कमजोर भाई की मजबूर बहन

हैल्लो दोस्तों, में एक बार फिर से आप सभी चाहने वालों के सामने अपनी एक सच्ची कहानी पेश कर रहा हूँ. दोस्तों में एक सरकारी दफ़्तर में ऑडिटिंग ऑफिसर हूँ और हमारे दफ़्तर की शाखा पूरे भारत में है और अक्सर मुझे अपने काम के सिलसिले में हर कभी दूसरे शहर की शाखा में दो तीन महीनों के लिए जाना पड़ता है.

फिर नवंबर 2016 में मुझे अपने काम के सिलसिले में चेन्नई में जाना पड़ा, वहां पर मुझे करीब पांच महीने का काम था और इसलिए मैंने अपने एक दोस्त जिसके बड़े भाई का मकान उसी शहर में था और वो अपने परिवार के साथ वहीं पर रहता था, वैसे उसका मकान ज़्यादा बड़ा नहीं था. उसके मकान में एक किचन तीन कमरे और एक बड़ा सा आँगन था और उसकी एक छोटी सी किराने की दुकान भी थी, जो उसके घर से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर थी. मेरे दोस्त के भाई के परिवार का परिचय इस तरह है. भाई जिसका नाम ईस्माइल था, जो कि दुबला पतला और दिखने में वो टीबी के मरीज जैसा था और एक कारखाने में वो मज़दूरी का काम करता था.

उसकी उम्र करीब 33 साल की थी. वो एक नंबर का शरबी था और अक्सर वो देसी शराब पीकर नशे में रहता था और वो जब भी अपने काम से वापस घर पर आता तो वो शराब पीकर आंगन में अपनी खटिया को डालकर उस पर हमेशा एकदम धुत पड़ा रहता था, जिसकी वजह से उसको अपने खाने पीने का भी होश नहीं होता था और उनकी कोई भी औलाद नहीं थी. उसकी शादी को पूरे आठ साल हो गए थे और इस्माइल की बीवी जिसका नाम जुबेदा जो कि करीब 28 साल की थी. उसका भरा हुआ, बदन बड़े बड़े कूल्हे और वो मस्त गोरे उभरे हुए बूब्स वाली आकर्षक सेक्सी महिला थी.

दोस्तों हालाँकि वो रंग रूप से काली थी, लेकिन उसका चेहरा हर किसी को एक बार देखते ही अपनी तरफ मोहित कर देने वाला था और जब भी चलती तो वो अपनी गांड को मटका मटकाकर चलती थी, तो जिसको देखकर हर कोई उसकी तरफ आकर्षित हो जाए और उसका अपने पति से शारीरिक संबंध पिछले सात साल से मानो पूरी तरह से छूट चुका था, उन्होंने इस बीच ऐसा कुछ भी नहीं किया. दोस्तों यह सभी बातें मुझे भी बाद में पता चली, क्योंकि उसका पति बहुत ही ज्यादा कमजोर था और वो अपनी पत्नी के साथ किसी भी तरह का शारीरिक संबंध बनाने के काबिल नहीं था, क्योंकि वो बहुत कमज़ोर था इसलिए वो बहुत लाचार और मजबूर थी और वो अक्सर अपनी दुकान को चलाती थी. जुबेदा की एक छोटी बहन जिसका नाम फ़रीदा था, जो उम्र में करीब 25 साल की, लेकिन वो दिखने में ठीक अपनी बड़ी बहन जैसी ही थी. उसका वो भरा हुआ शरीर, सुंदर चेहरा जुबेदा से बहुत ज्यादा मिलता था, लेकिन वो उसके जैसी ज्यादा मोटी नहीं थी और काली होने के बाद भी उसका चेहरा, वो बदन बहुत ही मस्त सेक्सी लगता था. वो भी कभी कभी उस दुकान पर बैठती थी और वो एक विधवा औरत थी. दोस्तों उसका पति उससे शादी होने के करीब एक महीने बाद ही दुबई में ड्राइवर की नौकरी करने वहां पर गया था, लेकिन वहाँ पर करीब तीन महीने के अंदर ही एक सड़क दुर्घटना में वो मारा गया और इसलिए वो अब विधवा होने के बाद से ही ससुराल से अपनी बड़ी बहन के घर पर आकर रहने लगी थी. उसकी भी कोई औलाद नहीं थी और उसने केवल अपनी शादी के बाद एक महीने तक ही अपने उस पति के साथ शारीरिक संबंध बनाए रखे, लेकिन उसके बाद वो हमेशा के लिए प्यासी ही रह गयी.

