादर तक नहीं ओढ़ी थी। यूँ तो वो रात भर से ऐसा ही था, लेकिन अभी अभी रूपा के जाने के बाद से, दरवाज़ा बंद नहीं किया गया था। यह बात उसके कल्पनाओं की दुनिया में घूम रहे दिमाग से अभी परे थी। लेकिन हर सपना कभी न कभी तो टूटता ही है।

सोनाली- ये ले मेरे कुम्भकर्ण भाई, गरमा-गरम चाय… उईई… सॉरी…!!!

सोनाली जब सचिन को चाय देने आई तो उसने नहीं सोचा था कि सचिन उसे पूरी तरह नग्न अवस्था में मिलेगा। वैसे तो सोनाली सचिन को छिप कर हज़ार बार नंगा देख चुकी थी लेकिन ये पहली बार था जब ऐसा आमने-सामने हुआ था इसलिए वो थोड़ा हड़बड़ा गई और जल्दी से बेडसाइड-टेबल पर चाय रख कर जाने लगी।

सोनाली- ये यहाँ रखी है, पी लेना…
सचिन- ओह्ह! सॉरी दीदी…
इतना कहते हुए सचिन ने जल्दी से चादर ओढ़ ली। तब तक सोनाली की हड़बड़ाहट भी जा चुकी थी इसलिए वो जाते जाते दरवाज़े पर रुकी और पीछे मुड़ कर शरारती अंदाज़ में बोली- मुबारक हो! लगता है तेरे सांप को बिल मिल ही गया आख़िर! ही ही ही…

खिलखिला कर हँसते हुए सोनाली तो चली गई लेकिन सचिन की नींद तो बिना चाय पिए ही उड़ गई थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे इस बात से चिंतित होना चाहिए या खुश? आखिर उसने भी अपने कपड़े पहने और चाय का कप लेकर बाहर आ गया।
बाहर डाइनिंग टेबल पर रूपा अपनी चाय लगभग खत्म कर चुकी थी।

जब सचिन अपने चाय का कप लेकर वहां बैठा तो रूपा अपनी चाय की आखिरी चुस्की लेते हुए उठ खड़ी हुई।
रूपा धीरे से- मैं नहाने जा रही हूँ चाहो तो आ जाना!

सचिन को आँख मारते हुए रूपा चली गई। सचिन की बड़ी तमन्ना थी किसी लड़की के साथ नंगे नहाने की। उसने जल्दी जल्दी अपनी चाय ख़त्म की और बाथरूम में चला गया। शॉवर का पर्दा पहले से बंद था सचिन ने बाथरूम का दरवाज़ा लगभग बंद सा कर दिया ताकि आते जाते कहीं दीदी की नज़र न पड़ जाए और फिर अपने कपड़े निकल कर नंगा हो गया।

सचिन ने शॉवर के दरवाज़े को सरकाया और देखा वो पूरी नंगी अपने अभी अभी निकाले हुए कपड़ों को रख रही थी। तुरंत अंदर जा कर सचिन ने उसे पीछे से पकड़ लिया। एक हाथ से उसके स्तनों को जकड़ा और दूसरे से उसके पैरों के बीच उस चिकनी मुनिया को टटोलने लगा। उसके लिंग ने भी नितम्बों के बीच की दरार में अपना स्थान बनाना शुरू कर दिया।

लेकिन ये क्या?
आईईईऽऽऽ…
घबरा कर चीखते हुए सोनाली पलटी और सोनाली को देख कर सचिन भी सकते में आ गया।
सचिन- ओह्ह नो! मुझे लगा रूपा…

तभी रूपा अपना बाथरोब लिए शावर के दरवाज़े पर आ गई। सोनाली ने तुरंत अपने स्तन एक हाथ से छिपा लिए और दूसरे से अपनी चूत।
रूपा- सचिन…! भाभी…!
सचिन- मुझे लगा तुम हो…
सचिन ने बड़ा ही असमंजस भरी शकल बनाते हुए कहा।

