बीवी की सहेली की चूत गांड चोदी- 2

साली की गांड मार चुदाई का मजा मुझे दिया मेरी पड़ोसन ने जो मेरी बीवी की पक्की सहेली थी. वह पूरी रात मेरे बेड पर अपनी चूत और गांड की ठुकाई करवाती रही.

दोस्तो, मैं आपको अपनी बीवी की पड़ोसन सहेली निधि की चुदाई की कहानी सुना रहा था.

कहानी के पहले भाग
बीवी की सहेली खाना खिलाकर चुदी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं निधि की गांड मारने के लिए चिकनाई का इंतजाम करने लगा था.

अब आगे गांड मार चुदाई:

किचन में इस समय तो सरसों का तेल ही सही लगा था, तो मैंने सोचा कि आज इसी से काम चला लेता हूँ.
ऐसा सोच कर एक कटोरी में तेल लेकर बेडरूम में लौट आया.

निधि बेड पर लेटी थी; उसकी आंखें उनीदीं सी हो रही थीं.

वह बोली- क्या लाये हो?
‘सरसों का तेल है.’

‘इसका क्या काम है?’
‘अभी पता चल जाएगा.’

‘कुछ होगा तो नहीं?’
‘कुछ नहीं होगा. वह दोनों भी तो कर रहे हैं.’
‘वह तो नकली है.’
‘नकली कैसे है? लंड गांड में पूरा जा रहा है कि नहीं … यह नकली नहीं हो सकता.’
‘हां यह तो है.’
‘चलो, पेट के बल लेटो.’

निधि पेट के बल लेट गयी.

मैंने उसके दोनों गुदाज चूतड़ों को सहलाया और उसकी दरार में उंगली डाल कर फिरायी.

निधि के पूरे शरीर में मानो कंरट सा दौड़ गया.
वह सिहर सी गयी.

मैंने उसकी गर्दन पर चुम्बन लेकर उसे आश्वस्त किया, हाथ ऊपर करके उसके उरोजों को सहलाया.

फिर चूतड़ों की दरार से हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत को सहलाया.
तब जाकर निधि की सिहरन बंद हुई और उसमें काम की उत्तेजना जाग्रत हो गयी.

कुछ देर मैं उसके मुलायम चूतड़ों को चूमता और सहलाता रहा.
इसके बाद मैंने दो उंगलियां तेल में डुबोईं और चूतड़ों की दरार में गांड के छेद पर उंगली के पोर से तेल मल दिया.
कुछ देर तक मैं यूं ही तेल से उसकी गांड की मालिश करता रहा.

मैं चाहता था कि उसके मन से डर निकल जाए, तभी वह गांड मरवा सकती थी.

दुबारा से अनामिका उंगली को तेल में डाल कर उसकी गांड पर तेल मसल कर उंगली को धीरे से गांड में डाला.

गांड बहुत कसी होती है, लेकिन वह फैल भी जाती है.
निधि का डर निकल गया था, सो उसने गांड को ढीला छोड़ दिया था.

मेरी उंगली आराम से गांड में अन्दर चली गयी.
तेल के कारण अन्दर बाहर करने में उसे दर्द नहीं हो रहा था.

इसके बाद मैंने अपना अंगूठा तेल में डुबा कर उसकी गांड में डाला, वह कसमसायी लेकिन अंगूठा गांड में समा गया.
कुछ देर तक मैं ऐसा ही करता रहा.

फिर हाथ निकाल कर निधि को सीधा किया और उसके होंठों को चूमा.
वह भी चूमना चाहती थी, सो हम दोनों गहरे चुम्बन में डूब गए.

चुम्बन के बाद मैंने अपने लंड पर खूब सारा तेल लगाया और निधि को घोड़ी बना कर उसके पीछे खड़ा हो गया.

अब परीक्षा की घड़ी थी कि क्या इतनी तैयारी के बाद मेरा लंड गांड में जा पाएगा या नहीं?

मैंने लंड का सुपारा निधि की तेल से सनी गांड पर रख कर जोर लगाया, तो पहली बार तो लंड तेल की वजह से फिसल गया.