फिर मेरे दोस्त ने मेरे रहने का इंतज़ाम उसके बड़े भाई के घर पर कर दिया था. जब में उनके घर पर पहुँचा, तब में अपने साथ बहुत सारे फल मिठाईयाँ लेकर गया था. अब मैंने देखा कि उस समय भी ईस्माइल भाई जान तो हमेशा की तरह बहुत शराब पीकर नशे में धुत थे, लेकिन उन दोनों बहनों ने मेरी बहुत खातिरदारी की जो मुझे बहुत अच्छा लगा और में उनके इस व्यहवार से बड़ा खुश हुआ मुझे उनके साथ कुछ समय में ही कुछ अपनापन सा लगने लगा.

फिर मैंने कुछ ही दिनों में गौर किया कि वो दोनों बहनें मेरे गठीले शरीर को देखकर बहुत खुश थी. वो मेरी तरफ बहुत आकर्षित थी और उन दोनों का झुकाव मेरी तरफ कुछ ज्यादा ही था और जल्दी ही में भी उनसे बहुत अच्छी तरह से घुल मिल गया था. हम सभी एक दूसरे से बहुत हंसी मजाक बहुत अच्छी तरह से खुलकर बातें करने लगे थे मेरे साथ साथ वो भी बहुत खुश रहने लगी थी. दोस्तों हर बार शनिवार और रविवार को मेरे ऑफिस में मेरी छुट्टी होती थी, इसलिए में धीरे धीरे उनके साथ मिलकर अपनी छुट्टी के दिनों में अब में भी सुबह से लेकर रात तक उनकी वो दुकानदारी सम्भालने लगा था. फिर मेरे लिए दोपहर का खाना कभी जुबेदा लेकर आती तो कभी फ़रीदा और उनकी वो दुकान दो कमरों की थी, जिसके आगे के हिस्से में उनकी दुकान थी और उसके पीछे के हिस्से में एक कमरा बना हुआ था, जिसमें कुछ सामान भरा हुआ था और जहाँ पर उठने बैठने की भी उचित व्यवस्था थी और दोपहर को 2 से 4-5 बजे तक उनकी वो दुकान हमेशा बंद रहा करती थी, इसलिए जो भी उस समय दुकान पर होता वो दोपहर को दुकान को बंद करके उसके पीछे बने उस कमरे में उन दो तीन घंटे आराम कर लेता था. दोस्तों यह बात दिसंबर महीने के गुरुवार की बात है, उस दिन सुबह उठने में मुझे थोड़ी देर हो गई थी इसलिए फ़रीदा मुझे उठाने चली आई और उस वक़्त में ना तो नींद में था और ना ही में जाग रहा था. में बस अपनी दोनों आखें बंद करके लेटा हुआ था, लेकिन उस समय मेरा लंड उठकर मेरे उठने से पहले ही सलामी दे रहा था और वो मेरी अंडरवियर से बाहर निकलकर मेरी लुंगी से बाहर निकलकर खंबे की तरह तनकर खड़ा था.

अब वो आकर मेरे पलंग के पास आकर खड़ी हो गई और जब उसकी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैंने धीरे से अपनी आँख को खोलकर देखा तो उस समय फ़रीदा मेरे तने हुए मोटे लंबे लंड को देखकर अपने दांतों तले अपनी उँगलियों को दबाते हुए कई देर तक लंड को निहार रही थी.

