माँ बेटा सेक्स: पारिवारिक चुदाई की कहानी-6

नमस्कार दोस्तो, मैं सोनाली अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज में आपका फिर से स्वागत करती हूं।
जैसा कि आप सबने मेरी पुरानी कहानियों को पढ़ा और जाना कि कैसे परिस्थितियों के चलते मेरे सम्बन्ध मेरे बेटे रोहन, भतीजे आलोक और मेरी बहन के बेटे रोहित के साथ शारीरिक सम्बन्ध में बदल गए।

अगर आपने मेरी पुरानी कहानियों को नहीं पढ़ा तो आप ऊपर दी हुई लिंक से उन्हें पढ़ सकते हैं।

अब आगे की कहानी:

हमारे फैमिली ट्रिप को हुए थोड़ा समय बीत चुका था और सभी अपनी अपनी जिंदगी जी रहे थे। रोहन कॉलेज के दूसरे साल में आ गया था। रोहित ने भी अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली थी।

मेरी बहन पूजा थोड़े पिछड़े इलाके से थी तो वहाँ कोई अच्छा कॉलेज नहीं था इसलिए हम लोगों ने तय किया कि रोहित मेरे शहर में रहकर अपनी ग्रेजुएशन पूरी करेगा।

मेरी बहन पूजा अपने बेटे रोहित को होस्टल में रहने के लिए बोल रही थी क्योंकि उसे लग रहा था कि शायद वो हम पर बोझ ना बन जाए।
तो मैंने पूजा से कहा- यहाँ पर इतनी जल्दी अच्छा होस्टल नहीं मिलेगा और फिर जब मेरा घर है यहाँ … तो हॉस्टल क्यों भेज रही हो रोहित को?
मेरे काफी समझाने के बाद पूजा ने कहा- जब तक कोई अच्छा हॉस्टल नहीं मिल जाता तब तक रोहित तेरे साथ रह लेगा।
सब कुछ फाइनल होने के बाद रोहित दूसरे दिन हमारे यहां आने वाला था।

अगले दिन सुबह उठकर मैंने रवि और अन्नू के लिए लंच बनाया और वो लोग ऑफिस और स्कूल के लिए निकल गए। नौ बजे चुके थे… रोहन दस बजे तक कॉलेज निकल जाता था पर आज उसे रोहित को स्टेशन लेने जाना था इसीलिए आज वो कॉलेज नहीं गया था।

मैं रोहन के कमरे में गयी और दरवाज़ा खटखटाया. रोहन सो रहा था तो उसने दरवाज़ा खोलने में जरा देर कर दी। रोहन के दरवाज़ा खोलते ही मैं कमरे के अंदर आई, तब तक रोहन भी वापिस बिस्तर पर लेट गया. वो केवल अंडरवियर में ही था।
मैं भी बेड पर उसके पास जाकर लेट गई और उसके माथे पर किस करते हुए कहा- गुड मॉर्निंग… उठ गया मेरा राजा बेटा।
रोहन ने भी मुस्कुराते हुए मुझे गुड मोर्निंग कहा और मेरे होंठों को चूमने लगा।

रोहन ने अपने एक हाथ से मेरा हाथ पकड़कर चड्डी के ऊपर से ही अपने लण्ड पर रख दिया। मेरे हाथ रखते ही रोहन के लण्ड ने फैलना शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरा खड़ा हो गया और उसका ऊपरी भाग बॉक्सर से बाहर निकल आया।
रोहन अभी भी मुझे चूम रहा था और मैं अपनी आँखें बंद किये इन सबका मजा ले रही थी। तभी रोहन ने मेरे गाउन के ऊपर के बटन को खोल दिया. मैं गाउन के अंदर ब्रा नहीं पहनती इसलिए मेरे कसे हुए मम्में बाहर निकल आए और रोहन ने उन्हें दबोचना शुरू कर दिया।

तभी मैं होश में आई और रोहन से कहा- बेटा उठो और जल्दी से फ्रेश हो जाओ, नहा लो … हम उसके बाद ही करेंगे।
रोहन ने कहा- अभी क्या प्रॉब्लम है मम्मी?
मैंने रोहन से मजाक में हस्ते हुए कहा- अभी तेरी मुँह से स्मेल आ रही है.
और फिर हम दोनों हँसने लगे।

रोहन ने मेरे मम्मों पर एक चुम्बन किया और उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगा और मुझसे बोला- चलिए ना मम्मी … साथ नहाएंगे।
मैंने कहा- अभी नहीं रोहन… मुझे अभी काफी काम खत्म करने हैं और अभी दो बजे रोहित भी आ जाएगा।
मेरे समझाने पर रोहन नहाने चला गया। मैंने भी खुद को ठीक किया और रोहन के रूम की सफाई करने के बाद घर के और कामों में लग गयी।