दुबारा जब गांड पर रख कर धीरे से लंड को दबाया, तो लंड गांड में आधा इंच करीब घुस गया.
मुझे यह पता था कि इसे अगर अभी पूरा नहीं डाला गया, तो यह फिर से निकल जाएगा और दर्द के अहसास के कारण निधि दुबारा नहीं डालने देगी.

मेरा ऐसा ही एक अनुभव विवाह के बाद पत्नी के साथ हो चुका था. उस अनुभव में विफलता ही हाथ लगी थी और उस दिन के बाद से पत्नी ने कभी गांड में हाथ तक नहीं लगाने दिया था.

यही सोच कर मैंने लंड को हाथ से पकड़ कर गांड में धीरे से अन्दर दबाया.
इस बार लंड का पूरा सुपारा गांड में समा गया.

अब मैं रुक गया और मैंने निधि की तरफ ध्यान दिया, वह दर्द से कराह रही थी, लेकिन चीख नहीं रही थी. उसने अपना मुँह भींचा हुआ था.
मैंने अपना हाथ उसके आगे से नीचे ले जाकर उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया.

इसका असर यह हुआ कि निधि नें कराहना बंद कर दिया.
फिर मैंने उसके दोनों उरोजों को सहलाया.

इसके बाद मैंने निधि से पूछा कि क्या हाल है?
तो वह बोली कि सही है, आगे चलते हैं. उसकी आवाज में उत्साह था.
यह देख कर मुझे भी उत्तेजना हुई.

इससे पहले मैं भी पहली बार होने के कारण घबराया हुआ था.
अब मैंने अपने चूतड़ों को झटका देते हुए लंड को निधि की गांड में गहरायी में उतारना शुरू किया.

जब धीरे धीरे करके आधे से ज्यादा लंड निधि की गांड में चला गया तो मैं रुक गया और निधि की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा.

वह दर्द से परेशान तो थी लेकिन अब वह उसका मजा लेने लगी थी.

मुझे रुका देख कर वह बोली- पूरा चला गया क्या?
मैंने बताया- नहीं अभी बाकी है. अन्दर क्या हाल है?
‘आग लगी है.’

‘क्या करूं? निकाल लूँ?’
‘क्यों, मंजिल पर आकर कोई लौटता है?’

उसकी बात सुन कर मुझे पता चला कि मुझसे ज्यादा गांड मरवाने के लिए निधि मरी जा रही है.

अब रुकना बेकार था तो मैंने हल्का धक्का लगा कर दो बार में पूरा लंड निधि की गांड में घुसा दिया.
मेरे अंडकोष निधि के चूतड़ों से टकरा रहे थे.

गांड मार चुदाई से निधि को दर्द हो ही रहा था.
इतनी कसी गांड में घुसने के कारण लंड भी दर्द से भरा था लेकिन उसे महसूस करने का किसी को होश नहीं था.

मैंने धीरे-धीरे लंड को निधि की गांड के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
इसमें बहुत घर्षण हो रहा था, तेल लगे होने के बावजूद गांड में चूत की तरह अपना पानी नहीं होता, इस कारण ऐसा हो रहा था.

निधि ‘आ उहह हह उईई’ करने लगी.
अब हम दोनों इसका आनन्द लेने लगे थे.

उसकी गांड बहुत कसी थी इसलिए लंड को पहली बार चूत मारने जैसा आनन्द मिल रहा था.
लंड के पूरे साइज का आनन्द निधि को भी मिल रहा था.

कुछ देर बाद मेरा हाथ निधि की चूत में चला गया और मैं चूत को सहलाने लगा.

निधि को अब दोनों तरफ से मजा मिल रहा था; उसके चूतड़ जोर जोर से हिल रहे थे.
मैंने उंगली अन्दर डाल कर उसे डबल मजा देना शुरू कर दिया.

इससे वह आहह उहह जोर जोर से करने लगी.

कुछ देर बाद उसकी चूत से पानी गिरने लगा.
वह चूत से स्खलन का मजा ले रही थी.
पीछे से लंड रगड़ रहा था और आगे से उंगली चूत का रस मींज रही थी.

उसकी आहें बता रही थीं कि वह दोनों तरफ से मजा ले रही थी.
मैं भी ज्यादा देर नहीं टिक सका और उसकी गांड में ही डिस्चार्ज हो गया.