फिर वो धीरे से कमरे के बाहर चली गयी और उसने दरवाजा बंद कर दिया और वो कुछ देर बाद बाहर खड़ी होकर दरवाजे को खटखटाने लगी. मैंने वो आवाज सुनकर उठकर लंड को ठीक किया और दरवाजा खोला तो फ़रीदा बोली कि भाई जान क्या उठना नहीं है? और फिर में घड़ी की तरफ देखकर तुरंत फ्रेश होकर कपड़े पहनकर रसोई की तरफ जाने लगा तो मुझे फ़रीदा और जुबेदा की हल्की हल्की कुछ बातें सुनाई देने लगी और में वहीं पर खड़ा होकर उनकी वो बातें सुनने लगा.

फिर फ़रीदा कहने लगी कि आज तो गजब ही हो गया. फिर जुबेदा उससे पूछने लगी कि ऐसा क्या हुआ फ़रीदा जिसकी वजह से तेरे चेहरे का रंग इतना उड़ा हुआ है और तू इतनी ज्यादा बैचेन दिख रही रही है? तब फ़रीदा ने कहा कि में जब आज सुबह सुबह साहिल भाई को उठाने के लिए उनके कमरे में गयी थी तो मुझे उनकी मोटे लंबे तनकर खड़े लंड का दीदार हो गया और में उनके लंड की मोटाई और लंबाई को देखकर तो एकदम दंग ही रह गयी. मुझे अभी भी वो सब अपनी आखों के सामने घूमता हुआ दिखाई दे रहा है.

अब जुबेदा उसकी वो बातें सुनकर बिल्कुल चकित होकर उससे पूछने लगी कि क्या वाकई में उसका लंड इतना मोटा और लंबा था, जैसा तू मुझे बता रही है और कहीं तू मुझसे झूठ तो नहीं बोल रही है ना? अब फ़रीदा कहने लगी कि खुदा की कसम में आपसे एकदम सच सच कह रही हूँ और मैंने भी आज तक ऐसा दमदार लंड अपने अब तक के इस जीवन में कभी नहीं देखा.

एक बार तो उसको देखकर मेरा मन हुआ था कि में उसको उसी समय अपने मुहं में लेकर आईसक्रीम की तरह चूस लूँ, लेकिन थोड़ा सा डर और संकोच की वजह से में आगे नहीं बढ़ी. अब जुबेदा पूछने लगी कि क्या उसको पता है कि तू उसके लंड को निहार रही थी. उसने तुझे यह सब करते हुए देखा कि नहीं? तो फ़रीदा बोली कि नहीं वो तो उस समय बड़ी गहरी नींद में घोड़े बेचकर सो रहा था और उसका लंड उसकी लुंगी के अंदर से उठकर सवेरे की सलामी ठोक रहा था. जिसको में देखकर ललचा रही थी और में करती भी क्या?

दोस्तों जब में रसोई के अंदर घुसा तो वो दोनों शायद मेरी आहट को सुनकर चुप हो गई और फिर जब में नाश्ता कर रहा था तब वो दोनों मेरी तरफ अपनी ललचाई नज़रों से देख रही थी और में उनके मन में चल रही सभी बातें उनके मेरे लिए अब बदले हुए विचार को पूरी तरह से समझ चुका था कि वो मेरे बारे के क्या और कैसा सोचती है? और फिर मैंने गौर किया कि उन दोनों का व्यहवार अब मेरे लिए धीरे धीरे बहुत बदलता जा रहा था, जिसका साफ मतलब यह था कि उनको अब मेरे लंड से अपनी चुदाई की बहुत ज्यादा जरूरत है, जिसके लिए वो दोनों अब मरी जा रही थी.