कुछ देर बाद रोहन ने मुझे आवाज़ दी। मैंने कमरे में जाकर देखा तो रोहन बिल्कुल नंगा खड़ा हुआ था। मैंने रोहन से पूछा- क्या हुआ? माँ के साथ मजे करने के चक्कर में बड़ी जल्दी नहा लिया।
रोहन- ऐसी बात नहीं है मम्मी… मेरी दोनों अंडरवियर गीली पड़ी हुई हैं… अब क्या पहनूँ?
तभी मुझे याद आया कि मैं कल रोहन के कपड़े धोना भूल गयी थी। मैंने रोहन से कहा- अब तो कोई एक्स्ट्रा भी नहीं है तेरे लिए… तू एक काम कर तब तक मेरी पैंटी पहन ले।

मेरी इस बात पर हम दोनों हंसने लगे।

रोहन ने कहा- चलिए ठीक है आज यह भी ट्राई कर लेते हैं।
मैंने रोहन को अलमारी से लाल रंग की एक पैंटी लाकर दी, रोहन ने उसे पहन लिया। पैंटी पहनने के कारण रोहन का लण्ड फिर से खड़ा हो गया जो पैंटी के बाहर आ गया।

रोहन ने कहा- मम्मी आपकी पेंटी बहुत सेक्सी है पर मुझे थोड़ा अजीब लग रहा है इसमें!
मैंने कहा- कोई बात नहीं, आदत पड़ जाएगी!
और मैं अपने बेटे के लंड को पेंटी के ऊपर से ही पकड़ कर सहलाने लगी।
रोहन ने भी समय ना गंवाते हुए मेरे गाउन को खोल कर नीचे फेंक दिया। मैं अब केवल काली पैंटी में रोहन के सामने थी।

फिर रोहन मुझे अपने साथ बेड पर ले गया। रोहन बेड पर खड़ा हो गया और उसने पेंटी के बीच से लंड को बाहर निकाला और मेरे मुंह की तरफ से लाकर खड़ा हो गया मैं रोहन का यह इशारा समझ चुकी थी और घुटनों के बल बैठ कर उस के लंड को अपने मुंह में भर लिया।
मैं रोहन का लंड बड़े ही प्यार से चूस रही थी और रोहन भी आँखें बंद किये ‘आआआहहह… मम्मी… उफ्फ… खा लो मेरा… आआआह… मम्मी… तुम्हारा मुँह…’ कर रहा था।

थोड़ी देर की चूसाई के बाद मैंने रोहन का लण्ड मुँह से निकाल दिया और हाथों में लेकर सहलाने लगी। फिर मैंने भी उठकर अपनी पैंटी उतार दी और अपने नंगे जवान बेटे का हाथ पकड़ा और सीधे बिस्तर पर लेट गयी।

मैं बिस्तर पर जाकर पीठ के बल जा लेटी और अपनी टांगें चौड़ी कर बाहें फैलाकर बोली- आ जा मेरे लाडले!
रोहन भी इशारा पाकर मेरी चूत के पास अपना मुंह लेकर गया और अपनी खुरदुरी जीभ से उसे चाटने लगा।

रोहन की जीभ ने जब मेरी चूत की पंखुड़ियों को छुआ तो मेरी तो जान ही निकल गयी। मैंने अपना सिर उठाया जिससे मैं अपनी चुसाई देख सकूँ। मैं कुलबुलाई- आआआहह… रोहन… अपनी जीभ मेरी चूत में जहाँ तक डाल सकते हो डाल दो… हाँ … तुम बहुत अच्छा कर रहे हो।
मुझे काफी मजा आ रहा था जिसके कारण मेरी जांघों ने खुद-ब-खुद रोहन के सर को कस कर जकड़ लिया। मुझे अपनी चूत से हल्का सा बहाव महसूस हुआ पर कुछ ही क्षण में मैं एक ज्वालामुखी की तरह फ़ट पड़ी… ऐसा पानी छूटा कि बस… “अरे बेटा… मैं झड़ी… झड़ी रे माँआआआँ मेरी… चूस ले मुझे… पी जा मेरा पानी… मॉय डियर… मेरे बेटे… आआ… आआआहह… हहह… हाआआआ आआ…”