मैंने जब अपना लंड निधि की गांड से बाहर निकाला तो उसकी गांड से मेरा वीर्य भकभका कर बाहर निकलने लगा.

निधि की गांड और चूत दोनों पानी निकाल रही थी.
उसका सारा शरीर आनन्द से कांप रहा था.

मैंने उसे पीठ के बल लिटाया और उसकी बगल में लेट कर उसे अपने से लिपटा लिया.
वह लता की तरह मेरे सीने से चिपक गयी.

फिर हम दोनों एक दूसरे को बुरी तरह से चूमने लगे.

हम दोनों अभी-अभी एक अनूठे अनुभव से गुजरे थे, जो अनोखा था और पहला था. उसका पूरा मजा हम दोनों ले रहे थे.

मैं उसके चूतड़ों को सहलाने लगा.
निधि बोली- गांड पर हाथ मत लगाओ, दर्द हो रहा है.

मेरा हाथ आगे गया तो उसकी चूत से अभी भी पानी निकल रहा था.
मैंने उंगली डाली, तो वह पानी से तर हो गयी.

निधि मुझे नोच कर बोली- अभी भी मान नहीं रहे हो?

उसका हाथ नीचे मेरे लंड पर गया तो उसे छूकर बोली- यह तो अभी भी तनाव में है, क्या बात है आपने कोई दवा तो नहीं खायी है?
मैंने कहा- दवा तो तुम हो, जो मेरे पास लेटी हो.

वह बोली- मजाक मत करो, दो बार करने के बाद भी यह तनाव में है. ऐसा कहां होता है?
मैंने कहा- तना इसलिए है कि अभी वीर्य और पेशाब भरा है. कुछ देर बाद ढीला पड़ जाएगा, तुम देख लेना.
वह कुछ नहीं बोली.

मैंने शरारत में फिर से अपना हाथ उसके चूतड़ों की दरार में लगाने की कोशिश की.
तो उसने दांतों से मेरे कंधे पर जोर से काट लिया.

मैंने अपना हाथ वहां से हटा लिया.

निधि बोली- मना तो कर रही हूँ लेकिन तुम मान ही नहीं रहे हो, तो क्या करूं!
मैंने उसे प्यार से चूमा और कहा- माफ कर दो, मजाक कर रहा था. मुझे यह नहीं पता था कि इतना दर्द हो रहा है!
वह बोली- आग लगी है वहां पर, सुबह क्या होगा जब टट्टी करने जाऊंगी?

कुछ देर सोचने के बाद मैंने कहा- उस का इलाज मेरे पास है.
वह बोली- तो अभी क्यों नहीं कर देते?

उसकी बात सुन कर मैं उठा और अल्मारी खोल कर एक जैल की टयूब निकाल लाया.
उसमें से थोड़ा जैल लेकर उसकी गांड के अन्दर लगा दिया.

पहले तो वह चीखी, लेकिन मैंने हाथ से उसका मुँह बंद कर दिया.
फिर जैल के असर से वह चुप हो गयी.
जब हाथ हटाया तो निधि बोली- इससे तो ठंडक पड़ गयी है.

मैंने कहा कि इस जैल का ध्यान ही नहीं रहा, नहीं तो इतना दर्द भी नहीं होता.
वह कुछ नहीं बोली.

मैंने एक टॉवल लेकर अपना लंड साफ किया और फिर उसकी चूत को साफ किया.
इसके बाद उसके चूतड़ों पर लगा तेल भी साफ कर दिया.

उसकी जांघें भी तर थीं, मैंने उन्हें भी साफ कर दिया.

इस सफाई के बाद उसकी पैंटी उसे पहनने को दी और उसके कपड़े उसे पहना दिए.
अपने कपड़े भी पहन लिए.

इसके बाद मैंने उससे पूछा- अब क्या इरादा है?
तो वह बोली- सुबह चार बजे से पहले मुझे घर छोड़ आना.

मैंने कहा- हो सकता है, नींद ना खुले. कहो तो अभी छोड़ दूं.
वह बोली- अभी तो चला भी नहीं जाएगा.

फिर कुछ सोच कर बोली- बोल तो तुम सही रहे हो, सुबह नहीं उठ पाएंगे. अभी छोड़ दो. लेकिन अपने आपको कपड़ों से ढक लेना.
मैंने उसकी बात मान कर गहरे रंग की चादर से कवर करके अपना दरवाजा बंद किया और उसे उसके घर के दरवाजे तक छोड़ आया.