फिर अगले सप्ताह रात में जब में पेशाब करने उठा तो मैंने देखा कि ईस्माइल भाईजान उस समय नशे में बिल्कुल धुत होकर आँगन में पड़ी खाट पर पड़े हुए खर्राटे भर रहे थे और जब में जुबेदा के कमरे के पास से गुज़रा तो मुझे उनके कमरे से सिसकियों की आवाज सुनाई देने लगी, लेकिन उस समय मुझे इतनी ज़ोर से पेशाब लगा था कि में इसलिए बिना देर किए तुरंत सीधा बाथरूम में जाकर हल्का हुआ और जब में वापस उनके कमरे के पास से गुजर रहा था, तो मुझे कुछ फुसफुसाहट और साथ में सिसकियों की आवाज़े सुनाई दी.

अब में उनके कमरे की खिड़की से जो कि उस समय थोड़ी सी खुली हुई थी, उससे मैंने अंदर की तरफ झाँककर देखा तो में वो सब कुछ देखकर एकदम दंग रह गया, क्योंकि मैंने देखा कि वो दोनों बहनें उस समय एकदम नंग धड़ंग थी. जुबेदा उस समय अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी और फ़रीदा उसकी चूत को अपनी जीभ से चाट रही थी, जिसकी वजह से जुबेदा जोश में आकर सिसकियां भर रही थी. वैसे मुझे उन दोनों की चूत बहुत ध्यान से देखने पर भी साफ नहीं दिखाई दे रही, लेकिन हाँ मुझे फ़रीदा की काली काली गांड के दर्शन हो गए थे और कुछ देर तक देखने के बाद में वापस अपने कमरे में आकर सो गया.

दोस्तों दूसरे दिन में सुबह उठने के बाद से ही उनकी उस दुकान पर था और फिर दोपहर को ही अचानक से जोरदार बारिश होने लगी, जो कि बहुत देर तक चलने के बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी और उस समय मैंने दुकान पर में लुंगी और महीन कॉटन की आधी बाहँ की शर्ट पहन रखी थी.

फिर इतने में फ़रीदा मेरे लिए दोपहर का खाना लेकर आ गई वो पूरी तरह से भीग गयी थी और उसकी सलवार कमीज़ जो कि सफेद रंग की थी वो पानी में भीगने की वजह से उसके बदन पर चिपक गई थी, जिससे उसके कूल्हे और बूब्स बहुत ही मस्त शानदार और जानलेवा दिखाई दे रहे थे और जिसकी वजह से में बहुत चकित था. फिर मैंने उससे कहा कि फ़रीदा जी आप इतनी तेज बारिश में क्यों चली आई? आपको थोड़ा समय रुक जाना था? वो कहने लगी कि जब में घर से निकली तो उस समय बिल्कुल भी बारिश नहीं हो रही थी और तभी अचानक से आते समय रास्ते में ज़ोर से बारिश होने लगी.

में बहुत देर तक बारिश रुकने का इंतज़ार करती रही, लेकिन जब मैंने इतना इंतजार करने के बाद देखा कि बारिश अब रुकने का नाम नहीं ले रही है तो में यहाँ पर चली आई. फिर मैंने कहा कि खेर चलो अब सबसे पहले तुम यह गीले कपड़े बदल लो नहीं तो तुम्हे जुकाम हो जाएगा और फिर वो दुकान के अंदर वाले कमरे में चली गयी. वहाँ पर उसको कोई कपड़े नहीं मिले, इसलिए वो वापस आ गई और बोली कि साहिल भाईजान अंदर तो मेरे पहनने के लिए कोई भी कपड़े नहीं है.

तब मैंने उससे कहा कि तुम एक काम करो अंदर से टावल लेकर आ जाओ, वो मेरे कहने पर टावल लेकर आई और मैंने उसको अपनी लुंगी और अपनी महीन कॉटन की शर्ट को उतारकर दे दिया और मैंने खुद ने वो टावल लपेट लिया. अब में टावल और बनियान में था. वो लूंगी और उसने मेरी महीन शर्ट पहन रखी थी और उस महीन शर्ट से उसकी काले काले बूब्स मुझे साफ साफ दिख रहे थे और उस पर गहरे रंग के निप्पल भी मुझे साफ साफ दिखाई दे रहे थे और वो कुछ देर बाद मुझे खाना परोसने लगी.