जब रोहन मेरा पानी पीकर उठा तो उसके मुंह का आसपास का हिस्सा मेरे पानी से बुरी तरह गीला था जिसे उसने वही पड़ी मेरी पैंटी से पौंछकर साफ कर लिया। मैं निढाल पड़ी हुई… तेज साँसों और बन्द आंखों के साथ रोहन के साथ आगे होने वाली क्रियाओं का इंतजार कर रही थी।

फिर रोहन मुझे उठाकर खुद नीचे पीठ के बल लेट गया और मैं उसके ऊपर आकर आ गई। मैंने अपनी दोनों टांगों को रोहन की कमर के बगल में डाल दिया और जिससे मेरी चूत रोहन के लण्ड के बिल्कुल ऊपर थी।

जैसा कि आप लोगो को पता ही है कि इस अवस्था में जाँघें बहुत दर्द करती हैं … इसलिए मैंने सपोर्ट के लिए अपने दोनों हाथों को रोहन के सीने के पास रख दिया। मेरे बूब्स को अपनी आँखों के पास झूलते देखकर रोहन ने उन्हें पकड़ा और मेरे निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा।

रोहन ने साथ ही अपने लण्ड का सुपारा मेरी चूत पर सेट किया और अपने हाथ से पकड़कर उसे मेरी चूत के अंदर करने लगा। सुपारे के अंदर घुसते ही वो रूक गया… शायद आगे के लिये वो मेरी सहमति मांग रहा था।

मैंने अपने मम्मों को रोहन के सीने पर दबाते हुए अपना शरीर रोहन के शरीर पर रख दिया और अपने हाथों से उसके सर को सहलाते हुए कहा- अब रुको मत बेटा और एक ही बार में बाकी का लंड घुसेड़ दो अपनी मम्मी की चूत में …
और मैं उसके होंठों को चूमने लगी।

यह सुनकर रोहन ने एक जोरदार शॉट मारा और पूरा का पूरा मूसल मेरी चूत में पेल दिया।
मैं चीखी- और अंदर …
और वापस उसी पुरानी अवस्था में आ गयी।

फिर तो रोहन ने आव देखा न ताव और अपने लंड से मेरी चूत की जबरदस्त पिलाई शुरू कर दी। रोहन ने गहरे व लम्बे धक्कों की ऐसी झड़ी लगाई कि मेरे मुँह से चूँ तक न निकल पायी।

कुछ समय बाद जब मैं अपने चरम पर पहुँची तो अपनी सिसकारियों को न रोक सकी- आअहह… रोहन… बस ऐसे ही… चोद मुझे… और जोर से… और अंदर तक… हाँ बेटा… ऐसे ही… चोद… उफ्फ… ऊईई… माँ… मैं गयी… उफ्फ…
मैं जब झड़ी तो मुझे लगा कि शायद मैं मर चुकी हुँ… मेरा अपने शरीर पर कोई जोर नहीं था… मेरे शरीर में एकदम कांटे से चुभने लगे… मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूचियों में पिन घुसी हुई हों…
और मैं रोहन के ऊपर गिर पड़ी।

रोहन के मोटे लण्ड की भीषण पिलाई ने मुझे अंदर तक चीर दिया था… इतनी बुरी तरह झड़ने के बाद मेरा दिमाग सुन्न हो गया था.
पर जैसे ही मैंने होश संभाला तो पाया कि रोहन का लण्ड अभी भी मेरी चूत की असीमित गहराई को चूमने के लिये लगा हुआ था।

रोहन भी अब ज्यादा देर तक ना ठहर सका और उसने भी मेरे अंदर झड़ना शुरू कर दिया। रोहन के गर्म वीर्य की पिचकारियों ने मेरे अंदर गर्मी भरने का काम किया… मैं और रोहन पसीने से बिल्कुल लथपथ चिपके पड़े हुए थे।
थोड़ी देर आराम के बाद मैं रोहन के ऊपर से उठी और अपनी पैंटी उठाकर रोहन के वीर्य से सने हुए लण्ड को साफ करने लगी. रोहन को साफ करने के बाद मैंने खुद को भी उसी पैंटी से साफ किया और अपने नंगे बदन के ऊपर अपना गाउन डाल लिया।

दोपहर के बारह बजने को थे… मैंने रोहन से कहा- बेटा, अब कपड़े पहन ले और फिर लंच करके रोहित को लेने स्टेशन चले जाना।

रोहन ने उठकर वापस से मेरी लाल पैंटी पहन ली और उसके ऊपर से कपड़े भी पहन लिए। कुछ देर बाद रोहन स्टेशन चला गया और मैं भी सभी काम निपटा कर नहाने चली गयी।

आगे की कहानी अगले भाग में।

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