सोनाली की शकल देखने लायक थी जैसे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है।
सोनाली- यार, ये क्या है? मेरे तो कुछ समझ नहीं आ रहा। अब मुझे नहीं नहाना… मैं जा रही हूँ। तुमको जो करना है करो।

इतना कह कर सोनाली नंगी ही वहां से चली गई। रूपा अब तक सब समझ गई थी और उसकी तो हंसी ही नहीं रुक रही थी।
रूपा- क्या बात है सचिन! आखिर दीदी को फेस-टू-फेस नंगा देख ही लिया।
सचिन- वैसे तो उन्होंने मुझे देखा था सुबह बैडरूम में, अभी तो कुछ ज़्यादा ही हो गया।
रूपा- ऐसा क्या हो गया, मुझे भी तो पता चले?

तब तक रूपा ने भी अपने कपड़े निकाल लिए थे। सचिन ने उसे ठीक वैसा करके दिखाया जैसा उसने सोनाली को रूपा समझ कर किया था। रूपा ने सचिन को उस ही पोजीशन में खड़े रहने को कहा और फिर शॉवर चालू करके बोली।

रूपा- अब मुझे रूपा नहीं बल्कि अपनी दीदी ही समझो और ऐसे ही चोदो।
सचिन- वाओ! रूपा, आई लव यू!

और सचिन वैसे ही खड़े-खड़े नहाते हुए रूपा को चोदने लगा। अभी उसके मन में अपनी दीदी के नंगे जिस्म के स्पर्श की अनुभूति एकदम ताज़ा थी इसलिए उसके लिए ये कल्पना कर पाना मुश्किल नहीं था कि वो सोनाली को चोद रहा था। इस कल्पना ने दोनों को इतना उत्तेजित कर दिया कि दोनों जल्दी ही झड़ गए। फिर दोनों ने एक दूसरे को साबुन लगाया और अंग से अंग लगा कर खूब मस्ती करते हुए नहाए।

फिर जब दोनों कपड़े पहन रहे थे…
सचिन- तुम्हारे साथ तो मेरी ज़िन्दगी मस्त गुज़रेगी यार। तुम तो मुझे, मुझ से भी बेहतर समझती हो। मुझसे ज़्यादा ये तुमको पता होता है कि मुझे क्या उत्तेजित करेगा।
रूपा- तुम मुझसे शादी करने को लेकर इतने उत्साहित हो तो मुझे लगता है कि मुझे तुमको एक बात बता देना चाहिए।
सचिन- क्या?

रूपा- मैं कुंवारी नहीं हूँ, मतलब तुम पहले नहीं हो जिसके साथ मैंने सेक्स किया है। लेकिन रात को जो मैंने तुम्हारे साथ महसूस किया वो पहली बार ही था। और मुझे नहीं लगता कि मैं वैसा किसी और के साथ फील कर पाउँगी।
सचिन- हम्म, कौन था वो?
रूपा- वो मैं तुम्हें वक़्त आने पर बता दूँगी। तुम अभी बस ये बताओ कि तुम्हें इस बात से कोई गिला-शिक़वा तो नहीं है न?
सचिन- पता नहीं शायद ये बात मुझे ज़िन्दगी में कभी खलेगी या नहीं कि मैंने किसी कुंवारी लड़की की सील नहीं तोड़ी, लेकिन अगर इस वजह से तुम्हें छोड़ दिया तो ये ज़रूर लगता रहेगा कि तुम्हारे साथ जिंदगी कुछ और ही हो सकती थी।

इस तरह बातें करते करते दोनों बाहर आ चुके थे। सोनाली वहीं कुछ काम में लगी थी। उसने एक झीना सा गाउन पहना हुआ था जिसको ध्यान से देखो तो साफ समझ आता था कि वो अंदर नंगी ही थी। इन लोगों की बातें सुनकर उस से भी रहा नहीं गया।

सोनाली- क्या बातें चल रहीं हैं तोता-मैना की? एक रात में ज़िन्दगी भर की बातें करने लगे?
रूपा- अब भाभी, आपसे क्या छिपाना… हम सोच रहे थे कि जब भी शादी की बात चलेगी तो हम एक दूसरे से ही करेंगे।
सोनाली- इतनी जल्दी इतना बड़ा फैसला कैसे कर लिया?
रूपा- आपको याद है आपने एक बार कहा था ‘शायद इसी को प्यार करना कहते हैं।’ मुझे वो फीलिंग सचिन के साथ महसूस हुई है।