फिर में उससे कहने लगा कि हम खाना बाद में खाएँगे पहले थोड़ा चाय पत्ती पेक कर लेते है और वो बोली कि हाँ ठीक है. फिर वो मेरे पास खड़ी होकर चाय पत्ती पेक करने लगी और में वजन करके थेली में चाय को भरने लगा. साथ में वो मोमबत्ती से प्लास्टिक की उन थेलियों को पेक करने लगी और इस दरमियाँ मेरा हाथ उसके कूल्हों पर करीब चार पांच बार लगा, लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं बोली केवल वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी.

फिर मैंने जानबूझ कर एक बार अपनी तरफ से उसके एक कूल्हे पर दबाव डालते हुए उसको दबोच लिया, लेकिन वो फिर भी कुछ नहीं बोली. फिर हम दोनों ने खाना खाया. इतने में एक कोने से बारिश का पानी नीचे तपक रहा था, जिसको देखकर फ़रीदा मद्रासी की तरह अपनी लूंगी को ऊपर उठाकर वो पास में रखे एक स्टूल पर चड़ गयी और वो वहाँ पर सीमेंट लगाने लगी.

तब मुझे उसकी काली काली जांघे बहुत उत्तेजित करने लगी, जिसकी वजह से मेरा लंड तो अब टावल के अंदर ही हरकते करने लगा था और फिर में कुछ देर बाद मौका देखकर धीरे से अपनी अंदरवियर को खोलकर केवल टावल में ही चटाई को बिछाकर लेट गया और थोड़ी देर के बाद फ़रीदा भी मेरे पास में आकर लेट गयी, लेकिन कुछ देर बाद उसके बारे में सोच सोचकर अब मेरी हालत खराब होने लगी थी, क्योंकि फ़रीदा उस समय मेरी तरफ अपनी पीठ को करके लेटी हुई थी और नींद में उसकी लूंगी खुल गयी थी और वो शर्ट भी उसकी कमर से बहुत ऊपर सरक गई थी और यह सब मनमोहक नजारा देखकर मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था.

फिर बहुत देर तक में सिर्फ़ फ़रीदा के बारे में ही सोच रहा था, लेकिन फिर मुझसे रहा ना गया और में अपना एक हाथ फ़रीदा की गांड की तरफ सरकाते हुए अपनी दो उंगलियों से फ़रीदा की उस शर्ट को मैंने हल्के से पकड़कर एक तरफ से उसकी कमर से और भी ज्यादा ऊपर तक कर दिया, जिसकी वजह से अब फ़रीदा की काली काली मोटी गांड और बूब्स की झलक साफ दिखाई देने लगी थी. अब मेरी हालत कुछ ऐसी हो गयी थी कि में हिम्मत करके अपने पूरी हथेली से धीरे से फ़रीदा की गांड को सहलाने लगा, लेकिन उसकी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया कोई भी विरोध हलचल नहीं होने से मेरी हिम्मत और भी ज्यादा बढ़ गयी.

मैंने सही मौका देखकर अपनी कमर को आगे की तरफ सरकाते हुए उसकी गांड के पीछे हल्के से मेरे लंड को चिपका दिया और जब भी कुछ देर तक कोई भी हलचल को ना देखकर मैंने ढेर सारा थूक अपने लंड और उसकी गांड पर लगाकर उसकी गांड के छेद में रखकर लंड को थोड़ा सा दबाव दिया, तो मैंने महसूस किया कि अचानक से अब फ़रीदा ने अपनी सांसे रोक ली और वो अपने मुहं से सईईईईई उूईईईईईईईई की दर्द भरी आवाज़े करने लगी और तब मैंने तुरंत अपने आप को वहीं पर रोक दिया में बिना हिले कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा. दोस्तों मुझे पता नहीं चला कि यह किस तरह की आवाज़ थी एक मिनट के बाद वापस सब कुछ पहले जैसा हो गया और अब मैंने देखा कि मेरा लंड पूरी तरह से फ़रीदा की गांड के छेद के बीच में चिपका हुआ था.