जब तक वह अन्दर नहीं चली गयी, मैं वहीं रहा.
फिर घर लौट आया.

आज जो कुछ हुआ, वह इतना अचानक हुआ कि उसके सही या गलत होने के बारे में सोचने का मौका ही नहीं मिला.

जब लेटा तो मेरा बदन भी दर्द कर रहा था, मैंने भी जीवन में इतनी देर संभोग और गुदा मैथुन नहीं किया था.
मेरा पोर-पोर दर्द से कराह रहा था.

मैं इसी से निधि की हालत में समझ सकता था.
अच्छा हुआ कि वह रात में ही चली गयी, सुबह जाना मुश्किल था.

तभी मेरा मोबाइल बजा, निधि थी.

वह बोली- तुम सही हो?
मैंने पूछा- तुम बताओ.

तो वह बोली- सारा शरीर दर्द कर रहा है, करवट से लेटी हूँ … पीठ के बल नहीं लेटा जा रहा है.

मैंने उसे बताया- मेरा भी ऐसा ही हाल है. सारा शरीर दर्द कर रहा है लेकिन दर्द अच्छा लग रहा है. मन तो कर रहा है कि दर्द की गोली खा लूँ … लेकिन मैं सारी रात इस दर्द का मजा लूँगा.

मेरी बात पर वह हंसी और बोली कि मैं भी ऐसा ही करने वाली हूँ.
यह कह कर फोन काट दिया.

मैं बाथरूम गया और अपने लंड को पानी और साबुन से साफ करने के बाद उसे पौंछ कर सुखा दिया, फिर बाक्सर पहन कर बेड पर लेट गया.

टीवी पर अभी भी पोर्न फिल्म चल रही थी.
उसे बंद किया, फिर सोचा कि क्या सुबह ऑफिस जाया जा सकता है?

शरीर बोला कि नहीं, लेकिन मन ने कहा कि हां जाना तो पड़ेगा.

यही सब सोचते सोचते कब नींद आ गयी, कुछ पता ही नहीं चला.

सुबह अलार्म से आंख खुली तो लगा कि सारा शरीर अकड़ गया है, खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था.

कुछ देर बैठ कर उठा और चाय बना कर पी तो शरीर में कुछ जान सी आयी.

नित्यक्रम करने के बाद नहाने चला गया.
नहा कर थकान कम हो गयी.

किचन में ब्रेड सेक कर चाय बना कर नाश्ता किया और ऑफिस के लिए निकल गया.

ऑफिस में दर्द का ध्यान नहीं रहा.

शाम को जब घर लौट रहा था, तब लगा कि जांघों के मध्य भारीपन और सुन्न सा हो रहा है.

घर आकर कपड़े बदले तो देखा कि लंड तो लाल पड़ा था; कल के घर्षण के कारण सूजा सा भी था, इसी वजह से सुन्न सा भी लग रहा था.
कुछ देर सरसों के तेल से उसकी मालिश की, तो काफी आराम मिला.

फिर बाक्सर पहन कर खाने के बारे में सोचने लगा.

मुझे लग रहा था कि कल के अनुभव के बाद निधि आज खाना लेकर नहीं आ पाएगी.
लेकिन मेरी यह धारणा गलत निकली.

वह अपने निश्चित समय पर खाना लेकर हाजिर हो गयी.
उसकी चाल से पता चल रहा था- वह दर्द से परेशान है, लेकिन काम कर पा रही थी.

उसने भी मेरे साथ बैठ कर खाना खाया और बोली- एक कप चाय बना कर पिला दो.
मैं चाय बनाने चला गया.

चाय के साथ दर्द की गोली भी लेकर आया.
तो वह बोली- अगर मुझे गोली खानी होती, तो मैं रात को ही खा लेती. लेकिन मैं तो इस नए दर्द का मजा ले रही हूं.

हम दोनों चाय पीने लगे.

मैंने पूछा- दिन कैसे कटा?
तो वह बोली- खड़ी होते ही अन्दर दर्द होने लगता है. कल तो तुमने चूत का भी बैंड बजा दिया था, फिर पीछे से जांघों के बीच आग लगी है. तुम्हारा क्या हाल है?

