जीजू ने रसोई में खड़े-खड़े मेरी चुदाई की-6

जीजू अपना पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में घपा-घप उतार रहे थे। मैं मजे लेकर पूरे जोश के साथ चुदाई करवा रही थी, और मादक आवाजें निकाल रही थी आह आह आह। मेरी चूत काफ़ी गीली हो गई थी, लंड चूत की रगड़ से सफेद पानी फैन बन कर बाहर निकल रहा था। लंड एक-दम फिसल कर मेरी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।

जीजू मेरे गले पर, कान के पास, और मेरी नंगी चिकनी पीठ पर चुंबन करते-करते लंड के झटके मार रहे थे।

पूरी रसोई में मेरी कामुक आवाज गूंज रही थी।

मैं बोल रही थी: आह, और ज़ोर से धक्के मारो जीजू, फाड़ दो मेरी चूत।

मेरी चूत बहुत ज्यादा गरम हो गई थी, क्योंकि जीजू का बड़ा गर्म लंड पीछे से मेरी चूत में पूरा सटा-सट अंदर जा रहा था, और बाहर आ रहा था। फिर अन्दर, फिर बाहर।

जीजू लंड घुसाते-घुसाते मेरी चूचियों को भी दबा रहे थे। जीजू मेरी चूत को फाड़ कर भोंसड़ा बना रहे थे।

मैं: जीजू आज तो आपने आग लगा दी मेरे जिस्म में। मेरी चूत गर्म भट्टी की तरह तप रही है।

जीजू: चिन्ता ना करों। आज चोद के आपकी आग को ठंडा कर दूंगा जान।

इस जोरदार चुदाई के बाद मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया। अब जीजू भी जोर जोर से सिसकारियां भरने लगे। शायद जीजू के लंड का पानी भी निकलने वाला था।

तो जीजू बोले: मैं झड़ने वाला हूं। कहां निकालूं अस्मिना लंड का पानी?

मैं: कहां निकालने का मन है जीजू बोलो?

जीजू: अन्दर चूत में ही निकाल दूं क्या जान? बहुत दिनों से सूखी है तुम्हारी चूत, आज इसकी प्यास बुझ जाएगी।

मैं: आह, मेरे अंदर नहीं जीजू। मेरी चिकनी पीठ पर या मेरी मखमली गांड पर निकाल दो।

फिर जीजू तेजी के साथ मेरी चूत में लंड के झटके मारने लगे। मेरी गोरी-गोरी चूचियों को और जोर से मसलने लगे। मेरी गोरी चूंचियां जीजू के लंड के झटकों के कारण ज़ोर-ज़ोर से हिल रही थी। जीजू मेरे बाल खींच-खींच कर मेरी चुदाई कर रहे थे।

अब जीजू की सिसकारियां और बढ़ गई।

जीजू: आह आह मेरी जान, बहुत मज़ा आ रहा है आह।

फिर जीजू बोले: अस्मिना, अस्मिना…. आह मेरी पिचकारी निकलने वाली है।

जीजू अब और जोश में आ गये, और अपना लंड मेरी चूत से निकाला, और मुझे घोड़ी बनने को कहा। तो मैं झट से आटे की टंकी पर अपने दोनों हाथ रख कर घोड़ी बन गई, और जीजू मेरे चूतड़ों के उपर अपने लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगे।

जीजू बोले: आह मेरी जान अस्मिना, आह गया मैं आह।

और जीजू ने अपने लंड का गरमा गर्म पानी मेरे चूतड़ों पर निकाल दिया। एक के बाद एक लगातार गर्म पानी की धार छोड़ दी, और मेरे मखमली चूतड़ों पर सारा माल गिरा दिया।

मेरी चूत खुल कर अंदर की गहरायी जीजू को दिखा रही थी। हम दोनों ठंडे पड़ गए थे। हम दोनों जोर-जोर से सांसें ले रहे थे। फिर मैंने अपनी पेन्टी से अपनी चूत, चूतड़, और जीजू के लंड को साफ किया, और हम दोनो बिल्कुल नंगे एक-दूसरे से लिपट गये थे।

मैंने जीजू के होंठों को चूमा। फिर मैं अपनी गंदी पेन्टी, ब्रा, और सलवार कमीज को हाथ में लेकर नंगी ही बाथरूम में गई, और अपनी गांड और चूत को साफ की। फिर बिना ब्रा ओर पेन्टी के ही सलवार कमीज पहनी।

इतने में जीजू ने भी अपने कपड़े पहने और रूम में बैठ कर टी.वी. देखने लग गये। मैं रसोई में आकर खाना बनाना छोड़ कर पहले जीजू के लिए चाय बनाने लगी।

जीजू मेरे रूम में बैठ कर टी.वी. देखने लगे। थोड़ी देर में मैं चाय लेकर आई। अब हम आमने-सामने बैठ कर चाय पीते-पीते बातें करने लगे।

जीजू: मैं आपको फिर से चोदना चाहता हूं जान। पूरा का पूरा मसलना चाहता हूं। मुझे पीछे से करना है जान, आपकी गांड मारनी है।

मैं: अरे जीजू क्या बोल रहे हो यार! अब दीदी आती ही होगी। अब कुछ नहीं करना ओके।

जीजू: मैं तो आपको देख कर ही पागल हो जाता हूं जान। हमेशा आपको चोदने की सोचता रहता हूं।

मैं: क्या बात है जीजू, ऐसा क्या है मुझमें यार?