फिर तभी मैंने मन ही मन सोचा कि में इसकी गांड को बाद में मारूँगा पहले में इसकी चूत की चुदाई तो कर लूँ और फिर में अपने एक हाथ से लंड को थोड़ा नीचे करके चूत के मुहं पर अपने लंड को रखकर मैंने उसकी कमर को पकड़कर हल्का सा एक धक्का मारा तो उसकी वजह से मेरे लंड का टोपा उसकी चूत को चीरता हुआ चूत में समा गया और जैसे ही लंड का टोपा अंदर घुसा फ़रीदा दर्द के मारे अपने मुहं से आह्ह्हह्ह्ह्ह स्सीईईईईइ माँ मर गई कहने लगी, लेकिन अब मेरी हालत ऐसी थी कि वो चाहे जाग रही हो या सो रही हो, लेकिन में अब बिल्कुल भी रुकने वाला नहीं था और में उसको अब अपनी तरफ से हल्के हल्के धक्के मार मारकर उसकी चूत में अपने लंड को पूरा का पूरा अंदर डालकर उसकी चुदाई करने लगा और तब मैंने महसूस किया कि उसकी गरम गरमा चूत ने मेरे लंड को बड़ी ही मजबूती से जकड़ा हुआ था.

फिर में अपनी कमर को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा और तब मैंने महसूस किया कि अब उसको भी बहुत मज़ा आ रहा था, जिसकी वजह से वो अपने मुहं से सिसकियां भरते हुए बोली उूउउफ्फ चोदो साहिल आहहहह और ज़ोर से और ज़ोर से चोदो ऊईईईईईईई हाँ ज़ोर से धक्के मारो मुझे, क्योंकि पिछले कई सालों बाद मेरी इस चूत ने किसी का लंड खाया है ऊउफ़्फ़्फ़्फ़ सही में तुम्हारा लंड बहुत मोटा और लंबा है जिसकी वजह से मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. तुम ऐसे ही धक्के देकर आज मेरी इस प्यास को बुझा दो और यह बात कहते हुए वो अपनी चूत को सिकुड़ने लगी और ज़ोर ज़ोर से हांफने लगी. धीरे धीरे वो ठंडी होने लगी, तो में तुरंत समझ गया कि वो अब झड़ चुकी है और फिर करीब 10-15 धक्को के बाद मेरे लंड ने भी उसकी चूत की गहराईयों में अपने लंड का रस डाल दिया. में उसकी चूत में झड़ गया और हम दोनों पसीने से लथपथ थे. फिर कुछ देर एक दूसरे से ऐसे ही चिपके रहे.

फिर तुरंत फ़रीदा बेड से खड़ी हो गई और वो बाथरूम में जाकर आ गई और वो दोबारा मेरे पास में आकर सो गयी और उसके बाद में भी बहुत जल्दी अपनी गहरी नींद में चला गया. दोस्तों अब में रोज रोज फ़रीदा को अपनी नई नई स्टाइल में चोदता था. इस तरह से मैंने उसको बहुत बार जमकर चोदा और उसने हर बार उसमे मेरा पूरा पूरा साथ दिया. हम दोनों को इस खेल में बड़ा मज़ा आने लगा था और फिर एक दिन तो उसने अपनी बहन को भी मुझसे अपनी चुदाई के लिए तैयार कर लिया.

उसके बाद मैंने उन दोनों बहनों को एक साथ मिलकर सारी रात उनकी चुदाई के मज़े लिए, जिसकी वजह से वो दोनों बहुत खुश थी, क्योंकि मैंने उन दोनों को अपनी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था और उनकी चूत की प्यास को बुझा दिया था और में भी उनके साथ बहुत खुश था और इस तरह से मेरे वो दिन उन दोनों बहनों के साथ ऐसे ही मज़े मस्ती उसकी चुदाई करके निकल गए.

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