मैंने उसे बताया- रात को तो कुछ पता नहीं चला, सुबह ऑफिस में काम की वजह से ध्यान ही नहीं गया. अभी जब ऑफिस से आकर कपड़े बदले, तब जाकर देखा कि लाल हो गया है तथा सूजा और सुन्न सा भी है. ब्रीफ उतार कर उस पर तेल की मालिश की, तब जाकर कुछ आराम मिला है.
यह कह कर मैंने बाक्सर उतार दिया.

निधि ने लंड को हाथ में लेकर कहा- यह तो सच में सूज गया है!
मैंने कहा- कल तो ऐसा लग रहा था कि किसी कुवांरी चूत को भोगने का मौका मिल रहा है, उसी का परिणाम है.

वह हंसी और बोली- मुझसे पूछो … दोनों तरफ से भोगा गया … तथा आगे से और पीछे से दोनों तरफ से आक्रमण झेलने पड़े. चूत तो सूज कर लाल हो गयी है … पीछे का पता नहीं क्या हुआ होगा?

मैंने उसे आगे झुकने को कहा और उसकी साड़ी पेटीकोट चूतड़ों से ऊपर करके चूतड़ों को चौड़ा करके देखा तो गांड लाल पड़ी थी.
फिर मैंने उसके कपड़े सही कर दिए.

वह बोली- ऐसा क्यों हुआ, कइयों ने बताया है कि उनके पति गांड मारते हैं. अगर ऐसा हाल होता है तो क्या मजा आता होगा?
मैंने कहा- हो सकता है पहली बार की वजह से ऐसा है. जब आदत पड़ जाएगी तो ऐसा नहीं होगा.
वह चुप रही.

उसका आज भी घर जाने का कोई इरादा नजर नहीं आ रहा था.
ऐसा मुझे लग रहा था.

कुछ देर की चुप्पी के बाद वह बोली- आज का क्या इरादा है?
‘तुम बताओ?’
‘प्यास तो लग रही है, बुझानी भी है. चाहे कितना भी दर्द हो.’

मैं भी उसकी राय से सहमत था.
अब जो होना होगा तो होगा, सोचने से कोई लाभ नहीं था.

कुछ देर बाद मुझे लगा कि दर्द को भूलने की एक ही दवा है कि कोई नशा कर लिया जाए.
शराब ही इस समय हम दोनों को दर्द भूलने में सहायता कर सकती है.

मैंने निधि से पूछा- कुछ पीना है?
तो जबाव मिला- क्या है?

मैंने कहा- स्काच है, वोदका है … बोलो क्या पियोगी?
वह बोली- जो तुम्हें पसन्द हो, चलेगी.

उसकी बात सुन कर मैं वोदका के दो पैग बना कर ले आया और हम दोनों सिप करने लगे.
यह वोदका बहुत तेज वाली थी इसलिए थोड़ी ही देर में हम दोनों पर नशा चढ़ने लगा.

तीन तीन पैग पीने के बाद मुझे लगा कि अगर नहीं रुके, तो रात को कुछ कर नहीं पाएंगे.
यह सोच कर मैं गिलास किचन में रख आया.

अब हम दोनों बेडरूम में आ गए.

निधि नें साड़ी उतार कर एक तरफ रख दी.
अब वह ब्लाउज और पेटीकोट में थी.

मैं उसे दो बार भोग चुका था लेकिन मैंने कभी उसे ध्यान से देखा नहीं था.

आज मेरी नजर गयी कि उसकी पतली कमर नीचे भरे नितम्ब और ऊपर कसे उरोज … वह बला की सेक्सी लग रही थी.

उसके शरीर पर कहीं पर भी फालतू मांस नहीं था.
वह कोई अप्सरा सी लग रही थी.

हो सकता था कि मुझ पर नशे का असर होने लगा था.
निधि भी शराब के नशे में आ गयी थी.

अब जो होना था सो होना ही था. हम दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े और एक दूसरे को बुरी तरह से चूमने लगे.

दोनों ने एक दूसरे के चेहरे, गर्दन, छाती कोई जगह नहीं छूटी, जहां पर चुम्बन नहीं किया.

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