जीजू: मैं आपके साथ खुल्लम-खुल्ला तरीके से चुदाई करना चाहता हूं। आपको घोड़ी बना कर, लिटा कर, और खड़े-खड़े चोदना चाहता हूं। आपकी गांड में अपना लंड डाल कर आपको जम कर चोदना चाहता हूं। मेरा लंड आपके मुंह में देकर मुंह में ही झड़ना चाहता हूं। आपके साथ उत्तेजना वाली चुदाई करना चाहता हूं।

मैं: उत्तेजना वाली चुदाई कैसे होती है जीजू?

जीजू: आपके हाथ पैर बांध कर आपको रगड़-रगड़ कर चोदना चाहता हूं। आपके पूरे जिस्म पर आपकी चूंचियों पर, गर्दन पर, गाल पर, पेट पर, गहरी नाभी पर, कमर पर, गांड पर, हाथ पर, पैरों पर काटना चाहता हूं।

मैं: जीजू आपके सामने अभी पूरी नंगी होकर चुदवाये 10 मिनट भी नहीं हुए। अभी ही आपका लंड लिया है, सारी ख्वाहिशें आज ही पूरी कर लोगे क्या?

फिर चाय पीते-पीते जीजू ने धीरे से मेरा एक हाथ पकड़ लिया। मैंने कोई विरोध नहीं किया। तो जीजू ने धीरे से वहीं हाथ मेरी चूंचियों पर रख दिया। मैंने देखा कि जीजू की पैंट में लंड कड़क होने लगा था। धीरे-धीरे जीजू ने मेरी चूचियों को मेरी कमीज के उपर से दबाना शुरू कर दिया। मुझे भी अच्छा लग रहा था।

फिर जीजू धीरे से अपना हाथ मेरी कमीज के अन्दर ले जाकर मेरी नंगी चूंचियों की गोलाई पर फेरते हुए मजे लेने लगे, और मेरे हाथ से चाय का कप लिया और बेड पर रख दिया। मैं बेड पर नीचे पैर लटका कर बैठी हुई थी ।

फिर जीजू का हाथ मेरी सलवार के नाड़े तक आ पंहुचा। मैं जानती थी कि अब आगे क्या होगा। जीजू ने मेरी सलवार का नाड़ा अपनी उंगली में फसा कर खींच दिये, जिससे मेरी सलवार का नाड़ा खुल गया। मैं बैठी हुई थी, इसलिए सलवार जहां की तहां अटकी रही। फिर जीजू मेरी सलवार धीरे-धीरे नीचे करने लगे, मतलब नाड़े को पूरा खींच कर सलवार को पेट से दूर कर ढीली कर दी।

मैं बोली: नहीं जीजू, अभी नहीं।

पर जीजू नहीं माने। क्या बताऊं दोस्तों, अंदर से तो मेरा भी चुदवाने का पूरा मन था। फिर जीजू ने मेरी सलवार ढीली कर दी। मैंने अन्दर पेंटी नही पहनी हुई थी। जीजू मुस्कुरा दिए। जीजू की आंखों में सिर्फ और सिर्फ मुझे चोदने वासना थी।

मेरी नाजुक चूत और कसी हुई गांड में जीजू अपना पत्थर जैसा लंड डाल के मुझे रगड़ के चोदना चाहते थे।

जीजू का हाथ मेरी चूत के उपर आ गया, और जीजू मेरी चूत के आस-पास उंगली रगड़ने लगे। मेरी तो हालत खराब होने लगी। मेरे पूरे बदन में करन्ट दौड़ने लगा। जीजू जोर-जोर से मेरी चूत पर उंगली घिसने लगे।

फिर जीजू ने अभी अभी चुदी हुई मेरी रसीली चूत में उंगली डाल दी और फैलाने लगे। मुझे पूरे बदन में सनसनी होने लगी। जीजू बड़ी देर तक मेरी चूत में जल्दी-जल्दी उंगली करते रहे। मुझे बहुत मजा आ रहा था। जीजू एक हाथ से मेरी गोरी चिकनी नंगी जांघे सहला रहे थे, और दूसरी उंगली को मेरी चूत में अन्दर-बाहर कर रहे थे। मैं बैठी-बैठी अपनी चूत में उंगली करवा रही थी।

तभी दरवाजे की घंटी बजी, और हम दोनों डर गये। तो जीजू ने तुरंत अपनी उंगली को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया, और मैंने फटाफट अपनी सलवार का नाड़ा बांधा।

मैं उठ कर अपनी गांड मटकाती हुई दरवाजा खोलने चली गई। जब मैंने दरवाजा खोल कर देखा, तो बाहर दीदी खड़ी हुई थी। फिर दीदी अंदर आ गई, और मैंने दीदी को गले लगाया।

फिर दीदी ने पूछा: तुम्हारे जीजू कहां है?

तो मैंने बोला: जीजू अन्दर कमरे में चाय पी रहे है।

फिर मैं गले में दुपट्टा डाल कर किचन में जाकर चाय बनाने लगी। लेकिन मेरी चूत में कुछ गीलापन सा महसूस होने लगा था।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं। आप सब के प्रत्युत्तर से ही मैं आगे और कहानी लिखू़ंगी।

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