रूपा की बात सुन कर सोनाली कुछ उदास सी हो गई। उसे लगा शायद अब वो सचिन से दूर हो जाएगी। रूपा को ये बात समझते देर न लगी। वो सोनाली के पीछे पीछे किचन में गई और उसे धीरे से शैतानी मुस्कराहट के साथ समझाया।
रूपा- चिंता मत करो भाभी, प्यार एक से करो लेकिन चुदाई के लिए तो पूरी दुनिया पड़ी है। आपके भाई पर कब्ज़ा नहीं करुँगी। (आँख मारते हुए) जितना मर्ज़ी चुदवा लेना।

इतना सुनते ही सोनाली के मन में ख़ुशी की लहार दौड़ गई और दोनों ननद-भौजाई हँसते खिलखिलाते हुए किचन से खाना ले कर बाहर आईं। दोनों ने जल्दी से खाना टेबल पर लगा दिया और फिर सब खाना खाने बैठ गए।

रूपा- भाभी! मेरा तो अब ध्यान गया… आपके गाउन को ध्यान से देखो तो साफ़ समझ आता है कि आपने अंदर कुछ नहीं पहना। मुझे नहीं पता था कि आप सचिन के सामने भी इतना बोल्ड हो सकते हो।
सोनाली- अब यार अभी थोड़ी देर पहले ही तो तुम दोनों ने मुझे नंगी देखा है; इसलिए मैंने भी ज़्यादा परवाह नहीं की, जो सामने मिला, पहन लिया।
सचिन- जो भी हो, आप सुन्दर लग रही हो इस गाउन में!
सोनाली- ऐसा है तो अब से ऐसे ही गाउन पहन लिया करुँगी। मेरे पास तो अधिकतर ऐसे ही हैं सब।

सचिन को ऐसा लगने लगा था कि उसके और सोनाली के बीच जो एक पर्दा था वो गिर चुका था। अंदर ही अंदर वो दोनों जानते थे कि वो एक दूसरे को नंगे नहाते हुए देखते थे और यहाँ तक कि एक दूसरे को अपनी कामुक अदाएं भी दिखाते थे लेकिन फिर भी जब आमने सामने होते तो ऐसा व्यव्हार करते थे कि जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं हो। लेकिन अब सचिन को लग रहा था जैसे सोनाली ने वो पर्दा गिरा दिया है और वो अब दोहरी ज़िंदगी नहीं जियेगी।

सोनाली ने पहला कदम आगे बढ़ा दिया था और अब सचिन भी एक कदम आगे बढ़ाना चाहता था। उसके जीजा जी ने उसे जो बातें कहीं थीं वो उसे और हिम्मत दे रहीं थीं। क्योकि उसे पता था कि वो ऐसा कोई काम करने नहीं जा रहा था जिसमें सोनाली की मर्ज़ी न हो। जब तक आप किसी की मर्ज़ी से कुछ करते हो तब तक वो सही होता है इस बात ने उसे एक नई हिम्मत दी थी। रात को जो रूपा के साथ हुआ उसने इस बात को साबित भी कर दिया था।

और तो और उसने जिसे अपनी होने वाली जीवन संगिनी चुना था वो भी इस बात को समझती थी और उसे कोई ऐतराज़ नहीं था। अब तक जो भी समाज ने नियम क़ानून सचिन को रोकते आये थे वो सब बेमानी हो गए थे। सोनाली की बातों ने उसका ये डर भी मिटा दिया था कि वो ऐसी किसी बात का बुरा मान सकती है। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। इसी सोच में डूबे हुए उसने खाना खत्म किया और सोफे पर जा कर बैठ गया।

दोस्तो, आपको परिवार में चुदाई की भाई बहन की मस्ती वाली कहानी कैसी लगी आप मुझे ज़रूर बताइयेगा।

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